जी हां हमारे भारत देश को जब से आजादी मिली तब से पहली बार ऐसा होगा कि किसी महिला को फांसी होगी और क्यों होगी ये सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे जब आपको उस महिला की करतूतों का पता चलेगा. प्यार अंधा होता है ये तो सुना था लेकिन किस कदर अंधा होता है इसकी हद इस महिला ने दिखाई और हद भी ऐसी कि आपकी रूह कांप जाएगी.

दरअसल शबनम नाम की इस औरत ने अप्रैल 2008 में अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी और इतनी बेरहमी से हत्या करने के बाद भी इस महिला को कोई शर्म या कोई अफसोस नहीं हुआ.अमरोहा की इस बेरहम शबनम के परिवार में पिता शौकत अली पेशे से शिक्षक थें, मां का नाम हाशमी, भाई का नाम अनीस, राशिद, भाभी अंजुम और दस महीने का भतीजा अर्श था.

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शबनम और उसके गांव के ही एक युवक सलीम के बीच प्रेम संबंध था जो उसके पिता को पसंद नहीं था. दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन शबनम सैफी और सलीम पठान बिरादरी से था. दूसरी बिरादरी से होने के कारण शबनम के परिवार ने शादी से साफ इनकार कर दिया था लेकिन ये इनकार शबनम और उसके परिवार को इस कदर खला कि बिना कुछ सोचे-समझे इन दोनों ने मिलकर अपने ही परिवार की हत्या कर दी. दोनों ने एक ऐसा फैसला लिया जो दिल दहलाने वाला था.

14 अप्रैल 2008 की रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम को घर बुलाया और पूरे परिवार को नींद की गोलियां खिलाकर सुला दिया. रात में शबनम और सलीम ने मिलकर नशे की हालत में सो रहे अपने परिवार की कुल्हाड़ी से गला रेत कर एक-एक को मौत के घाट उतार दिया. यहां तक कि अपने 10 के माह के भतीजे पर भी तरस नहीं खाई. एक ऐसा जुर्म जो शायद ही कोई करने का सोचे. अपने परिवार को मौत के घाट उतारना भला किस कदर शबनम ने ये सब किया ये कोई सोच भी नहीं सकता.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी अब अपनी मोहर लगा दी है यहां तक की राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी है और आखिर ऐसा हो भी क्यों न इस महिला ने गुनाह ही ऐसा किया है. जेल में भले ही महिला अपने दिन काट रही थी लेकिन देखा जाए तो सही मायने में अब जाकर उसको सजा मिलेगी.

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भारत के इतिहास में आजादी के बाद शबनम पहली महिला कैदी है जिसे फांसी पर लटकाया जाएगा और अब ये भी एक इतिहास ही बनेगा ताकि आगे से कोई भी औरत ऐसी हरकत करने से पहले सौ बार सोचे. उत्तर प्रदेश के इकलौते महिला फांसीघर में मथुरा के अमरोहा की शबनम को फांसी पर लटकाया जाएगा. कुछ खबरों के मुताबिक मेरठ के पवन जल्लाद दो बार फांसीघर का दौरा कर चुके हैं और इस फांसी को अंजाम देंगे.

मथुरा के जेल में 150 साल पहले महिला फांसीघर बनाया गया था. लेकिन आजादी के बाद से अब तक किसी भी महिला को फांसी की सजा दी ही नहीं गई इसलिए ये फांसी आजाद भारत की पहली फांसी होगी. खबरों के मुताबिक वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बताया कि अभी फांसी की तारीख तय नहीं है, लेकिन हमने तैयारी शुरू कर दी है. डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी.
और इस तरह यूपी के अमरोहा की रहने वाली शबनम आजादी के बाद देश की पहली महिला अपराधी होगी जिसे फांसी होने वाली है.

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शबनम और उसका प्रेमी सलीम एक साथ फांसी पर लटकाए जाएंगे. इसके लिए मथुरा की जेल में तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. सर्वोच्च न्यायालय से पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद अब हत्या के आरोप में बंद शबनम की फांसी की सजा को राष्ट्रपति ने भी बरकरार रखा है. तो फांसी तो तय है.

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