अमित ने बस्ता एक ओर फेंका और सुबकता हुआ बिस्तर पर औंधेमुंह लेट गया. मां ने देखा तो हैरानी से पूछा, ‘‘क्या हुआ अमित?’’
‘‘बड़ा आया अपने को बड़ा भाई समझने वाला, बड़ा है तो क्या हर समय मुझे डांटेगा,’’ सुबकते हुए अमित ने अपने बड़े भाई रवि की शिकायत की.
तभी रवि घर में घुसता हुआ बोला, ‘‘मां, आज फिर अमित आवारा लड़कों के साथ घूम रहा था. मैं ने इसे उन के साथ जाने से मना किया तो यह नाराज हो गया. मैं ने इसे कईर् बार कहा है कि वे अच्छे लड़के नहीं हैं, जैसी संगत होगी वैसी रंगत आएगी. संभल जाओ, इस बार तुम्हारे 10वीं के पेपर हैं, 2 महीने बचे हैं. अब भी साल भर की तरह मटरगश्ती में रहोगे तो अच्छे अंक कैसे आएंगे?’’
‘‘हां, तू तो जैसे बड़े अच्छे अंक लाया था न 10वीं में. मनचाहा सब्जैक्ट भी नहीं ले सका. तुझ से तो अच्छे ही अंक लाता हूं कम पढ़ने पर भी. बड़ा बनता है, बड़ा भाई,’’ अमित ने नाराजगी जताई.
‘‘मैं मनचाहा सब्जैक्ट नहीं ले पाया इसीलिए तो तुझे समझता हूं मेहनत कर. छोड़ ऐसे आवारा लड़कों की दोस्ती. मनचाहा सब्जैक्ट नहीं मिलेगा तो कैसे करेगा इंजीनियरिंग,’’ रवि ने समझाया.
‘‘हांहां, कर लूंगा, तू अपने काम से काम रख,’’ अमित ने झल्ला कर कहा.
‘‘नहीं बेटा, ऐसा नहीं कहते,’’ मां ने समझाया, ‘‘अगर वे गलत लड़के हैं तो उन का साथ ठीक नहीं, कल को किसी लफड़े में फंसे तो साथ रहने वाले का नाम भी खराब होता है भले ही उस ने कुछ न किया हो.’’
‘‘औैर मां, वे लड़के तो क्लास से बंक मार कर कई बार सिनेमा देखने जाते हैं, कभी आवारा लड़कों की तरह आसपास अमरूद तोडेंगे. पता है पिछले महीने इस का दोस्त राजू बाहर घूमता लड़कियां छेड़ता पकड़ा गया था. कालोनी वाले उसे पकड़ कर लाए थे प्रिंसिपल के सामने और दूसरा, क्या नाम है उस का, मुन्ना, वह तो बातबात पर हाथापाई करने में गर्व समझता है. वह स्कूल बुलिंग में अव्वल है,’’ रवि ने स्पष्ट किया.
‘‘हां हैं, तो? हैं तो मेरे दोस्त ही न. तू घबरा मत. मैं इन के साथ रह कर भी गलत नहीं करूंगा, तू अपने काम से काम रख,’’ अमित बोला.
अमित और रवि दोनों भाई शहर के नामी स्कूल में पढ़ते थे. अमित 10वीं में था और उस का बड़ा भाई रवि 12वीं में. अमित बिगड़ैल दोस्तों की संगत में पड़ कर बिगड़ता जा रहा था. रवि बड़ा भाई होने के नाते उसे बारबार समझाता, लेकिन अमित के कान पर जूं न रेंगती. अभी परसों की तो बात थी. क्लास बंक कर अमित मुन्ना के साथ बाहर जाना चाहता था. स्कूल के गेट पर ड्यूटी देते 11वीं के छात्र से मुन्ना और अमित भिड़ गए. फिर गेट कूद कर दोनों बाहर भाग गए. एकाध घंटा मटरगश्ती करने के बाद वापस आए. तब तक प्रिंसिपल तक उन की शिकायत पहुंच चुकी थी. प्रिंसिपल ने मुन्ना के पिता को बुलाया था जबकि अमित के बड़े भाई रवि को उसी समय बुला कर हिदायत दी थी, ‘‘देखो, अमित आवारागर्दी, बुलिंग में आगे बढ़ता जा रहा है. इस का अंजाम आगे चल कर अच्छा नहीं होगा. इसे जिम्मेदार बनाओ, कुछ समझाओ. इस बार सिर्फ समझा रहा हूं. अगली बार पापा को बुलाऊंगा और स्कूल से निकाल दूंगा.’’
‘‘जी सर, मैं इसे समझा दूंगा. मैं इस की जिम्मेदारी लेता हूं. आइंदा यह ऐसा नहीं करेगा,’’ कह कर रवि ने अमित की जिम्मेदारी ली थी औैर किसी अन्य सजा से अमित को बचाया था.
इस के बाद भी जब घर आते समय अमित को समझाया तो ‘हूं’ कह कर अमित ने पल्ला झाड़ लिया. अमित ने मां को इस वाकेए से अवगत करवाया तो मां ने भी अमित को समझाया, लेकिन अमित उलटा बरस पड़ा, ‘‘वे मेरे दोस्त हैं. पता है वे दिलेर हैं इसलिए सब उन से डरते हैं. आज अगर 4 लड़के मुझे पीटने आ जाएं तो वही आगे दिखेंगे बचाने में, यह बड़ा भाई नहीं. खुद तो डरपोक है ही, औरों को भी डरपोक बनने की नसीहत देता है.’’ अमित की आवारगी बढ़ती ही जा रही थी. इधर पेपर नजदीक आ रहे थे. अमित पढ़ाई में भी पिछड़ रहा था, लेकिन वह किसी की मानने को तैयार न था. स्कूल में एक से पंगा हो जाए तो सभी गुंडागर्दी करने लगते, हौकीडंडे ले कर चल देते उन्हें पीटने, जिस कारण आसपास के स्कूलों के लड़कों से भी उन की दुश्मनी हो गई थी. अब तो अमित वैन में वापस घर भी न आता. रवि से कह देता, ‘मुझे तैयारी करने दोस्त के घर जाना है और थोड़ी देर बाद आऊंगा.’ फिर आवारगर्दी करते हुए 2-3 घंटे बाद वह घर आता.
स्कूल में फेयरवैल पार्टी थी. 10वीं वालों को 9वीं के बच्चे विदाई पार्टी दे रहे थे. 11वीं के बच्चों द्वारा 12वीं वालों को फेयरवैल पार्टी दी जानी थी, जो अगले हफ्ते थी. इस के बाद ऐग्जाम्स की तैयारी के लिए छुट्टियां हो जानी थीं.अमित घर से बड़ा हीरो बन कर निकला था. आज कुछ भी पहन कर आने की छूट थी. सो, अमित ने लैदर की जैकेट और जींस की पैंट पहनी औैर सुबह जल्दी यह कह कर निकला कि दोस्तों के साथ स्कूल जाऊंगा. रवि के स्कूल पहुंचने के बाद भी वह स्कूल नहीं पहुंचा. काफी देर देखने के बाद रवि ने अमित के क्लासमेट रोहन से अमित के बारे में पूछा तो पता चला कि वह मुन्ना, राजू औैर अन्य दोस्तों के साथ गया है. वे किसी लड़की को छेड़ने के कारण झगड़ा कर बैठे हैं और हौकीडंडे आदि ले कर गए हैं उन्हें सबक सिखाने. रवि की तो ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की नीचे अटक गई. कहां सभी बच्चे पार्टी का लुत्फ उठा रहे हैं औैर उस का भाई अमित गुंडागर्दी में फंसा है. वह क्या करे समझ नहीं पा रहा था. तभी सामने से अमित अपने उन्हीं दोस्तों के साथ आता दिखा औैर आते ही वे सब ऐसा जताने लगे जैसे कोई किला फतेह कर आए हों, ‘‘आए बड़े मेरे दोस्त की गर्लफै्रंड को छेड़ने वाले,’’ अमित गर्व से कह रहा था.
अमित को देख रवि की जान में जान आई. वह अमित को ठीकठाक देख खुश था, लेकिन डांटने के लहजे में बोला, ‘‘प्रिंसिपल की डांट भूल गए लगता है. उस दिन वारनिंग भी मिली थी तुम्हें, मम्मीपापा भी अकसर समझाते हैं, मैं भी कई बार कह चुका हूं. तुम समझते क्यों नहीं? जरा सी ऊंचनीच हो गई तो सारा कैरियर चौपट हो जाएगा…’’ ‘‘अमित अपने भाई को समझा, हमें डराने की जरूरत नहीं. हम सब समझते हैं,’’ मुन्ना बीच में ही रवि की बात काटता हुआ बोला.
‘‘मुन्ना, तुम चुप रहो. मैं अपने भाई से बात कर रहा हूं. मैं इस का बड़ा भाई हूं, इस का भलाबुरा समझता हूं और मेरी जिम्मेदारी है कि मैं इसे गलत रास्ते पर जाने से रोकूं.’’
‘‘रवि,’’ अमित चिल्लाया. उसे यह बात सब दोस्तों के सामने इंसल्ट लगी, ‘‘ये मेरे दोस्त हैं, इन्हें कुछ कहने की जरूरत नहीं. घर चल कर कह लेना जो कहना है. अब जाओ अपनी क्लास में हमारी भी पार्टी शुरू होने वाली है, आया बड़ा भाई बन कर. हर बात में टांग अड़ाता रहता है.’’
रवि अपने पर खीजता हुआ वापस अपनी क्लास में चला गया. पार्टी शुरू हो गई. रवि की क्लास के एक लड़के राजन ने बताया कि आज उस के छोटे भाई अमित की क्लासमेट, जो उस के दोस्त राजू की गर्लफै्रंड भी है, को पास के स्कूल के एक लड़के ने छेड़ दिया था. वह पार्टी के लिए सजधज कर आ रही थी. वे सभी उन्हें सबक सिखाने गए थे. अमित और उस के साथी पार्टी में मशगूल थे, उधर वे उस स्कूल के जिस लड़के की पिटाई कर आए थे, उस ने बदला लेने की नीयत से कई लड़के इकट्ठे कर लिए थे और स्कूल से कुछ दूर एकत्र हो कर अमित और उस के साथियों के निकलने का इंतजार कर रहे थे. फेयरवैल पार्टी खत्म हुई तो सभी जाने को हुए. तभी किसी ने आ कर खबर दी कि स्कूल के बाहर पास वाले स्कूल के बहुत से लड़के लाठियां और हौकियां लिए अमित, मुन्ना व राजू का इंतजार कर रहे हैं. पिछले गेट से चले जाएं वरना खैर नहीं. उन में से एकदो के पास तो चाकू भी हैं.
खबर आग की तरह फैली औैर रवि के पास भी पहुंची. छुट्टी होते ही रवि अमित के पास जाने को हुआ. वह उसे साथ घर ले जाना चाहता था. किसी अनहोनी से आशंकित रवि अमित को ढूंढ़ रहा था, लेकिन अमित अपने दोस्तों के साथ उसी समय निकला था. सामने के स्कूल से कई लड़के हौकियां व डंडे लिए आते दिखे तो अमित के दोस्तों की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई, वे पीछे से कब भाग लिए अमित को पता ही न चला. तभी सामने से आते लड़कों में से एक ने चाकू निकाला और अमित के पेट में घोंपने को हुआ कि तभी रवि वहां भागता हुआ पहुंच गया. उस ने यह सब देख लिया था. स्थिति भांपते हुए रवि ने अमित को एक ओर धक्का दे दिया, जिस से चाकू अमित के बजाय रवि के पेट में जा घुसा.
रवि के खून बहने लगा. यह देख सभी लड़के नौ दो ग्यारह हो गए, अमित बड़े भाई को इस हाल में देख परेशान हो उठा. तभी वहां कुछ स्कूल के लड़के व स्थानीय निवासी एकत्र हो गए, जिन के सहयोग से रवि को पास के नर्सिंगहोम पहुंचा दिया गया. डाक्टर ने बताया कि रवि का काफी खून बह गया है और वह बेहोश है. खबर मिलते ही प्रिंसिपल व अन्य छात्र भी नर्सिंगहोम पहुंच गए. कुछ छात्र आपस में फुसफुसा रहे थे, ‘‘देखा, बड़ा भाई, बड़ा ही होता है, जिन दोस्तों पर अमित को गुमान था सब भाग गए. मुसीबत में बड़े भाई ने ही अमित की जान बचाई.’’ अमित भी खुद पर खिन्न था. काश, उस ने बड़े भाई की बात मान ली होती. अब तो सब फंसेंगे. उधर चाकू मारने वाले लड़के को भी पुलिस पकड़ लाई थी, उस के कैरियर पर बात आ गई थी. पुलिस को रवि के होश में आने का इंतजार था ताकि उस का बयान ले सके और मामले में अभियुक्त को पकड़ सके.
उसी समय अमित के मम्मीपापा भी आ गए. सभी परेशान थे. अमित मां के गले लग उन के आंचल में अपना मुंह छिपाता दिख रहा था. पश्चात्ताप के आंसू रुक नहीं रहे थे. तभी डाक्टर ने आ कर बताया, ‘‘इंस्पैक्टर साहब, रवि को होश आ गया है. आप बयान ले सकते हैं.’’ इंस्पैक्टर अंदर गए औैर थोड़ी देर बाद बाहर आ गए. आते ही उन्होंने अपने सिपाही को चाकू मारने वाले लड़के को छोड़ने का आदेश दिया और बताया, ‘‘रवि के अनुसार भागते समय गिर जाने से सड़क पर पड़ी कोई लोहे की पत्ती उसे लग गई थी. इस में किसी का कोई कुसूर नहीं, सो किसी पर कोई केस नहीं बनता.’’
रवि के बयान पर सब हैरान थे. वह चाहता तो अपने भाई पर हमला करने वाले को पकड़वा सकता था, लेकिन उस के इस बयान ने सब को बचा लिया था. अमित के आंसू बह निकले, वाकई रवि बड़ा भाई है, उस ने बड़ा भाई होने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई है. तभी डाक्टर ने बताया, ‘‘आप रवि से मिल सकते हैं, लेकिन रवि का काफी खून बह गया है, उसे खून चढ़ाना पड़ेगा. डोनर की व्यवस्था करें.’’
‘‘मैं दूंगा अपने बड़े भाई को खून…’’ पीछे से आवाज आई. अमित ने देखा यह वही लड़का था जिस ने चाकू से अमित पर वार किया था, लेकिन रवि को लग गया था.
‘‘हां अमित, अगर तुम्हारा बड़ा भाई चाहता तो हम सब को फंसा सकता था. इस से हम पर केस चलता, हम 10वीं के पेपर भी नहीं दे पाते, सजा भी भुगतनी पड़ती. बुलिंग करते समय इस के अंजाम के बारे में हम ने नहीं सोचा था. रवि ने हमें न केवल सीख दी है बल्कि बड़ा भाई होने की जिम्मेदारी भी निभाई है. मैं संकल्प लेता हूं आज से बुलिंग बंद,’’ वह बोला. तभी मुन्ना और राजू आगे आए औैर बोले, ‘‘तुम ठीक कहते हो दोस्त. रवि ने जान पर खेल कर हमें यह सबक सिखाया है कि हम गलत राह पर चल रहे हैं और अपने ऐसे बयान से सब को बचा कर बता दिया है कि वह अमित का ही नहीं, हम सब का बड़ा भाई है. हम सब उसे खून देंगे और जल्द ठीक कर लेंगे, अब जिम्मेदारी निभाने की बारी हमारी हैं,’’ कहते हुए मुन्ना की भी आंखे भर आईं.
अमित अपने मम्मीपापा के साथ अंदर गया और रवि से लिपट कर रो पड़ा, ‘‘मुझे माफ कर दो भैया. मैं अच्छा बन कर दिखाऊंगा,’’ साथ ही उस ने बड़े भाई के पांव छू कर संकल्प लिया कि मम्मीपापा का सपना पूरा करेगा और अच्छी पढ़ाई कर के इंजीनियर बन कर दिखाएगा.