दिमागी नामर्दी से बचें

दरअसल, जब विशाल 14-15 साल का किशोर था, तभी उसे हस्तमैथुन करने की आदत लग गई थी. हालांकि इस उम्र में ऐसा करना लाजिमी है और आमतौर पर सभी लड़के इसी तरीके से अपनी सैक्स भावना को शांत करते  हैं, लेकिन सुहागरात पर अपराधबोध की वजह से विशाल में वह जोश नहीं आया और न ही अंग में तनाव.

सुहागरात पर मिली नाकामी का उस के मन में इस कदर डर बैठ गया कि वह अपनेआप को नामर्द समझने लगा. वह अपनी पत्नी के करीब जाने से कतराने लगा. रात होते ही उसे घबराहट होने लगती. वह पत्नी के सोने का इंतजार करने लगता.

विशाल की शादी हुए एक महीना बीत चुका था, लेकिन वह शारीरिक संबंध नहीं बना पाया था. एक दिन उस ने मन पक्का कर के अपने एक खास दोस्त को यह समस्या बताई.

दोस्त को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है, इसलिए उस ने सलाह दी कि वह किसी माहिर डाक्टर को बता कर वह अपना चैकअप कराए, ताकि पता चले कि समस्या क्या है.

विशाल डाक्टर के पास गया. डाक्टर ने उस का अच्छी तरह चैकअप किया. कई जांच करने के बाद उसे शारीरिक तौर पर एकदम सही बताया यानी वह मर्द है और उस में ऐसी कोई कमी नहीं, जो सैक्स करने में बाधक हो.

डाक्टर ने विशाल को सलाह दी कि उस की समस्या जिस्मानी नहीं, बल्कि दिमागी है यानी तन से तो वह मर्द है, लेकिन मन से नामर्द, इसलिए उसे किसी माहिर मनोचिकित्सक से काउंसलिंग कराने को कहा.

विशाल उस मनोचिकित्सक के पास गया. काउंसलिंग के दौरान उस ने मनोचिकित्सक के सभी सवालों के जवाब दिए और कुछ सवाल अपनी तरफ से किए.

मनोचिकित्सक ने उस से कहा, ‘‘तुम शारीरिक रूप से पूरी तरह सेहतमद हो यानी मर्द हो, लेकिन पत्नी के पास जाते ही तुम्हारे मन में हस्तमैथुन करने का अपराधबोध आ जाता है, जो तुम्हें मन से नामर्द बना देता है.’’

मनोचिकित्सक ने विशाल को सलाह दी कि वह इस तरह का अपराधबोध छोड़ दे. यह तो एक सहज और सामान्य प्रक्रिया है. इस बारे में ज्यादा सोचना नहीं चाहिए. बीती बातों का अपराधबोध पालने की कोई तुक नहीं है. लिहाजा, यह डर अपने दिमाग से निकाल दे.

मनोचिकित्सक के साथ काउंसलिंग के बाद जब विशाल अपनी पत्नी के करीब गया तो उस के तनमन में वही सब अहसास हुआ, जो एक मर्द को होना चाहिए. उस रात उस की मर्दानगी जाग उठी और वह उस में पूरी तरह कामयाब रहा. इस के बाद उस की शादीशुदा जिंदगी आम जोड़े की तरह सुख से भरी हो गई.

विशाल की तरह अनेक नौजवान ऐसे हैं जो अपने द्वारा किए गए हस्तमैथुन या स्वप्नदोष की वजह से आत्मग्लानि से ग्रस्त हैं, जो उन्हें दिमागी तौर पर नामर्द बना देती है.

ऐसे ही एक नौजवान को हफ्ते में एकाध बार स्वप्नदोष होता था और इस वजह से वह खुद को नामर्द समझ रहा था. जब वह डाक्टर के पास गया तो उस की सोच गलत साबित हुई.

डाक्टर ने बताया कि किशोरावस्था में हर लड़के में वीर्य बनना शुरू हो जाता है, जो लगातार जारी रहता?है. जब वीर्य एक मात्रा से ज्यादा हो जाता है, तो वह अपनेआप निकल जाता है. जब कोई लड़का उत्तेजक सपना देखता है, तो उस का वीर्य गिर जाता है. इसे ही स्वप्नदोष कहते हैं.

स्वप्नदोष होना कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक कुदरती प्रक्रिया है. इस से किसी तरह की कमजोरी नहीं आती और न ही नामर्दी होती है.

हस्तमैथुन को ले कर कई गलत सोच फैली हुई हैं, जैसे इस से  कमजोरी आती है, शादी के बाद पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाएगा, अंग टेढ़ा हो जाएगा वगैरह. यह भी एक गलत सोच है कि खून की 50-100 बूंद  से वीर्य की एक बूंद बनती है, जबकि वीर्य का खून से कोई लेनादेना ही  नहीं होता.

हस्तमैथुन और स्वप्नदोष के बारे में गलत सोच उन लोगों ने फैलाई है, जो इसे नामर्दी की वजह बना कर पैसा कमाना चाहते हैं.

ऐसे नीमहकीमों के इश्तिहार वगैरह टैलीविजन और अखबारों में काफी देखे जा सकते हैं. कुछ इश्तिहार नामर्दी को दूर करने वाली दवाओं के होते हैं. इन के झांसे में आने से बचना चाहिए.

कुछ किशोर गंदी संगत में पड़ कर समलैंगिक मैथुन यानी गुदा मैथुन करने की आदत पाल लेते हैं. समलैंगिक संबंधों का भी अपराधबोध दिमागी रूप से नामर्द बना देता है.

औरत के पास जाने पर संबंध बनाने में नाकाम होना दिमागी वजहों से होता है, इसलिए पहले बनाए गए समलैंगिक संबंधों को भूल जाएं. यकीन मानिए. आप अपनी पत्नी के सामने पूरे मर्द साबित होंगे.

कुछ नौजवान शादी से पहले सैक्स वर्कर्स से संबंध बनाने की आदत पाल लेते हैं. शादी के बाद पत्नी से संबंध बनाने की बारी आती है, तो उन्हें डर लगता है कि कहीं उन की पोल खुल न जाए. उन्हें अपना डर दूर कर लेना चाहिए. शादी के पहले वे मर्द थे, तो शादी के बाद नामर्द कैसे हो सकते हैं?

दरअसल, जोश या तनाव आना दिमागी सोच पर निर्भर करता है. पत्नी के साथ सैक्स करते समय पहले  बनाए गए संबंधों का खयाल दिमाग में न लाएं.

जब किसी मर्द का वीर्य सैक्स शुरू करने से पहले या तुरंत बाद निकल जाए, तो उसे शीघ्रपतन कहा जाता है. इस के साथ भी कई भ्रांतियां जुड़ी हुई हैं, जैसे उस की सैक्स की ताकत कम है, वह सैक्स नहीं कर सकता या पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाएगा.

यदि ऐसा होता है, तो अपनेआप को नामर्द न समझें. जब मर्द बहुत ज्यादा जोश में होता है, तो उस का वीर्य जल्दी गिर जाता है. इस से कतई परेशान न हों.

कुछ नौजवान अपने अंग का छोटा होने की वजह से अपने को नामर्द मान बैठते हैं, जबकि यह सोच गलत है. तनाव में आया 3 इंच का अंग सामान्य माना जाता है, जो सैक्स करने व पत्नी  को पूरा सुख पहुंचाने के लिए काफी  है, इसलिए इस बात को ले कर चिंतित न हों.

कुछ इश्तिहारों में अंग बड़ा करने की दवा, तेल व उपकरणों के बारे में देखा जा सकता है. इन में कोई सचाई नहीं होती. अंग को किसी भी तरीके से बड़ा नहीं किया जा सकता है. इस के लिए किसी हकीम या तंबू वाले के पास मत जाइए, क्योंकि ये लोग आप को बेवकूफ बना कर खुद पैसा कमाते हैं. ऐसी कोई दवा आज तक नहीं बनी है, जिसे खा कर अंग की लंबाई बढ़ जाती है. वैसे भी हर किसी के अंग की लंबाई अलगअलग होती है.

दरअसल, नामर्द होने का मतलब है कि आदमी सैक्स संबंध बनाने में नाकाम है, चाहे वह संबंध बनाना चाहता हो. इस हालत में आदमी का अंग तनाव में नहीं आता या सिर्फ थोड़ी देर के लिए ही आता है.

किसी आदमी के नामर्द होने की  3 वजहें हैं, प्रजनन अंग में विकार, नशे की दवाएं या शराब का असर. तीसरी वजह में आदमी मानसिक तौर पर नामर्द होता है. ज्यादातर लोग इस हालात में ही होते हैं.

अगर कोई यह सोच ले कि वह सैक्स करने में नाकाम है, तो वह कभी कामयाब नहीं होगा. यह तो वही  बात हुई कि कोई सैनिक लड़ाई के मैदान में लड़ने से पहले ही हथियार डाल दे. ऐसे में भला वह जीत कैसे सकता है? लिहाजा, नामर्द होने का वहम मन से निकाल दें. अगर कोई दिक्कत है, तो हमेशा माहिर डाक्टर से ही सलाह लें.

क्या आप प्यार कर चुके है, लेकिन आप प्यार में थे लस्ट में समझ पाएं, जानिए अंतर

फिल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस’, ‘बेफिक्रे’, ‘ओके जानू’, ‘वजह तुम हो’ आदि फिल्मों को देखने के बाद प्यार के नाम पर परोसा जाने वाला मसाला, लव, इमोशंस, इज्जत से परे केवल ‘लस्ट’ यानी सैक्स या कामुकता के आसपास दिखाया जाता है. युवकयुवती की मुलाकात हुई, थोड़ी बातचीत हुई और बैडरूम तक पहुंच गए. आज की सारी लव स्टोरी फिल्मों से ले कर दैनिक जीवन में भी ऐसी ही कुछ देखने को मिलती है. यह सही है कि फिल्में समाज का आईना हैं और निर्मातानिर्देशक मानते हैं कि आज की जनरेशन इसे ही स्वीकारती है.

आज यूथ के लिए प्यार की परिभाषा बदल चुकी है. प्यार का अर्थ जो आज से कुछ साल पहले तक एहसास हुआ करता था, उसे आज गलत और पुरानी मानसिकता कहा जाता है. ऐसे में सामंजस्य न बनने की स्थिति में ऐसे रिश्ते को तोड़ना आज आसान हो चुका है और यूथ लिव इन रिलेशनशिप को बेहतर मानने लगा है, क्योंकि शादी के बाद अगर कोई समस्या आती है, तो कानूनी तौर पर अलग होना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन यह सही है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, कुछ अच्छा तो कुछ बुरा अवश्य होता है.

दरअसल, असल जीवन में जब युवकयुवती मिलते हैं तो उन्हें यह समझना मुश्किल होता है कि वे लव में जी रहे हैं या लस्ट में. कभीकभार वे समझते हैं कि लव में जी रहे हैं, जबकि वह लव नहीं, लस्ट होता है. जब तक वे इसे समझ पाते हैं कि उन का रिश्ता किधर जा रहा है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और रिश्ता टूट जाता है.

जानकारों की मानें तो जब आप पहली बार किसी से मिलते हैं तो पहली नजर में प्यार नहीं लस्ट होता है, जो बाद में प्यार का रूप लेता है. फिर एकदूसरे को आप पसंद कर अपने में शामिल कर लेते हैं.

एमएनसी में काम करने वाली मधु बताती है कि पहले मैं राजेश से बहुत प्यार करती थी. हम दोनों एक फैमिली फंक्शन में मिले थे. करीब एक साल बाद उस ने मुझे घर बुलाया और उस दिन हम दोनों ने सारी हदें पार कर दीं. इस तरह जब भी समय मिलता हम मिलते रहते, लेकिन जब मैं ने उस से शादी की बात कही, तो वह यह कह कर टाल गया कि थोड़े दिन में वह अपने मातापिता को बता कर फिर शादी करेगा. जब घर गया तो वहां से उस ने न तो फोन किया और न ही कोई जवाब दिया. जब मुंबई वापस आया तो उस के साथ उस की पत्नी थी.

मैं चौंक गई, वजह पूछी तो बोला कि उस के मातापिता ने जबरदस्ती शादी करवा दी है. मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई. मैं क्या कर सकती थी. उस ने कहा कि वह अब भी मुझ से प्यार करता है और उसे तलाक दे कर मुझ से शादी करेगा, लेकिन आज तक कुछ समाधान नहीं निकला.

अब मुझे समझ में आया कि यह उस का लव नहीं लस्ट था, क्योंकि अगर वह असल में प्यार करता तो किसी भी प्रकार के दबाव में शादी नहीं करता.

इस बारे में मैरिज काउंसलर डा. संजय मुखर्जी कहते हैं कि युवकयुवती का रिश्ता तभी तक कायम रहता है जब तक वह एकदूसरे को खुशी दें. प्यार में पैसा जरूरी है जो केवल 10त्न तक ही खुशी दे सकता है, इस से अधिक नहीं. प्यार भी कई प्रकार का होता है, रोमांटिक प्यार जो सब से ऊपर होता है, जिस का उदाहरण रोमियोजूलिएट, हीररांझा, लैलामजनूं आदि की कहानियों में दिखाई पड़ता है. महिलाएं अधिकतर लव को महत्त्व देती हैं जबकि पुरुषों के लिए लव अधिकतर लस्ट ही होता है. तकरीबन 75 से 80त्न महिलाएं लव और लस्ट को इंटरलिंक्ड मानती हैं. महिलाएं मोनोगेमिक नेचर की होती हैं, जबकि पुरुष का नेचर पोल्य्गामिक होता है. एक स्त्री एक साल में एक ही बच्चा पैदा कर सकती है, जबकि पुरुष 100 बच्चों को जन्म दे सकता है.

आकर्षण के बाद भी लव हो सकता है और जब आकर्षण होता है, तो उस में शारीरिक आकर्षण अधिक होता है. ये सारी प्रक्रियाएं हमारे मस्तिष्क द्वारा कंट्रोल की जाती हैं.

इस के आगे वे कहते हैं कि सबकुछ हर व्यक्ति में अलगअलग होता है. ऐसा देखा गया है कि शादी के बाद भी कुछ युवतियों में शारीरिक संबंधों को ले कर कुछकुछ गलत धारणाएं होती हैं, जिन्हें ले कर भी वे अपने रिश्ते खराब कर लेती हैं और तलाक ले लेती हैं.

लव मन की भावनाओं के साथ जुड़ता है जिस के साथ लस्ट जुड़ा होता है. लव एक मानसिक जरूरत को दर्शाता है तो दूसरा शारीरिक जरूरत को बयां करता है.

कई बार महिलाएं केवल लस्ट का अनुभव करती हैं, लव का नहीं, जिस से वे रियल प्यार की खोज में विवाहेत्तर संबंध बनाती हैं. किसी एक की कमी आप के रिश्ते को खराब करती है.

लव में सैक्सुअल कंपैटिबिलिटी होना बहुत जरूरी है. रिलेशनशिप में रहना गलत नहीं, लेकिन इस में एक तरह की सोच रखने वाले ही सफल जीवनसाथी बन पाते हैं.

लव और लस्ट के बारे में चर्चा सालों से चली आ रही है. क्या पहली नजर में प्यार होता है या वह लस्ट ही होता है? क्या अच्छा है, लव या लस्ट? हमारे आर्टिस्ट जो इन्हीं विषयों पर धारावाहिक और फिल्में बनाते हैं. आइए जानें इस बारे में उन की अपनी सोच क्या है :

अदा खान :

लस्ट पूरा शारीरिक आकर्षण है. प्यार पहली नजर में हो सकता है पर इसे पनपने में समय लगता है. दोनों ही नैचुरल हैं, पर लव की परवरिश करनी पड़ती है. जब आप किसी से प्यार करते हैं तो आप का दिल जोरजोर से धड़कता है, लेकिन मेरे हिसाब से ‘रियल सोलमेट’ के मिलने से आप शांत अनुभव करते हैं. लव और लस्ट में काफी अंतर है. लस्ट आप के सिर के ऊपर से चला जाता है, लेकिन प्यार का नशा हमेशा जारी रहता है. प्यार आप एक बार ही कर सकते हैं, लेकिन लस्ट आप बारबार कहीं भी कर सकते हैं.

श्रद्धा कपूर :

श्रद्धा कपूर बताती हैं कि लव में लस्ट होता है, लेकिन इसे सहेजना पड़ता है. मुझे कोई पहली नजर में अच्छा लग सकता है, पर प्यार हो जाए यह जरूरी नहीं. उस के लिए मुझे सोचना पड़ेगा. मैं परिवार के अलावा हर निर्णय सोचसमझ कर लेती हूं. इतना सही है कि अगर प्यार मिले तो उस में लस्ट अवश्य होगा. इस के लिए सही जांचपरख भी होगी.

पूनम पांडेय :

पूनम के अनुसार लव में 60त्न लस्ट का होना जरूरी होता है. तभी उस का मजा आता है, लेकिन इस के लिए दोनों को ही सही तालमेल बनाए रखना जरूरी है. मैं यह मानती हूं कि पहली नजर में प्यार होता है और उस के बाद लस्ट आता है.

करण वाही :

क्रिकेटर से मौडल और ऐक्टर बने करण वाही कहते हैं कि पहली नजर में अगर किसी से प्यार हो जाए तो इस से बढ़ कर और अच्छी बात कोई नहीं है. जब आप किसी से मिलते हैं तो एक अजीब तरह का आकर्षण महसूस करते हैं. हालांकि लव की परिभाषा गहन है, लेकिन यही आकर्षण लव में परिवर्तित हो सकता है. जब आप किसी से प्यार करते हैं, तो उस की हर बात आप को अच्छी लगने लगती है. लस्ट पूरा शारीरिक आकर्षण है. इस में फीलिंग्स की गुंजाइश कम होती है.

कृतिका सेंगर धीर :

टीवी अभिनेत्री कृतिका कहती हैं कि लस्ट खोखला इमोशन है, जो थोड़े दिन बाद खत्म हो जाता है, जबकि लव मजबूत, शक्तिशाली और जीवन को बदलने वाला होता है. लव से आप को खुशी मिलती है. इस से सकारात्मक सोच बनती है. मुझे इस का बहुत अच्छा अनुभव है, क्योंकि काम के दौरान मुझे सच्चा प्यार मेरे पति के रूप में निकितिन धीर से मिला.

सुदीपा सिंह :

धारावाहिक ‘नागार्जुन’ में मोहिनी की भूमिका निभा रहीं सुदीपा सिंह कहती हैं कि आजकल रिश्तों के माने बदल चुके हैं. ऐसे में सही प्यार का मिलना मुश्किल है, अधिकतर लस्ट ही हावी होता है. लस्ट हर जगह आसानी से मिल जाता है. एक  सही प्यार आप की जिंदगी बदल देता है और लस्ट आप को अधूरा कर सकता है. पहली नजर में प्यार कभी नहीं होता, लेकिन आप को एक एहसास जरूर होता है, जो समय के साथ प्रगाढ़ होता है. मुझे इस का अनुभव है. मैं युवाओं से कहना चाहती हूं कि किसी को भी अगर कोई ‘सोलमेट’ मिले तो उसे संभाल कर रखें.

लव और लस्ट में अंतर

–   लव एक प्रकार का आंतरिक एहसास है, जबकि लस्ट प्यार के साथसाथ एक शारीरिक खिंचाव भी है.

–   लव में एकदूसरे के प्रति मानसम्मान, इज्जत, ईमानदारी, विश्वसनीयता, आपसी सामंजस्य अधिक होता है, लेकिन लस्ट में चाहत, पैशन और गहरे इमोशंस होते हैं.

–   लव में एक व्यक्ति दूसरे की खुशी को अधिक प्राथमिकता देता है जबकि लस्ट थोड़े समय की खुशी देता है.

–       लव कुछ देने में विश्वास रखता है, जिस में व्यक्ति सुरक्षा का अनुभव करता है, जबकि लस्ट में अर्जनशीलता अधिक हावी रहती है, इस से असुरक्षा अधिक होती है.

–   लव समय के साथसाथ मजबूत होता है, जबकि लस्ट का प्रभाव धीरेधीरे कम होने लगता है.

–   लव का एहसास सालोंसाल रहता है जबकि लस्ट पूरा हो जाने पर भुलाया भी जा सकता है.

–    लव अनकंडीशनल होता है, जबकि लस्ट में व्यक्ति अपनी खुशी देखता है, कई बार लस्ट, लव में भी बदल जाता है पर वह लस्ट के साथसाथ ही चलता है. बाद में उस की अहमियत नहीं रहती.

वर्जिनिटी खोने से पहले बरतें ये सावधानी

lifestyel News in Hindi: वर्जिन सैक्स को सैक्स संबंधों की वह सीढ़ी माना जाता है जहां पहली बार मर्द औरत आपस में सैक्स संबंध बनाते हैं. लोगों का यह मानना है कि मर्द जब अपने अंग को पहली बार किसी औरत के अंग में प्रवेश कराता है तो यह वर्जिन सैक्स होता है यानी यहीं से औरत की वर्जिनिटी खत्म हो जाती है.

माना जाता है कि इस के पहले उस मर्दऔरत का किसी दूसरे से सैक्स संबंध नहीं बना है. अगर वर्जिन सैक्स के बारे में पहले से सही जानकारी न हो तो वह कई तरह से नुकसान भी पहुंचा सकता है.

अगर संबंध बनाते समय समझदारी न दिखाई जाए तो पहली बार का यह सैक्स दर्द देने वाला भी हो सकता है. इस की वजह औरत के अंग का सूखापन व झिल्ली का फटना भी हो सकती है. वहीं मर्द के मामले में उस के अंग के ऊपरी सिरे की चमड़ी पहली बार किए जाने वाले सैक्स के दौरान धीरेधीरे नीचे खिसकती है. ऐसे में मर्द के लिए भी यह दर्दभरा साबित हो सकता है.

वर्जिन सैक्स को ले कर कई तरह की गलतफहमियां व नासमझी दुखदायी सैक्स की वजह बन जाती हैं. वर्जिन सैक्स में औरत के अंग के ऊपरी हिस्से में पतली झिल्ली जिसे हाइमन झिल्ली कहा जाता है, फटती है. इस झिल्ली के फटने से खून भी बह सकता है. कभीकभी यह झिल्ली खेलकूद, भागदौड़ वगैरह से पहले ही फट चुकी होती है जिस की वजह से सैक्स के दौरान खून तो नहीं आएगा लेकिन उचित सावधानी न बरतने की वजह से यह दर्दभरा जरूर होता है.

ऐसे में वर्जिन सैक्स को ज्यादा मजेदार और यादगार बनाने के लिए कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत पड़ सकती है जिस से वर्जिनिटी खोने से पैदा होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है.

लोगों का यह मानना है कि वर्जिनिटी खोने के दौरान एचआईवी एड्स, यौन संक्रमण जैसी खतरनाक बीमारियां नहीं होती हैं.

वर्जिन सैक्स के मामले में यह माना जाता है कि किसी मर्द ने अगर किसी औरत के अंग में अपना अंग प्रवेश किया है या किसी औरत ने किसी मर्द का अंग अपने अंग में प्रवेश कराया है तो उस ने वर्जिनिटी खो दी है और ऐसे मामले में सुरक्षित सैक्स के तरीकों को अपनाना जरूरी हो जाता है लेकिन इस में अकसर लापरवाही बरती जाती है जो औरत व मर्द के लिए खतरनाक हो सकती है.

वर्जिनिटी खोने के दौरान सैक्स के सही तरीकों की जानकारी की कमी अकसर देखी गई है, जिस से औरत के अंग में दर्द की शिकायत पाई जाती है. वर्जिनिटी खोने की हड़बड़ी में घबराहट भी बड़ी रुकावट मानी जाती है. कभीकभी अंगों का कसा होना भी सैक्स में बाधा पैदा करता है.

इन सभी हालात से निबटने के लिए पहले से ही तैयार होना चाहिए. इस के लिए किसी माहिर डाक्टर से सलाह भी ली जा सकती है.

बरतें सावधानी

वर्जिनिटी सैक्स को ले कर डाक्टर मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन का कहना है कि पहली बार के सैक्स में भी उतनी ही सावधानी जरूरी है जितनी कई बार सैक्स कर चुके लोगों  द्वारा अपनाई जाती है, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि जिस पार्टनर के साथ सैक्स करने जा रहे हैं उस की वर्जिनिटी सुरक्षित ही हो.

किसी औरत के अंग में मर्द के अंग के प्रवेश को ही वर्जिनिटी का खोना माना जाता है जबकि अगर अंग में अंग के प्रवेश के अलावा मुख मैथुन, गुदा मैथुन की क्रिया की गई है तो एचआईवी एड्स व अंग संक्रमण का डर बढ़ जाता है.

इस के अलावा अगर आप का साथी वर्जिन है और वह संक्रमित सूई का इस्तेमाल करता है तब भी एचआईवी होने के खतरे कई गुना बढ़ जाते हैं.

अगर इन बीमारियों से बचना है तो कोशिश करनी चाहिए कि पहली बार सैक्स संबंध बनाने से पहले आपसी सहमति से डाक्टरी जांच जरूर कराई जाए. हो सकता है कि डाक्टरी जांच के मसले पर आप का साथी यह सवाल खड़ा करे कि आप उस के चरित्र पर उंगली उठा रहे हैं. लेकिन सब्र रखते हुए उसे यह समझाने की कोशिश करें कि जरूरी नहीं कि यौन रोग या एड्स सैक्स संबंध बनाने के चलते ही हों, वे कई दूसरी और वजह से भी होते हैं.

कंडोम बचाव का बेहतर उपाय

जब तक यह तय न हो जाए कि जिस के साथ आप पहली बार सैक्स संबंध बनाने जा रहे हैं, भले ही वह अपने वर्जिन होने के तमाम सुबूत दे लेकिन कोशिश करें कि सुरक्षा के लिए कंडोम का इस्तेमाल किया जाए.

इस से न केवल सैक्स से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है बल्कि अनचाहे पेट से भी दूरी बनाए रखने में मदद मिल सकती है.

दर्द से मिल सकता है छुटकारा

अगर आप वर्जिनिटी खोने के दौरान होने वाले दर्द से छुटकारा पाना चाहते हैं तो कभी सैक्स की शुरुआत करने से पहले जल्दबाजी न दिखाएं बल्कि रोमांटिक बातों से शुरुआत करते हुए धीरेधीरे नाजुक अंगों के साथ छेड़छाड़ करें, जिस से औरत जल्दी ही सैक्स के लिए तैयार हो जाती है और उस के अंग के भीतर गीलापन बढ़ने से चिकनाहट बढ़ती है. इस हालत में मर्द के अंग में प्रवेश से औरत को दर्द से नजात मिल सकती है.

लोगों का मानना है कि पहली बार का सैक्स हमेशा ही दर्द देने वाला होता है जबकि यह एक भरम के हालात पैदा करता है. अगर मर्द को लगे कि उस के अंग में पहली बार के सैक्स में दर्द हो सकता है तो वह कंडोम का इस्तेमाल कर सकता है.

अगर आप भी अपनी वर्जिनिटी खोने जा रही हैं या जा रहे हैं तो कोशिश करें कि इस दौरान होने वाली परेशानियों से बचने के लिए बताए गए उपायों को अपनाएं. साथ ही, अपने जीवनसाथी को भी इन्हें अपनाने के लिए कहें. ये उपाय आप की वर्जिनिटी खोने के मजे को कई गुना ज्यादा बढ़ा देंगे.

क्या पौर्न फिल्म देखना आप के शरीर को कमजोर कर सकता है?

आमतौर पर जब पॉर्न के बारे में बातचीत को चर्चा में लाया जाता है , तो इसे या तो जल्दी से निपटा दिया जाता है या फिर इसके बारे में बात ही नहीं की जाती. ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारी सामाजिक कंडीशन ही ऐसी है जहां लोग पॉर्न देखना तो पसंद करतें है लेकिन उसके बारे में  या उससे होने वाले नुकसानों के बारे में बात करना नहीं चाहते. आज इंटरनेट पर इतनी पॉर्न वेबसाइट्स उपलब्ध हैं जिसको आप जितना चाहें उतना पॉर्न देख सकते है.

साउथ एशियन कंट्री में पॉर्न की बात करना यानी एक तरह का पाप करने जैसा है. सबसे ज्यादा भारत और पाकिस्तान में. या सही मायने में कहे कि यह एक तरह की हिपोक्रेसी है . इन दोनों देशों में लोग सबसे ज्यादा पॉर्न देखते है लेकिन बात करते हुए इसे पाप मानते है.

हालांकि भारत सरकार ने अधिकांश पॉर्न साइट्स पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन उन तक पहुंचना कोई मुश्किल बात नहीं. इस बात को ध्यान में रखे कि सेक्स और पॉर्न दोनो ही बहुत अगल हैं एक दूसरे से जैसे: पॉर्न एग्रेसिव सेक्स को दर्शाता है , और सेक्स फिजिकल प्लेजर है जो कि एक स्वाभाविक बात है .

यदि आप अधिक पॉर्न देखते है तो  क्या आप जानते है पॉर्न देखने के कितने नुकसान हो सकते है? कोई भी चीज यदि ज्यादा हद तक की जाये तो वह हानिकारक ही होती है. पॉर्न की लत भी उसी तरह है जो पीछा आसानी से नहीं छोड़ती है . पर आप यह जानने के बाद अपने आप पीछे हट जाएंगे कि पॉर्न से कैसे होता है नुकसान.

अत्यधिक पॉर्न पहुंच सकता है नुकसान :

* रियलिटी से दूर होना :

इंटरनेट पॉर्न की कहानियां घटिया स्टोरी लाइन पर निर्धारित है जो एक पिज्जा डिलीवरी बॉय से ले कर एस्ट्रोनॉट तक ही सीमित है . जैसे ही पॉर्न अनिवार्य रूप से रिग्रेसिव सोसायटी में सेक्स एजुकेशन का एक मात्र स्त्रोत बन जाता है , दर्शक अनियंत्रित रूप से इन हाफ– बेक्ड  स्टोरीलाइन को वास्तविक जीवन का एक हिस्सा समझ लेते है. जिससे लोगों में  कंसेंट  की  गलत समझ  पैदा होती है, और समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

* आत्मसम्मान में कमी ना :

अक्सर पॉर्न वीडियो में जो लोग होते है वे कई वर्षो से इस काम को कर रहे होते है , वे अनुभवी हैं और जानते हैं की कैमरे के सामने खुद को कैसे संभालना है. एक युवा दर्शक जो ऐसे पॉर्न नियमित रूप से देखता है , वह खुद की परफॉर्मेंस और फिजिक को उनसे तुलना  करके धीरे धीरे खुद से ही नाराज हो जाते है जो उन्हे अंततः आत्मसम्मान की कमी की ओर ले जाता है.

* सेक्स के दौरान मजा ना :

इंटरनेट पॉर्न के कंटेंट को एक प्रोफेशनल टीम इस तरह दर्शती है जो लोगो को एक अलग तरह का प्लेजर देता है . उसे इस कदर प्रदर्शित करते है जो दर्शकों प्रसन्न करता है. एक मेकअप आर्टिस्ट से लेकर साउंड एडिटर तक पूरी टीम उस वीडियो को इतनी ग्लॉसी बनाती है की दर्शक सोचते है की यही हकीकत है . जबकि वास्तविकता कुछ और ही होती है . इससे आप स्वयं , अपने पार्टनर , और अपने फिजिकल इंटिमेसी से निराश हो जाते हैं.

* रिश्ते टूटने का डर :

एक रेगुलर पॉर्न दर्शक के लिए  पॉर्न वीडियो के कुछ कार्य ,  सेक्स का आदर्श बन जाते है जबकि उनके पार्टनर के सेक्स के प्रति कुछ  अलग विचार रहते है. इससे रिश्ता में दरार पड़ जाती है और शारीरिक परेशानी भी पैदा होती है .

* आदत बन जाना :

एक स्टडी के अनुसार पॉर्न की लत और ड्रग की लत को एक समान माना गया है क्योंकि दोनों एक समान तरीके से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाते हैं. इंटरनेट पर पॉर्न की आदत लगने की संभावना सबसे ज्यादा पाई गई  है.

इंटरनेट वेबसाइट इस तरह पॉर्न को दर्शाते है की यह दर्शकों की आदत ही बन जाती है. लोग ऐसे विडियोज को पसंद करते हैं और खुद को इन सब में इन्वॉल्व कर लेते हैं . चिंता की बात यह है की पॉर्न लोगों पे इस तरह हावी हो जाता है की लोग खुद की इच्छाओं को भूल जाते  हैं, अपने विचारों को बदल देते हैं, जो उन्हे खुद भी कभी महसूस नहीं होता.

दिल की बात जुबां पर लाएं लड़कियां

स्कूल की दहलीज पार कर मंजू पहली बार जब कालेज पहुंची तो उस की नजर अपनी ही कक्षा के एक हैंडसम लड़के पर टिकी. पहली नजर में ही उसे उस से प्यार हो गया. वह रोजाना उस लड़के को ताकती रहती. उस का ध्यान व्याख्यान पर कम, उस लड़के पर अधिक रहता. हर समय वह उस के खयालों में खोई रहती. रात को भी उसी के सपने देखती. वही उस के सपनों का राजकुमार था.

मंजू के इस एकतरफा प्यार से सभी अनजान थे. मंजू ने अपने मन की बात कभी अपनी सहेलियों तक को न बताई. यहां तक कि घर में अपनी बड़ी बहन और भाभी को भी नहीं. ऐसे में भला उस का प्यार परवान कैसे चढ़ सकता है? प्यार तभी परवान चढ़ता है जब दोनों के दिल एकदूसरे के लिए धड़कते हों. लेकिन यहां तो वह लड़का भी नहीं जानता कि मंजू नाम की कोई लड़की उसे चाहती है.

एक वर्ष बीत गया. मंजू कभी अपने दिल की बात जबां पर नहीं लाई. एक दिन उस ने किसी अन्य लड़की को उस लड़के से हंस कर बात करते हुए देख लिया. वह भी उस से हंस कर बात कर रहा था. मंजू के मन में खटका हुआ. लेकिन उस में इतना साहस नहीं था कि वह अपने प्यार का इजहार कर पाती. नतीजतन, वह लड़का उस के हाथ से निकल गया.

काश, समय रहते वह अपने सपने के राजकुमार से दोस्ती बढ़ाती और फिर अपने प्यार का इजहार करती तो आज उसे इस तरह पछतावा न होता. लेकिन अब पछताने से क्या फायदा जब चिडि़या चुग गई खेत.

प्यार में हिचकिचाहट

संगीता के पिता सरकारी अधिकारी हैं. पिछले वर्ष उन का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया. नए शहर में नए लोगों के बीच उस की जिंदगी में एक लड़का आया जो उसी मल्टी स्टोरी बिल्ंिडग में पड़ोस वाले फ्लैट में रहता था. कुछ ही दिनों में दोनों परिवारों के बीच अच्छा परिचय हो गया.

संगीता पड़ोस के जिस लड़के को चाहने लगी थी, वह उस से 2 वर्ष सीनियर था. संगीता बीए फर्स्ट ईयर में थी और वह बीए फाइनल में था. एक ही कालेज में होने के कारण उन के बीच अच्छी दोस्ती हो गई. लेकिन संगीता की नजर में वह दोस्त से ऊपर था. वह उस के दिल में बस चुका था. वह उसे अपना हमसफर बनाना चाहती थी.

संगीता से बस एक ही चूक हुई कि वह अपने दिल की बात उसे बता न पाई. इस बीच लड़के के पिता का ट्रांसफर अन्य जगह हो गया और वह अपने परिवार के साथ चला गया. काश, संगीता ने उस से अपने प्यार का इजहार किया होता तो आज स्थिति भिन्न होती.

संगीता का प्यार अधूरा रह गया. उस के सपने पूरे होने से पूर्व ही दफन हो गए.

मंजू और संगीता की भांति ऐसी अनेक लड़कियां हैं जो यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही अपनी जिंदगी के तानेबाने बुनने लगती हैं. जिन को वे अपने सपनों का राजकुमार मानती हैं, उन्हें अपना दिल दे बैठती हैं, लेकिन दिल की बात जबां पर लाने में हिचकिचाती हैं.

वैसे, किसी लड़की का किसी लड़के से प्रेम करना गलत नहीं है. इस में भी जज्बात होते हैं. उस का मन हिलोरें भरता है, उस का दिल किसी के लिए धड़क सकता है. इस में असामान्य कुछ भी नहीं है. विडंबना यह है कि आज भी लड़कियां अपने प्यार का इजहार करने में शर्म का अनुभव करती हैं. ऐसे में उन के मन की मुराद अधूरी रह जाती है. जब आप किसी से प्यार करती हैं तो उसे व्यक्त करने में संकोच कैसा? जब कोई लड़का अपने प्यार का इजहार सहज रूप से या बेधड़क हो कर कर सकता है तो लड़की क्यों नहीं?

प्यार तो प्यार है चाहे किसी लड़के को लड़की से हो या लड़की को किसी लड़के से. इस के इजहार में विलंब नहीं करना चाहिए. जब आप किसी को चाहती हैं तो उस से कहती क्यों नहीं?

एक छोटी सी भूल की वजह से जिंदगीभर आप को अपने प्यार से दूर रहना पड़ता है. पहले प्यार को कभी भुलाया नहीं जा सकता. इसलिए यदि आप अपने प्यार को पाना चाहती हैं तो पहली फुरसत में अवसर मिलते ही उस से ‘आई लव यू’ कह दें. यदि सामने वाला इसे स्वीकार कर लेता है तो आप के मन की मुराद पूरी हो जाएगी और यदि किसी मजबूरीवश वह आप के प्यार को कुबूल न कर पाए तो इसे जिंदगी का एक कड़वा घूंट सम झ कर पी जाएं. उसे भूलने की कोशिश करें. आगे अपने जीवन की नई शुरुआत करें. हो सकता है जीवन में आप को इस से भी अच्छा हमसफर मिले. शादी तभी कामयाब होती है जब प्यार दोनों तरफ से हो.

रूममेट के साथ फ्रेंडशिप

26 साल का अभिषेक कुमार बिहार के समस्तीपुर जिले में एक किसान परिवार से है. साल 2013 में 12वीं जमात के इम्तिहान अच्छे नंबरों से पास करने के बाद पत्रकार बनने का सपना लिए वह देश की राजधानी दिल्ली आ गया.

पत्रकारिता में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए उस ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामलाल आनंद कालेज में दाखिला लिया. दाखिला लेने के साथ ही अभिषेक ने कालेज से 16 किलोमीटर दूर लक्ष्मी नगर मैट्रो स्टेशन में एक पीजी किराए पर लिया. लेकिन पीजी लेने में सब से बड़ी दिक्कत उस के किराए की थी.

लक्ष्मी नगर आमतौर पर छोटे शहरों से आए नौजवानों से भरा रहता है. वहां के मकानों की दीवारें कोचिंग सैंटर के बोर्ड से पटी पड़ी हैं. यही वजह है कि ज्यादातर कोचिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों का हब लक्ष्मी नगर बना हुआ है, जिस के चलते किराए पर कमाई का कारोबार वहां खूब फलफूल रहा है.

रूममेट की खोज

लक्ष्मी नगर में उस दौरान अभिषेक अकेला रह कर 6,000 रुपए महीना कमरे का किराया देने की हालत में नहीं था, इसलिए वह चाह रहा था कि जल्द ही उस का कोई रूममेट बने, जिस के साथ वह कमरे के खर्चों को शेयर कर सके.

इस मसले पर अभिषेक का कहना है, ‘‘ज्यादातर लोग जानपहचान वाले को ही रूम पार्टनर रखना पसंद करते हैं और यह ठीक भी रहता है, क्योंकि इस से रूममेट को समझनेसमझाने में ज्यादा समय नहीं खपता और एकदूसरे से कोई बात बेझिझक कही जा सकती है.

‘‘बहुत बार जब 2 अनजान लोग एकसाथ रहते हैं, तो काम और पैसों को ले कर झिकझिक बनी रहती है. छोटेछोटे खर्चों या काम में बड़ेबड़े झगड़े या शक की गुंजाइश बन जाती है.’’

गलत रूममेट

उत्तर प्रदेश के आगरा की रहने वाली 29 साल की श्रुति गौतम दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही हैं. वे मुखर्जी नगर में फ्लैट ले कर रह रही हैं. साथ ही, वे बतौर गैस्ट टीचर कालेज में पढ़ाती भी हैं.
श्रुति गौतम कहती हैं, ‘‘मैं साल 2016 में दिल्ली आई थी. साल 2016-17 में मैं जिस फ्लैट में रही, वहां सब ठीक चल रहा था. वहां मैं सब से छोटी थी, बाकी मेरे से कुछ सीनियर थे. फिर मैं ने जब रूम बदला, तो मुझे अपने साथ रूममेट की जरूरत थी.

‘‘उस दौरान मुझे 2 लड़कियां मिलीं. वे दोनों उम्र में मुझ से छोटी थीं. हम ने मिल कर फ्लैट लिया. शुरू में लगा कि सब ठीक है, लेकिन धीरेधीरे समस्या आती है कि आप की ट्यूनिंग नहीं मिलती. जैसे आप सोते हैं 10 बजे और रूममेट को 2 बजे सोने की आदत है. आप को खाने में कुछ पसंद है, तो उसे कुछ दूसरा. ऐसे में झगड़े होने लगते हैं.’’

काम का हिसाब

श्रुति गौतम कहती हैं, ‘‘साल 2018 की बात है, तब मैं आईपी मैं कालेज गैस्ट टीचर के तौर पर पढ़ा रही थी. मेरी एक रूममेट ने मेन डोर की चाबी लौक पर ही छोड़ दी, जिस के बाद कमरे से लैपटौप और मोबाइल फोन चोरी हो गया था.

‘‘उस समय मैं ने उसे खूब डांट दिया था. उसे बुरा लग गया और उस के मन में मेरे लिए कड़वाहट बैठ गई. तब से हमारी बात ठीक से हुई नहीं और आखिर में उसी ने कमरा छोड़ दिया.’’

श्रुति गौतम आगे कहती हैं, ‘‘रूम में काम बंटा हुआ होता है, लेकिन उस के बावजूद कोई काम करने को राजी नहीं होता. गंदे बरतन पड़े हैं तो पड़े ही रहेंगे. टायलैट सब से साफ रहने वाली जगह होनी चाहिए और सभी को इसे साफ करना चाहिए, लेकिन बोलबोल कर भी काम पूरा नहीं किया जाता.

‘‘खाना बनाते समय कई झगड़े होते हैं. जो खाना बनाने वाला है, वह कह दे कि प्याज काट दो या आटा गूंद दो तो काम से कन्नी काटने के लिए बहाने बनते हैं कि मुझे भूख नहीं है. कपड़े जहांतहां फैले होते हैं. इस के साथ हिसाबकिताब में भी दिक्कत आ जाती है. इस का आखिर में एक ही हल निकलता है कि आप एक कामवाली रख लो.’’

धर्मजाति के फंडे

अभिषेक बताता है, ‘‘लक्ष्मी नगर या मुखर्जी नगर में ही देखो, तो ज्यादातर अपनी जातबिरादरी के लोगों के साथ ही रहते हैं और शायद रहना पसंद भी करते हों. इसे समझना कोई बड़ी बात नहीं. कालेज में पढ़नेलिखने आए नौजवान जब कालेज में जाते हैं, तो अपने जातिधर्म के चुनाव उम्मीदवार को ही जिताते हैं, उसी के लिए नारे लगाते हैं.

‘‘मैं यह नहीं कह रहा कि सिर्फ जातिवादी या सांप्रदायिक सोच के चलते ऐसा है, मसला आराम का भी होता है. अपनी बिरादरी में वे ज्यादा आरामदायक महसूस करते हैं, कल्चर को ले कर जल्दी एकदूसरे की बातें समझ लेते हैं.

‘‘बहुतों पर पारिवारिक दबाव भी होता है कि किस के साथ रहना है या नहीं रहना है. सब से बड़ी वजह यह है कि ज्यादातर बाहरी नौजवान जानपहचान वालों के साथ ही यहां रहते हैं. हमारा सामाजिक ढांचा ऐसा है कि हम अपनी बिरादरी और धर्म से अलग किसी दूसरे से ज्यादा नजदीकियां बना नहीं पाते हैं.’’

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के बिसनपुर गांव के सनी कुमार एसटी समाज से आते हैं. वे गांव से मीलों दूर इलाहाबाद शहर के कटरा इलाके में किराए का कमरा ले कर कानून की पढ़ाई कर रहे हैं.

सनी कुमार कहते हैं, ‘‘रूममेट ढूंढ़ते हुए जाति से ज्यादा धर्म को देखा जा रहा है, खासकर यह मामला हिंदू और मुसलमान में ज्यादा देखने को मिलता है. जिस इलाके में मैं रहता हूं, वहां अलगअलग धर्म के लोगों का एकसाथ रूम शेयर करने का उदाहरण मैं अभी तक देख नहीं पाया हूं, लेकिन जाति से अलग उदाहरण दिख जाते हैं. यह मैं ने गौरखपुर में भी महसूस किया था.’’

इस मसले पर श्रुति गौतम के विचार अलग हैं. वे कहती हैं, ‘‘मेरे खयाल से रूममेट ढूंढ़ते समय आज का नौजवान तबका धर्मजाति नहीं देखता है. वजह यह है कि ज्यादातर बाहर से आने वाले युवा एक टारगेट ले कर आते हैं, उस के आड़े ये चीजें इतनी माने नहीं रखतीं.

‘‘हां, यहां पेंच पड़ता है परिवार का. अगर किसी का बेटा या बेटी बाहर पढ़ने गए हैं या नौकरी के लिए आए हैं, तो परिवार नजर रखता है कि वह किस के साथ है. उस की पार्टनर किस धर्मजाति से है. ऐसे में इन चीजों को ध्यान में रख कर रूममेट की जातिधर्म पर सोचते होंगे. लेकिन जिन्हें इन बातों से कुछ फर्क नहीं पड़ता, वे परिवार में इन बातों को बताते ही नहीं हैं या झूठ कह देते हैं.’’

ऐसे बनाएं रूममेट से अच्छा रिश्ता

कमरे की साफसफाई–  रूममेट का आपस में झगड़ा इसी को ले कर ज्यादा होता है, इसलिए जरूरी है कि इस पर ध्यान दिया जाए. इस के लिए कुछ नियम बनाए जा सकते हैं. जैसे, बारीबारी से कमरा साफ करें, भीतर आने से पहले जूते साफ कर लें, अपने कपड़े समय पर धो लें, टायलैट इस्तेमाल करने के बाद साफ जरूर करें, कमरे के मैनेजमेंट के लिए अलमारी, बुक रैक, डस्टबिन, पैन बौक्स वगैरह का इस्तेमाल करें, ताकि चीजें यहांवहां गुम न हों.

हिसाब रखें सही

कई बार लेनदेन में रूममेट के साथ अनबन हो जाती है. अगर एक बार पैसों को ले कर अनबन होती है, तब वह शंका आजीवन मिटाए नहीं मिटती है, इसलिए हिसाब बेहतर और क्लियर रखें.

रूममेट की सहूलियत का खयाल

कई बार हमारी केवल अपनी सहूलियत दूसरे के लिए सिरदर्द भी बन जाती है. हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि आप के साथ उस रूम में कोई और भी है, जिसे कुछ तरह की चीजों से दिक्कत हो सकती है. जैसे देर रात फोन पर बात करना, देर रात तक टैलीविजन देखना या मोबाइल फोन पर बात करना वगैरह.

प्राइवेसी का ध्यान रखना

ऐसा नहीं है कि रूममेट के साथ हर बात शेयर की जाए या उसे हर बात बताने पर जोर दिया जाए. हर किसी की अपनी प्राइवेसी होती है. उस की इज्जत करना जरूरी है. अगर रूममेट आरामदायक महसूस नहीं कर रहा, तो उस की पर्सनल लाइफ में दखल न दें.

बिना पूछे सामान न इस्तेमाल करें

कई बार लोग रूममेट के सामान को अपना समझ कर इस्तेमाल करने लगते हैं, जो गलत है खासकर बगैर पूछे. ध्यान रहे कि खुद के लिए जरूरत का सामान जोड़ लें. अगर मुमकिन नहीं है, तो रूममेट से सामान इस्तेमाल करने से पहले इजाजत लें.

रूममेट की सही पहचान

भले ही रूममेट के साथ थोड़े समय के लिए ही जिंदगी बितानी होती है, पर फिर भी एक बेहतर रूममेट की पहचान करना जरूरी होता है. इस के लिए कुछ बातों के बारे में जान लेना बहुत जरूरी है :

सोशल मीडिया अकाउंट देखें

अगर किसी एप की मदद से रूममेट की खोज की है, तो उस के सोशल मीडिया अकाउंट्स को चैक कर लें. वहां उस की जानकारी मिल जाएगी, उस का तौरतरीका और रवैए की पहचान होने में मदद मिलेगी.

पहचान के लिए पब्लिक स्पेस

रूममेट की पहचान जैसे भी या जहां से भी हो, पहली मुलाकात में एकांत जगह या रूम में बुलाने से बचना चाहिए. एकदूसरे को जानने के बाद ही मेलजोल आगे बढ़ाएं.

पसंदनापसंद पर खुल कर बात

रूममेट के साथ रोज 10-12 घंटे गुजारने होते हैं, इसलिए जरूरी है कि एकदूसरे की पसंदनापसंद जानें. खुल कर पूछें और बताएं शराब, सिगरेट, मांसाहार और पार्टी के मामले में.

रूममेट के डौक्यूमैंट देखें

अगर इन सब के बाद वह रूममेट बनने को तैयार है, तो उस के डौक्यूमैंट्स वैरिफाई करें. इस में आधारकार्ड, वोटर आईडी, औफिस या कालेज कार्ड हो सकता है.

जानकारी: इरेक्टाइल डिसफंक्शन कैसे पाएं निजात 

इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानी ईडी का मतलब है कि यौनक्रिया करते वक्त लिंग में पर्याप्त तनाव उत्पन्न न हो पाना. इसे कभीकभी नपुंसकता भी कहते हैं. हालांकि, नपुंसकता शब्द का इस्तेमाल अब कम हो गया है. यह वृद्ध पुरुषों एवं मध्य आयुवर्ग के पुरुषों की आम समस्याओं में से एक है.

अधिकांश पुरुषों को ईडी के प्रबंधन के लिए विकसित होते सिद्धांतों एवं सक्षम थेरैपी की जानकारी नहीं होती, जो सालों तक ईडी का इलाज न कराए जाने का मुख्य कारण है. ईडी का इलाज कराने के लिए सब से पहला कदम यह है कि इस बीमारी के बारे में अपने डाक्टर से खुल कर बात की जाए क्योंकि वह आप को जीवनशैली के परिवर्तनों से ले कर मैडिकेशन व सर्जरी तक के कई उपायों की सलाह दे सकते हैं.

ईडी के कारण

मैडिकल समस्याएं, जैसे हाइपरटैंशन, डायबिटीज मेलिटस एवं कार्डियोवैस्कुलर बीमारी (सीवीडी) और मनोवैज्ञानिक समस्याएं, जैसे अवसाद व चिंता पुरुषों में यौन समस्याएं बढ़ाती हैं. डायबिटीज यौन समस्याओं का आम कारण है क्योंकि यह लिंग में खून का प्रवाह बनाने वाली रक्तवाहिनियों और नसों दोनों को प्रभावित करती है. जीवनशैली की खराब आदतें, जैसे मोटापा, धूम्रपान, अल्कोहलपान आदि भी ईडी के कारण हैं.

ईडी से पीडि़त होने के लक्षण

लिंग में तनाव उत्पन्न करने में परेशानी होना.

यौनक्रिया के वक्त तनाव बनाए रखने में मुश्किल होना.

यौनेच्छा की कमी.

अत्यधिक उत्तेजना उत्पन्न होने के बाद भी संभोग सुख प्राप्त न कर पाना.

यदि ये लक्षण 3 माह या उस से ज्यादा समय तक रहते हैं तो व्यक्ति को डाक्टर से संपर्क करना चाहिए. डाक्टर आप को यह सम झने में मदद करेगा कि आप के ये लक्षण आप की किसी अन्य समस्या के कारण हैं जिस का इलाज कराए जाने की जरूरत है.

ईडी को रोकने में मदद करने के लिए आप अनेक उपाय कर सकते हैं. इन में से कई उपायों में जीवनशैली में सेहतमंद परिवर्तन शामिल हैं. ये परिवर्तन न केवल ईडी को रोकने के लिए अच्छे हैं बल्कि आप की संपूर्ण सेहत में भी सुधार लाते हैं.

ईडी को रोकने के सुझाव

दिल की बीमारी और डायबिटीज को नियंत्रण में रखें.

नियमित तौर पर व्यायाम करें.
वजन नियंत्रित रखें.

सेहतमंद आहार लें.

तनाव का प्रबंधन करने या उसे कम करने के तरीके खोजें.

यदि चिंता या अवसाद हो रहा हो तो मदद लें.

धूम्रपान त्याग दें.

अल्कोहल का सेवन सीमित मात्रा में करें. ऐसी दवाइयां न लें जिन का परामर्श आप के डाक्टर ने न दिया हो.

ईडी का इलाज

सब से पहले नौन-इन्वैसिव यानी कोई चीरा लगाए बिना इलाज किया जाता है. ईडी के अधिकांश मशहूर इलाज कारगर हैं और सुरक्षित भी.

ईडी के लिए अकसर फौस्फोडायस्टेरेज टाइप-5 इन्हिबिटर्स जैसी ओरल दवाइयां या गोलियां दी जाती हैं, जैसे वियाग्रा, सियालिस, लेविट्रा, स्टेंड्रा आदि.

टेस्टोस्टेरौन थेरैपी (जब खून की जांच में टेस्टोस्टेरौन की कमी पाई जाती है).

पेनाइल इंजैक्शन (आईसीआई, इंट्राकेवरनोजल एल्प्रोस्टेडिल/ बाईमिक्स).

वैक्यूम इरेक्शन डिवाइसेस

यदि ओरल दवाइयां काम न करें तो ईडी वाले पुरुषों को एल्प्रोस्टेडिल/ बाईमिक्स दवाई दी जाती है. यह दवाई इस्तेमाल के तरीके के आधार पर 2 रूपों में आती है : इंट्राकैवरनोजल इंजैक्शन यानी ‘आईसीआई’ या यूरेथ्रा द्वारा (आईयू थेरैपी). इस के अलावा व्यक्ति सर्जिकल इलाज भी करा सकता है.
लिंग का प्रत्यारोपण : यह उन पुरुषों के लिए अंतिम विकल्प है जिन्हें दवाइयों एवं अन्य नौन-इन्वैसिव इलाजों से कोई लाभ नहीं मिलता.

वैस्कुलर सर्जरी : पुरुषों में एक अन्य सर्जिकल विकल्प, वैस्कुलर सर्जरी है जो ईडी करने के लिए जिम्मेदार रक्तवाहिनी की समस्याओं को ठीक करती है.

इसलिए यह बहुत जरूरी है कि ईडी के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाए और साथ ही, आम जनता को जानकारी दी जाए कि ईडी का इलाज हो सकता है. ईडी का इलाज संभव है, इस का एक ताजा उदाहरण यहां पेश है.

इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानी यौन क्रिया के दौरान लिंग में पर्याप्त तनाव उत्पन्न न कर पाने की समस्या अकसर चिंता, अवसाद या डायबिटीज पीडि़त पुरुषों में होती है. 37 वर्ष के एक पुरुष को डायबिटीज से पीडि़त होने के बाद कुछ समय में इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी हो गया. वह मरीज इंसुलिन पर था. डायग्नोसिस से पहले वह सेहतमंद जिंदगी और सफल संबंधों का आनंद ले रहा था लेकिन डायबिटीज ने उसे ईडी भी कर दिया.

ईडी की शिकायत रहते हुए उस ने इस उम्मीद में शादी कर ली कि इस से उस की स्थिति में सुधार होगा. लेकिन उस की समस्या चलती रही और बीते दिनों के साथ गर्भधारण के लिए सामाजिक दबाव बढ़ने लगा. इस से प्रजनन क्षमता की बातें होने लगीं और अपनी जीवनसाथी के साथ उस के संबंध बिगड़ने लगे. वह अभी तक अपनी समस्या पर खुल कर बात नहीं कर पा रहा था लेकिन बढ़ते दबाव ने आखिरकार उसे डाक्टर से परामर्श लेने पर मजबूर कर दिया.

मैडिकल सहायता देते हुए उसे थेरैपी के तहत इंट्रा पीनल इंजैक्शंस का सु झाव दिया गया. लेकिन इस में उस की रुचि नहीं थी. इसलिए पहले उस ने ओरल दवाई शुरू की जिस का उसे कोई फायदा नहीं हुआ. परिणामस्वरूप, अंत में उस ने लिंग को प्रत्यारोपण कराने की बात मान ली. इलाज शुरू करने से पहले उसे अपनी डायबिटीज को नियंत्रित करना जरूरी था.

डाक्टर्स ने मिल कर अपने मरीज का इलाज किया और उस की डायबिटीज को नियंत्रण में ले कर आए. इस के बाद ईडी के इलाज के लिए थ्री-पीस इन्फ्लेटेबल डिवाइस इंप्लांट की. यह प्रक्रिया सफल रही जिस के बाद मरीज ने सफलतापूर्वक परिवार नियोजन किया. अब उस के 2 खूबसूरत बेटियां हैं.

(लेखक दियोस मैंस हैल्थ सैंटर, नई दिल्ली में क्लिनिकल डायरैक्टर के पद पर सेवारत हैं.)

जब पार्टनर हो शक्की

‘‘इतनी लेट नाइट किस से बात कर रहे थे? मेरा फोन क्या नहीं उठाया? वह तुम्हें देख कर क्यों मुसकराई? मेरी पीठ पीछे कुछ चल रहा है क्या?’’ यदि ऐसे सवालों से आप का रोज सामना होता है तो आप ठीक समझे आप का पार्टनर शक्की है.

यदि आप इन सवालों से थक गए हैं और यह रिश्ता नहीं निभा सकते, पर अपने बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड को प्यार भी करते हैं और उसे इस शक की आदत पर छोड़ना भी नहीं चाहते, तो ऐसे शक्की पार्टनर से निबटने के लिए इन टिप्स पर गौर करें:

द्य किसी भी रिश्ते में सब से बुरी चीज शक करना ही हो सकता है. इस से असुरक्षा, झूठ, चीटिंग, गुस्सा, दुख, विश्वासघात सब आ सकता है. रिश्ते की शुरुआत में एकदूसरे को समझने के लिए ज्यादा कोशिश रहती है. एकदूसरे पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. एक बार आप दोनों में बौंडिंग हो गई तो आप जीवन की और महत्त्वपूर्ण बातों की तरफ ध्यान देने लगते हैं. इस का मतलब यह नहीं होता है कि पार्टनर में रुचि कम हो गई है. इस का मतलब है कि अब वह आप की लाइफ का पार्ट है और आप अब उस के साथ कुछ और बातों में, कामों में अपना ध्यान लगा सकते हैं.

द्य इस बदलाव को कभीकभी एक पार्टनर सहजता से नहीं ले पाता और वह अजीबअजीब सवाल पूछने लगता है, जिस से आप की लौयल्टी पर ही प्रश्न खड़ा हो जाता है. उस की बात ध्यान से सुनें उस के दिल में आप के लिए क्या फीलिंग्स है समझें, कई बार अनजाने में न चाहते हुए भी हमारी ही किसी आदत से उस के मन में शक आ जाता है, इसे समझें.

द्य आप ने रिश्ते के शुरुआत के 3-4 महीने अपनी गर्लफ्रैंड पर पूरा ध्यान दिया है. वह आगे भी वही आशा रखती है, जबकि उतना फिर संभव नहीं हो पाता, पर उस में आप की गर्लफ्रैंड की इतनी गलती नहीं है, शुरू के दिनों में भी इतना बढ़ाचढ़ा कर कुछ न करें कि बाद में उतने अटैंशन की कमी खले.

द्य पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम जरूर बिताएं. इस का मतलब यह नहीं कि एक बड़ी खर्चीली डेट ही हो, साथ बैठना, एकदूसरे की पसंद का कोई औनलाइन शो साथ देखना, एकदूसरे की बातें घर पर बैठ कर सुनना भी हो सकता है.

द्य अपने गु्रप में उसे भी शामिल करें और उस का व्यवहार देखें कि वह सब से घुल मिल जाती है या अलगथलग रहती है. उसे महसूस करवाएं कि वह आप की लाइफ और आप के सोशल सर्कल का पार्ट है. उसे अपने फ्रैंड्स से मिलवाएं. उसे समझने का मौका दें कि वे आप के फ्रैंड्स हैं और आप के लिए महत्त्वपूर्ण है. जितना वह आप के फ्रैंड्स को समझेगी उतना कम शक करेगी.

द्य उसे डबल डेट्स पर ले जाएं. अगर आप की लेडी फ्रैंड्स है और वे किसी को डेट कर रही हैं, तो अपनी गर्लफ्रैंड को उन के साथ ले कर जाएं. जिस से उसे अंदाजा होगा कि आप की फ्रैंड्स ही हैं और उन की आप से अच्छी दोस्ती ही है, कोई शक नहीं.

द्य पार्टनर आप पर शक कर के बारबार कोई सवाल पूछती है और आप को गुस्सा आता है तो भी खुद को शांत रख कर जवाब दें, ढंग से बात कर के हर समस्या सुलझाई जा सकती है.

द्य पार्टनर को शक करने की आदत ही है और यह आदत कम नहीं हो रही है, आप ने सबकुछ कर लिया, क्वालिटी टाइम भी बिता लिया. अपनी लाइफ, अपने फ्रैंड्स में भी उसे शामिल कर लिया, बात भी कर ली, पर कुछ भी काम नहीं आ रहा है, पार्टनर बात खत्म करने, समझने को तैयार ही नहीं, इस रिश्ते से आप दोनों को दुख ही पहुंच रहा है तो पार्टनर को ही अब अपनी आदत पर ध्यान देना पड़ेगा. आप हर काम, हर बात पर हर समय सफाई देते नहीं रह सकते. जिसे आप पर विश्वास नहीं, उसे प्यार करना भी मुश्किल ही हो जाता है. अत: उसे क्लियर कर दें कि या तो वह इस रिश्ते में आप पर विश्वास करना सीखें या फिर दोनों अपनी राहें बदल लें.

Diwali Special: बॉयफ्रेंड के साथ दीवाली

दीवाली आते ही खुशियों का माहौल बनने लगता है. खुशियों को मिल कर मनाना चाहिए. ऐसे में दीवाली गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड मिल कर मनाते हैं. आज समय बदल गया है. गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड अब जौब वाले भी हैं. वे खुद पर निर्भर होते हैं. पहले गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड टीनएज में होते थे तो उन के दायरे भी सीमित होते थे. आज युवा जल्दी ही जौब करने लगे हैं. इस के अलावा घरों से दूर होस्टल में या दूसरे शहरों में रह रहे हैं.

ऐसे में वे पहले के मुकाबले ज्यादा आजाद होते हैं. उन के सामने अब अवसर होते हैं कि वे आपस में मिल कर फैस्टिवल मना सकते हैं. पार्टीज करने के लिए जरूरी नहीं है कि महंगे होटल या पब में जाएं. किसी दोस्त के घर या छोटे होटल, पार्क में भी इस को कर सकते हैं.

प्रोफैशनल स्टडीज कर रही इसिका यादव कहती हैं, ‘‘गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड ही नहीं, हम अपने सामान्य फ्रैंड्स के साथ भी दीवाली कुछ खास तरह से मना सकते हैं. कालेज और होस्टल में रहने वाले लोग छुटिट्यों में अपने घर जाते हैं. ऐसे में दीवाली से पहले दीवाली पार्टी और दीवाली के बाद भी पार्टी का आयोजन कर सकते हैं. उस में खास दोस्तों को बुला सकते हैं. पार्टी में डांस, म्यूजिक, गेम्स और कई तरह के प्राइजेज के साथ खानेपीने के अच्छे मैन्यू रख सकते हैं. युवाओं को यह अच्छा लगता है. दीवाली रोशनी यानी लाइटिंग का त्योहार होता है. पार्टी में लाइटिंग भी होनी चाहिए.’’

होस्टल में रहने वाले और कोचिंग के जरिए जौब की तैयारी करने वाले कुछ युवाओं की जब जौब लग जाती है तो वे अपनी तरफ से भी ऐसी पार्टी का आयोजन दीवाली सैलिब्रेशन के साथ कर लेते हैं जिस से उन की सक्सैस पार्टी भी हो जाती है और दीवाली की सैलिब्रेशन पार्टी भी. अपनी उम्र और अपनी पसंद के लोगों के साथ पार्टी करने का आनंद ही अलग होता है. ऐसे में दीवाली सैलिब्रेशन पार्टी बहुत अच्छी होती है. ज्यादातर लोगों की प्लेसमैंट के बाद इन्हीं महीनों में जौब लग चुकी होती है तो वह एक खास अवसर भी होता है.’’

अलग अंदाज में दें बधाई

दीवाली में बधाई देने का अंदाज पिछले साल से कुछ अलग हो, इस बात का खास खयाल रखें. पहले ग्रीटिंग कार्ड का जमाना था. इस के बाद एसएमएस आया और अब सोशल मीडिया आने के साथ व्हाट्सऐप के जरिए संदेश भेजे जाने लगे. कई बार लोग किसी और के भेजे गए बधाई संदेश आगे फौरवर्ड कर देते हैं.

ध्यान रखें, अब फौरवर्ड किए मैसेज में यह लिख कर आने लगा है कि यह मैसेज फौरवर्ड किया हुआ है. कुछ मैसेज में भेजने वाले का नाम लिखा होता है. कई बार जल्दी मैसेज भेजने के चक्कर में लोग दूसरे का नाम हटाना भूल जाते हैं. यह बहुत हास्यास्पद लगता है. जब भी किसी और का मैसेज आगे भेजते हैं तो उस को ध्यान से देख लें. गर्लफ्रैंड, बौयफ्रैंड ही नहीं, आम फ्रैंड्स को भी दीवाली की बधाई नए अंदाज में दें.

पूजा वाजपेई कहती हैं, ‘‘कोशिश करें कि खास दोस्तों को मिल कर बधाई दें. अगर दोस्त किसी और शहर में है तो फोन से बधाई दें. बधाई देने जाएं तो अपने साथ कुछ गिफ्ट जरूर ले कर जाएं. दोस्त किसी बाहरी शहर में है तो उस को कुरियर से गिफ्ट भेज सकते हैं.

‘‘आजकल औनलाइन गिफ्ट भेजना सरल हो गया है. दीवाली में गिफ्ट की कीमत की जगह आप के इमोशन दिखने चाहिए, यही युवाओं को पंसद आता है. पार्टी भी केवल कौफी की हो तो भी बेहद अच्छी लगती है. पार्टी में इस बात का खयाल रखें कि किसी भी तरह की नशे की चीजों का प्रयोग न करें. आजकल पार्टियों में नशे का प्रयोग होने लगा है. युवा ऐसी पार्टी से बच कर रहें.’’

उपहार में पैकिंग हो खास

उपहार देते समय इस बात का खास खयाल रखें कि गिफ्ट उस को पसंद आए. लड़कियों को डायमंड रिंग, नैकलैस, चौकलेट, परफ्यूम, एथनिक ड्रैसें पसंद आती हैं. ऐसे में अपने फ्रैंड की पसंद की चीजों को गिफ्ट में दें. किसी फ्रैंड को बुक्स बहुत अच्छी लगती हैं. आजकल तमाम तरह के गिफ्ट वाउचर भी हैं जिन को भी गिफ्ट की तरह से दे सकते हैं.

ब्यूटी सैलून के तमाम पैकेज होते हैं. वे अपनी गर्लफ्रैंड को दे सकते हैं. गिफ्ट आइटम की पैकिंग का काम करने वाली प्रीति शर्मा कहती हैं, ‘‘गिफ्ट देते समय इस बात का खास खयाल रखें कि उस की पैकिंग बेहद आकर्षक हो. आजकल ऐसे बहुत सारे प्रयोग होने लगे हैं जिन से दीवाली खास हो जाती है. पैकिंग को देने वाले या पाने वाले की रुचि के हिसाब से भी तैयार किया जा सकता है.‘‘

लड़कों को उपहार देना हो तो अच्छी ड्रैस दे सकते हैं. जैकेट, शर्ट और टीशर्ट आज के युवा बहुत पसंद करते हैं. उन्हें सिलवर या डायमंड के सिक्के भी दे सकते हैं व होम डैकोर की चीजें दे सकते हैं. वाल स्टीकर भी दिए जा सकते हैं. अलगअलग तरह की कैंडल्स भी दी जा सकती हैं. इन सब के साथ खानेपीने की चीजें भी उपहार में दें.

दीवाली में प्रदूषण को ले कर भी जागरूकता की जरूरत होती है. ऐसे में जरूरी है कि हम गिफ्ट में छोटेछोटे प्लांट या बोनसाई भी दे सकते हैं. घर में हरीभरी चीजें देखने को मिलती हैं तो बहुत अच्छा लगता है.

‘छप्पन भोग’ मिठाई शौप के मालिक नमन गुप्ता कहते हैं, ‘‘दीवाली गिफ्ट में अपने इलाके की मशहूर खानेपीने की चीजें दे सकते हैं. आज आसान बात यह है कि इन की औनलाइन शौपिंग कर के देशविदेश कहीं भी भेजा जा सकता है. ज्यादातर लोग एकजैसी खाने की चीजें ही भेजते हैं. सोहन पापड़ी को ले कर तमाम तरह के जोक्स बन चुके हैं. अगर आप अपने यहां की मशहूर खाने की चीजें उपहार में देंगे तो उस का अलग असर पड़ेगा.

‘‘अब कुरियर से तय समय और दिन में भी डिलीवरी देने का सिस्टम बन गया है. ऐसे में दीवाली के दिन शाम को सैलिब्रेशन के समय ही गिफ्ट खास दोस्त तक पहुंच सकता है.’’

क्या आपकी दोस्ती खतरे में है?

एक रिश्ता है जो हम अपने व्यवहार से बनाते हैं, वह है दोस्ती. दोस्ती एकमात्र ऐसा रिश्ता है जो हम खुद जोड़ते हैं. दोस्त हम स्वयं चुनते हैं. लेकिन दोस्त की इस दोस्ती से कब व कैसे कट कर लिया जाए. आप भी जानिए.

संभव है कि किन्हीं कारणों से आप की दोस्ती अब पहले जैसी नहीं रह गई हो. आप के दोस्त के बरताव में आप कुछ बदलाव महसूस कर सकते हैं या आप में उस की दिलचस्पी अब न रही हो या कम हो गई हो. कुछ संकेतों से आप पता लगा सकते हैं कि अब यह दोस्ती ज्यादा दिन निभने वाली नहीं है और बेहतर है कि इस दोस्ती को भूल जाएं.

दोस्ती एकतरफा रह गई है : दोस्ती नौर्मल हो, प्लुटोनिक या रोमांटिक, किसी तरह की भी दोस्ती एकतरफा नहीं निभ सकती है. अगर आप का पार्टनर आप की दोस्ती का उत्तर नहीं दे रहा है तो इस का मतलब है कि उस की दिलचस्पी आप में नहीं रही. इस दोस्त को गुड बाय कहें.

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आप के राज को राज न रखता हो : आप अपने फ्रैंड पर पूरा भरोसा कर उस से सभी बातें शेयर करते हों और उस से यह अपेक्षा करते हों कि वह आप के राज को किसी और को नहीं बताए पर यदि वह आप के राज को राज न रहने दे तो ऐसी दोस्ती से तोबा करें.

विश्वासघात : विश्वास मित्रता का स्तंभ है. कभी दोस्त की छोटीमोटी विश्वासघात की घटनाओं से आप आहत हो सकते हैं पर उसे विश्वास प्राप्त करने का एक और मौका दे सकते हैं. पर यदि वह जानबूझ कर चोरी करे, आप के निकटतम संबंधी या प्रेमी या प्रेमिका के मन में आप के विरुद्ध झूठी बातों से घृणा पैदा करे तो समझ लें अब और नहीं, बस, बहुत हुआ.

लंबी जुदाई : कभी आप घनिष्ठ मित्र रहे होंगे. ट्रांसफर या किसी अन्य कारण से आप का दोस्त बहुत दूर चला गया है और संभव है कि आप दोनों में पहले वाली समानता न रही हो. आप के प्रयास के बावजूद आप को समुचित उत्तर न मिले तो समझ लें अब वह आप में दिलचस्पी नहीं रखता है. उसे अलविदा कहने का समय आ गया है.

अगर वह आप के न कहने से आक्रामक हो : कभी ऐसा भी मौका आ सकता है जब आप उस की किसी बात या मांग से सहमत न हों और उसे ठुकरा दें. जैसे किसी झूठे मुकदमे में आप को अपने पक्ष से सहमत होने को कहे या झूठी गवाही देने को कहे और आप न कह दें. ऐसे में अगर वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आक्रामक रुख अपनाता है तो समझ लें कि इस दोस्ती से ब्रेक का समय आ गया है.

आपसी भावनाओं का सम्मान : मित्रता बनी रहे. इस के लिए जरूरी है कि दोनों भावनाओं का सम्मान करें. अगर आप की भावनाओं का सम्मान दूसरा मित्र न करे या आप की भावनाओं का निरादर कर लोगों के बीच उस का मजाक बनाए या अवांछित सीन पैदा करे तो समझ लें कि अब यह दोस्ती निभने वाली नहीं है.

जब आप की चिंता की अनदेखी करे : दोस्ती में जरूरी है कि दोनों एकदूसरे की चिंताओं या समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों और उन के समाधान में अपने पार्टनर की सहायता करें. अगर आप की मित्रता में ऐसी बात नहीं है तो फिर यह अच्छा संकेत नहीं है.

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आप को नीचा दिखाने की कोशिश न हो : कभी अन्य लोगों के बीच अगर आप का दोस्त आप को नीचा दिखा कर आप में हीनभावना पैदा करे या करने की कोशिश करे तो यह दोस्त दोस्ती के लायक नहीं रहा.

दोस्त से मिल कर कहीं आप नाखुश तो नहीं हैं : अकसर आप दोस्तों से मिल कर खुश होते हैं. अगर किसी दोस्त से मिलने के बाद आप प्रसन्न न हों और बारबार दुखी हो कर लौटते हैं, तो कट इट आउट.

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