शादी के बाद इसलिए धोखा देते हैं पति-पत्नी

इंसान की फितरत है धोखा देना. दरअसल इसे कमजोरी भी कहा जा सकता है. लोग दोस्ती में धोखा देते हैं, रिश्तों में धोखा देते हैं, प्यार में धोखा देते हैं और यहां तक कि शादी के बाद भी धोखा देते हैं.

देखा गया है कि शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बार धोखा का बदला लेने के लिये धोखा दिया जाता है. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है.

हम यहां आपको बताने जा रहे हैं कि शादीशुदा लोग क्यों एक दूसरे को धोखा देते हैं.

1. संतुष्टि न मिलना

कई बार पति को अपनी पति से सेक्स से वो संतुष्टि नहीं मिलती जो वो चाहता और तब वह शादी के बाहर इस संतुष्टि की तलाश करने लगता है और दूसरी महिलाओं के संपर्क में आ जाता है.

2. ओपन सोसाइटी

आधुनिकता की वजह से समाज में आ रहे बदलाव यानी खुलेपन की कारण भी पति अपनी पत्नी को धोखा देने लगता है. दरअसल, नयी आब-ओ-हवा में समाज में खुलापन तेज़ी से आ रहा है और इसकी वजह से लोगों की मानसिकता भी खुलती जा रही है और वे शादी के बाहर संबंध बनाने में अब कम हिचकते हैं. इस मामले में महिलाएं भी बहुत बोल्ड हो गई हैं. ज़ाहिर है ऐसे रिश्ते की बुनियाद धोखे पर ही रखी जाती है.

3. सोशल मीडिया का फैलाव

आजकल विवाहेत्तर संबंध बनने की संभावनाएं अधिक हो गई हैं क्योंकि आप सोसल मीडिया के ज़रिये आसानी से दोस्त बना लते हैं जो पहले इतना आसान नहीं था.

4. आपसी संवाद का अभाव

पति और पत्नी के बीच नियमित रुप से संवाद कई समस्याओं को पैदा होने से रोक देता है लेकिन देखा गया है कि जिस दंपत्ति में आपसी संवाद नहीं होता या बहुत कम होता है वहां भी धोखे की संभावना बढ़ जाती है. संवाद न होने से दोनों में कई बार ग़लतफ़हमी हो जाती है जो फिर कड़वाहट में बदल जाती है.

5. प्रयोगवादी होना

लोग आजकल अपनी सेक्ल-लाइफ को और दिलचस्प बनाने के लिये नए-नए प्रयोग करने की सोचते हैं. पति को अगर पति को सेक्स का सुक नहीं मिल रहा हो या फिर ऊब गया हो तो तो वह एक्सपेरिमेंट करने से नहीं चूकता. लेकिन जब पत्नी इसमें सहयोग नहीं देती तो पुरूष धोखा देने लगते हैं.

6. अफेयर होना

आमतौर पर कोई पत्नी शादी के बाद पति को या तो इसलिए धोखा देने लगती हैं क्योंकि उसका शादी से पहले किसी से अफेयर होता है या फिर उसका पहला प्रेमी उसे परेशान और ब्लैकमेल कर रहा हो.

7. पति का शक़्की मिजाज

कई हार पत्नी अपने पति को इसलिए धोखा देने लगती है क्योंकि उसका पति शक्की होता है और बात-बात पर उस पर शक़ करता है.

8. अकेलापन और बोरियत होना

कई बार पत्नि घर में अकेली रहकर या फिर एक ही तरह के रूटीन से बोर हो जाती है और ऐसे में वह बाहरी दुनियां की तरफ आकर्षित हो जाती है नतीजन उसका अफेयर चलने लगता है.

9. पति से विचार ना मिलना

कई बार पति से विचार ना मिलना या फिर हर समय घर के झगड़े के कारण भी पत्नी बाहर किसी पराये मर्द की तरफ आकर्षित हो जाती है.

इसके अलावा भी बहुत से कारण हैं जिससे महिलाएं और पुरूष शादी के बाद भी अपने साथी को धोखा देने लगती हैं.

अपराध: हाईवे पर फैला लूट व ठगी का जाल

लोगों के घरों व दुकानों में जा कर और रास्ता चलते राहगीरों को बहलाफुसला कर या फिर उन्हें झांसा या लालच दे कर ठगने और लूटने की दास्तानें हम अकसर सुनते ही रहते हैं.

कभी कोई शातिर ठग या लुटेरा किसी के गहनों को साफ करने के बहाने सोने व चांदी के जेवरात उड़ा ले जाता है, तो कभी कोई ठग किसी के कपड़ों पर गंदगी लगी होने की बात कह कर उस का बैग ले कर चंपत हो जाता है.

कोई किसी को नोट दोगुना किए जाने का लालच दे कर ठग लेता है, तो कोई किसी को सस्ते दामों पर सोना, लोहा, सीमेंट जैसी चीजें देने के बहाने ठग कर ले जाता है.

देश में शातिर चोरों का एक ऐसा गिरोह हरकत में है, जो एक बड़े सूटकेस में 10-12 साल के बच्चे को बंद कर देता है. उस बच्चे के हाथ में एक मोबाइल फोन व एक टौर्च को थमा दिया जाता है. उस के बाद वह सूटकेस वोल्वो या दूसरी ऐसी बसों में, जिन में पिछले हिस्से में सामान रखने की जगह होती है, रख दिया जाता है.

इस तरह बच्चा सूटकेस में बैठ कर सामान रखने वाली जगह पर पहुंच जाता है. उधर उस सूटकेस को रखने वाला आदमी सवारी के तौर पर बस में बैठ कर अपना सफर शुरू कर देता है.

बस के चलते ही वह लड़का भीतर से सूटकेस की चेन खोल कर बाहर निकल आता है और टौर्च के द्वारा पीछे रखे सारे सूटकेस देख कर उन में अपने पास रखी चाबियां लगा कर उन्हें बारीबारी से खोलता है और उन में रखे सभी कीमती सामान अपने सूटकेस में डाल कर खुद अपने सूटकेस में वापस बैठ जाता है और भीतर से चेन बंद कर अपने आका को फोन पर मिशन पूरा होने की सूचना दे देता है.

लड़के द्वारा सूचना पाते ही अगले ही स्टौप पर वह आदमी बस से उतर जाता है और कंडक्टर से कह कर अपना सूटकेस ले जाता है.

इसी तरह पुणेमुंबई हाईवे पर शातिर अपराधियों, लुटेरों व ठगों का एक बड़ा गिरोह हरकत में है, जो कार सवारों को अपना शिकार बनाता है.

एक खबर के मुताबिक, एक लड़की ने मुंबई से पुणे जाते समय एक पैट्रोल पंप पर पैट्रोल डलवा कर जैसे ही अपनी कार आगे बढ़ानी चाही, एक अनजान आदमी उस के मुंह के करीब विजिटिंग कार्ड दिखा कर उस में लिखा पता पूछने लगा.

लड़की ने उस कार्ड को देख कर अपनी जानकारी के मुताबिक उसे पता समझाया. उस के बाद वह लड़की कार चलाते हुए पैट्रोल पंप से आगे बढ़ गई. कुछ ही दूर पहुंचने पर उस लड़की को चक्कर आने लगा और उस ने अपनी कार हाईवे के किनारे सुनसान जगह पर खड़ी कर दी.

चंद सैकंड में वह लड़की बेहोश हो गई. इतने में पीछे से वही अपराधी, जिन्होंने पैट्रोल पंप पर विजिटिंग कार्ड दिखा कर उस से पता पूछा था, जा पहुंचे और लड़की के पास मौजूद नकदी, गहने व कीमती सामान लूट कर ले गए.

होश में आने पर लड़की ने अपनी आपबीती पुलिस को बताई. फिर पता चला कि अपराधियों ने उस विजिटिंग कार्ड में कोई ऐसा नशीला कैमिकल लगा रखा था, जो उस लड़की के नाक के करीब आते ही उस की सांस की नली में चढ़ गया और उसे बेहोश कर दिया.

एक आदमी अपने परिवार के साथ पुणे हाईवे पर सफर कर रहा था. पीछे से आ रहे 2 मोटरसाइकिल सवारों ने उस की कार को ओवरटेक किया और यह इशारा किया कि उस की कार का पिछला पहिया पंक्चर हो गया है.

पहले तो उस कार चालक ने ध्यान नहीं दिया और अपनी कार चलाता रहा. इतने में उन मोटरसाइकिल सवारों ने इशारा किया.

मोटरसाइकिल सवारों के बारबार इशारा करने पर उस कार चालक ने चलती कार में पीछे झांक कर देखने की कोशिश की, पर वह पक्का नहीं कर सका कि उस की कार का पिछला पहिया पंक्चर है भी या नहीं.

जैसे ही पंक्चर लगाने की दुकान दिखाई दी, उस ने कार उस दुकान पर रोक दी. उस ने पंक्चर लगाने वाले दुकानदार से अपनी कार के चारों पहिए चैक करने को कहा. 3 पहिए तो उस दुकानदार ने कार चालक की नजरों के सामने चैक किए, जिन में हवा का दबाव बिलकुल ठीक था.

जैसे ही वह पीछे का आखिरी पहिया चैक करने लगा, उतने में उसी दुकान पर मौजूद एक आदमी ने फुजूल की बातों में उस कार चालक का ध्यान खींच लिया.

बस, इतने में ही उस पंक्चर लगाने वाला दुकानदार पहिए में पंक्चर होने की बात बोल बैठा. उस ने दुकानदार से कार का पहिया खोल कर पंक्चर लगाने को कह दिया.

इधर वह पंक्चर लगाने की तैयारी कर रहा था, तो उधर उस दुकान पर खड़े दो आदमी कार चालक को फुजूल की बातों में उलझाए हुए थे. नतीजतन, दुकानदार ने उस ट्यूबलैस टायर में 7-8 पंक्चर दिखा दिए. कार चालक के पास टायर में पंक्चर लगवाने के सिवा और कोई चारा नहीं था.

दुकानदार ने सभी पंक्चर लगाने की कीमत 2,750 रुपए बताई. कार चालक के बहुत कहने पर उस ने 1,500 रुपए ले कर सारे पंक्चर लगा दिए. बाद में कार चालक को पता चला कि हाईवे पर इस तरह की ठगी के नैटवर्क का वह शिकार हो चुका है.

हाईवे पर अपराध की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों द्वारा लड़कियों का भी इस्तेमाल किया जाता है. ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिन से यह पता चलता है कि हाईवे पर आकर्षक लिबास पहने कोई औरत या लड़की किसी सुनसान इलाके में खड़ी हो कर कार या ट्रक चालकों को हाथ से इशारा कर के रोक रही है. अगर कोई उस के आकर्षण का शिकार हो कर रुक गया, तो बस आप उसे तो लुटा हुआ ही समझिए.

उस लड़की या औरत की आड़ में पेड़ों के पीछे कुछ अपराधी छिपे होते हैं. जैसे ही कोई गाड़ी सवार गाड़ी से उतर कर पास रुकता है और उस से बातें करने पहुंचता है, उसी समय उस लुटेरे गिरोह के सदस्य वहां आ धमकते हैं और लूटपाट की घटनाको अंजाम देते हैं.

इस के अलावा हाईवे पर टैक्सी के रूप में देर रात चलने वाले गिरोह द्वारा कई वारदातें अंजाम दी जा चुकी हैं. इन में खुद को टैक्सी चालक बताने वाला कार में बैठे लोगों को सवारी बताता है और रास्ते में मिलने वाली किसी एक सवारी को उसी कार में बैठा लेता है.  फिर वे सब उस आदमी को लूट लेते हैं.

हाईवे पर चलने वाले लोगों को इस तरह की लूट व ठगी की घटनाओं से खुद को महफूज रखने के लिए पूरी तरह चौकस रहने की जरूरत है, क्योंकि ठगों व लुटेरों द्वारा इस तरह के जाल कहीं भी बिछे मिल सकते हैं.

निर्मल रानी

विदेश भेजने के नाम पर लूटने का धंधा

आजकल बेरोजगारी की समस्या सचमुच बहुत भयंकर है. ऐसे में बहुत से लोग दूसरे देशों में जा कर कामधंधा करना चाहते हैं. बेशक वहां काम मिल सकता है, लेकिन विदेश जा कर बहुत से लोग शोषण के भी शिकार होते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय प्रवास संगठन के मुताबिक, दुनियाभर में नाजायज तरीके से विदेश भेजने का कारोबार तकरीबन 45,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है. हमारे देश के बहुत से इलाके इस तरह की ठगी की चपेट में हैं. सब से ज्यादा ठगी पंजाब व उस के आसपास के इलाकों में हो रही है.

ठगी का जाल

पंजाब और उस के आसपास के इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोग विदेश जाने की इतनी गहरी चाहत रखते हैं कि वे उसे अपनी जिंदगी का मकसद बना लेते हैं. जिन लोगों के बच्चे विदेशों में हैं उन की अमीरी और रुतबा देख कर ज्यादातर मांबाप अपना सबकुछ दांव पर लगा कर अपने बच्चों को विदेश भेजने की कोशिशों में लगे रहते हैं.

पूरे देश से बाहर जाने वालों में से एकचौथाई से भी ज्यादा लोग अकेले पंजाब से होते हैं. वहां से हर साल 2 लाख से भी ज्यादा वीजा की अर्जियां कनाडा, अमेरिका, इंगलैंड, अरब, आस्टे्रलिया वगैरह देशों के लिए लगती हैं.

यह बात दीगर है कि तयशुदा कोटे के मुताबिक इन में से तकरीबन 50,000 यानी 25 फीसदी लोगों को ही विदेश जाने के लिए वीजा मिल पाता है बाकी के 75 फीसदी यानी तकरीबन डेढ़ लाख लोग वीजा न मिलने से मायूस रह जाते हैं.

बस, असली समस्या यहीं से शुरू होती है. जिन लोगों को वीजा नहीं मिल पाता, वे आसानी से हिम्मत नहीं हारते हैं और किसी न किसी तरह बाहर जाने की जुगत में लगे रहते हैं और अपना काम कराने की गरज से मददगार एजेंट तलाशते रहते हैं.

यों फंसते हैं लोग

नामंजूर हुए वीजा के लिए नए सिरे से दोबारा कोशिश करने के नाम पर फर्जी किस्म के एजेंट भोलेभाले लोगों को अपनी लुभावनी बातों के जाल में फंसा लेते हैं.

ट्रैवल एजेंट रोब गांठने के लिए अपनी कंपनी का दफ्तर दूर के किसी बड़े शहर में बताते हैं. फिर उन्हें हवाईजहाज से वहां ले जाते हैं. कागजात व लाखों रुपए की रकम जमा कराते हैं. रकम हाथ में आते ही एजेंट व दलालों का कमीशन बंट जाता है, शिकार को पता तक नहीं चलता.

ट्रैवल एजेंट और उन के दलाल स्कूलकालेजों से पासआउट होने वाले  छात्रों पर खासा नजर रखते हैं. उन्हें उन की तालीम व काबिलीयत से बेहतर काम विदेश में दिलवाने का झांसा देते हैं. पंजाब में कबूतरबाजी यानी नाजायज तरीके से विदेश ले जाने के चक्कर में पंजाब का एक नामी गायक जेल गया था व उस के खिलाफ चले केस में 2 साल सजा हुई थी.

ज्यादातर बेरोजगार नौजवान तो जागरूक न होने से चालाक एजेंटों के झांसे में आ जाते हैं व 5 लाख से 20 लाख रुपए तक जेब से गंवा देते हैं. कई लोग अपनी जमीन वगैरह बेच कर या कर्ज ले कर यह रकम जुटाते हैं, लेकिन उन का मकसद पूरा नहीं हो पाता है.

कुसूरवारों को सजा नहीं

फर्जी एजेंट इतने शातिर होते हैं कि वे बहुत ही सफाई के साथ अपनी चाल चलते हैं इसलिए पीडि़तों के पास उन के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं होता. इसी वजह से उन के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं हो पाती है. नतीजतन, विदेश भेजने के नाम पर ठगी का यह कारोबार धड़ल्ले से फलफूल रहा है.

पुलिस के पास जब ठगी की कोई शिकायत आती है तो वे फर्जी एजेंटों से अपनी मुट्ठी गरम कर के उन के खिलाफ जल्दी से केस ही दर्ज नहीं करते इसलिए ज्यादातर मामले कोर्टकचहरी तक पहुंच ही नहीं पाते हैं. अगर कभीकभार कोई केस दर्ज करते भी हैं तो उन का चालान जल्दी से नहीं करते, केस को पुख्ता नहीं बनाते.

अदालत में साबित ही नहीं हो पाता कि ठगी की गई है, इसलिए ज्यादातर मामलों में कुसूरवारों को कोर्ट से सजा नहीं हो पाती. इस तरह फर्जी एजेंट चांदी काट कर मौज मारते रहते हैं इसलिए विदेश जाने की तैयारी करते वक्त बहुत चौकस रहना लाजिमी है.

जंजाल है सब

वीजा, पासपोर्ट व टिकट वगैरह का सारा काम अब औनलाइन होता है, लेकिन गंवई इलाकों में रहने वाले कमपढ़े लोगों को जानकारी नहीं होती, इसलिए उन्हें एकमुश्त रकम दे कर सारा ठेका एजेंटों को ही देना आसान लगता है. लिहाजा, ट्रै्रवल एजेंटों का धंधा फलफूल रहा है.

लोगों को यूरोपीय देशों में भेजने के लिए एजेंट हर आदमी से अमूमन 20 लाख रुपए लेते हैं, लेकिन अमेरिका, कनाडा व आस्टे्रलिया जाने वालों की लंबी कतार व सख्त नियमों के चलते वे 35 लाख रुपए तक मांगते हैं.

विदेशी वर्क परमिट आसानी से नहीं मिलता इसलिए एजेंट टूरिस्ट वीजा पर भेज कर बाद में सैटल करने का झांसा देते हैं, जो कभी पूरा नहीं होता. इसलिए लाखों रुपए गंवाने के बाद भी विदेश जाने का सपना पूरा नहीं होता.

दरअसल, ज्यादातर एजेंट फ्लाइट पकड़ने, वीजा व टिकट वगैरह के कागजात जाने वाले को नहीं देते. वे बराबर यह कह कर टरकाते रहते हैं कि कागज अभी नहीं मिले हैं. बस, वे आने वाले हैं इसलिए देखे बिना सचाई का पता ही नहीं चल पाता कि उन्हें कहां भेजा जा रहा है.

गांव मझौट के एक नौजवान मनजिंदर यूनान जाना चाहता था. उसे नाजायज तरीके से नाव द्वारा तुर्की भेजा जा रहा था, इसलिए वह वापस आ गया.

गांव बोघनी के रूपिंदर को कनाडा जाना था. एजेंट ने उसे पहले मुंबई, फिर बैंगलुरु भेज दिया. वहां बंधक बना कर पीटा व बंदूक की नोक पर घर वालों को फोन कराया कि वह कनाडा पहुंच गया, इसलिए आप एजेंट को बाकी के 25 लाख रुपए दे दो. इस के बाद लड़के को छोड़ा गया, लेकिन तब से उस एजेंट का कहीं कोई अतापता नहीं है. अकेले पंजाब में कुल 21,181 ट्रैवल एजेंट हैं. इन में से सिर्फ 1,181 ही सही हैं, बाकी 20,000 का पताठिकाना सरकारी दस्तावेजों में दर्ज नहीं है.

विदेशों में काम दिलाने वाले महज 38 एजेंट हैं, लेकिन जनता के जागरूक न होने की वहज से हजारों दलालों का धंधा बदस्तूर चल रहा है. वैसे, ट्रैवल एजेंटों का लाइसैंस जिलाधिकारी देते हैं.

एक एजेंट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ज्यादातर लोग खुद कायदेकानून के खिलाफ विदेश जाना चाहते हैं इसलिए वे खुद आ कर मदद मांगते हैं. ऐसे में एजेंट के साथसाथ जाने वाला भी बराबर का कुसूरवार है. उधर सरकारी लाइसैंस फीस के अलावा उस के बाद की सेवाओं के हिसाब से 5 लाख रुपए तक का खर्च है.

सावधानी बरतें

खुद कोई गलत तरीका न अपनाएं. जहां तक मुमकिन हो आप अपना काम खुद करें, घर के पढ़ेलिखे आदमी से कराएं या रजिस्टर्ड, अच्छी साख वाले, भरोसेमंद एजेंट से मदद लें. रजिस्टर्ड एजेंट का नाम जिला प्रशासन की वैबसाइट पर दर्ज लिस्ट से चैक करें.

विदेशों में काम दिलाने वाले एजेंट से शर्तें पढ़ें व लिखित में करार करें. क्रौस चैक से भुगतान करें. दी गई रकम व दिए गए असल दस्तावेजों की पक्की रसीद जरूर लें व उन्हें संभाल कर रखें.

वीजा में दर्ज अपना ब्योरा बहुत ही सावधानी से देखें. टूरिस्ट या स्टडी वीजा पर विदेश जा कर बाद में सैटल कराने की बातों पर भूल कर भी भरोसा न करें. अपने एजेंट की फोटो आईडी व नामपते का पूरा ब्योरा ले कर घर में महफूज रखें, ताकि वक्त पर काम आ सके.

पुख्ता जानकारी के लिए भारत सरकार की हैल्पलाइन 1800113090 व पुलिस की हैल्पलाइन 181 पर बातचीत की जा सकती है.

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