मुंशी प्रेमचंद ने कई साल पहले ‘ईदगाह’ नाम से एक कहानी लिखी थी, जिस में 4-5 साल का हामिद अपनी दादी अमीना के साथ रहता है और ईद पर वह बाजार से कोई खिलौना या मिठाई खरीदने के बजाय दुकानदार से मोलभाव कर के 3 पैसे में अपनी बूढ़ी दादी के लिए चिमटा खरीदता है, ताकि रोटी बनाते समय उन के हाथ न जलें.
पर, अगर कोई इसी गरम चिमटे से किसी मासूम को दाग दे, तो उसे कैसा महसूस होगा? यह कोई कहानी नहीं है, बल्कि हरियाणा के फरीदाबाद की राजीव कालोनी में इसी मार्च महीने में ऐसा हकीकत में हुआ. शर्म और दुख की बात तो यह रही कि ऐसा घटिया काम करने वाली एक औरत थी, जिस ने अपनी सौतेली बेटी को सताने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
मामला कुछ यों था कि फरीदाबाद के सैक्टर 58 थाना के तहत आने वाली राजीव कालोनी से पुलिस को यह खबर मिली कि एक औरत अपनी सौतेली बेटी को रोजाना मारतीपीटती थी. पुलिस हरकत में आई और बताए गए घर पर दबिश दी. वहां से मिली पीडि़त लड़की का मैडिकल कराया गया. उस के बदन पर चोट और जलने के निशान मिले.
जब इस पूरे मामले की जांचपड़ताल की गई तो पता चला कि उस 16 साल की लड़की की सौतेली मां जबरन उस से घर के सारे काम कराती थी. जब कभी वह थक कर बैठ जाती थी, तब उस की सौतेली मां उसे बुरी तरह पीटती थी. कई बार तो गरम चिमटे से दाग देती थी.
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यह कोई एकलौती घटना नहीं है, जब किसी बच्चे को अपनों द्वारा ही इतना ज्यादा सताया गया हो. सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो तैरते मिल जाएंगे, जिन में कोई औरत या मर्द बंद कमरे में किसी बच्चे की बेदर्दी से पिटाई कर रहे होते हैं. कोई चोरी छिपे ऐसी करतूतों को कैमरे में कैद कर लेता है और इंटरनैट की आभासी दुनिया में शेयर कर देता है. इन मामलों में मांएं भी पीछे नहीं हैं. इसी साल फरवरी महीने में दिल्ली महिला आयोग ने हरिनगर इलाके से 8 साल के एक ऐसे बच्चे को बचाया, जिस के साथ उस की सौतेली मां लंबे समय से मारपीट कर रही थी.
बच्चे ने बताया कि उस की मां उसे रोजाना पीटती थी. कई बार उसे खाना तक नहीं देती थी. उसे घर से बाहर निकाल देती थी. जब मां घर से बाहर जाती थी, तो उसे बांध कर जाती थी. बच्चे के मैडिकल टैस्ट से पता चला कि उस के हाथ, पैर, गरदन, पीठ समेत पूरे शरीर पर जख्मों के निशान थे. सही से खाना नहीं मिलने के चलते वह बच्चा कमजोर भी हो गया था.
अब एक असली मां की भी करतूत देख लो. महाराष्ट्र में मुंबई के पास ठाणे शहर के मुंबा इलाके में एक औरत हीना शेख का 2 साल पहले अपने शौहर फयाज शेख से तलाक हो गया था. 3 साल के बेटे की कस्टडी हीना शेख को मिली थी, पर वह अपने पति से मिलने वाले मुआवजे से खुश नहीं थी, इसलिए उस ने 28 फरवरी, 2021 को पैसों की डिमांड बढ़ाने के लिए अपने बेटे की जम कर पिटाई कर के उस का वीडियो बना दिया और फयाज शेख को भेज दिया.
मामला सामने आने के बाद पुलिस ने जुविनाइल जस्टिस ऐक्ट के सैक्शन 75 के तहत हीना शेख को गिरफ्तार कर लिया. उस वीडियो में वह अपने बेटे को बेरहमी से पीट रही थी. पिटाई के बाद वह उसे बिस्तर पर खड़ा कर के पूछती है, ‘तुझे तेरे बाप के पास जाना है?’
रोता हुआ बच्चा कहता है कि उसे नहीं जाना है, लेकिन मां उस के पैर, जांघों, पीठ, कंधे और मुंह पर लगातार मारती है. वह उसे यह कह कर पीटने लगती है कि उस का बाप उस के लिए केवल 6,000 रुपए देता है और 10,000 रुपए से ज्यादा का खाना यह बच्चा खाता है.
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यहां जिन खबरों का जिक्र किया गया है, वे ऐसे कांड हैं जिन को देखसुन कर किसी का भी दिल दहल जाए. अमूमन कोई मां अपने बच्चे को किसी बात पर पीट दे, यह कोई हैरानी वाली बात नहीं है. बचपन में तकरीबन हर कोई अपनी मां के हाथों पिटा होगा या डांट खाई होगी. इस में मां के मूड के साथसाथ बच्चे की गलती भी बड़ी वजह होती थी. बच्चे ने झूठ बोला, होमवर्क नहीं किया, गाली दी या किसी से मारपीट कर दी, चोरी की या कोई ऐसी बदमाशी कर दी, जो माफी के लायक नहीं थी, तो मां बेमन से पिटाई कर देती थी, फिर वह बेटा हो या बेटी.
लेकिन वहां मां का एक ही मकसद होता है, बच्चे में सुधार लाना. पर जब कोई मां नफरत या किसी लालच में अपने बच्चे को सताती है या बेरहमी से पीटती है, तो मामला फरीदाबाद जैसा संगीन हो जाता है. राजीव कालोनी में रहने वाली मां को अपनी सौतेली बेटी से प्यार नहीं था, यह बात समझ में आती है और वह उस से घर का सारा काम अपनी इसी भड़ास को निकालने के लिए कराती होगी, पर गरम चिमटे से दागना तो अपराध है. हालांकि 16 साल की लड़की से जबरदस्ती घर के काम कराना भी गैरकानूनी है.
दिल्ली के हरिनगर की औरत ने तो अपने 8 साल के सौतेले बेटे को सताने में कोई कसर ही नहीं छोड़ी. किसी मासूम को भूखा रखना कहां की इनसानियत है.
इसी तरह ठाणे की हीना शेख लालच में इतनी अंधी हो गई थी कि उस ने अपने तलाकशुदा शौहर से मुआवजे की रकम बढ़वाने के लिए अपने बेटे को ही बलि का बकरा बना डाला. उसे बेदर्दी से पीटा ही नहीं, बल्कि उस का वीडियो तक बना डाला.इस तरह के मामले बच्चों को घर से भागने की वजह बनते हैं. कौन बच्चा बिना बात रोजरोज की मार खाएगा?
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एक पुरानी कहावत है कि बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं. उन्हें कुम्हार की तरह जिस आकार में ढालेंगे, वे वैसे ही बनते चले जाएंगे. मां अपने बच्चों की वही कुम्हार होती है. उस के हाथ जितने सधे होंगे, बच्चे उतने ही निखरेंगे. बच्चों के साथ एक हद तक कड़ाई करनी चाहिए, पर इतनी भी नहीं कि वे ऐसी राह पर चल पड़ें, जहां से लौटना मुश्किल हो जाए.
बच्चों को ‘ईदगाह’ कहानी के हामिद जैसा दयालु बनाएं, जिसे अपनी खुशी से ज्यादा बूढ़ी दादी की चिंता थी. अगर कहीं वही दादी भविष्य में उसे उसी चिमटे से दागती तो क्या कोई दूसरा बच्चा इस तरह का तोहफा अपनी मां या दादी के लिए लाने की सोचता? बिलकुल नहीं.