24 दिसंबर, 2016 की रात. राजस्थान के चूरू जिले के एक गांव में एक नाबालिग लड़की को अगवा कर गैंगरेप किया गया. इतने पर भी जी नहीं भरा, तो उस पर मोटरसाइकिल चढ़ा दी गई. इस से उस की रीढ़ की हड्डी टूट गई. उस लड़की की एक आंख फोड़ दी गई. बेंगलुरु, कनार्टक के एमजी रोड पर नए साल की पूर्व संध्या के मौके पर कुछ मर्दों ने लड़कियों के साथ हाथापाई की, जबकि वहां पुलिस मौजूद थी.
जयपुर में वहशीपन
राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी वहशीपन की सारी हदें पार कर देने वाले 2 ऐसे मामले सामने आए, जो शर्मसार कर देने वाले हैं. पहले मामले में अलवर से जयपुर आई एक लड़की से 3 लड़कों के साथसाथ एक आटोरिकशा ड्राइवर ने रेप किया और उस के बाद बिना कपड़ों के उसे एमएनआईटी के बाहर फेंक कर फरार हो गए. लड़की ने खुद ही कंट्रोल रूम में फोन पर पुलिस को बताया.
डीसीपी ईस्ट कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि उत्तर प्रदेश की रहने वाली पीडि़त लड़की जगतपुरा में अपने भाई के साथ रह कर सरकारी नौकरी के इम्तिहान की तैयारी कर रही थी. सुबह वह रेलवे स्टेशन पर उतरी और जगतपुरा में अपने भाई के कमरे तक जाने के लिए आटोरिकशे में बैठ गई. इस दौरान आटोरिकशे में 3 और लड़के भी थे.
लड़की को अकेला पा कर आरोपी लड़कों ने आटोरिकशा को सुनसान जगह पर रुकवाया और लड़की के मुंह पर कपड़ा बांध कर उस के साथ बारीबारी से रेप किया. रेप के बाद तीनों लड़के वहां से फरार हो गए, उस के बाद आटोरिकशा ड्राइवर ने भी उस के साथ रेप किया.
इस वारदात के बाद पुलिस ने शहरभर में नाकाबंदी कराई और लड़की को ले कर सिंधी कैंप बसस्टैंड और रेलवे स्टेशन पहुंची, जहां पीडि़ता से संदिग्ध आटोरिकशा ड्राइवर की शिनाख्त कराई गई. पीड़िता ने पुलिस को बताया कि वे तीनों लड़के हिंदी में बातें कर रहे थे और उस से पूछा कि कहां की रहने वाली हो और यहां क्या करती हो. उस पीडि़ता ने बताया वे तीनों आटोरिकशे में पहले से ही बैठे हुए थे. उन्हें कहां जाना था, इस बारे में वह नहीं जानती.
दूसरा मामला जयपुर के ही सांगानेर थाना इलाके का है. यहां 57 साल के एक टीचर ने अपनी ट्यूशन छात्रा, जिस की उम्र 16 साल बताई जा रही है, के साथ रेप कर दिया. पुलिस ने इस मामले में आरोपी टीचर को गिरफ्तार किया है. सांगानेर थाना पुलिस ने बताया कि नागरिक नगर, सांगानेर की पीडि़त लड़की के परिवार वालों ने मामला दर्ज कराया कि विरेंद्र सारस्वत नाम के टीचर ने यह करतूत की थी.
दरिंदगी की हदें पार
राजस्थान के चूरू जिले में भी दरिंदगी का एक मामला सामने आया. 2 लड़कों ने एक लड़की का रेप कर उस की रीढ़ की हड्डी व पसलियां तोड़ दीं. उन दरिंदों ने पीडि़ता की एक आंख भी फोड़ दी. इस के बाद वह लड़की जयपुर के एसएमएस अस्पताल में कई दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझती रही.
यह वारदात बीदासर थाना इलाके के गांव सांरगसर की है. बीदासर थानाधिकारी प्रहलाद राय के मुताबिक, पीडि़ता के पिता ने रिपोर्ट दी है कि 24 दिसंबर, 2016 को 15 साला पीडि़ता अपने घर पर पढ़ाई कर रही थी. रात 11 बजे गांव भोमपुरा का एक बाशिंदा राकेश भार्गव अपने रिश्तेदार के एक लड़के के साथ मोटरसाइकिल पर आया और वे दोनों पीडि़ता को जबरदस्ती मोटरसाइकिल पर बिठा कर ले गए. आरोपियों ने गांव से एक किलोमीटर दूर चरला रोड पर ले जा कर उस के साथ ज्यादती की.
उस के बाद आरोपियों ने उसे किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी और मोटरसाइकिल चढ़ा कर उस की रीढ़ की हड्डी व पसलियां तोड़ दीं. उस की एक आंख भी फोड़ दी. शरीर के कई हिस्सों पर गहरे घाव कर के उसे लहूलुहान हालत में मौके पर छोड़ कर भाग गए.
25 दिसंबर, 2016 की दोपहर 3 बजे पीडि़ता की मां के पास राकेश के मातापिता आए और उन्होंने लड़की के घायल होने की जानकारी दी. तब घर वालों को पता चला.
परिवार वालों ने पीडि़ता को सुजानगढ़ के अस्पताल में भरती कराया, जहां से उसे गंभीर हालत में पहले बीकानेर और फिर जयपुर भेज दिया गया. पीडि़ता का पिता गुजरात में मजदूरी करता है. घटना का पता चलने पर वह वहां आया और मामला दर्ज कराया.
राजस्थान पुलिस के मुताबिक, साल 2008 में रेप के 568 मामले दर्ज हुए थे. पिछले साल 2016 में यह तादाद बढ़ कर 3,769 हो गई. ये आंकड़े भयावह इसलिए भी हैं, क्योंकि 75 फीसदी आरोपी सुबूतों की कमी में बाइज्जत बरी हो जाते हैं. वैसे, साल 2015 में देशभर में दुष्कर्म के कुल 37,413 मामले हुए. इन में सब से ऊपर मध्य प्रदेश (5,076), राजस्थान (3769), उत्तर प्रदेश (3,467), महाराष्ट्र (3,438) जैसे राज्य ही थे. महानगरों की बात हो, तो दिल्ली (1,813), मुंबई (607), चेन्नई (65), बेंगलुरु (104) और कोलकाता (36) सब से आगे थे.
जयपुर की एक लीगल फर्म के मुताबिक, लापरवाही से की गई जांच, एफआईआर में देरी, आरोपियों के वकील का पीडि़ता के प्रति आक्रामक रुख और अदालतों में संवेदनशीलता की कमी इस की अहम वजह रही हैं. सजा की दर भी इसलिए कम है, क्योंकि ज्यादातर पीडि़ता चुपचाप ज्यादती सह जाती हैं. अगर पीडि़ता समाज के तानों की परवाह न करे, तो उसे पुलिस और कानून से इंसाफ मिलने की उम्मीद कम रहती है. साल 2015 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, भारत में पति द्वारा जबरन सैक्स के सिर्फ 0.6 फीसदी यानी 167 में से महज एक केस ही दर्ज होता है.
दिखाया जज्बा
बेंगलुरु में 2 शोहदे एक लड़की से बेशर्मी के साथ छेड़छाड़ करते रहे और आसपास के लोग तमाशबीन और चुप ही रहे, लेकिन राजस्थान के चूरू जिले के राजगढ़ कसबे में जो घटा, वह सजगता की एक मिसाल बन गया है. यह किस्सा महशूर ओलिंपियन एथलीट कृष्णा पूनिया की बहादुरी की भी एक नजीर है.
कृष्णा पूनिया ने बताया कि रविवार की दोपहर दिन के डेढ़ बजे जब वे सादुलपुर कसबे की कृष्णा बहल रोड से गुजर रही थीं, तो पिलानी रेलवे फाटक बंद था. वहां 3 बदमाश 2 किशोरियों पर फब्तियां कस रहे थे और छेड़खानी कर रहे थे. छेड़छाड़ करते हुए उन बदमाशों ने लड़कियों को जमीन पर गिरा दिया और मोटरसाइकिल से भागने लगे. इस घटना को बहुत से लोग देख रहे थे, लेकिन कोई भी अपनी जगह से नहीं हिला. सभी तमाशबीन खडे़ थे.
लड़कियां छेड़छाड़ से परेशान थीं और रो रही थीं. कृष्णा पूनिया अचानक कार से उतरीं और उन तीनों बदमाश लड़कों के पीछे दौड़ पड़ीं. उन्होंने 50 मीटर दौड़ने के बाद एक लड़के को धर दबोचा और पुलिस को फोन किया.
लड़कियां कह रही थीं कि अगर उन के घर वालों को इस घटना का पता लगा, तो वे आइंदा उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने देंगे. लेकिन कृष्णा पूनिया ने किशोरियों को हौसला दिया और उन्हें उन के घर पर छोड़ कर आईं. वे पुलिस स्टेशन भी गईं और पुलिस अफसरों को नसीहत दी कि आखिर थाने के ठीक पास ही बदमाश इस तरह लड़कियों से कैसे छेड़छाड़ कर रहे हैं.
बीजिंग और लंदन ओलिंपिक में भारत की नुमाइंदगी कर चुकी कृष्णा पूनिया हरियाणा से हैं और चूरू जिले में उन की ससुराल है. इन दिनों वे राजनीति में हैं, लेकिन उन में एक बहादुर खिलाड़ी का जज्बा आज भी बरकरार है.
बेंगलुरु और राजगढ़ की ये दोनों घटनाएं एक ही समय में घटित हुई हैं, लेकिन एक में भीड़ के बीच खड़ी एक हिम्मती खिलाड़ी कृष्णा पूनिया ने पूरे हालात को ही बदल दिया और दूसरी में एक आधुनिक कसबे की जनता का वह तबका शर्मसार है, जो घटना के समय चुप्पी साधे रहा.
हद तो यह है कि बेंगलुरु की इस घटना के बाद कर्नाटक के गृह मंत्री डाक्टर जी. परमेश्वरा ने यह तक कह दिया कि नए साल और दूसरे ऐसे मौकों पर ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहा है कि राजस्थान का भी एक पक्ष है, जहां गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने अभी तक कृष्णा पूनिया की तारीफ नहीं की है, क्योंकि वे कांग्रेस से जुड़ी हैं.
सवाल यह उठता है कि क्या यह देश औरतों व लड़कियों के लिए महफूज नहीं है क्या वे हमेशा यह डर साथ ले कर घर से बाहर निकलें कि कोई न कोई उन के साथ कुछ बुरा सोच कर तैयार बैठा है और वे हमेशा डरती रहें
आखिर हमारी सरकार, पुलिस और समाज का पूरा तबका अपनी सोच कब बदलेगा ऐसे में यही बेहतर है कि हर लड़की कृष्णा पूनिया की तरह बन जाए और छेड़छाड़ करने वालों को गरदन से दबोच कर पुलिस के हवाले कर दे.