लेखक- हरीश भंडारी
कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए देश में जारी 21 दिन के लौकडाउन के बाद जहां एक तरफ गरीब व दिहाड़ी मजदूरों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा है, वहीं तो दूसरी तरफ गरीब किसान अपनी फसलों को खेतों में सड़ते देख खून के आंसू बहा रहा है. लौकडाउन की घोषणा के बाद से ही खेतों में पड़ी फसल, खेतों में पड़ी-पड़ी सड़ रही है. मंडियों का काम ठप हो गया है, तो जिसकी वजह से फसलों की खरीद भी बंद है. ऐसे में किसान करे तो क्या करे. वह बडी ऊहापोह की स्थिति में है.
किसानों की खस्ता हालत
किसानों की हालत इतनी खराब है कि उन्हें किसी फसल से कोई कमाई नहीं हो पायी है. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और पंजाब के किसानों का भारी नुकसान हुआ है. किसानों का मानना है कि उनकी दशा बड़ी दयनीय हो गई है. एक तरफ उनका पेमेंट फंसा हुआ है तो वहीँ, सड़ती फसल के नुकसान की भरपाई की कोई व्यवस्था नहीं है.
स्वास्थ्य मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि कोरोना से बचाव के चलते लॉकडाउन आगे बढ़ाया जा सकता है. तो वहीँ लॉकडाउन से परेशान किसान इस आशंका को लेकर तनाव में आ गए हैं. किसान नेताओं का कहना है कि यह संकट अभी और बढ़ सकता है. अगले कुछ दिनों में अंगूर, तरबूज, केले, चना, कौटन, मिर्च, हल्दी, जीरा, प्याज और आलू की फसल आने वाली है.
लौकडाउन के चलते मंदी के आसार
लौकडाउन के चलते किसानों को फसलों के लिए मजदूर मिलने मुश्किल हो गए हैं और फिर बाजार में भी बिक्री करना आसान काम नहीं होगा. वहीँ किसानों की माने तो लॉकडाउन की वजह से बाजार में मंदी के बने रहने के आसार हैं, जिससे डिमांड कम हो जाएगी और किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिल पाएगा
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