मौत के मुंह में पहुंचे लोग- भाग 3: मध्य प्रदेश की कहानी

अब पढि़ए मध्य प्रदेश की कहानी.

सूरत में ग्लूकोज, नमक और पानी से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने के मास्टरमाइंड कौशल वोरा ने मध्य प्रदेश में भी इन इंजेक्शनों को बेच कर कोरोना मरीजों की जान से खिलवाड़ किया. कौशल ने मुंबई को सेंट्रल पौइंट बना कर दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, चेन्नई और मुंबई सहित पूरे देश में लाखों नकली इंजेक्शन सप्लाई किए थे.

कौशल से पूछताछ के आधार पर गुजरात पुलिस ने मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से सुनील मिश्रा, कुलदीप सांवलिया और जबलपुर के सपन जैन को मई के दूसरे सप्ताह में गिरफ्तार किया. इन्होंने कौशल से हजारों इंजेक्शन खरीद कर मध्य प्रदेश में बेचे थे.

इन लोगों ने इंदौर के ही एक दवा विक्रेता को भी 17 हजार रुपए प्रति इंजेक्शन के हिसाब से 100 नकली इंजेक्शन बेच दिए थे. आम जरूरतमंद लोगों को 40 हजार रुपए तक में एक इंजेक्शन बेचा.

खास बात यह भी रही कि गिरफ्तार दलाल कुलदीप सांवलिया ने कोरोना से पीडि़त अपनी मां को भी यही नकली इंजेक्शन लगवा दिए थे. दरअसल, उसे यह पता ही नहीं था कि ये इंजेक्शन नकली हैं.

इंदौर में पुलिस की जांचपड़ताल में पता चला कि कौशल वोरा के बनाए नकली इंजेक्शनों को लगाने के बाद कुछ कोरोना मरीजों की मौत भी हो गई थी. इस के बाद पुलिस ने कौशल वोरा, उस के पार्टनर पुनीत शाह और इंदौर के सुनील मिश्रा के खिलाफ गैरइरादतन हत्या की धाराएं भी जोड़ दीं.

बाद में इंदौर की विजय नगर पुलिस ने नकली इंजेक्शन बेचने के मामले में दवा बाजार के 3 दलालों आशीष ठाकुर, चीकू शर्मा और सुनील लोधी को मध्य प्रदेश के देवास से गिरफ्तार किया.

पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि आरोपी सुनील मिश्रा मूलरूप से मध्य प्रदेश के रीवा का रहने वाला है. उस ने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा का प्री एग्जाम पास कर लिया था, लेकिन सन 2012 में वह मेंस क्लीयर नहीं कर सका. इस के बाद उस ने खंडवा रोड पर खुद का मार्केट खोला. उस के पिता मध्य प्रदेश टूरिज्म में मैनेजर थे.

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बाद में सुनील ग्लव्ज, मास्क व सैनेटाइजर की दलाली करने लगा था. एक साल पहले कारोबार के सिलसिले में उस का परिचय सूरत के कौशल वोरा और पुनीत शाह से हुआ था. इस के बाद ये आपस में व्यापार करने लगे. कोरोना की दूसरी लहर में जब रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत हुई, तो सुनील ने पैसा कमाने के मकसद से कुछ लोगों से इस इंजेक्शन के लिए संपर्क किया.

कौशल व पुनीत से बात हुई, तो उन्होंने सुनील को सूरत बुलाया और अपने ठाठबाट, लग्जरी कारों और महंगे होटलों में ठहरने के जलवे दिखाए. उन्होंने उसे ये इंजेक्शन दिलाने की हामी भर ली. बाद में उसे मुंबई बुला कर पहली बार में 700 इंजेक्शन दिए. सुनील ने ये इंजेक्शन इंदौर ला कर दवा बाजार के दलाल कुलदीप सांवलिया, चीकू, सुनील लोधी आदि के जरिए बेच दिए.

सुनील से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने नकली इंजेक्शन मामले में मई के पहले पखवाड़े में सागर के यूथ कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष प्रशांत पाराशर और सांवेर के होम्योपैथी डाक्टर सरवर खान को भी गिरफ्तार कर लिया. इंदौर के दवा बाजार के एक व्यापारी गोविंद गुप्ता को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया.

कांग्रेस नेता प्रशांत ने सुनील से 65 से ज्यादा इंजेक्शन खरीदे थे. यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास ने कोरोना संकट काल में एसओएस हेल्पलाइन शुरू की थी. इस में प्रशांत को भोपाल का कोऔर्डिनेटर बनाया था. प्रशांत ने कोरोना पीडि़तों की मदद के लिए एक अभियान शुरू किया था. इसी अभियान के तहत उस ने सुनील से खरीदे नकली इंजेक्शन लोगों को बेचे थे. प्रशांत को ये इंजेक्शन नकली होने का पता नहीं था.

भोपाल की नर्स निकली बेहद शातिर

भोपाल में इस दौरान एक रोचक किस्सा सामने आया. जे.के. अस्पताल की नर्स शालिनी वर्मा कोरोना मरीजों के लिए मंगाए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन छिपा कर रख लेती थी और मरीज को सादा पानी का इंजेक्शन लगा देती थी.

नर्स शालिनी चुराए गए ये इंजेक्शन इसी अस्पताल में काम करने वाले अपने प्रेमी नर्सिंग कर्मचारी झलकन सिंह मीणा को महंगे दाम पर बेचने के लिए दे देती थी. पुलिस ने इस मामले में झलकन को गिरफ्तार कर लिया था. उस की प्रेमिका नर्स की तलाश की जा रही थी. पता चलने पर अस्पताल प्रबंधन ने दोनों कर्मचारियों को हटा दिया.

मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में अप्रैल के चौथे सप्ताह में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में पुलिस ने निजी अस्पतालों के 2 डाक्टरों नीरज साहू व जितेंद्र ठाकुर सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में पता चला कि ये लोग अस्पताल से चुरा कर इंजेक्शन महंगे दामों पर बेचते थे.

बाद में गुजरात पुलिस द्वारा गिरफ्तार सूरत के कौशल वोरा और इंदौर के सुनील मिश्रा से पूछताछ में पता चला कि इन्होंने जबलपुर के सिटी हौस्पिटल में भी नकली इंजेक्शन सप्लाई किए थे. इस का खुलासा होने के बाद जबलपुर की ओमती थाना पुलिस ने सिटी हौस्पिटल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा, दवा सप्लायर सपन जैन और अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया.

पुलिस में मुकदमा दर्ज होने का पता चलने पर अस्पताल संचालक मोखा खुद को कोरोना पौजिटिव बताते हुए 10 मई को अपने ही अस्पताल में भरती हो गया. इस पर पुलिस ने अस्पताल में पहरा लगा दिया. पुलिस ने दूसरे ही दिन मोखा की कोरोना जांच कराई. जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर मोखा को 11 मई को गिरफ्तार कर लिया गया.

उस के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत काररवाई की गई. मोखा विश्व हिंदू परिषद के नर्मदा डिवीजन का जिलाध्यक्ष था. यह मामला सामने आने के बाद उसे पद से हटा दिया गया.

दूसरे दिन अदालत ने उसे जेल भेज दिया. मोखा ने दवा सप्लायर सपन जैन के माध्यम से सुनील मिश्रा से करीब 500 इंजेक्शन मंगाए थे. नकली इंजेक्शनों का मामला सामने आने के बाद सिटी हौस्पिटल को सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम से बाहर कर दिया गया. पुलिस ने 17 मई की रात सरबजीत सिंह मोखा की पत्नी जसमीत कौर और मोखा के सिटी अस्पताल की मैनेजर सौम्या खत्री को भी गिरफ्तार कर लिया.

मोखा के बेटे हरकरण सिंह की तलाश की जा रही थी. उस के अस्पताल में नकली रेमडिसिविर इंजेक्शन लगाने से 15 से ज्यादा लोगों की मौत होने की शिकायतें पुलिस को मिलीं.

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लखनऊ अस्पताल में हुआ इंजेक्शनों का गड़बड़ घोटाला

लखनऊ सहित पूरे उत्तर प्रदेश में भी यही हाल सामने आया. अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी में 2 डाक्टरों सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया. इन से पूछताछ के आधार पर एक नर्सिंग छात्र सहित 4 लोगों को पकड़ा गया और 91 नकली इंजेक्शन बरामद किए.

इन के अलावा 4 दूसरे लोगों को गिरफ्तार कर 191 इंजेक्शन बरामद किए गए. इन गिरफ्तारियों से पता चला कि लखनऊ के किंग जार्ज मैडिकल कालेज का स्टाफ भी इंजेक्शनों के गड़बड़ घोटाले में शामिल था. बाद में भी कई लोग गिरफ्तार किए गए.

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