Sexual Health: मध्य प्रदेश में भोपाल के एक सरकारी कालेज से बीकौम कर रहे 20 साला रितेश को सम झ नहीं आ रहा था कि उस के प्राइवेट पार्ट में यह हो क्या रहा है. रुकरुक कर हलकी मीठीमीठी सी खुजली हो रही थी, जिसे वह पैंट के ऊपर से ही खुजा लेता था.
रितेश को लगा कि यों ही कुछ होगा, जो अपनेआप ठीक हो जाएगा, क्योंकि पहले भी 2-3 बार उस के साथ यह परेशानी पेश आ चुकी थी. पेशाब करने में थोड़ी दिक्कत आ रही थी.
लेकिन इस बार यह खुजली अपनेआप ठीक नहीं हुई तो रितेश चिंता में पड़ गया. परेशानी ऐसी जगह की थी कि अगर वह अपने यारदोस्तों से पूछता, तो वे मजाक बनाते और वैसे भी वे कोई डाक्टर तो थे नहीं, जो इस का इलाज बता देते. लिहाजा, कोई रिस्क न उठाते हुए रितेश ने डाक्टर को दिखाने का फैसला लिया. लेकिन उस से पहले अपने प्राइवेट पार्ट का मुआयना करना जरूरी समझा.
बाथरूम जा कर रितेश ने अंडरवियर उतारा तो ऊपर से तो प्राइवेट पार्ट ठीकठाक लगा, लेकिन जैसे ही उस के आगे की चमड़ी खींची, तो दर्द हुआ और मुंडी पर ढेर सा सफेद सा कुछ जमा दिखा. उस ने जिज्ञासा के चलते इसे सूंघा तो एक अजीब सी बदबू से नाक और दिमाग में सनसनाहट सी हुई.
यह देख कर तो रितेश सकते में आ गया, क्योंकि चमड़ी मुश्किल से खिंच रही थी और हलकी लाल भी पड़ गई थी, जिसे आगेपीछे करने पर दर्द भी हो रहा था.
घबराए रितेश को तुरंत कुछ नहीं सू झा सिवा इस के कि पानी से यह सफेदी हटा दी जाए, जो उस ने हटा भी दी, तो इस से थोड़ी राहत मिली, लेकिन दर्द ज्यों का त्यों बना रहा.
रितेश के मन में सरकारी अस्पताल तक पहुंचतेपहुंचते तरहतरह के खयाल आते रहे कि यह क्या है और कैसे हो गया?
तो फिर यह क्या था
2 घंटे लाइन में लगने के बाद जब नंबर आया तो रितेश झेंपता हुआ सा डाक्टर साहब के केबिन में दाखिल हो गया. झेंप इस बात की ज्यादा थी कि डाक्टर पैंट उतार कर प्राइवेट पार्ट दिखाने को कहेंगे, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. उन्होंने समस्या पूछी और 2-4 सवाल किए जिन के रितेश ने ठीकठीक जवाब दिए.
डाक्टर साहब ने परचा बनाया और कहा कि यह ट्यूब है. इसे दिन में 2 बार लगाना है, लेकिन उस से पहले प्रभावित जगह यानी चमड़ी को कुनकुने पानी से धो कर अच्छे से सुखा लेना.
यह सुन कर रितेश की जान में जान आई. कुरसी से उठने से पहले उस ने हिम्मत कर के डाक्टर से पूछ ही लिया कि यह बीमारी आखिर है क्या?
डाक्टर साहब ने रितेश को बताया कि यह कोई खास डरने की बात नहीं है, बल्कि पेनिस का फंगल इंफैक्शन है, जो किसी को भी हो सकता है. इसे कैंडिडा बैलेनाइटिस कहते हैं.
फंगल इंफैक्शन होने की वजह एक कैंडिडा कवक या फिर डर्माटोफाइट्स या फिर दूसरे सूक्ष्मजीव होते हैं जो शरीर के किसी भी हिस्से में बेलगाम हो कर बढ़ने लगते हैं.
कैंडिडा कवक या यीस्ट सब से आम फंगस है जो आमतौर पर पेनिस में इंफैक्शन की वजह बनती है.
पेनिस की चमड़ी को फोरस्किन कहते हैं, जिस के नीचे स्मेग्मा बनता है. वहां चूंकि नमी रहती है, इसलिए कैंडिडा जल्दी पनपता है.
स्मेग्मा कुदरती तौर पर बनने वाला गाढ़ा पदार्थ है, जो सफेद या पीला होता है. लेकिन यह कोई बीमारी नहीं है. फोरस्किन के नीचे मुंडी पर चूंकि नमी भी रहती है और गरमी भी, इसलिए कैंडिडा जल्द पसर और फैल जाता है. बहुत ज्यादा पसीना आने से भी इसे जमने का मौका मिल जाता है.
जब ज्यादा स्मेग्मा जमा हो जाता है तब इस से बदबू आने लगती है. अगर स्मेग्मा को साफ न किया जाए, तो यह फंगल इंफैक्शन में तबदील हो जाता है.
यही रितेश के साथ हो रहा था और यही लाखों लड़कों और मर्दों के साथ कभी भी हो सकता है, लेकिन मर्दों से ज्यादा यह औरतों में होता है, क्योंकि उन का प्राइवेट पार्ट अंदर की तरफ होता है जिस से कैंडिडा को पसरने की ज्यादा जगह मिल जाती है.
यह देख कर मर्द हो या औरत दोनों घबरा जाते हैं और डर और शर्म के मारे डाक्टर को नहीं दिखाते, जो कभीकभार बड़ा खतरा बन जाता है.
फंगल इंफैक्शन का एहसास तब होता है जब प्राइवेट पार्ट में जलन और खुजली होने लगती है और पेशाब उतरने में भी कठिनाई होने लगती है.
इन लक्षणों को दिखते ही अगर इलाज न कराया जाए, तो फोरस्किन लाल पड़ जाती है, उस पर चकत्ते या दाने भी हो जाते हैं और उस से खून भी निकलने लगता है, जिस का दर्द बहुत तेज होता है.
आमतौर पर इसी स्टेज पर लोग डाक्टर के पास भागते हैं. यह इंफैक्शन चूंकि बहुत खतरनाक नहीं होता, इसलिए इलाज से इस स्टेज पर भी ठीक हो जाता है, जिस में समय थोड़ा ज्यादा लगता है.
इस में एक दिक्कत यह भी आती है कि ज्यादा स्मेग्मा जमा हो जाने पर फोरस्किन इतनी टाइट हो जाती है कि इस के आगेपीछे होने या करने में तेज दर्द होता है.
साफसफाई है अहम
प्राइवेट पार्ट का फंगल इंफैक्शन तकलीफदेह तो होता है, लेकिन ज्यादा खतरनाक नहीं होता. इसे होने से आसानी से रोका जा सकता है :
* प्राइवेट पार्ट की रोजाना सफाई किया जाना जरूरी है खासतौर से फोरस्किन के नीचे. यहां साफसफाई के लिए माइल्ड यानी हलका साबुन भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
* फोरस्किन को गीला नहीं रखना चाहिए. उसे साफ सूती कपड़े से सुखाना चाहिए.
* टाइट अंडरवियर नहीं पहनना चाहिए. इस से प्राइवेट पार्ट के आसपास नमी बनती है.
* गीले कपड़े पहनने से बचना चाहिए.
* कुछ दवाओं के खाने से भी यह इंफैक्शन होता है, इसलिए डाक्टर से सलाहमशवरा करना चाहिए.
* डायबिटीज के मरीजों के प्राइवेट पार्ट में फंगल इंफैक्शन होने के चांस ज्यादा रहते हैं और उन्हें यह बारबार हो भी सकता है, इसलिए इस बीमारी से गुजर रहे लोगों को अपनी शुगर को कंट्रोल में रखना चाहिए.
* जब फंगल इंफैक्शन हो जाए तो हमबिस्तरी नहीं करनी चाहिए. इस से यह बीमारी पार्टनर को भी लग सकती है. लेकिन मन न माने तो कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.
* आजकल हर कोई सिंथैटिक कपड़े पहनता है खासतौर से अंडरवियर. इस से फंगल इंफैक्शन का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए सूती अंडरवियर पहनना चाहिए. Sexual Health