Pahalgam Attack: लेखक – शकील प्रेम
पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को आतंकियों ने हमला कर दिया था, जिस में लैफ्टिनैंट विनय नरवाल की भी मौत हो गई थी. आतंकियों द्वारा किए गए इस जघन्य कांड के बाद मेनस्ट्रीम मीडिया ने हिंदूमुसलिम के नाम पर जम कर नफरत फैलाई.
इस बीच लैफ्टिनैंट विनय नरवाल की विधवा पत्नी हिमांशी नरवाल ने 1 मई, 2025 को एएनआई को दिए एक बयान में हिंदूमुसलिम के नैरेटिव की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि जिन लोगों ने गलत किया है, उन्हें सजा मिलनी ही चाहिए, लेकिन हम नहीं चाहते कि लोग कश्मीरियों और मुसलिमों से नफरत करें.
हिमांशी नरवाल के इस बयान के बाद ट्रोल आर्मी हरकत में आ गई. हिमांशी को भद्दीभद्दी गालियां दी जाने लगीं. सोशल मीडिया पर ट्रोल आर्मी ने बेशर्मी और हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं.
आखिरकार राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले को संज्ञान में लिया और कहा कि किसी महिला को अपने विचार रखने पर उसे ट्रोल करना किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा.
लैफ्टिनैंट विनय नरवाल की मौत के बाद जिस तरह से उन की पत्नी हिमांशी नरवाल को उन के एक बयान को ले कर सोशल मीडिया पर निशाना बनाया गया है, वह बेहद गलत है. किसी की भी सहमति या असहमति को शालीनता और संविधान के दायरे में रह कर जाहिर किया जाना चाहिए.
धर्म और जाति नहीं मानने की सजा
कोलकाता की एक 17 साल की लड़की सृजनी ने आईएससीई बोर्ड में 400 में से 400 नंबर हासिल कर पूरे पश्चिम बंगाल का नाम रोशन किया है. सृजनी को इस कामयाबी के लिए देशभर से तारीफ मिल रही है, वहीं ट्रोल आर्मी इस लड़की के पीछे पड़ गई है.
इस की वजह यह है कि सृजनी ने बोर्ड फार्म में जहां धर्म लिखना था, वहां लिखा ‘मानवता’. बस सृजनी की यही गलती थी.
गूगल पर भी सृजनी का इतिहास खंगाला जाने लगा. उस की मां प्रोफैसर निकलीं और पिता साइंटिस्ट, वह भी भटनागर अवार्ड विजेता.
एक रिपोर्टर के पूछे जाने पर सृजनी ने जो कहा, वह ट्रोल आर्मी के लिए काफी था कि मैं धर्म, जाति या जैंडर से नहीं, बल्कि इनसान होने से पहचानी जाऊं, यही मेरी पहचान है.
ऐसा कह कर सृजनी ने धर्म और जाति के नाम पर फैलाए गए नैरेटिव को चुनौती दे डाली.
जो लोग भारत को धर्म और जाति में बांटना चाहते हैं, सृजनी ने उन्हें एक खाली कौलम से हरा दिया.
यह देख जौंबी आर्मी को मिर्ची लग गई. इस 17 साल की होनहार छात्रा को गालियां दी जाने लगी. उस के मांबाप को भी नहीं बख्शा गया. संस्कारों की ठेकेदारी करने वाली ट्रोल आर्मी बेशर्मी का नंगा नाच करने लगी.
सवाल यह है कि ट्रोल करना किसे कहते हैं? दरअसल, ट्रोलर एक ऐसा शख्स होता है, जो जानबूझ कर मजाकिया, भड़काऊ या जोशीले संदेश औनलाइन पोस्ट करता है.
आजकल तो सोशल मीडिया पर दबदबा बनाने के लिए बहुत से संगठन अपना आईटी सैल बना कर खुद का प्रचार करने के लिए खूब पैसा भी खर्च करते हैं.
ये लोग ऐसा माहौल तैयार करते हैं जैसे कि ये ही सच्चे हैं, बाकी सब झूठे या गलत. ऐसे में दूसरे लोग भी इन के समर्थन में उतर आते हैं और सोशल मीडिया पर एक तरह की जंग शुरू हो जाती है.
राजनीति और ट्रोल आर्मी
सत्ता को हथियाने और सत्ता में बने रहने के लिए राजनीतिक दलों को अपनीअपनी विचारधारा के पक्ष में कई झूठे नैरेटिव गढ़ने पड़ते हैं और जनता ऐसे झूठे नैरेटिव को सच समझ कर उन्हें सिरआंखों पर बिठाए रखे, इस के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं.
मेनस्ट्रीम मीडिया पर कंट्रोल हो जाए, तो सत्ता के झूठे नैरेटिव का खूब प्रचार होता है और जनता के दिमागों तक वही खबरें पहुंचाई जाती हैं, जो सत्ता के झूठे नैरेटिव को सच साबित करती हैं.
कांग्रेस के दौर में भी ऐसा होता था, जब मेनस्ट्रीम मीडिया सत्ता के नैरेटिव को जनता के सामने आखिरी सच की तरह पेश करती थी.
साल 2014 के बाद देश में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता आई, जिस के पास अपनी विचारधारा थी. धर्म और राष्ट्रवाद के घालमेल से नएनए नैरेटिव गढ़े गए. मेनस्ट्रीम मीडिया का इस्तेमाल कर के जनता के दिमाग में जहर घोला गया और जनता को बरगलाने के लिए पिछले 11 सालों से लगातार यह कोशिश
चल रही है, लेकिन इस बीच सोशल मीडिया भी मजबूत हुआ है, जिस से सत्ता के झूठे नैरेटिव की पोल खुलते देर नहीं लगती.
सत्ता के पक्ष में मेनस्ट्रीम मीडिया के द्वारा फैलाए गए झूठ पर तुरंत प्रतिक्रिया होती है और सच बाहर आ जाता है. विपक्षी दलों या सत्ता के नैरेटिव के खिलाफ सोशल मीडिया पर बोलने वाले लोगों पर कंट्रोल करना सरकार के लिए बिलकुल भी मुमकिन नहीं है, इसलिए एक ऐसी ट्रोल आर्मी बनाई गई है, जो ऐसे लोगों के खिलाफ मोरचा खोले रहती है.
यह ट्रोल आर्मी किसी को नहीं छोड़ती. इस के पास न कोई नैतिकता होती है और न ही कोई शर्म. लेकिन इस पर लगाम लगना जरूरी है.