Parbin Babi : हसीन हीरोईन का रुला देने वाला अंत

चांद तनहा है, आस्मा तनहा, दिल मिला है कहांकहां तनहा

बुझ गई आस, छुप गया तारा, थरथराता रहा धुंआ तनहा 

जिंदगी क्या इसी को कहते हैं जिस्म तनहा है और जां तनहा

हमसफर कोई गर मिले भी कहीं दोनों चलते रहे यहां तनहा

अपने दौर की मशहूर और प्रतिभाशाली ऐक्ट्रैस मीना कुमारी उम्दा शायरा भी थीं जिनकी लिखी गजलें आज भी शिद्दत से पढ़ी और सुनी जाती हैं क्योंकि वे हर किसी की जिंदगी पर कभी न कभी फिट बैठती हैं. परवीन बौबी की जिंदगी पर नजर डालें तो लगता है कि वे मीना कुमारी की गजलों से निकली कोई किरदार हैं जो जिंदगीभर दुनिया के मेले में तनहा रहीं और आखिरकार एक दिन इसी तन्हाई में चल बसीं.

किसी भी जिंदगी की कहानी इतनी छोटी भी नहीं होती कि उसे चंद लफ्जों में समेट कर पेश या खत्म किया जा सके. बकौल फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े शो मेन राजकपूर हरेक कहानी का अंत एक नई कहानी का प्रारम्भ होता है. परवीन बौबी की जिंदगी एक तरह से मीना कुमारी की जिंदगी का री प्ले थी जिसे जिसने भी गहराई से समझा उसने दुनिया के कई रिवाजों और उसूलों को समझ लिया कि वह तन्हाई ही है जो पूरी वफा और इमानदारी से साथ देती है वर्ना तो सब मिथ्या है.

70 के दशक में हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियां आमतौर पर परंपरागत परिधान में ही नजर आती थीं. इसी वक्त में बौलीबुड में परवीन बौबी की एंट्री हुई थी जो निहायत ही स्टाइलिश ग्लैमरस खूबसूरत वसैक्सी भी थीं और ऐक्टिंग में भी किसी से उन्नीस नहीं थीं.

परवीन ने नायिका की नई इमेज गढ़ी जिसमें उसका सारा शरीर साड़ी ब्लाउज से ढके रहना जरुरत या मजबूरी नहीं रह गई थी हालांकि समाज और सोच में भी तब्दीलियां आ रहीं थीं लेकिन उन्हें मजबूत करने फिल्मों का सहयोग और योगदान जरुरी था जो परवीन जैसी खुले दिल और दिमाग वाली ऐक्ट्रैस ही दे सकती थीं.

पहली फिल्म की छाप

किसी भी कलाकार पर उसकी पहली फिल्म के किरदार का असर लम्बे समय तक रहता है. यही परवीन के साथ हुआ. उनकी पहली फिल्म साल 1972 में आई चरित्र थी जिसमें उनके अपोजिट क्रिकेटर से ऐक्टर बने सलीम दुर्रानी थे. बीआर इशारा की इस फिल्म में भी मध्यमवर्गीय युवतियों की मजबूरी दिखाई गई थी जिसके चलते वे शारीरिक शोषण का शिकार अपनी सहमति से होती हैं लेकिन फिल्म की खूबी उसका फलसफा था जो चरित्र की विभिन्न परिभाषाओं के इर्दगिर्द घूमता रहता है. फिल्म फ्लौप रही और चिकने चुपड़े चेहरे वाले सलीम दुर्रानी को दर्शकों ने नकार दिया पर परवीन को स्वीकार लिया.

चरित्र में परवीन ने एक मिडल क्लासी और कामकाजी लड़की शिखा की भूमिका अदा की थी जो आधुनिक है और शराब सिगरेट पीने में उसे किसी तरह की ग्लानि महसूस नहीं होती. पिता द्वारा गिरवी रखा घर बचाने शिखा को अपने बौस का बिस्तर गर्म करना पड़ता है.इस सौदे पर जरुर उसे गिल्ट फील होता है और वह आत्महत्या की कोशिश भी करती है.

एक तरह से वह बौस की रखैल बनकर रह जाती है जो उसके अंदर की औरत को कभीकभी खटकता भी है हालांकि वह इसे चरित्रहीनता नहीं मानती. फिल्म के टाइटल में बेकग्राउंड से परवीन बौबी की ही आवाज में गूंजता यह डायलाग फिल्म की जान है कि सोचना बहुत बड़ी बीमारी है लोग सोचते बहुत हैं इसलिए परेशान भी रहते हैं.

चरित्र की बोल्ड भूमिका निभाने के बाद परवीन ने फिर कभी मुड़कर नहीं देखा और एक से एक हिट फिल्में दीं. इन में मजबूर, कालिया, शान, नमक हलाल, महान, देश प्रेमी, खुद्दार,अर्पण,द बर्निंग ट्रैन, सुहाग, काला पत्थर और 36 घंटे जैसी हिट फिल्में शामिल हैं लेकिन एक परफैक्ट ऐक्ट्रैस की मान्यता उन्हें अपने दौर की सुपर हिट फिल्म 1975 में प्रदर्शित दीवार से मिली थी जिसमें उनके नायक अमिताभ बच्चन थे.

अमिताभ के अपोजिट परवीन ने सबसे ज्यादा 8 फिल्में की थीं जो सभी हिट रहीं थीं. दीवार में भी उनका रोल एक रखैल सरीखा ही था जो बुद्धिजीवी है. इस फिल्म में भी वे अमिताभ के साथ सिगरेट और शराब पीती नजर आई थीं. यह भूमिका सभ्य और आधुनिक समाज की आवारा औरत की थी.

रियल और रील लाइफ

यह महज इत्तफाक की बात है कि कुछ नहीं बल्कि कई मानो में परवीन की रील और रियल लाइफ में काफी समानताएं थीं. फिल्म इंडस्ट्री में अब बहुत कम लोग बचे हैं जो अधिकारपूर्वक उन्हें याद करें,हां वे अगर जिंदा होती तो जरुर बीती 3 अप्रैल को अपना 68 वां जन्मदिन समारोहपूर्वक मनाती दिखतीं.

51 साल की अपनीछोटी सीजिंदगी में परवीन ने कई जिंदगियों को जिया. गुजरात के जूनागढ़ के रईस मुसलिम परिवार में जन्मी इस ऐक्ट्रैस ने जिंदगी में जो कुछ भी देखा और भुगता वह किसी ट्रेजेडी फिल्म से कम नहीं है. उनके पिता वली मोहम्मद बौबी, बौबी राजघराने के नबाब जूनागढ़ के खास कारिंदे हुआ करते थे जो उन दिनों फख्र की बात हुआ करती थी.

परवीन अपने मांबाप की शादी के 14 साल बाद पैदा हुई थीं जाहिर है काफी लाडप्यार में उनकी परवरिश हुई थी लेकिन इस पर दुखद बात यह रही कि पिता का सुख उन्हें ज्यादा नहीं मिला. परवीन जब 5 साल की थीं तभी मोहम्मद बौबी चल बसे थे. इस हादसे का उनके नाजुक और भावुक मन पर पड़ा गहरा असर उम्र भर दिखता रहा.

माउन्ट कार्मल हाई स्कूल से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद अहमदाबाद के ही सेंट जेवियर्स कालेज से इंग्लिश लिटरेचर से एमए करने वाली परवीन तत्कालीन अभिनेत्रियों में सबसे ज्यादा शिक्षित थीं. पढ़ाई पूरी करने के बाद वे मौडलिंग के लिए मुंबई आ गईं और फिल्मों के लिए भी हाथपांव मारने लगीं.

एक खास किस्म की फिल्में बनाने के लिए बदनाम निर्माता निर्देशक बीआर इशारा ने उन्हें स्टाइल से सिगरेट पीते देखा तो तुरंत चरित्र फिल्म की शिखा के लिए चुन लिया. 1974 में उन्हें मजबूर फिल्म में अमिताभ के अपोजिट काम करने का मौका मिला यह फिल्म हिट रही थी इसके बाद तो उन पर दौलत और शोहरत बरस पड़े. लेकिन यह सिर्फ किस्मत या सैक्सी और ग्लैमरस होने की वजह से नहीं था बल्कि उनकी जबरजस्त अभिनय प्रतिभा के चलते ऐसा हुआ था.

यह वह दौर था जब बौलीबुड में हेमा मालिनी, रेखा, राखी, रीना राय, जया भादुरी और मुमताज जैसी ऐक्टर्स का नाम सिक्कों की तरह चलता था. इनके रहते इंडस्ट्री में अपना नाम और मुकाम हासिल कर पाना जीनत अमान के बाद अगर किसी के लिए मुमकिन था तो वे परवीन बौबी थीं.

1972 से लेकर 1982 तक परवीन का जादू इंडस्ट्री में सिर चढ़कर बोला करता था. अपनी जिंदगी की तरह फिल्मी भूमिकाओं के प्रति भी वे कभी गंभीर नहीं रहीं. कामयाबी के दिनों में उन्होंने वही जिंदगी जीई जो मीना कुमारी जिया करती थीं. परवीन के आसपास सिगरेट के धुएं के छल्लों और शराब के प्यालों के अलावा कुछ और नहीं होता था.

अपनी शर्तों पर जीना कतई एतराज या हर्ज की बात नहीं लेकिन यह भी सच है कि जब आप दूसरों की शर्तों पर जीने लगते हैं तो जिंदगी इतनी दुश्वार हो जाती है कि उसे सलीके से जीना दूभर हो जाता है. यही परवीन के साथ हुआ जिन्होंने शादी का बंधन पसंद नहीं किया और एक बार किसी की भी पत्नी बनने के बजाय हर बार प्रेमिका बनना पसंद किया.

उभरते ऐक्टर और खलनायक डेनी डेंजोगाप्पा से उनका लम्बा अफेयर रहा और स्टाइलिश हीरो कबीर बेदी से भी जिनके लिए वे अपना कैरियर तक कुर्बान करने तैयार हो गईं थीं. कबीर शादीशुदा थे इसलिए इस रिश्ते को अंजाम तक पहुंचाने की हिम्मत नही जुटा पाए. उसी दौर में फिल्मों में जमने हाथ पैर मार रहे निर्देशक महेश भट को वे सचमुच दिल दे बैठीं थीं जिनका नाम इंडस्ट्री के कामयाब निर्देशकों में शुमार होता है.

महेश भट्ट और परवीन बौबी की लव स्टोरी वाकई अजीब थी जिसे आज भी चर्चित प्रेम कथाओं की लिस्ट में सबसे ऊपर रखा जाता है. महेश भट्ट की पहली शादी अपने स्कूल की सहपाठी लारेन ब्राईट से हुई थी जिन्होंने अपना नाम किरण रख लिया था. पूजा भट्ट और राहुल भट्ट  इन्ही दोनों की संतानें हैं.

आशिकी फिल्म महेश ने अपने पहले प्यार को लेकर ही बनाई थी. इसके बाद भी उनकी तमाम फिल्मों में उनकी व्यक्तिगत जिंदगी दिखी.जब 70 के उत्तरार्ध में महेश और परवीन के रोमांस के किस्से आम होने लगे तो लारेन ने स्वभाविक एतराज जताया जिसके चलते यह शादी टूट गई. महेश भट को एक खब्त और सनकी डायरैक्टर कहा जाता था लेकिन उनके टेलेंट का कायल भी उतने ही थे.

एक वक्त में यह लगभग तय हो गया था कि परवीन बौबी और महेश भट्ट शादी कर लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. क्यों नहीं हुआ यह तो शायद अब महेश भी न बता पाएं लेकिन इसकी बड़ी वजह खुद परवीन बौबी का असमान्य होता व्यवहार और उटपटांग हरकतें थीं. परवीन को लगता था कि कोई उनकी जान लेना चाहता है.वे शूटिंग के दौरान भी काफी भयभीत दिखने लगी थीं. यह दरअसल में पेरानायड सिजोफ्रेनिया नाम की दिमागी बीमारी थी जिसका अनजाने में ही वे शिकार हो गईं थीं.

इंडस्ट्री में हर कोई कहता है कि डेनी और कबीर के बाद महेश ने भी परवीन का शोषण किया. उनका इस्तेमाल किया, ठगा और धोखा दिया. लेकिन यह पूरा सच नहीं लगता क्योंकि महेश उन्हें लेकर काफी संजीदा थे और इलाज के लिए अमेरिका तक ले गए थे.

शायद महेश और किरण के अलगाव की वजह परवीन खुद को मानने लगीं थी क्योंकि वे पत्नी और बच्चों को छोड़ उन्ही के साथ रहने लगे थे. इस पर परवीन इतना गिल्ट फील करने लगी थीं कि अर्ध विक्षिप्त हो गईं थीं. चरित्र फिल्म की शिखा उनके भीतर कहीं रह गई थी जो रखैल शब्द सुनते ही डिप्रेशन में आ जाती थी.अब परवीन शराब के नशे में धुत रहते अपना गम भुलाने की वही गलती भी करने लगीं थीं जो कभी मीना कुमारी ने की थी.

1984 में परवीन को न्यूयौर्क एयरपोर्ट में हथकड़ी पहने देखा गया था लेकिन यह किसी फिल्म की शूटिंग नहीं थी बल्कि उनकी दिमागी हालत की वजह से था. एयरपोर्ट पर वह अजीबोगरीब व्यवहार कर रहीं थीं और सिक्योरटी स्टाफ को अपनी पहचान तक नहीं बता पा रहीं थीं.पागलों सी हरकतें देख पुलिस ने उन्हें पागलखाने में पागलों के साथ बंद कर दिया था. जब एक भारतीय एजेंसी के अधिकारियों ने उन्हें छुड़ाया तब वे हंस रहीं थीं मानो कुछ हुआ ही न हो.

साल 1982 में महेश ने समान्तर फिल्म अर्थ बनाई थी जो अनधिकृत तौर पर हकीकत में उन्ही की जिंदगी पर आधारित थी. फिल्म के हीरो कुलभूषण खरबंदा थे जो पत्नी शबाना आजमी को छोड़कर प्रेमिका स्मिता पाटिल के साथ रहने लगते हैं. स्मिता पाटिल को सिजोफ्रेनिया का मरीज अर्थ में बताया गया है जिसे हर वक्त यह महसूस होता रहता है कि कोई खासतौर से शबाना आन्मी उन्हें मार देना चाहती हैं क्योंकि उन्होंने उसका पति उनसे छीन रखा है.

फिल्म में जब भी स्मिता का सामना शबाना से होता है तो उनके हाथ पैर कांपने लगते हैं और दौरे से पड़ने लगते हैं. एक दृश्य में जब दोनों का सामना होता है तो शबाना स्मिता पर ताना कसते कहती हैं कि किताबों में लिखा है कि पत्नी को बिस्तर में वेश्या होना चाहिए जो तुम हो.

वास्तविकता पर आधारित अर्थ ने ऊपर के दर्शकों को झकझोर दिया था. स्मिता पाटिल और शबाना आजमी ने जो शानदार जानदार एक्टिंग की थी अब शायद ही कोई कर पाए.कुलभूषण खरबंदा भी महेश भट के रोल में प्रभावी अभिनय कर गए थे कि कैसे कोई एक मर्द दो औरतों के बीच चक्की के पाटों सा पिसता रहता है. वह न तो पत्नी को छोड़ सकता और न ही प्रेमिका को.

फिल्म चली और खूब चली जिसे कई पुरस्कार भी मिले थे.परवीन बौबी की जिंदगी पर वो लम्हे शीर्षक से फिल्म भी बनी थी जो उतनी ही फ्लौप रही थी जितनी इसी उसी साल इसी थीम पर बनी वेब सीरिज रंजिश ही सही रही थी.

अर्थ के प्रदर्शन से2 साल पहले रमेश सिप्पी की सबसे महंगी और शोले की तरह मल्टी स्टारर फिल्मशान की शूटिंग के दौरान परवीन बौबी का पागलपन सार्वजनिक हुआ था, जब एक लटकते झूमर को देख चिल्ला पड़ी थीं कि अमिताभ बच्चन उन्हें इसके जरिए मार देना चाहते हैं.

परवीन को शक था कि यह झूमर उनके सर पर गिरा दिया जाएगा. इसके बाद वे शूटिंग छोड़ घर चली गईं. पूरी यूनिट हैरानी से परवीन को देखती और पूछती रह गई थी कि यह इन्हें क्या हो गया. इस सवाल का जवाब सालों बाद लोगों को मिल भी गया था.

यह सब कुछ अचानक नहीं हुआ था बल्कि धीरेधीरे हुआ था जिसका अहसास परवीन को भी नहीं था कि वे एक भयानक दिमागी बीमारी की चपेट में आती जा रहीं हैं जिसमें मरीज डर और आशंकाओं के साए में रहता है. वह कल्पनाएं करता है और उन्हें ही सच मानने लगता है फिर हकीकत से कोई वास्ता उसका नहीं रह जाता. पहले परवीन को सिर्फ अमिताभ पर शक था कि वे उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं लेकिन फिर इस लिस्ट में प्रिंस चार्ल्स, अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन सहित भाजपा सरकार तक का नाम शामिल हो गया था.

सिजोफ्रेनिया का मरीज अपने वहमों के प्रति कितना आत्मविश्वासी होता है. यह परवीन की हरकतों से भी उजागर हुआ था जब उन्होंने अपने संभावित हत्यारों के खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई तक कर डाली थी. उम्मीद के मुताबिक अदालत से ये मुकदमे खारिज हो गए थे.

कोई बात न बनते देख महेश भट्ट ने 1986 में अभिनेत्री सोनी राजदान से शादी कर ली. आलिया भट्ट इन्ही दोनों की संतान हैं. शान के रिलीज होने के 2 साल बाद परवीन बौबी रहस्मय ढंग से गायब हो गईं तो उनके प्रशसंकों सहित फिल्म इंडस्ट्री सकते में आ गई थी. कहा यह गया था कि अंडरवर्ल्ड के सरगनाओं ने उन्हें किडनेप कर लिया है क्योंकि तब परवीन के पास बेशुमार पैसा था और वे सुकून शांति और स्थायित्व के लिए अकेली भटक रहीं थीं.

अपने कंधों पर अपनी मजार

1983 में गायब हुईं परवीन कोई 6 साल बाद मुंबई में प्रगट हुईं उन्होंने लोगों को बताया कि दरअसल में आध्यात्मिक शांति के लिए एक आश्रम में चली गईं थीं. अधिकतर लोगों का अंदाजा था कि यह ओशो रजनीश का आश्रम हो सकता है जहां शांति की तलाश में अपने दौर के दिग्गज अभिनेता विनोद खन्ना भी गए थे और वहां सेवादारों की तरह झाड़ू भी लगाते थे. सच जो भी हो इसके बाद परवीन के खाते में कोई उल्लेखनीय फिल्म नहीं आई. 1983 में उनकी 2 फ़िल्में ही चलीं पहली थी अर्पण और दूसरी थी धर्मेन्द्र हेमा मालनी अभिनीत एतिहासिक फिल्म रजिया सुल्तान जिसमें वे एक छोटे से रोल में थीं.

परवीन आखिरी बार 1988 में प्रदर्शित आकर्षण फिल्म में नजर आईं थी जो कि उनकी पहली फिल्म चरित्र से भी ज्यादा फ्लौप रही थी. इसके बाद वे दक्षिणी मुंबई के एक रिहायशी इलाके में फ्लेट लेकर रहने लगीं थीं. अकेली, तनहा और गुमनाम,जहां उनका सहारा वही शराब और सिगरेटें थीं जो चरित्र की शिखा पीती थी और दीवार की अनीता भीलोग उन्हें भूलने लगे थे.

कभी उनके घर निर्माता निर्देशकों की लाइन लगी रहती थी लेकिन अब कोई अजनबी भी भूले से उनके फ्लेट की कालबेल नहीं बजाता था. अपने पड़ोसियों से भी वे कोई वास्ता नहीं रखती थीं. फिर एक दिन 22 जनवरी 2005 को फिर से सनसनी मची जब अपने दौर की बोल्ड ऐक्ट्रैस परवीन बौबी की सड़ी गली लाश फ्लेट में मिली.

उनके फ्लेट के दरवाजे के आगे दूध के पेकेट और अख़बार 3 दिन तक पड़े देख सोसायटी वालों ने पुलिस को इसकी सूचना दी तो उजागर हुआ कि वे भूखी मरी थीं लेकिन प्यासी नहीं क्योंकि शराब की बोतलें उनके पास से मिली थीं. पलंग के पास एक व्हील चेयर भी मिली थी जिससे अंदाजा लगाया गया कि वे चलनेफिरने से भी मोहताज हो गईं थीं.

इसके बाद परवीन बौबी और उनकी संदिग्ध मौत को लेकर तरहतरह की अफवाहें उड़ती रहीं जिनके कोई खास माने नहीं थे. परवीन की यह आखिरी ख्वाहिश भी पूरी नहीं हो पाई कि उनका अंतिम संस्कार क्रिश्चियन रीतिरिवाजों से किया जाए क्योंकि कुछ साल पहले वे इसाई धर्म अपना चुकी थीं. उनके परिवारजनों ने लाश क्लेम कर मुंबई के सांता क्रूज शमशान में उन्हें इस्लामिक रीतिरिवाजों के मुताबिक दफना दिया.

परवीन का जिस्म दफनाया जा सकता है उनका वो फलसफा नहीं जिसके तहत एक आजाद ख्याल औरत वैसे भी रह और जी सकती है जैसे वे रहीं थीं. उनकी जिंदगी और मौत दोनों सबक हैं कि दुनिया और समाज में उसके तौरतरीकों से रहना ही बेहतर होता है नहीं तो अंत कैसा होता है सबने देखा. उनकी दुखद मौत पर भी मीना कुमारी की गजल का यह शेर मौजू है –

यूं तेरी रहगुजर से दीवाना – वार गुजरे

कांधे पे अपने रख के अपना मजार गुजरे

बैठे हैं रास्ते में दिल का खंडहर सजा कर

शायद इसी तरफ से एक दिन बहार गुजरे…

होली का कमाल, रंग, गुलाल और इन 5 हिंदी गानों का धमाल

इस मार्च में होली थोड़ा लेट है. एकदम आखिरी में. पर क्या फर्क पड़ता है. मस्ती का मौसम आने में कब देर लगती है. और फिर होली पर तो रंगों और पकवानों की ऐसी जुगलबंदी बैठती है कि कहने ही क्या. जुगलबंदी की बात छिड़ी है, तो होली की फुहार में डूबे हिंदी गानों का जिक्र करना तो बनता है.

होली तो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का सब से पसंदीदा त्योहार है. जब चलचित्र सफेदकाले रंग में लोगों का मनोरंजन करता था, तब से हिंदी गानों में होली का त्योहार मनाया जाता रहा है.

साल 1940 में ‘औरत’ नाम की एक फिल्म आई थी, जिस का गाना ‘जमुना तट श्याम खेले होली’ बड़ा यादगार रहा था. इसे हिंदी फिल्मों में होली का पहला गाना भी कहा जाता है. तब से आज तक होली के बहुत से गानों ने फिल्मों को मशहूर करने में बड़ी अहम भूमिका निभाई है. फिर भी बहुत से ऐसे गाने हैं, जो हर होली पर घरों में तेज आवाज में बजते सुनाई दे जाते हैं. इन में से ये 5 गाने तो सदाबहार हैं :

साल 1971 में ‘कटी पतंग’ नाम की एक फिल्म आई थी, जिसे शक्ति सामंत ने बनाया था. वैसे तो यह फिल्म कशमकश में फंसी एक लड़की की कहानी पर बनी थी, पर इस में होली का एक ऐसा रंगारंग गाना था, जिस ने होली प्रेमियों के दिलों में आज तक जगह बनाई हुई है. वह गाना था ‘आज न छोड़ेंगे बस हमजोली, खेलेंगे हम होली’. किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने इस गाने को अपनी आवाज दी थी. जब परदे पर इसे राजेश खन्ना गाते हैं, तो यह गाना अपनी उड़ान पर होता है. उन का डांस भी लाजवाब था.

अगला गाना तो कमाल कर गया था. साल 1975 में रमेश सिप्पी की फिल्म ‘शोले’ का यह मस्ती भरा गाना ‘होली के दिन दिल खिल जाते हैं रंगों में रंग मिल जाते हैं’ आज भी सुपरहिट है. किशोर कुमार और लता मंगेशकर के गाए व धर्मेंद्र और हेमामालिनी पर फिल्माए गए इस गाने को सुन कर होली के त्योहार पर लोगों के पैर खुद ब खुद थिरकने लगते हैं.

‘रंग बरसे भीगे चुनर वाली, रंग बरसे’ गाने के बारे में तो क्या ही कहा जाए. साल 1981 में यश चोपड़ा की विवादित फिल्म ‘सिलसिला’ का यह गाना पहले से ही लोकगीत के तौर पर गांवदेहातों में गाया जाता था, लेकिन कवि हरिवंश राय बच्चन के नाम से जब यह गाना फिल्म के परदे पर अमिताभ बच्चन ने गाया और उन के साथ संजीव कुमार, रेखा और जया बच्चन पर फिल्माया गया, तो यह सुपरहिट हो गया. भांग के नशे में झूमते अमिताभ बच्चन ने इस गाने को अमर बना दिया.

साल 1982 में गोविंद मुनीस की फिल्म ‘नदिया के पार’ का गाना ‘जोगीजी धीरेधीरे’ आज भी होली पर खूब बजता है. इस गाने को ठेठ देहाती माहौल में फिल्माया गया था. सचिन और साधना सिंह पर फिल्माए गए इस गाने में उन के देहाती डांस ने चार चांद लगा दिए थे.

अगला गाना भी अमिताभ बच्चन के नाम है. ‘होरी खेले रघुवीरा अवध में’ नामक इस गाने के बिना तो अब होली मानो अधूरी लगती है. फिल्म का नाम था ‘बागबान’. साल 2003 में आई रवि चोपड़ा की इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी ने उम्दा काम किया था, जिस की बदौलत फिल्म ने कमाई भी अच्छीखासी की थी. पर इस गाने ने तो धमाल ही मचा दिया था.

Winter Romance Special: सर्दसर्द सर्दी के गरमागरम गाने

फिल्म वालों की हमेशा से यह कोशिश रही है कि मौसम जो भी हो, उस पर कुछ इस तरह गाना फिल्माया जाए कि दर्शक उस से खुद को जोड़ कर देखें, तभी फिल्म हिट हो पाती है. हालांकि सर्दी पर फिल्माए गए गानों की तादाद भी अच्छीखासी है, लेकिन ज्यादातर में सर्दी के सीन एकाध मिनट के ही हैं, जो ठूंसे गए ज्यादा लगते हैं या फिर हिल स्टेशनों पर फिल्माए गए हैं. कुछ ही गानों में जाड़ों और उस के रोमांस को दिखाया गया है. उन में से कुछ खास हैं :

सरकाई लो खटिया

सर्दी पर फिल्माए गरमागरम गानों में सब से पहला नंबर फिल्म ‘राजा बाबू’ के हिट गाने ‘सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे, जाड़े में बलमा प्यारा लगे…’ का आता है. फिल्म ‘राजा बाबू’ जनवरी, 1994 में सिनेमाघरों में लगी थी, जिस के डायरैक्टर डेविड धवन थे. पहले दिन से ही फिल्म हाउस फुल हो गई थी, क्योंकि यह कौमेडी से लबालब थी और इसकी कहानी भी उस दौर के हिसाब से मौजूं थी.

इसी लव और ड्रामा स्टोरी में खटिया वाला गाना था, जिस ने हाहाकार मचा दिया था. गोविंदा और करिश्मा कपूर की जोड़ी ने इस गाने में बेहद सैक्सी सीन दिए थे, खासतौर से करिश्मा कपूर ने तो बिना किसी लिहाज के खटिया पर तकरीबन हमबिस्तरी वाली अदाएं दिखाई थीं, तो दर्शक सिमट कर बैठने को मजबूर हो गए थे.

यह गाना उस दौर के मशहूर गीतकार समीर ने लिखा था, जिसे पूर्णिमा और कुमार शानू ने गाया था. इस गाने के रिकौर्डतोड़ कैसेट बिके थे, लेकिन धर्म और संस्कृति के ठेकेदारों ने एतराज जताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी, पर चूंकि यह आम दर्शकों की पसंद का था, जिन्होंने खटिया वाले गाने को देखने के लिए ही कई बार फिल्म देखी थी, इसलिए नैतिकता के ठेकेदारों का विरोध फुस हो कर रह गया था.

इस गाने की एक और खूबी यह थी कि पूरे गाने में जाड़े के कहर का जिक्र था, जो बलमा के साथ रजाई में घुस कर सोने से ही दूर हो सकता था. आज भी सर्दियों में यह गाना नौजवान शिद्दत से सुनते और गाते हैं, क्योंकि इस से सर्दी कम गरमी ज्यादा लगने लगती है और मन अपने पार्टनर के साथ रजाई में घुस जाने को होने लगता है.

मुझ को ठंड लग रही है

साल 1971 में आई फिल्म ‘मैं सुंदर हूं’ का गाना ‘मुझ को ठंड लग रही है, मुझ से दूर तू न जा…’ अपने दौर की सैक्सी हीरोइन लीना चंद्रावरकर और हीरो विश्वजीत पर फिल्माया गया था. इस में हीरोइन हीरो से कह रही है कि ठंड के चलते मुझ से दूर तू न जा. इस के जवाब में हीरो कहता है कि आग दिल में लगी है, मेरे पास तू न आ.

यह गाना हिल स्टेशन पर फिल्माया गया था, जिस के झरने और बर्फ देख कर दर्शकों को भी ठंड का एहसास होने लगता है. उन की ठंड भी गरमी में तभी तबदील होती है, जब हीरो और हीरोइन एकदूसरे से चिपक जाते हैं. 70 के दशक के इस हिट गाने को आनंद बख्शी ने लिखा था, जिसे किशोर कुमार और आशा भोसले ने गाया था. यह गाना तब के नए जोड़ों और प्रेमियों की जबान पर खासतौर पर ठंड के मौसम में रहता ही था.

सर्दसर्द रातों में…

कड़कड़ाती सर्दी हो और पति का मूड इश्क और रोमांस के साथसाथ सैक्स का भी हो रहा हो, जिस से गरमी आए, लेकिन ऐसे में बीवी कमरे के बाहर ठिठुरने के लिए छोड़ दे, तो शौहर पर क्या गुजरेगी, यह सीन 1981 में आई सुपरहिट फिल्म ‘एक ही भूल’ में दिखाया गया था, जिस में रेखा किसी बात पर गुस्सा हो कर जितेंद्र को कमरे के बाहर धकेल देती हैं.

तब जितेंद्र मजबूरी में गाते हैं, ‘सर्दसर्द रातों में थाम के दिल हाथों में, मैं ने तुझे याद किया…’ यह सुन कर रेखा गुस्से में गाती हैं, ‘तुम हो मतलब के यार पिया…’ यानी सैक्स की ख्वाहिश के वक्त ही बीवी के आगेपीछे घूमते हो.

इस गाने में ठंड को सही माने में दिखाया गया है. कांपते हुए जितेंद्र की हालत देख दर्शक भी चाहने लगते हैं कि रेखा इस ठंड में न इतनी बेरुखी दिखाएं और जितेंद्र को कमरे में आ कर सर्दी दूर करने करने के लिए वह सब करने दें, जो एक पति का हक होता है.

ऐसा होता भी है और गाने के आखिर में रेखा पिघल जाती हैं और जितेंद्र को बिस्तर में आने देती हैं. वे दोनों गुत्थमगुत्था हो कर एक ही रजाई में घुस जाते हैं. आनंद बख्सी के लिखे इस गरमागरम गाने को साउथ के गायक एसपी बालासुब्रमण्यम और आशा भोसले ने शिद्दत से गाया था.

मीठीमीठी सर्दी है

ठंड की रातों में पार्टनर पास न हो और उस की याद और जरूरत सताए, तो क्या करें? यह हालत साल 1986 की फिल्म ‘प्यार किया है प्यार करेंगे’ में पद्मिनी कोल्हापुरे की हुई थी, जो जलते अलाव को देख कर यह गाने को मजबूर हो गई थीं, ‘मीठीमीठी सर्दी है, भीगीभीगी रातें हैं, ऐसे में चले आओ तुम… मौसम मिलन का है अब और न तड़पाओ, सर्दी के महीने में माथे पे पसीना है.’

जाड़ों के मौसम की तनहा रातों में आशिक या माशूक की याद किस तरह सताती है, इसे अनिल कपूर और पद्मिनी कोल्हापुरे ने इस गाने में अपनी ऐक्टिंग के जरीए दिखाया था. उस तड़प को सर्द रातों में वही महसूस कर सकता है, जिस का पार्टनर दूर कहीं हो. एसएच बिहारी के लिखे इस गरमागरम गाने को लता मंगेशकर और मोहम्मद अजीज ने गाया था.

हवा सर्द है

अपने दौर के सदाबहार हीरो ऋषि कपूर ने फिल्मों में तरहतरह के स्वेटर पहने हैं. जब भी वे कश्मीर या शिमला शूटिंग के लिए जाते थे, तो घर के बने रंगबिरंगे स्वेटर ले जाते थे.

इन्हीं ऋषि कपूर की एक हिट फिल्म थी ‘बोल राधा बोल’, जिस की शूटिंग भी एक हिल स्टेशन पर हुई थी. इस फिल्म में उन की हीरोइन जूही चावला थीं.

फिल्म ‘बोल राधा बोल’ का अभिजीत और कविता कृष्णमूर्ति का गाया यह गाना इन दोनों पर फिल्माया गया था, ‘हवा सर्द है खिड़की बंद कर लो, बंद कमरे में चाहत बुलंद कर लो.’

इस गाने के दौरान खिड़की से ठंडी हवा आती रहती है, जिस से बचने के लिए ऋषि कपूर जूही चावला को पकड़ने उन के पीछे दौड़ते हैं और आखिर में अपनी चाहत को बुलंद कर लेते हैं.

ठंड की रातों में खुली खिड़की से आती ठंडी हवा किस तरह प्रेमियों को परेशान करती है, यह इस गाने में दिखाया गया था कि एकदूसरे के जिस्म की गरमी पाने के लिए हीरोहीरोइन आपस में लिपटलिपट जाते हैं.

साल 1992 में आई फिल्म ‘बोल राधा बोल’ में भी ऋषि कपूर ने नई डिजाइन के स्वेटर पहने थे, पर उन की ठंड जूही चावला ही दूर कर पाई थीं.

पाकिस्तान में भी वायरल हुआ नाटू- नाटू, हानिया आमिर ने यूं लगाएं ठुमके

पाकिस्तानी एक्ट्रेस हानिया आमिर अपने डांस को लेकर अक्सर सोशल मीडिया पर छाई रहती है इऩ दिनों एक बार हानिया अपने डांस मूव्स को लेकर चर्चा में बनी हुई है. हाल ही में उन्होंने अपने दोस्त की शादी में बौलीवुड गाने बिजली बिजली’, ‘करंट लगा’ और ‘कोई मिल गया’ पर डांस करते हुए इंस्टाग्राम पर और वीडियो शेयर किए हैं RRR के Naatu Naatu में उनका आखिरी डांस वीडियो वायरल हुआ था.  तेलुगु फिल्म ‘आरआरआर’ से ‘नाटू नाटू’ पर उनके डांस के वायरल होने के बाद हनिया आमिर ने अपने दोस्त की शादी में मेहमानों के साथ डांस करके वीडियो डाले हैं. गोल्डन शरारा ड्रेस और स्नीकर्स पहने पाकिस्तानी एक्ट्रेस ने ‘बिजली बिजली’, ‘करंट लगा’ और ‘कोई मिल गया’ सहित कई बॉलीवुड गानों पर भी डांस किया. भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के फैंस ने उनके पोस्ट पर कॉमेंट भी किया.

हानिया आमिर (Hania Aamir) ने इंस्टाग्राम पर अपनी और डांस वीडियो की कई तस्वीरें शेयर करते हुए हानिया ने लिखा, ‘शेंडी डंप. मेरे पसंदीदा डांस पार्टनर @nayelwajahat (मैन डांसिंग इमोजी), चिल्लाओ.’ एक्ट्रेस ने अपना वायरल डांस सबसे पहले ऑस्कर-नॉमिनेटेड ‘नाटू नाटू’ पेश किया और हार्डी संधू के गाने ‘बिजली बिजली’ पर दूसरों के साथ डांस करते हुए खुद के नए वीडियो भी दिखाए. उन्होंने रणवीर सिंह, नेहा भसीन की ‘नई जाना’ और ‘कुछ कुछ होता है’ से ‘कोई मिल गया’ जैसे गानों पर डांस किया.

‘नई जाना’ में हानिया को दुल्हन को डांस फ्लोर पर लाते हुए भी देखा जा सकता है. सभी डांस में हनिया हुक स्टेप्स को करती नजर आ रही हैं. उन्होंने एक गोल्डन शरारा ड्रेस पहनी थी, जिसे उन्होंने सफेद स्नीकर्स के साथ पेयर किया था. उनके बालों को पीछे की ओर एक लंबी चोटी में बांधा गया था और फूलों से सजाया गया था.

भारत और पाकिस्तान के लोगों ने जमकर किए कमेंट

भारत और पाकिस्तान दोनों के फैंस ने शादी में उनके डांस पर कई कमेंट्स किए. भारतीय फैंस ने भी उनपर अपना खूब प्यार बरसाया. एक फैन ने कहा, ‘हानिया आमिर को हर शादी में इनवाइट करने के लिए याचिका.’ उन्होंने यह भी कहा, ‘आप पार्टी हनिया आमिर की जान हैं.’ एक ने पूछा, ‘हमारे पास हनिया आमिर जैसा दोस्त क्यों नहीं है.’ एक ने कहा, ‘जिस तरह से हनिया आनंद ले रही है वह बहुत प्यारी हैं.

हानिया की फिल्में

हानिया 2016 से उर्दू टेलीविजन और फिल्मों में काम कर रही हैं. वह ‘जनान (2016)’, ‘ना मालूम अफराद 2 (2017)’, और ‘परवाज़ है जूनून (2018)’ फिल्मों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. उन्हें आखिरी बार पिछले साल फिल्म ‘परदे में रहने दो’ में देखा गया था और फिलहाल वह सीरीज ‘मुझे प्यार हुआ था’ में माहिर के रूप में दिखाई दे रही हैं.

अलविदा 2019: इस साल बौलीवुड में रही इन गानों की धूम, देखें Video

जैसा की हम सब जानते हैं कि साल 2019 के अब कुछ ही दिन बचे हैं और जल्द ही हम नए साल यानी 2020 में जाने वाले हैं. 2020 में जाने से पहले हम आपको 2019 के कुछ ऐसे सुपरहिट म्यूजिक वीडियोज के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होनें आपके दिलों पर जरूर एक बहतरीन छाप छोड़ी है. हर साल की तरह इस साल भी कई ऐसे गाने आए जिन्होनें हमें हसाया, रुलाया और साथ ही नचाया भी. तो चलिए देखते हैं 2019 का कौन सा गाना सबसे ज्यादा हिट रहा.

1. फिलहाल (Filhall):-

9 नवम्बर 2019 को रिलीज हुआ ये गाना लोगों के दिलों में तबाही मचा चुका है. इस म्यूजिक वीडियो के लीड रोल में हमारे बौलीवुड इंडस्ट्री के सबसे फिटेस्ट एक्टर अक्षय कुमार रहे और उनका साथ दिया बौलीवुड एक्ट्रेस कीर्ति सेनन की बहन नुपुर सेनन ने. इस गाने को लिखा है पौपुलर लिरिसिस्ट “जानी (Jaani)” ने जिनके गाने बेहद पौपुलर हैं और इस गाने के पीछे आवाज है मशहूर गायक “बी प्राक (B Praak)” की जिनकी आवाज का आज की तारीख में हर कोई दीवाना है. इस गाने को यू-ट्यूब पर अभी तक 420 मिलियन से भी ज्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं.

ये भी पढ़ें- डिप्रेशन का शिकार हो गई थी ये HOT एक्ट्रेस, अब ‘गुड न्यूज’ से होगी वापसी

2. ओ साकी साकी (O Saki Saki):-

फिल्म बाटला हाउस का ये पार्टी सौंग इस साल काफी हिट साबित हुआ. 14 जुलाई 2019 को रिलीज हुए इस गाने को अभी तक 328 मिलियन से भी ज्यादा यू-ट्यूब व्यूज मिल चुके हैं. इस गाने के हिट होने के पीछे आवाज है बौलीवुड इंडस्ट्री की क्यूटेस्ट सिंगर नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar), तुलसी कुमार (Tulsi Kumar) और बी प्राक (B Praak) ने.

3. वे माही (Ve Maahi):-

बौलीवुड इंडस्ट्री के खिलाड़ी कुमार कहे जाने वाले एक्टर अक्षय कुमार की सुपरहिट फिल्म केसरी (Kesari) का ये रोमांटिक गाना काफी हिट रहा. 20 मार्च 2019 को रिलीज हुए इस गाने को अभी तक 321 मिलियन से भी ज्यादा यू-ट्यूब व्यूज मिल चुके हैं. अरिजीत सिंह (Arijit Singh) और असीस कौर (Asees Kaur) द्वारा गाया गया ये गाना हर एक की जुबान पर चड़ गया था.

ये भी पढ़ें- खतरे में पड़ी ‘नायरा’ की जान, ‘वेदिका’ की वजह से रुकी ‘नायरा-कार्तिक’ की शादी

4. पछताओगे (Pachtaoge):-

23 अगस्त 2019 में टी सीरीज़ के औफिशियल यू-ट्यूब चैनल से रिलीज हुए इस गाने को लोगो ने काफी पसंद किया है. इस म्यूजिक वीडियो के लीड रोल में हमारे बौलीवुड इंडस्ट्री के एक्टर “विक्की कौशल (Vicky Kaushal)” रहे और उनका साथ दिया एक्ट्रेस “नोरा फतेही (Nora Fatehi)” ने. इस पौपुलर गाने को भी मशहूर लिरिसिस्ट “जानी (Jaani)” द्वारा लिखा गया है और इस गाने को अरिजीत सिंह (Arijit Singh) ने अपनी जादूई आवाज देकर और ज्यादा सफल बना दिया है. इस गाने को यू-ट्यूब पर अभी तक लगभग 313 मिलियन से भी ज्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं.

5. शैतान का साला (Shaitan Ka Saala):-

फिल्म हाउसफुल 4 के इस फनी सौंग ने भी दर्शकों को खूब दिल जीता है. इस गाने को यू-ट्यूब पर 7 अक्टूबर 2019 से लेकर अभी तक 202 मिलियन से भी ज्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं. इस सौंग के पीछे सोहेल सेन (Soheil Sen) और विशाल ददलानी (Vishal Dadlani) की आवाज़ है. इस सौंग को और हिट बनाया है अक्षय कुमार के लुक और फनी डांस ने.

ये भी पढ़ें- पहनी बार बिकिनी में नजर आईं हिना खान, Maldives में दिखा हौट अवतार

6. अपना टाइम आएगा (Apna Time Aayega):-

बौलीवुड इंडस्ट्री के बिंदास एक्टर “रनवीर सिंह (Ranveer Singh)” की इस साल की सुपरहिट हिट फिल्म “गल्ली बौय (Gully Boy)” के इस गाने को लोगो ने काफी पसंद किया है. डीवाइन (DIVINE) और अंकुर तिवारी (Ankur Tewari) द्वारा लिखे गए इस गाने को सुपरस्टार रनवीर सिंह ने ही गाया है. इस गाने को यू-ट्यूब पर अभी तक लगभग 194 मिलियन से भी ज्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं.

7. जय जय शिवशंकर (Jai Jai Shivshankar):-

टाइगर श्रौफ (Tiger Shroff) और रितिक रौशन (Hrithik Roshan) की फिल्म वौर (War) का ये गाना लोगों ने बेहद पसंद किया. इस गाने के हिट होने का एक कारण ये भी था कि इस गाने में बौलीवुड इंडस्ट्री के 2 सुपरस्टार काफी अच्छा डांस करते दिखाई दे रहे हैं. 21 सितम्बर 2019 को रिलीज हुए इस गाने को अभी तक 170 मिलियन से भी ज्यादा यू-ट्यूब व्यूज मिल चुके हैं.

ये भी पढ़ें- Bigg Boss 13: ‘नागिन’ एक्ट्रेस ने किया सिद्धार्थ शुक्ला का सपोर्ट, रश्मि देसाई पर लगाए ये इल्जाम

8. घुंघरू (Ghunghroo):-

टाइगर श्रौफ (Tiger Shroff) और रितिक रौशन (Hrithik Roshan) की फिल्म वौर (War) के इस गाने पर लोगों ने काफी ठुमके लगाए. हर बार की तरह इस गाने में भी हैंडसम हंक रितिक रौशन के स्टेप्स लोगों को काफी पसंद आए. अरिजीत सिंह (Arijit Singh) और शिल्पा राव (Shilpa Rao) द्वारा गाए गए इस गाने को यू-ट्यूब पर 151 मिलियन से भी ज्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं.

9. बेखयाली (Bekhayali):-

बौलीवुड इंडस्ट्री के बेहद पौपुलर एक्टर “शाहिद कपूर (Shahid Kapoor)” की इस साल की सबसे हिट फिल्म “कबीर सिंह (Kabir Singh)” के इस गाने को लोगो ने काफी पसंद किया है. सचेत टंडन द्वारा गाए गए इस गाने को इरशाद कामिल ने लिखा था. इस गाने को यू-ट्यूब पर अभी तक लगभग 145 मिलियन से भी ज्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं.

ये भी पढ़ें- Bigg Boss 13: अरहान ने दी सिद्धार्थ पर एसिड फेंकने की धमकी, देखें वीडियो

10. तुम ही आना (Tum Hi Aana):-

सिद्धार्थ मल्होत्रा और रितेश देशमुख की फिल्म मरजावां के इस खूबसूरत गाने को लोगों ने काफी प्यार दिया है. “तुम ही हो (Tum Hi Ho)” और “तेरी गलियां (Teri Galliyan)” के बाद लोगों को ऐसा गाना सुनने को मिला है जिसे वे बार बार सुनना पसंद कर रहे हैं. 2 अक्टूबर 2019 को रिलीज हुए इस गाने को अभी तक 112 मिलियन से भी ज्यादा यू-ट्यूब व्यूज मिल चुके हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें