Sex Relations: लता की आंखों से नींद गायब थी. वह करवट बदलबदल कर सोने की कोशिश कर रही थी, पर नींद कोसों दूर थी. नींद आएगी भी कैसे… उस का पति दीपक सैक्स कर के करवट बदल कर सो चुका था, पर जब तक लता को मजा आना शुरू हुआ, तब तक दीपक पस्त हो चुका था.

लता का मन था कि दीपक को कहे दोबारा कोशिश करे, पर एक बार सैक्स करने के बाद दोबारा उस में इतना जोश पैदा ही नहीं होता था कि सैक्स कर सके, इसलिए लता मन मार कर सोने की नाकाम कोशिश करती रही.

भारतीय समाज में जब हम सैक्स संबंधों की बात करते हैं, तो एक बात देखने में कौमन है, वह यह कि यहां के सैक्स संबंध बाहर वाले देशों, खासकर अमेरिका, इंगलैंड, कोरिया वगैरह से काफी हट कर हैं. यहां की औरतों की सब से आम समस्या है चरम सुख तक न पहुंच पाना. चरम सुख तो दूर की बात है, एक थोड़ी सी संतुष्टि के लिए भी वे तरस जाती हैं, क्योंकि तकरीबन सभी मर्दों का सैक्स करने का तरीका और औरत को संतुष्ट न कर पाने का पैटर्न एक ही है.

अगर अलगअलग तबकों से 100 औरतों का इंटरव्यू लिया जाए, तो यकीनन उन में से 90 से ज्यादा औरतों का संतुष्टि आंकड़ा 10/3 होगा यानी अगर उन का पार्टनर महीने में 10 बार सैक्स करता है, तो औरत केवल 2 या 3 बार ही संतुष्ट हो पाती है, वरना उस की इच्छा अधूरी ही रह जाती है.

डिफैंस कालोनी में रहने वाली आशा से जब चरम सुख के बारे में पूछा गया तो उस का कहना था, ‘‘शादी के बाद शुरू के 6 महीने तो सब ठीक था, लेकिन धीरेधीरे न जाने क्या हुआ कि ये (पति) एक तो 15 दिन से पहले तैयार ही नहीं हो पाते हैं, दूसरा इन की टाइमिंग इतनी कम है कि जब तक मैं जोश में आती हूं, तब तक ये पस्त हो जाते हैं.’’

यहां एक खास बात नोट करने वाली है, जिस पर आज तक किसी ने भी ध्यान नहीं दिया होगा. वह यह कि भारतीय मर्दों का सैक्स के प्रति जो नजरिया है वह ‘हवस से भरा है यानी औरत केवल एक भोग की वस्तु के रूप में देखी जाती है. इस का सब से ज्वलंत उदाहरण यह है कि जब मर्द औरत के पास सैक्स करने के लिए जाता है, तो वह उस के स्तनों (छाती) को दबाना चाहता है, उन्हें मसलना चाहता है. स्तनों को मसलने और दबाने में वह यह भी भूल जाता है कि ऐसा करने से औरत में हार्मोनल इंबैलेंस पैदा हो जाता है, जिस के चलते ब्रैस्ट कैंसर भी हो सकता है.

अब सवाल यह है कि अगर स्तनों को दबाया न जाए, तो फिर सैक्स संबंध को शुरू कैसे किया जाए? तो इस का सीधा सा जवाब यह है कि जब आप अपनी हवस मिटाने के लिए औरत के शरीर को ढूंढ़ते हैं, तब ऐसी ही हरकतें होंगी. इस के उलट जब आप अपनी हवस से पहले सैक्स पार्टनर को संतुष्ट करने के इरादे से जाएंगे, तो आप के मन में उस के लिए आदर की भावना पैदा होगी, फिर आप उस के स्तनों को दबाने की बजाय सहलाने की कोशिश करेंगे.

क्या होता है स्तनों को सहलाने से? यकीन मानिए आप अगर सैक्स की शुरुआत स्तनों को प्यार से सहलाने से करेंगे, तो सब से पहला काम यह होगा कि औरत के अंदर जो एस्टियोजन नाम का हार्मोन है, वह सक्रिय हो जाएगा और औरत को उसी समय मजा मिलना शुरू हो जाता है. यह मजा उन हालात में सब से आखिर में शुरू होता था जब आप उस के पास हवस के साथ स्तनों को दबा कर, शरीर को नोंच कर सैक्स करने की कोशिश करते हैं.

सैक्स के लिए औरत में जोश तभी पैदा होता है, जब उस को मर्द पार्टनर के छूने से प्यार का अहसास हो, नोंचने का नहीं.

हां, तो हम बात कर रहे हैं कि स्तनों को सहलाने से औरत में हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं. इस के बाद औरत के शरीर में सब से पहला काम होता है उस के निजी अंग में लुब्रिकेशन (चिकनाहट आना) का. यह लुब्रिकेशन इस बात का संकेत है कि अब औरत सैक्स करने के लिए तैयार है. औरत तब तक लुब्रिकेशन तक नहीं पहुंच सकती, जब तक उस को प्यार से छुआ न जाए.

इस सब में एक बात और भी है जो हमारे भारतीय समाज में शायद ही कोई नोटिस करता होगा. वह यह कि औरत जब भावनात्मक छुअन के बाद जोश में आती है, तो उस के निजी अंग में जो लुब्रिकेशन होता है, उस में लैक्टिक एसिड होता है. यह वही एसिड है जो दही में भी पाया जाता है.

ध्यान देने की बात यह है कि यों तो आमतौर पर औरत के निजी अंग में एक बदबू हमेशा रहती है, पर जब मर्द भावनात्मक छुअन के साथ औरत को जोश में लाता है, तो उस समय जैसे ही औरत लुब्रिकेशन करती है, मर्द के मुंह के अंदर एक लार्वा बनता है, जिस के साथ औरत के निजी अंगों से बदबू की बजाय अलग सा सेंसेशन सा महसूस होता है और मर्द अपनी जीभ का इस्तेमाल भी औरत के निजी अंग के अंदर जो तरल लुब्रिकेशन है, उस पर कर सकता है. उस समय जो मजा आता है उस की तुलना ब्रह्मांड के किसी भी दूसरे मजे से नहीं की जा सकती.

जब मर्द अपनी जीभ को औरत के योनि मार्ग में बनी पिंक लेयर पर छूता है तो लार्वा और उस जगह पर औरत के लुब्रिकेशन में जब मेल होता है तो औरत को बहुत तेज सेंसेशन होता है. उस के बाद चरम सुख तक पहुंचने में बस कुछ सैकंड का ही समय रह जाता है. नतीजतन, औरत हर राउंड में चरम सुख हासिल कर ही लेती है.

इन सब बातों का होना इस पर निर्भर करता है कि मर्द और औरत दोनों ही जब सैक्स संबंध बनाएं, तो भावनात्मक रूप से एकदूसरे से जुड़े हों. केवल हवस की भरपाई दोनों को संतुष्ट नहीं कर सकती.

अब सवाल यह उठता है कि अगर मर्द फिर भी औरत को संतुष्ट नहीं कर पाता, तो औरत क्या करे?

सैक्स को ले कर अगर किसी औरत के शरीर की बात करें, तो उस के शरीर में 2 भाग बहुत ही संवेदनशील होते हैं. एक तो उस के निपल्स और दूसरा निजी अंग पर बना क्लाइटोरिस (जो मटर के दाने जैसा दिखता है).

यहां एक बात और बताना जरूरी है कि अकसर औरत को यह लगता है कि उस को सैक्स का चरम सुख मर्द द्वारा सैक्स करने की वजह से मिलता है, जो बिलकुल बेबुनियाद है. औरत को चरम सुख मर्द के साथ सैक्स करने से नहीं, बल्कि उस के अंग पर बने क्लाइटोरिस पर जब हलचल होती है, से मिलता है.

सवाल उठता है क्या बिना सैक्स के भी औरतें चरम सुख हासिल कर सकती हैं? इस का जवाब है हां. औरत को अगर अपने शरीर से तकरीबन रोजाना औक्सीटोसिन रिलीज करना हो (चरम सुख हासिल करना हो) तो वे अपनी हथेली को निजी अंग के ऊपर रख कर अपने क्लाइटोरिस को उंगलियों की मदद से सहला कर खुद को जोश में ला सकती हैं. ऐसा कर के उन्हें इतना ज्यादा जोश मिल सकता है कि औरत आसानी से चरम सुख हासिल कर लेती हैं, क्योंकि क्लाइटोरिस इतना ज्यादा जोश ले आता है कि आप के हाथ से आप का शरीर अपनेआप उस दिशा में खुद को ले जाता है, जहां चरम सुख का हासिल होना अपनेआप हो जाता है.

हमारे समाज में यह भ्रांति भी है कि ज्यादा सैक्स करने से कमजोरी आती है, जो एकदम बकवास बात है. जो मर्द रोजाना हस्तमैथुन या सैक्स करते हैं, तो उन के अंग का तनाव बढ़ता है और उन में समय से पहले पस्त हो जाने की समस्या दूर हो जाती है. फिर उन में दूसरी बार सैक्स करने की चाहत भी बनी रहती है और वे इसे कामयाबी से अंजाम दे पाते हैं.

आज समाज में सैक्स को ले कर जो भी भ्रांतियां फैली हुई हैं, उन्हें दूर करने की जरूरत है और जो औरतें कभी चरम सुख तक नहीं पहुंच पाती हैं, वे साथी को बढ़ावा दें कि वे केवल अपनी हवस पूरी करने के लिए उन के जिस्म का इस्तेमाल न करें, बल्कि अपनी पार्टनर को फीलिंग्स के साथ सैक्स सुख भी दें, ताकि वे भी चरम सुख पा कर अपने शरीर को और दमदार बना सकें और बिना वजह के डिप्रैशन से छुटकारा पा सकें. यह उन का हक भी है. Sex Relations

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