सैंट्रल कौंसिल औफ होमियोपैथी (सीसीएच) के चेयरमैन रामजी सिंह होमियोपैथी कालेजों को मान्यता देने की डीलिंग तो खुद करता था, पर वह ‘नजराना’ अपने कुछ खास चेलों के जरीए ही लेता था.

रामजी सिंह की गिनती पटना और दिल्ली के अच्छे होमियोपैथी डाक्टरों में होती है. सीसीएच का अध्यक्ष बनने से पहले वह बिहार हौमियोपैथ चिकित्सा बोर्ड का सदस्य भी रह चुका था.

सीसीएच होमियोपैथी चिकित्सा शिक्षा की नियामक संस्था है और पिछले 5 सालों से रामजी सिंह उस का चेयरमैन बना हुआ था.

पटना के कदमकुआं महल्ले में ही रामजी सिंह का प्राइवेट क्लिनिक चलता है और उस ने रामकृष्णा नगर में जीडी मैमोरियल होमियोपैथी कालेज भी खोल रखा है.

पिछले दिनों राजकोट के एक प्राइवेट होमियोपैथी कालेज मैनेजमैंट से 20 लाख रुपए घूस लेने के चक्कर में वह सीबीआई के चंगुल में फंस गया.

सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक, चेयरमैन के बदले उस के किसी खास आदमी ने रकम वसूल की. उस के बाद हवाला के जरीए 20 लाख रुपए रामजी सिंह के पास पहुंचा दिए गए थे.

दरअसल, राजकोट की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी ने होमियोपैथी कालेज की मान्यता के लिए सीसीएच में आवेदन दिया था. कालेज के पक्ष में निरीक्षण रिपोर्ट देने के लिए कालेज का वाइस प्रैसिडैंट लगातार रामजी सिंह और उस के एजेंट के संपर्क में था.

कालेज की जांच के लिए रामजी सिंह ने 3 लोगों की कमेटी बनाई थी. जबलपुर होमियोपैथी कालेज के प्रोफैसर राहुल श्रीवास्तव, कोलकाता के नैशनल इंस्टीट्यूट औफ होमियोपैथी के प्रोफैसर अशोक कोनार और रोहतक होमियोपैथी कालेज के प्रोफैसर अश्विनी आर्य को इस कमेटी का मैंबर बनाया गया था.

कमेटी ने कालेज का मुआयना कर लिया था और दिल्ली में ही ‘नजराने’ की रकम के भुगतान की बात तय हो चुकी थी. उस के बाद ही सीबीआई ने रामजी सिंह के दिल्ली के दफ्तर में ही जाल बिछा कर उसे और उस के एजेंट को दबोच लिया था.

कभी किराए के एक छोटे से कमरे में क्लिनिक की शुरुआत करने वाले रामजी सिंह की हैसियत को पिछले 20 सालों के दौरान मानो पंख लग गए थे.

साल 2001 में उस ने पटना के न्यू बाईपास से सटे रामकृष्णा नगर में जीडी मैमोरियल होमियोपैथी कालेज खोला था. कालेज को भी उस ने गैरकानूनी कमाई का जरीया बना रखा था.

छात्रों का शोषण करने में रामजी सिंह कोई कोरकसर नहीं छोड़ता था. छात्रों के क्लास से गैरहाजिर रहने पर जुर्माने के तौर पर वह सालाना लाखों रुपए वसूल लेता था.

एक दिन गैरहाजिर रहने पर छात्र से 2 सौ रुपए फाइन लिया जाता था. दूसरे राज्यों के छात्र सालभर में 2 सौ से ज्यादा दिन गैरहाजिर रहते थे. हर साल मई महीने में इम्तिहान का फार्म भरने के समय गैरहाजिर रहने का फाइन वसूला जाता था.

इस से यह साफ हो जाता है कि कालेज को छात्रों की पढ़ाईलिखाई या कैरियर से कोई मतलब नहीं रहता था. सारी कोशिश केवल जेब गरम करने की ही रहती थी.

कालेज के कई छात्रों ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि एडमिशन के समय डोनेशन के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती थी. दूसरे राज्यों के काफी छात्र उस के झांसे में आसानी से फंस जाते थे.

रामजी सिंह सीसीएच का अध्यक्ष भी था, इसलिए छात्र और उस के परिवार वाले उस की बातों पर आसानी से भरोसा कर लेते थे. छात्रों को यह लालच भी दिया जाता था कि कोर्स पूरा होने के बाद नौकरी भी लगवा दी जाएगी.

गौरतलब है कि जीडी मैमोरियल होमियोपैथी कालेज में बिहार से ज्यादा जम्मूकश्मीर और उत्तर प्रदेश के छात्र हैं.

सीबीआई ने होमियोपैथी कालेजों को मान्यता देने के एवज में रिश्वतखोरी का भंडाफोड़ किया है. इसी के तहत रामजी सिंह और बिचौलिए हरिशंकर झा को दबोचा गया है.

रामजी सिंह ने घूस लेने के लिए हरिशंकर झा को दलाल बना रखा था. मान्यता के लिए आवेदन करने वाले कालेजों से हरिशंकर झा ही डीलिंग करता था और रिश्वत की रकम तय करता था.

घूस की रकम तय हो जाने के बाद रामजी सिंह अपने खास डाक्टरों की टीम को कालेज की जांच करने के लिए भेजता था. रामजी सिंह की मरजी के मुताबिक ही टीम रिपोर्ट बनाती थी और उस के बाद कालेज को आसानी से मान्यता दे दी जाती थी.

गुजरात के राजकोट के एक प्राइवेट होमियोपैथी कालेज को मान्यता देने के लिए रामजी सिंह ने अपने खास लोगों की टीम बनाई थी और टीम ने उस के मनमुताबिक रिपोर्ट दे दी थी.

उस के बाद कालेज प्रबंधन से 20 लाख रुपए की रिश्वत की रकम ली जा रही थी. उसी समय सीबीआई ने रामजी सिंह के दलाल हरिशंकर झा को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था.

हरिशंकर झा के बयान के आधार पर रामजी सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया. उस के बाद सीबीआई ने दिल्ली, गुड़गांव, रोहतक, राजकोट, गांधीनगर, पटना, जबलपुर और कोलकाता में रामजी सिंह के ठिकानों पर छापे मारे और कई दस्तावेज बरामद किए.

पटना के कंकड़बाग इलाके में द्वारका कालेज के सामने अशोक नगर के रोड नंबर-4 पर रामजी सिंह का आलीशान बंगला है.

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले रामजी सिंह ने अपने सीसीएच के अध्यक्ष के तौर पर पिछले 5 सालों में देशभर में सैकड़ों होमियोपैथी कालेजों को मान्यता देने के बदले करोड़ों रुपए की दौलत बटोरी है.

पटना के रामकृष्णा नगर में उस ने 5 मकान और तकरीबन 6 एकड़ जमीन खरीद रखी है. बलिया में भी उस ने करोड़ों रुपए की जमीन खरीद रखी है.

बिहार के मुजफ्फरपुर के रायबहादुर टुनकी साह होमियोपैथी कालेज से डिगरी लेने के बाद रामजी सिंह ने साल 1990 में होमियोपथी इलाज की प्रैक्टिस शुरू की थी. जब प्रैक्टिस नहीं चली, तो उस ने पटना के पटेल नगर इलाके में रहने वाले मशहूर होमियोपैथी डाक्टर बी. भट्टाचार्य के असिस्टैंट के तौर पर काम करना शुरू किया.

रामजी सिंह के एक भाई की दिल्ली में होमियोपैथी दवाओं की कंपनी है. उस कंपनी की बनी दवाएं बिहार में खूब बिकती हैं.

केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने सीसीएच द्वारा मान्यता दिए गए होमियोपैथी कालेजों में नामांकन पर रोक लगा रखी है. मंत्रालय का मानना है कि सीसीएच ने कई ऐसे होमियोपैथी कालेजों को मान्यता दे दी है, जो मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं.

दिल्ली के महीपालपुर इलाके में हरिशंकर झा के 2 होटल हैं. एक का नाम ‘मोनार्क’ और दूसरे होटल का नाम ‘हनुमंत पैलेस’ है. रामजी सिंह जब दिल्ली जाता था, तो वह होटल ‘हनुमंत पैलेस’ में ही डेरा जमाता था.

सीबीआई इस बात की भी जांच कर रही है कि हरिशंकर झा के होटलों में भी तो होमियोपैथी घोटाले के रुपए नहीं लगे हुए हैं?

इस से पता चलता है कि होमियोपैथी की मीठीमीठी गोलियों की आड़ में रामजी सिंह होमियोपैथी को कड़वा और काला बनाने की जुगत में लगा हुआ था.

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