एक समय में धर्म की नाव में बैठकर लाखों लोगों को भ्रमित करने वाले बाबा राम रहीम ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा और न ही उनके किसी कथित भक्त ने सोचा होगा कि देश दुनिया में “सच्चा डेरा” की एक समय में धूम मचाने वाले गुरमीतसिंह उर्फ बाबा राम रहीम को एक दिन उसके अपराध की सजा भी मिलेगी.
अब ऐसा हो गया है, सीबीआई की विशेष अदालत ने बाबा राम रहीम को उम्र कैद की सजा सुना दी है अब बाबा राम रहीम के ऊपर ऐसे प्रकरण और सजाएं हैं कि वह जिंदगी में शायद ही कभी खुली हवा में सांस ले सकें, बाहर आ सकें और डेरा सच्चा सौदा का संचालन कर पाएंगे.
इस विशेष रिपोर्ट में हम आपको स्वयं को सर्व शक्तिमान घोषित करने वाले बाबा राम रहीम के कुछ महत्वपूर्ण जानने योग्य तथ्य बताने जा रहे हैं.
दरअसल, एक संत और बाबा का चोला पहनने वाले कथित बाबा राम रहीम समेत 5 को उम्र कैद की सजा उनके अपने सहयोगी रंजीत सिंह के हत्या केस में पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट ने सुनाई है. राम रहीम के साथ अन्य 4 दोषियों को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
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यहां आपको हम बताते चलें कि राम रहीम का एक बाबा के रूप में बड़ा ही जलवा था वह फिल्म बनाते थे, वह ऐसे ऐसे करतब किया करते थे की सदैव मीडिया में चर्चा बनी रहती थी, धर्म की कथित आड़ में जाने कितने दुष्कर्म और अपराध करते रहे जिसकी गिनती कोई नहीं कर पाया और यह सदा चर्चा में रही. मगर कहते हैं ना अपराध कभी न कभी सर चढ़कर बोलता है और अपराधी कानून के शिकंजे में अंततः आ ही जाता है अंतिम समय जेल की चक्की पीसने में ही गुजर जाता है, बाबा राम जी के साथ हो रहा है.
यह भी सच है कि मामला मुकदमा दर्ज होने पर भी यह सब अपने आप को सर्व शक्तिमान समझता था और यह संदेश देता था कि मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. साथ ही सहयोगी महिला हनीप्रीत के साथ भी कितनी ही किस्से कहानियां चर्चा में रही हैं.
मामला संवेदनशील होने के कारण राम रहीम की पेशी कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाती थी पूरे जिले में धारा 144 लगा दी जाती थी कहीं भी 5 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने की इजाजत नहीं थी. बाबा राम रहीम ने धर्म के उन्माद को इतना ज्यादा जगा दिया था की स्थिति कभी भी असामान्य हो सकती थी. यहां उल्लेखनीय है कि सन् 2002 में रंजीत सिंह की हत्या के लिए राम रहीम सहितइन लोगों को नामजद किया गया था
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख को मिला सच्चा सौदा!
जैसा कि सारी दुनिया जानती है डेरा सच्चा सौदा के बाबा गुरमीत सिंह यानी राम रहीम के मुख्य प्रबंधन का कार्य डेरा सच्चा सौदा से संचालित होता था. जहां सैकड़ों एकड़ भूमि पर कथित बाबा का वर्चस्व था यहां उनकी अनुमति के बगैर परिंदा भी पर नहीं मार पाता था. एक प्रकार से उनका अपना शासन स्थापित था. धर्म के नाम पर जो इंतेहा यहां बाबा राम रहीम ने की वह सालों बाद धीरे-धीरे छन कर बाहर आई और उसकी क्रूरता के किस्से भी सार्वजनिक हो गए.
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जैसा कि कभी ना कभी पाप का घड़ा तो फूटता ही है 2002 में रंजीत सिंह जो डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के समर्थक थे की 10 जुलाई 2002 को हत्या कर दी गई थी. इसी मामले में गुरमीतसिंह सहित पांच लोगों को अब जेल के सीखचों पड़ेगा.
लगभग 20 साल बाद!
राम रहीम के द्वारा किए गए अपराधों की लंबी जांच के बाद मामला अंततः न्यायालय में पहुंचा और सभी के साक्ष्य लिए जाने लगे. वह बाबा जो कभी अपने सच्चा सौदा के प्रतिष्ठान से लोगों को धर्म का ज्ञान देता था मगर स्वयं धर्म के रास्ते को छोड़ कर के अपराध की राह पर चल पड़ा था आखिरकार कानून की जद में आ ही गया.
यहां यह बताना जरूरी होगा कि राम रहीम की पेशी कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए होती रही और राम रहीम फिला वक्त रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है वहीं से उसकी वर्चुअली पेशी कोर्ट में की जाती रही वहीं चार अन्य दोषियों को अंबाला जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच पंचकूला कोर्ट लाया गया था.
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3 दिसंबर 2003 को पुलिस में एफआईआर दर्ज हुई थी और आगे सीबीआई ने रणजीत सिंह हत्या मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी. न्यायालय में याचिका रंजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने दायर कर इंसाफ की फरियाद की थी. इसके बाद बाबा राम रहीम पर कानून का शिकंजा कसता ही चला गया और यह भ्रम टूट गया कि अगर कोई धर्म का चोला पहन कर अपराध करता है तो बहुत दिनों तक बच सकता है.