2 हत्याओं की बात थी, इसलिए सूचना मिलते ही एसपी (ग्रामीण) जयप्रकाश सिंह, सीओ अजय कुमार और थानाप्रभारी प्रयाग नारायण वाजपेयी गांव अज्योरी पहुंच गए थे. यह गांव उत्तर प्रदेश के महानगर कानपुर के थाना सजेती के अंतर्गत आता है. दोनों हत्याएं इसी गांव के श्रीपाल के घर हुई थीं. यह 19 अगस्त, 2017 की बात है.

पुलिस अधिकारी श्रीपाल के घर के अंदर  घुसे तो वहां की हालत देख कर दहल उठे. आंगन  में 2 लाशें खून से सनी अगलबगल पड़ी थीं. एक लाश युवक की थी तो दूसरी युवती की. युवक की उम्र 25 साल के आसपास थी, जबकि युवती की 20 साल के आसपास थी. दोनों लाशों के बीच 315 बोर का एक तमंचा और कारतूस के 2 खोखे भी पड़े थे.

पुलिस अधिकारी यह देख कर सोच में पड़ गए कि युवती की लाश पर तो घर वाले बिलख रहे थे, जबकि युवक की लाश पर वहां कोई रोने वाला नहीं था. एसपी जयप्रकाश सिंह ने श्रीपाल से इस बारे में पूछा तो उस ने कहा, ‘‘साहब, युवती मेरी बेटी रीता है और युवक मेरे दामाद बबलू का छोटा भाई पीयूष उर्फ छोटू. इसी ने गोली मार कर पहले रीता की हत्या की होगी, उस के बाद खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली है. जब इस ने यह सब किया, तब घर में कोई नहीं था.’’

‘‘इस ने ऐसा क्यों किया?’’ जयप्रकाश सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, पीयूष रीता से एकतरफा प्यार करता था और शादी के लिए परेशान कर रहा था. जबकि रीता उस से शादी नहीं करना चाहती थी. आज भी इस ने शादी के लिए ही कहा होगा, रीता ने मना किया होगा तो उस ने उसे मार डाला.’’ श्रीपाल ने कहा.

‘‘तुम ने पीयूष के घर वालों को इस घटना की सूचना दे दी है?’’

‘‘जी साहब, मैं ने फोन कर के इस के पिता और भाई को बता दिया है. लेकिन उन्होंने आने से साफ मना कर दिया है.’’ श्रीपाल ने कहा.

‘‘क्यों?’’ जयप्रकाश सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, इस की हरकतों से पूरा परिवार परेशान था. यह घर वालों से रीता से शादी कराने के लिए कहता था, शराब पी कर झगड़ा करता था, इसलिए घर वाले इस से त्रस्त थे. यही वजह है कि इस की मौत की खबर पा कर भी कोई आने को तैयार नहीं है.’’

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इस के बाद सीओ अजय कुमार ने पीयूष के पिता विश्वंभर को फोन किया तो उस ने कहा, ‘‘साहब, मिट्टी का तेल डाल कर आप उस की लाश को जला दीजिए. उस ने जो किया है, उस से मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहा. अब मैं उस का मुंह नहीं देखना  चाहता.’’

इस के बाद अजय कुमार ने उस के बडे़ भाई बबलू को फोन किया तो उस ने भी यह कह कर आने से मना कर दिया कि उस की हरकतों से परेशान हो कर उस ने तो पहले ही उस से संबंध खत्म कर लिए थे. अब तक फोरेंसिक टीम आ चुकी थी. उस ने अपना काम कर लिया तो थानाप्रभारी प्रयाग नारायण वाजपेयी ने दोनों लाशों का पंचनामा तैयार कर उन्हें पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया.

इस के बाद रीता के घर वालों से विस्तार से पूछताछ की गई. इस पूछताछ में हत्या की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

कानपुर के कस्बा सजेती से 3 किलोमीटर की दूरी पर सड़क किनारे बसा है गांव अज्योरी. इसी गांव में श्रीपाल अपनी पत्नी, 2 बेटियों गुड्डी, रीता और 2 बेटों रविंद्र एवं अरविंद के साथ रहता था. उस के पास खेती की जो जमीन थी, उसी की पैदावार से वह अपना गुजरबसर करता था.

श्रीपाल की बड़ी बेटी गुड्डी ने दसवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी तो उन्होंने कानपुर के थाना नौबस्ता के मोहल्ला मछरिया के रहने वाले विश्वंभर के बेटे बबलू से उस का विवाह कर दिया. विश्वंभर का अपना मकान था. भूतल पर किराने की दुकान थी, जिसे वह संभालते थे. बबलू नौकरी करता था, जबकि उस से छोटा पीयूष ड्राइवर था.

पीयूष ट्रक चलाता था. उसे जो भी वेतन मिलता था, वह खुद पर ही खर्च करता था. घर वालों को एक पैसा नहीं देता था. हां, अगर गुड्डी कुछ कह देती तो वह उस की फरमाइश पूरी करता था. देवरभाभी में पटती भी खूब थी. दोनों के बीच हंसीमजाक भी खूब होती थी. लेकिन इस हंसीमजाक में दोनों मर्यादाओं का खयाल जरूर रखते थे.

गुड्डी की छोटी बहन रीता बेहद खूबसूरत थी. उस की इस खूबसूरती में चारचांद लगाता था उस का स्वभाव. वह अत्यंत सौम्य और मृदुभाषी थी. जवानी की दहलीज पर उस ने कदम रखा तो उस की खूबसूरती और बढ़ गई. देखने वालों की निगाहें जब उस पर पड़तीं, ठहर कर रह जातीं. रीता तनमन से जितनी खूबसूरत थी, उतना ही पढ़ने में भी तेज थी. इस समय वह बीए फाइनल ईयर में पढ़ रही थी. अपने स्वभाव और पढ़ाई की वजह से रीता मांबाप की ही नहीं, भाइयों की भी आंखों का तारा थी.

पीयूष जब कभी भाई की ससुराल जाता, उस की नजरें रीता पर ही जमी रहतीं. मौका मिलने पर वह उस से हंसीमजाक और छेड़छाड़ भी कर लेता था. जीजासाली का रिश्ता होने की वजह से रीता ज्यादा विरोध भी नहीं करती थी. शरमा कर आंखें झुका लेती थी. इस से पीयूष को लगता था कि रीता उस में दिलचस्पी ले रही है.

इसी साल जून महीने की एक तपती दोपहर को पीयूष ट्रक ले कर हमीरपुर जा रहा था. घाटमपुर कस्बा पार करते ही उस का ट्रक खराब हो गया. उस ने ट्रक खलासी के हवाले किया और खुद आराम करने की गरज से भाई की ससुराल पहुंच गया. संयोग से उस समय रीता घर में अकेली थी. छोटे जीजा को देख कर रीता ने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘आप चाय पिएंगे या शरबत?’’

‘‘चिलचिलाती धूप से आ रहा हूं. अभी कुछ भी पीने से तबीयत खराब हो सकती है.’’ अंगौछे से पसीना पोंछते हुए पीयूष ने कहा.

‘‘जीजाजी, आप आराम कीजिए मैं टीवी देख रही हूं. आप को जब भी कुछ पीना हो, बता दीजिएगा.’’ रीता ने कहा.

‘‘टीवी पर देहसुख वाली फिल्म देख रही हो क्या?’’ पीयूष ने हंसी की.

शरमाते हुए रीता ने कहा, ‘‘जीजाजी, आप इस तरह की फालतू बातें मत किया कीजिए.’’

‘‘रीता यह फालतू की बात नहीं, इसी में जिंदगी का सच है.’’

‘‘कुछ भी हो, मुझे इस तरह की बातों में कोई रुचि नहीं है.’’ कहते हुए रीता कमरे से चली गई.

थोड़ी देर आराम करने के बाद पीयूष ने पानी मांगा तो रीता गिलास में ठंडा पानी ले आई. उसे देख कर पीयूष ने कहा, ‘‘रीता, तुम सचमुच बहुत सुंदर हो. तुम्हें देख कर किसी का भी मन डोल सकता है. मेरा भी जी चाहता है कि तुम्हें अपनी बांहों में भर लूं.’’

रीता ने अदा से मुसकराते हुए कहा, ‘‘अभी धीरज रखो जीजाजी और आराम से पानी पियो. मुझे बांहों में भरने का सपना रात में देखना.’’

इस के बाद दोनों खिलखिला कर हंस पड़े. पीयूष मन ही मन सोचने लगा कि रीता उस की किसी भी बात का बुरा नहीं मानती है. इस का मतलब उस के दिल में भी वही सब है, जो वह उस के बारे में सोचता है. जिस तरह वह रीता को चाहता है, उसी तरह रीता भी मन ही मन उसे चाहती है.

रीता के प्यार में आकंठ डूबा पीयूष उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाने का ख्वाब देखने लगा. अब वह रीता के घर कुछ ज्यादा ही आनेजाने लगा. उसे रिझाने के लिए जब भी वह आता, कोई न कोई उपहार ले कर आता. थोड़ी नानुकुर के बाद रीता उस का लाया उपहार ले भी लेती. जबकि रीता जानती थी कि इन उपहारों को लाने के पीछे पीयूष का कोई न कोई स्वार्थ जरूर है.

दिन बीतने के साथ रीता को पाने की चाहत पीयूष के मन में बढ़ती ही जा रही थी. लेकिन रीता न तो उस के प्यार को स्वीकार रही थी और न ही मना कर रही थी. रीता के कुछ न कहने से पीयूष की समझ में नहीं आ रहा था कि रीता उस से प्यार करती भी है या नहीं?

इस बात को पता करने के लिए एक दिन पीयूष रीता के यहां आया और उस की खूबसूरती का बखान करते हुए उस का हाथ पकड़ कर बोला, ‘‘रीता, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं और अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकता.’’

‘‘यह क्या कह रहे हैं जीजाजी आप?’’ रीता ने अपना हाथ छुड़ा कर कहा, ‘‘आप भले ही मुझ से प्यार करते हैं, लेकिन मैं आप से प्यार नहीं करती. आप से हंसबोल लेती हूं तो इस का मतलब यह नहीं कि मैं आप से प्यार करती हूं.’’

‘‘मजाक मत करो रीता,’’ पीयूष ने कहा, ‘‘रीता, तुम मेरी साली हो और साली तो वैसे भी आधी घरवाली होती है. लेकिन मैं तुम्हें पूरी तरह अपनी घरवाली बनाना चाहता हूं. इसलिए तुम मना मत करो.’’

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‘‘हरगिज नहीं,’’ रीता गुस्से में बोली, ‘‘न तो मैं तुम से प्यार करती हूं और न तुम मेरी पसंद हो. मैं बीए कर रही हूं, जबकि तुम कक्षा 8 भी पास नहीं हो. मैं किसी पढ़ेलिखे लड़के से शादी करूंगी, किसी ड्राइवर से नहीं, इसलिए आप मुझे भूल जाओ.’’

रीता के इस तरह साफ मना कर देने से पीयूष का दिल टूट गया. लेकिन वह एकतरफा प्यार  में इस तरह पागल था कि उसे लगता था कि एक न एक दिन रीता मान जाएगी. इसलिए उस ने रीता के यहां आनाजाना बंद नहीं किया. यह बात अलग थी कि अब रीता उस से ज्यादा बात नहीं करती थी.

रीता ने पीयूष के एकतरफा प्यार की बात घर वालों को बताई तो सब परेशान हो उठे. यह एक गंभीर समस्या थी, इसलिए यह बात गुड्डी और उस के पति बबलू को भी बता दी गई. दोनों ने पीयूष को समझाया कि वह रीता को भूल जाए. इस पर पीयूष ने साफ कह दिया कि वह शादी करेगा तो सिर्फ रीता से करेगा, वरना जहर खा कर जान दे देगा.

पीयूष शराब भी पीता था. रीता ने उस के प्यार को ठुकराया तो वह कुछ ज्यादा ही शराब पीने लगा. वह जबतब शराब पी कर रीता से मिलने उस के घर पहुंच जाता और रीता पर शादी के लिए दबाव बनाता. रीता उसे खरीखोटी सुना कर शादी से मना कर देती थी.

पीयूष रीता के घर वालों पर भी शादी के लिए दबाव डाल रहा था. वह धमकी भी देता था कि अगर रीता से उस की शादी नहीं हुई तो अच्छा नहीं होगा. आखिर निराश हो कर पीयूष ने रीता के घर जाना बंद कर दिया. लेकिन वह उसे फोन जरूर करता था. रीता कभी फोन रिसीव कर लेती तो कभी काट देती. पीयूष दिनरात फोन करने लगा तो परेशान हो कर रीता ने अपना फोन नंबर ही बदल दिया.

रीता के यहां से इनकार होने पर पीयूष ने भाई और पिता से कहा कि वे रीता के पिता से बात कर के उस की शादी रीता से करा दें. अगर वे शादी के लिए तैयार नहीं होते तो गुड्डी को घर से निकाल दें. इस पर बात करने की कौन कहे, पिता और भाई ने पीयूष को ही डांटा.

पिता और भाई के मना करने से नाराज हो कर पीयूष ने काफी मात्रा में नींद की गोलियां खा लीं. उस की हालत बिगड़ने लगी तो उसे हैलट अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे बचा लिया. इस के बाद बबलू गुड्डी को ले कर परिवार से अलग हो गया और किराए का कमरा ले कर रहने लगा. विश्वंभर ने भी पीयूष से परेशान हो कर उस से बातचीत बंद कर दी.

पीयूष रीता के प्यार में इस तरह पागल था कि उसे जबरदस्ती हासिल करने के बारे में सोचने लगा. उस का एक साथी ड्राइवर अपराधी प्रवृत्ति का था. कई बार वह जेल भी जा चुका था. उसी की मदद से पीयूष ने 315 बोर का एक तमंचा और 4 कारतूस खरीदे. उस ने उसी से तमंचा चलाना भी सीखा.

पीयूष 19 अगस्त, 2017 की दोपहर घर पहुंचा और पिता से जबरदस्ती मोटरसाइकिल की चाबी ले कर मोटरसाइकिल निकाली और रीता के घर पहुंच गया. संयोग से उस समय घर में रीता अकेली थी. पीयूष ने रीता को आंगन में बुला कर उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘रीता, मैं तुम से आखिरी बार पूछ रहा हूं कि तुम मुझ से शादी करोगी या नहीं?’’

अपना हाथ छुड़ाते हुए रीता गुस्से में बोली, ‘‘मैं ने कितनी बार कहा कि मैं तुम से शादी नहीं कर सकती. आखिर यह बात तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आती?’’

‘‘एक बार और सोच लो रीता. तुम्हारा मना करना कहीं तुम्हें भारी न पड़ जाए?’’

‘‘मैं ने एक बार नहीं, हजार बार सोच लिया है कि मैं तुम से शादी नहीं करूंगी.’’

‘‘तो फिर यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ पीयूष ने पूछा.

‘‘हां, यह मेरा आखिरी फैसला है.’’ रीता ने कहा.

‘‘तो फिर मेरा भी फैसला सुन लो. अगर तुम मेरी दुलहन नहीं बनोगी तो मैं तुम्हें किसी और की भी दुलहन नहीं बनने दूंगा.’’ कह कर पीयूष ने कमर में खोंसा तमंचा निकाला और रीता के सीने पर फायर कर दिया. गोली लगते ही रीता जमीन पर गिरी और तड़प कर मर गई.

रीता की हत्या करने के बाद पीयूष ने अपनी भी गरदन पर तमंचा सटा कर गोली चला दी. गोली उस के सिर को भेदती हुई उस पार निकल गई. कुछ देर तड़पने के बाद उस ने भी दम तोड़ दिया.

गोली चलने की आवाज सुन कर आसपड़ोस वाले श्रीपाल के घर पहुंचे तो आंगन में 2-2 लाशें देख कर दहल उठे. पूरे गांव में शोर मच गया. श्रीपाल घर पहुंचे तो रीता के साथ पीयूष की लाश देख कर समझ गए कि पीयूष ने रीता की हत्या कर के आत्महत्या कर ली है. इस के बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दे दी.

पीयूष के घर वाले पुलिस के कहने के बाद भी उस की लाश लेने नहीं आए तो पुलिस ने रीता की लाश के साथ पीयूष की लाश को भी श्रीपाल के हवाले कर दिया. मजबूरी में श्रीपाल को बेटी की लाश के साथ पीयूष का अंतिम संस्कार करना पड़ा. थाना सजेती पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट तो दर्ज की, पर आरोपी द्वारा आत्महत्या कर लेने से फाइल बंद कर दी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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