तकरीबन 13 वर्षों पहले सोशल मीडिया पर शुरू हुआ बौडी पौजिटिविटी मूवमैंट ‘मी टू’ मूवमैंट की तरह दम तोड़ चुका है. हां, अब युवा खुद को ज्यादा एक्सपोज करते हैं. सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग कहती है कि लोगों की मेंटैलिटी इस मामले में नहीं बदली है.

‘तू मोटी है, तू काली है, तू नाटा है, इस की नाक देखो कैसी पकौड़े जैसी है, इस का पेट देखो कितना बाहर निकला हुआ है’ इसी तरह के कमैंट इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं. ऐसा लगता है मानो कुछ लोग बस दूसरों को यह बताना चाहते हैं कि उन की बौडी, उन की पर्सनैलिटी सही नहीं है. उस में कुछ न कुछ कमी है.

इसी का एक उदाहरण इलियाना डिक्रूज है. एक बार इलियाना (इलियाना प्रैग्नैंसी न्यूज) ने अपने इंस्टाग्राम पर ‘आस्क एनीथिंग’ सैशन रखा था. तब एक यूजर ने उन से पूछा कि आप अपनी अजीब बौडीटाइप से कैसे डील करती हैं? इस पर ऐक्ट्रैस ने जवाब देते हुए कहा, ‘‘पहली बात मेरी बौडीटाइप अजीब नहीं है. मेरी क्या किसी की नहीं होती. दूसरी बात मैं अपनी बौडीटाइप को ले कर बहुत क्रिटिसाइज हुई हूं. लेकिन मैं अपनेआप से प्यार करना सीख रही हूं और किसी दूसरे के आदर्शों के अनुरूप नहीं बनना चाहती हूं.’’

कहने का अर्थ यह है कि आम नागरिक क्या, सैलिब्रिटीज भी यानी सभी अपनी बौडी, स्किन के लिए कभी न कभी क्रिटिसाइज जरूर हुए हैं लेकिन युवाओं ने इस मुद्दे को ऐड्रैस किया और साल 2012 के आसपास एक मूवमैंट की शुरुआत हुई जिसे बौडी पौजिटिवटी मूवमैंट कहा गया. इस का उद्देश्य अपनी शारीरिक बनावट को स्वीकार करना और आत्मसम्मान को बढ़ावा देना था.

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