उस दिन तारीख थी 21 जून. दोपहर करीब एक बजे का समय रहा होगा. सूरज अपने पूरे तेवर दिखा रहा था. लगता था जैसे आसमान से आग बरस रही हो. तेज गरमी और उमस के कारण बाजारों में ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी. बिहार की राजधानी पटना में दीघा-आशियाना रोड पर आभूषणों का नामी शोरूम पंचवटी रत्नालय है. इस शोरूम में उस समय कोई ग्राहक नहीं था. शोरूम मालिक रत्नेश शर्मा को भूख लगी थी. वैसे भी दोपहर के भोजन का समय हो गया था.
उन्होंने सोचा कि कोई ग्राहक नहीं है तो क्यों न इस समय का सदुपयोग कर के भोजन कर लें. शोरूम में 8 कर्मचारी अपनीअपनी सीट पर बैठे ग्राहकों का इंतजार कर रहे थे. गार्ड दीपू श्रीवास्तव शोरूम के अंदर गेट पर बैठा हुआ था.
रत्नेश शर्मा इसी उधेड़बुन में थे कि भोजन करने बैठें या कुछ देर और रुकें. इतनी देर में 2 ग्राहक गेट खोल कर शोरूम में आए. ग्राहकों को देख कर रत्नेश शर्मा और शोरूम के कर्मचारियों के चेहरे पर खुशी आ गई. दोनों ग्राहकों ने एक शोकेस पर पहुंच कर कहा, ‘‘भैया, हमें डायमंड के ईयरिंग्स लेने हैं, कोई लेटेस्ट डिजाइन वाले दिखाओ.’’
शोरूम के कर्मचारी ने दोनों ग्राहकों को शोकेस के सामने रखी आरामदायक कुरसी पर बैठने का इशारा किया और अलमारी से डायमंड के ईयरिंग्स निकालने लगा. शोरूम कर्मचारियों को अचानक याद आया कि ये ग्राहक तो 1-2 बार पहले भी आए थे, लेकिन खरीदारी कुछ नहीं की थी.
कर्मचारियों ने उन में से एक ग्राहक को पहचान लिया था, लेकिन आमतौर पर कई बार ऐसा होता है कि ग्राहक को भले ही किसी दुकान पर कोई चीज पसंद न आए. लेकिन वह दोबारा उस दुकान पर खरीदारी करने पहुंचता है.
उसी दौरान 8-10 युवक तेजी से शोरूम के अंदर घुस आए. इन में से 3 युवकों के चेहरे हेलमेट से ढंके हुए थे. 2-3 युवकों ने चेहरा गमछे से इस तरह ढंका हुआ था, जैसे गरमी से परेशान लोग ढंक लेते हैं. उन में से 2-3 युवकों के चेहरे खुले हुए थे. इन सभी युवकों के पास हाथ में या पीठ पर बैग था. इन में से कुछ युवक जींस और कुछ पैंट टीशर्ट पहने हुए थे.
शोरूम में घुसते ही 3-4 युवकों ने पिस्टल वगैरह निकाल ली. बाद में आए युवकों को देख कर डायमंड के ईयरिंग्स खरीदने आए दोनों युवकों ने भी अपने बैग से हथियार निकाल लिए. उन लोगों के हाथ में पिस्टल देख कर गार्ड दीपू श्रीवास्तव ने विरोध करने का प्रयास किया, तो एक युवक ने उस के सिर पर पिस्टल के बट से हमला कर दिया. इस से दीपक के सिर से खून बहने लगा.
गार्ड दीपू पर हमला होते देख कर शोरूम मालिक रत्नेश शर्मा आगे बढ़े तो एक युवक ने उन के सिर में भी पिस्टल से हमला कर दिया. उन के सिर से भी खून रिसने लगा. रत्नेश समझ गए कि वे लोग बदमाश हैं और शोरूम में डाका डालने आए हैं.
रत्नेश ने दुनिया देखी थी, उन्हें पता था कि ऐसे मौके पर विरोध करने का मतलब अपनी जान जोखिम में डालना होता है. इसलिए उन्होंने बदमाशों से कहा, ‘‘तुम्हें जो ले जाना है, ले जाओ लेकिन ये पिस्टल, तमंचे वगैरह दूर रखो.’’
शोरूम मालिक की बात सुन कर उन युवकों में हावभाव से सरगना नजर आ रहे अच्छी कदकाठी और खुले चेहरे वाले युवक ने कहा, ‘‘सेठजी, समझदार हो. तुम इस दुकान का बीमा करवाए हो न, ज्यादा होशियार बनोगे तो यहीं ठोंक देंगे.’’
ठोंकने की धमकी सुन कर शोरूम के कर्मचारी सहम गए. सरगना ने शोरूम के कर्मचारियों से अपनेअपने मोबाइल देने को कहा. कर्मचारियों ने अपने मोबाइल दे दिए तो सरगना ने शोरूम के कर्मचारियों को एक तरफ जमीन पर बैठा दिया.
इस के बाद सरगना ने शोरूम का गेट अंदर से बंद कर लिया और गेट पर एक कुरसी लगा कर बैठ गया. उस के निर्देशों पर उन बदमाशों ने शोरूम की एकएक अलमारी और शोकेसों को खंगाल कर सारे कीमती आभूषण निकाल लिए. इस बीच सरगना अपने गुर्गों को लगातार हिदायत देता रहा कि जल्दी करो और शांत रहो.वह शोरूम के कोने में जमीन पर बैठे कर्मचारियों को भी बीचबीच में धमकाता रहा कि हिलोगे तो गोली मार दूंगा.सरगना के कहे अनुसार बदमाशों ने सारे आभूषण अपने साथ लाए बैगों में भर लिए. तभी सरगना ने शोरूम मालिक रत्नेश से तिजोरी की चाबी मांगी. तिजोरी खोल कर सारे कीमती रत्नजवाहरात, डायमंड और सोने के आभूषण निकाल लिए. ये सभी जेवर भी एक बैग में भर लिए.
करीब आधे घंटे तक लूटपाट करने के बाद बदमाश जेवरों से भरे बैग ले कर एकएक कर शोरूम से बाहर निकल गए. सरगना नजर आ रहे खुले मुंह वाले बदमाश ने जाते समय शोरूम मालिक रत्नेश से कहा, ‘‘मुझे पहचान लो. हम मोस्टवांटेड हैं. पटना की पुलिस कई साल से हमारे पीछे पड़ी हुई है.’’ सरगना की भाषा लोकल थी. उस के गुर्गे भी स्थानीय भाषा में बात कर रहे थे.
भागने से पहले एक बदमाश ने शोरूम में लगे सीसीटीवी कैमरों का रिकौर्डर निकाल कर अपने बैग में रख लिया. जाते समय सरगना ने शोरूम के गार्ड दीपू श्रीवास्तव के सिर से खून बहता देख कर अपना गमछा उसे देते हुए कहा सिर पर बांध लो. इस के बाद सरगना व बाकी बदमाश शोरूम का गेट बाहर से बंद कर फरार हो गए. शोरूम मालिक व कर्मचारियों के मोबाइल वे अपने साथ ही ले गए थे.डकैतों के भागने के बाद शोरूम कर्मचारियों ने शोर मचा कर गेट खुलवाया. गेट खुला तो आसपास के लोगों को पता चला कि दिनदहाड़े ज्वैलरी शोरूम में डकैती डाली गई है. आसपास के दुकानदार और राहगीर वहां एकत्र हो गए.
पुलिस को सूचना दी गई तो करीब आधे घंटे बाद पुलिस पहुंची. पुलिस ने शोरूम मालिक रत्नेश शर्मा से पूछताछ की. रत्नेश ने मोटे तौर पर हिसाब लगा कर बताया कि डकैत लगभग 5 करोड़ रुपए के हीरेजवाहरात और कीमती आभूषणों के अलावा 13 लाख रुपए नकद लूट कर ले गए हैं. यह पटना की सब से बड़ी डकैती बताई गई.
दिनदहाड़े 5 करोड़ की डकैती की वारदात का पता चलने पर आईजी (जोन) सुनील कुमार, डीआईजी (सेंट्रल) राजेश कुमार, सीआईडी के डीआईजी पी.एन. मिश्रा और एसएसपी गरिमा मलिक सहित पुलिस के तमाम अफसर मौके पर पहुंच गए. शोरूम कर्मचारियों ने अधिकारियों से शिकायत करते हुए कहा कि अगर बाजार में पुलिस गश्त कर रही होती लुटेरे पकड़ लिए जाते.
पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू करते हुए शोरूम मालिक और कर्मचारियों से पूछताछ की. शोरूम के आसपास के लोगों से भी पूछताछ की गई. पूछताछ में पता चला कि शोरूम में घुसे 10 बदमाशों की उम्र 20 से 35 साल के बीच थी. वे स्थानीय भाषा में बोल रहे थे.
सुराग की तलाश
मौके पर पुलिस को बदमाशों द्वारा गार्ड को दिया गया केवल एक गमछा ही मिला. बदमाश इस के अलावा कोई चीज वहां नहीं छोड़गए थे, जिस से उन का सुराग मिलता. पुलिस ने बदमाशों का सुराग लगाने और साक्ष्य जुटाने के लिए एफएसएल टीम और डौग स्क्वायड को भी मौके पर बुला लिया.
बदमाशों का सुराग लगाने के लिए पुलिस ने बाजार में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. आसपास के लोगों से पूछताछ में प्रारंभिक तौर पर पता चला कि बदमाश 3 बाइकों और एक कार में सवार हो कर भागे थे. ये बाइक और कार ज्वैलरी शोरूम से कुछ दूर खड़ी की गई थीं.
इस का मतलब था कि बदमाश अपने वाहनों को शोरूम से दूर खड़ा कर पैदल ही डकैती डालने पहुंचे थे और डकैती डालने के बाद आराम से पैदल ही अपने वाहनों तक गए थे. पुलिस ने अनुमान लगाया कि शोरूम में घुसे बदमाशों के अलावा एकदो बदमाश बाहर भी जरूर रहे होंगे. इस तरह वारदात में 10 से 12 बदमाश शामिल होने का अनुमान लगाया गया.
उसी दिन शोरूम मालिकों की ओर से पटना के राजीव नगर थाने में डकैती की रिपोर्ट दर्ज करा दी गई. दिनदहाड़े सरेबाजार शोरूम मालिक और कर्मचारियें को बंधक बना 5 करोड़ रुपए की ज्वैलरी लूट कर बदमाशों ने पुलिस के सामने चुनौती पैदा कर दी. इस पर आईजी ने बदमाशों का सुराग लगाने के लिए एसएसपी गरिमा मलिक के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया.
एफएसएल टीम ने जांचपड़ताल कर पंचवटी रत्नालय से बदमाशों के करीब 25-30 फिंगरप्रिंट लिए. डौग स्क्वायड को वह गमछा सुंघाया गया, जिसे बदमाश गार्ड को दे गया था. गमछा सूंघ कर खोजी कुत्ता दुकान से बाहर निकला और कुछ दूर दीघा रोड तक जा कर वापस लौट आया.
प्रारंभिक जांच में यह बात भी सामने आई कि बदमाशों ने पंचवटी रत्नालय में डकैती डालने से पहले कई दिन रेकी की थी. वारदात से 2 दिन पहले 2 लोग शोरूम पर खरीदारी करने आए थे. उस दिन उन्होंने डायमंड के आभूषण देखे और बाद में आ कर लेने की बात कही थी.
इस के दूसरे दिन भी वे दोनों दोपहर में करीब एकसवा बजे आए थे और सोने की चेन देखने के बाद एटीएम से पैसा निकालने की बात कह कर चले गए थे. इन में से एक व्यक्ति डकैती डालने वालों में शामिल था. मुंह ढंका न होने से कर्मचारियों ने उसे पहचान लिया था.
वारदात का तरीका जान कर पुलिस अफसर समझ गए कि इस में किसी प्रोफेशनल गिरोह का हाथ है. पुलिस ने बदमाशों का सुराग लगाने के लिए सब से पहले सोना और ज्वैलरी लूटने वाले गिरोहों का रिकौर्ड निकलवाया. उन गिरोहों के सरगनाओं की ताजा गतिविधियों की जानकारी जुटाने के लिए मुखबिर लगा दिए गए.
पता चला कि देश के सब से चर्चित सोना लूटने वाले गिरोह का सरगना सुबोध सिंह पटना के राजीव नगर इलाके का ही रहने वाला है और आजकल जेल में बंद है. लेकिन उस का गिरोह सक्रिय है. सुबोध सिंह कई राज्यों में सोना लूट की बड़ीबड़ी वारदातें कर चुका था. उस के गिरोह के एक बदमाश मनीष को एसटीएफ ने कुछ दिन पहले वैशाली जिले में मुठभेड़ में मार गिराया था.
नालंदा का रहने वाला सुबोध सिंह कुछ महीने पहले रूपसपुर में गिरफ्तार किया गया था. इस के बाद उसे सोना लूट की वारदातों के सिलसिले में जयपुर, कोलकाता, भुवनेश्वर व आसनसोल जेल ले जाया गया था. बाद में उसे आसनसोल से पटना की बेउर जेल में भेज दिया गया था.
बदमाशों की बातचीत के लहजे और वारदात के तरीके से पुलिस ने अनुमान लगाया कि इस में राजीव नगर के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले फुलवारी शरीफ और दानापुर के बदमाशों का हाथ हो सकता है.
वारदात वाले दिन पुलिस बदमाशों की तलाश, नाकेबंदी और इस तरह की वारदात करने वाले बदमाशों की धरपकड़ व पूछताछ की छापेमारी में जुटी रही, लेकिन कहीं से कोई सुराग नहीं मिला. दूसरे दिन पुलिस अधिकारी फिर से इस वारदात को सुलझाने की मशक्कत करने लगे.
पुलिस को शोरूम के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकौर्डिंग से बदमाशों के बारे में कुछ सुराग जरूर मिले, लेकिन उन के चेहरे साफ नहीं हुए. पुलिस को इतना जरूर पता चला कि बदमाशों ने वारदात में 3-4 बाइकों और एक फार्च्युनर गाड़ी इस्तेमाल की थी. बदमाशों के वाहनों की तसवीर रामनगरी से ले कर रूपसपुर नहर तक कैमरों में कैद हुई. रूपसपुर नहर से कुछ बदमाश जेपी सेतु से फरार हो गए और कुछ खगोल की ओर चले गए.
शोरूम मालिक और कर्मचारियों की ओर से बताए गए हुलिए के आधार पर पुलिस ने 2 बदमाशों के स्कैच बना कर जारी किए. ये स्कैच शोरूम में डकैती डालने वाले गिरोह के सरगना नजर आ रहे बदमाशों के थे.
पुलिस अधिकारियों ने स्कैच बनने के बाद अपराधियों की पहचान कर लेने का दावा किया, लेकिन उन के नामपते का खुलासा नहीं किया. पुलिस इन बदमाशों की तलाश में जुटी रही. इस के लिए अलगअलग जगहों से पचासों बदमाशों को थाने ला कर पूछताछ की गई.
वारदात के दूसरे ही दिन पंचवटी रत्नालय से करीब एक किलोमीटर दूर राजीव नगर नाला रोड साकेत भवन के पास लावारिस हालत में एक अपाचे बाइक खड़ी मिली. जांच में इस बाइक का नंबर फरजी निकला.
अपाचे बाइक पर रौयल एनफील्ड बुलेट का नंबर था. यह बाइक पटना के एक व्यक्ति के नाम पंजीकृत थी. पुलिस ने अनुमान लगाया कि यह बाइक बदमाशों के उन साथियों की हो सकती है, जो वारदात में लाइनर बन कर सहयोग कर रहे थे.
दिनदहाड़े 5 करोड़ की ज्वैलरी की लूट की वारदात को ले कर सर्राफा व्यापारियों में भारी आक्रोश था. पाटलिपुत्र सर्राफा संघ व अन्य व्यावसायिक संगठनों ने बिहार में आए दिन हो रही इस तरह की लूट की वारदातों के खिलाफ राज्यव्यापी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी.
पुलिस पहुंची गर्लफ्रैंड तक
तीसरे दिन भी पटना पुलिस, सीआईडी और एसटीएफ अपने तरीके से जांचपड़ताल और कई जिलों में छापेमारी कर बदमाशों का सुराग लगाने में जुटी रही, लेकिन इस का कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया. पुलिस ने बेउर जेल में बंद सोना लूटने वाले गिरोह के सरगना सुबोध सिंह से भी कई घंटों तक पूछताछ की. सुबोध से पूछताछ के बाद पुलिस ने बेउर जेल से पिछले दिनों छूटे 3-4 कुख्यात बदमाशों को संदिग्ध मानते हुए उन की तलाश शुरू की.
पुलिस ने 3 दिन में एक अपाचे बाइक के अलावा एक स्कौर्पियो और एक आई20 कार लावारिस हालत में बरामद की. इन वाहनों के नंबरों और चेसिस नंबरों के आधार पर भी पुलिस जांच करती रही. इस में अपाचे बाइक का वारदात में उपयोग होने की ज्यादा आशंका जताई गई.
चौथे दिन पुलिस को इस तरह की वारदात करने वाले एक कुख्यात बदमाश की गर्लफ्रैंड के बारे में पता चला. पुलिस ने दीघा इलाके में रहने वाली इस युवती से पूछताछ की. इस से पुलिस को कई अहम जानकारियां मिलीं. यह भी तय हो गया कि वारदात करने वाले कुछ बदमाश पटना सिटी और फुलवारी शरीफ के रहने वाले हैं.
पुलिस की कुछ टीमों ने इन बदमाशों पर फोकस कर दिया और उन की तलाश में जुट गईं. दूसरी तरफ एसटीएफ की टीमें नेपाल की सीमाओं, कोलकाता और ओडिशा में बदमाशों की तलाश करती रहीं.
एसटीएफ ने लूटे गए सोने की डीलिंग नेपाल के कसीनो में होने की आशंका में नेपाल पुलिस से भी सहयोग लिया. इस का कारण यह था कि सोना लूट के कुख्यात सरगना सुबोध सिंह का पुलिस मुठभेड़ में मारा गया साथी मनीष सिंह कुछ पार्टनरों के साथ नेपाल में कसीनो भी चलाता था. पांचवें और छठे दिन भी पुलिस दावा करती रही कि बदमाशों की पहचान कर ली गई है, उन की तलाश में छापेमारी की जा रही है. लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद बदमाश पुलिस की पकड़ से दूर थे. उन का कोई अतापता नहीं मिल रहा था. पुलिस इस तरह की वारदात करने वाले 2-3 गिरोह के बदमाशों को ढूंढने में जुटी हुई थी.
इस बीच, 6 दिन से बंद रहे पंचवटी रत्नालय शोरूम की 27 जून को री-ओपनिंग की गई. शोरूम मालिक रत्नेश शर्मा ने अपने पुराने ग्राहकों, दोस्तों व रिश्तेदारों को बुलाया था. शोरूम को सजाया गया. ग्राहकों के आने से शोरूम में फिर से व्यापार शुरू कर दिया गया. पुलिस ने सुरक्षा के लिहाज से शोरूम पर 2 जवान तैनात कर दिए.
एक कुख्यात बदमाश की गर्लफ्रैंड से लगातार कई दिन की गई पूछताछ से 28 जून को पुलिस को भरोसा हो गया कि वारदात रवि गुप्ता और उस के गिरोह ने की है. पुलिस की ओर से बनवाए गए स्कैच भी रवि की शक्ल से मिलान कर रहे थे. सीसीटीवी फुटेज में भी रवि की तसवीर कुछ जगह नजर आई थी. पुलिस ने रवि के साथ वारदात करने वाले कुछ अपराधियों को सीसीटीवी फुटेज और स्कैच दिखाए तो उस की पुष्टि भी हो गई.
आखिर मिल गई सफलता
इस के बाद पुलिस ने रवि गुप्ता उर्फ नेताजी उर्फ रवि पेशेंट उर्फ मास्टरजी के साथ उस के गिरोह को तलाशने में अपनी सारी ऊर्जा लगा दी. रवि अपने ठिकानों पर नहीं मिला. वह अपनी गर्लफ्रैंड से भी काफी समय से नहीं मिला था. उस के मोबाइल व वाट्सऐप वगैरह भी बंद मिले. पुलिस लगातार जुटी रही. अंतत: उस की मेहनत का परिणाम सामने आ गया.
पंचवटी रत्नालय में हुई डकैती के मामले में पुलिस ने पहली जुलाई को रवि गुप्ता उर्फ रवि पेशेंट के अलावा उस के 2 साथी बदमाशों विकास कुमार और सिपू कुमार को गिरफ्तार कर लिया. एडीजी (मुख्यालय) जितेंद्र कुमार, डीआईजी राजेश कुमार और एसएसपी गरिमा मलिक ने पटना स्थित पुलिस मुख्यालय में प्रैस कौन्फ्रैंस कर वारदात का खुलासा कर दिया.
पुलिस अफसरों ने बताया कि उन के पास सूचना थी कि रवि गुप्ता और उस के गुर्गे दीघा थाना क्षेत्र के कुर्जी बालू में आएंगे. इस सूचना पर घेराबंदी और छापेमारी कर के रवि, विकास और सिपू को पकड़ लिया गया. जबकि इन के कुछ साथी बदमाश भाग गए.
पुलिस ने पूछताछ के बाद इन बदमाशों की निशानदेही पर कुर्जी बालू के विकास नगर में सिपू के ठिकाने से करीब एक करोड़
11 लाख रुपए के सोनेचांदी के आभूषण बरामद किए. बदमाशों से करीब एक लाख रुपए के रत्न, 6 लाख 30 हजार रुपए नकद, एक बाइक, एक बैग, 3 देसी पिस्तौल और 7 कारतूस भी बरामद किए.
डकैत गिरोह के सरगना रवि गुप्ता उर्फ रवि पेशेंट पर डकैती, हत्या, लूट आदि के 17 मामले दर्ज थे. वह पटना में आलमगंज थाना इलाके के मछुआ टोली में रहता है. दूसरे बदमाश विकास कुमार पर डकैती, लूट, आर्म्स एक्ट व अन्य गंभीर अपराधों के 19 मुकदमे चल रहे थे. वह पटना के आलमगंज में माली गायघाट दक्षिणी गली का रहने वाला था.
तीसरे बदमाश सिपू कुमार के खिलाफ पुलिस रिकौर्ड में लूट का केवल एक मामला दर्ज था. वह मूलरूप से सारण का रहने वाला था और फिलहाल पटना के दीघा इलाके में कुर्जी बालू के विकास नगर में रहता था.
पुलिस की ओर से गिरफ्तार तीनों बदमाशों से की गई पूछताछ में रवि गुप्ता के कुख्यात अपराधी बनने और पंचवटी रत्नालय में डकैती डालने की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है—
रवि मूलरूप से अररिया के जोगबन का रहने वाला था. उस के पिता हिंदू और मां मुसलिम थी. रवि के जवान होने से पहले ही उस के मातापिता की हत्या हो गई थी. इस के बाद वह अररिया के अपराधियों के संपर्क में आया और छोटेमोटे अपराध करने लगा. बाद में वह पटना आ गया. पटना आ कर वह राजधानी और अन्य जिलों में बड़ी वारदातें करने लगा.
दिनदहाड़े डकैती डालना और विरोध करने पर गोलियां चलाना उस की फितरत थी. वह पटना से ले कर पूरे बिहार, झारखंड, ओडिशा और कोलकाता तक वारदातें करता था. इन सभी राज्यों के कुख्यात अपराधी उस के संपर्क में रहते थे.
वह अलगअलग वारदातों में दूसरे राज्यों के बदमाशों को शामिल करता था, ताकि पुलिस उन को पहचान न सके. आपराधिक वारदातों के बाद वह इन्हीं बदमाशों के जरिए दूसरे राज्यों में छिप जाता था.
रवि कई बार जेल जा चुका था. सन 2010 में उसे पटना की आलमगंज थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था. बाद में उसे जेल भेज दिया गया. जमानत पर छूटने के बाद वह फिर से एक अन्य आपराधिक मामले में जेल चला गया. सन 2017 में वह जेल से बाहर आया था. इस के बाद से वह फरार था. पुलिस उसे कई वारदातों में तलाश रही थी.
कुख्यात लुटेरा होने के साथ रवि अव्वल दरजे का अय्याश भी था. जेल से बाहर होने पर उस की अधिकांश रातें महंगे होटलों में अय्याशी करते हुए बीतती थीं. उस की एक गर्लफ्रैंड पटना सिटी में दीघा इलाके में रहती थी.
गर्लफ्रैंड के माध्यम से मिली सफलता
पुलिस ने इस युवती से पूछताछ की, तो पता चला कि रवि ने पिछले कई महीनों से कोई बड़ी वारदात नहीं की. इसलिए वह पैसे की तंगी से गुजर रहा था. वारदात के बाद रवि का अपनी गर्लफ्रैंड से संपर्क बना हुआ था. इसी से पुलिस को रवि का सुराग मिला था.
वारदात से करीब एक महीने पहले रवि ने पटना में ही बड़ी वारदात की योजना बनाई. इस के लिए उस ने राजधानी की करीब 10 ज्वैलरी शोरूमों की रैकी की. कई बार की रैकी के बाद उस ने पंचवटी रत्नालय को अपना निशाना बनाने का फैसला किया. यह बात रवि की गर्लफ्रैंड को पता थी.
वारदात में किनकिन बदमाशों को शामिल करना है, यह भी रवि ने तय कर लिया. इस में अधिकांश बदमाश धनबाद और झारखंड के थे. वारदात के लिए हथियार और गाडि़यों की व्यवस्था भी रवि ने ही की थी. वारदात से पहले सभी बदमाश दीघा के कुर्जी इलाके में एकत्र हुए. वहां रवि ने सभी बदमाशों को पूरी प्लानिंग समझाई. पंचवटी रत्नालय पहुंचने और वहां से फरार होने का रास्ता भी बताया. रवि की अगुवाई में कुल 10 बदमाशों की ओर से की गई इस वारदात में एक कार और 3 बाइकों का उपयोग किया गया. वारदात के बाद रवि व सिपू के साथ 2 अन्य बदमाश कार में बैठ कर फरार हुए. बाकी 6 बदमाश बाइकों से भागे. फरार होने के तुरंत बाद रवि ने कार में बैठेबैठे ही उन के पास मौजूद लूट के आभूषणों और नकदी का बंटवारा कर दिया.
कुछ किलोमीटर चलने के बाद बदमाश अलगअलग दिशाओं में बंट गए. जेपी सेतु पार कर रवि, सिपू और 2 अन्य बदमाश कार से छपरा की ओर भाग गए, जबकि बाइक पर सवार बदमाश रूपस नहर के सहारे खगोल स्टेशन की ओर चले गए. बाद में रवि और विकास धनबाद चले गए और सिपू अपने पैतृक गांव सारण चला गया. रवि बाद में गिरिडीह और कोलकाता भी गया था.
रवि ने अपने पास जो आभूषण रखे थे, उन में से कुछ गहने उस ने 20 लाख रुपए में एक दुकानदार को बेच दिए थे. रवि से बरामद 6 लाख 30 हजार रुपए उसी रकम में से बचे हुए थे. बाकी रकम रवि ने खर्च कर दी थी. रवि ने पुलिस को बताया कि लूट के बाकी जेवरात दूसरे फरार बदमाशों के पास हैं.
गिरफ्तार बदमाशों से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि वारदात में शामिल रहे 4 बदमाश झारखंड के धनबाद व बोकारो के रहने वाले हैं, जबकि सारण के 2 और पटना का एक अन्य बदमाश भी पंचवटी रत्नालय की डकैती में शामिल था. कथा लिखे जाने तक ये सातों बदमाश फरार थे. पुलिस इन की तलाश कर रही थी. अभी करीब 4 करोड़ रुपए के जेवरात बरामद नहीं हुए हैं. द्य
(कहानी सौजन्य मनोहर कहानी)