Political News in Hindi: देश में नरेंद्र मोदी की सरकार आज यह दावा करने से तनिक भी पीछा नहीं हटती है कि उस के जैसी संवेदनशील सरकार न कभी हुई है और न ही होगी, इसीलिए तो नारा दिया था कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’. यह सब सुनने और देखने में अच्छा लगता है, मगर हकीकत से दोचार होने के बाद केंद्र सरकार की गतिविधियों से किसी भी भावुक इनसान का सीना चाक हो जाएगा.

बहुत ज्यादा विरोध के बाद आखिरकार भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती महासंघ पर निलंबन की गाज गिरा दी है. यह जन भावना के मुताबिक कदम है, मगर पूरे मामले को देखें, तो कहा जा सकता है कि देश की आम, गरीब और राजधानी से दूर बैठी बेटियां क्या पढ़ पा रही हैं और उन्हें क्या अधिकार मिल रहे हैं, यह तो दूर की बात है, देश की राजधानी में उन बेटियों के दुख और आंसुओं को सारे देश ने देखा है, जिन्होंने पहलवानी के क्षेत्र में ‘पद्मश्री’ हासिल किया और देश का नाम रोशन किया. वे लंबे समय तक जंतरमंतर पर बैठ कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इंसाफ की गुहार लगाती रहीं, मगर सत्ता के करीबी भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रह चुके बृजभूषण शरण सिंह का बाल भी बांका नहीं हो पाया. उलटे सारे देश ने देखा कि किस तरह महिला पहलवानों को बेइज्जत किया गया और उन्हें जंतरमंतर पर धरने से उठा कर फेंक दिया गया.

पहलवान बेटियों को देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भरोसा दिलाया था कि इंसाफ मिलेगा और इस पर यकीन कर के उन्हें सिर्फ धोखा ही मिला. पुलिस और कोर्ट की दौड़ तो जारी है ही, अब बृजभूषण शरण सिंह का दायां हाथ समझे जाने वाले संजय सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ के मुखिया बन गए, तो साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया सहित अनेक पहलवान मुंह बाए देखते रहे कि यह क्या हो गया है और अब वे क्या करें. यही वजह है कि साक्षी मलिक ने बिना देर किए आंसुओं के साथ अपना दर्द इस तरह जाहिर किया कि उन्होंने पहलवानी से संन्यास ले लिया है.

इस सब के बाद भी सत्ता के कानों तक आवाज नहीं पहुंची. दूसरी तरफ बजरंग पुनिया ने ‘पद्मश्री’ लौटाने का ऐलान कर दिया, मगर इस के बावजूद सत्ता में बैठे हुए किसी बड़े चेहरे को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था. इस का सीधा सा मतलब यह है कि आज देश की सत्ता पर बैठे हुए लोग अपने और अपने साथियों के खिलाफ एक भी आवाज सुनने को तैयार नहीं हैं, चाहे वे कितने ही गलत क्यों न हों. ये हालात बताते हैं कि देश आज किस चौराहे पर खड़ा है.

महिला पहलवानों के दुख को सब से ज्यादा महसूस करने वाले ‘पद्मश्री’ बजरंग पुनिया ने कहा, “अगर आप मेरे पत्र को प्रधानमंत्री को सौंप सकते हैं तो ऐसा कर दीजिए, क्योंकि मैं अंदर नहीं जा सकता. मैं न तो विरोध कर रहा हूं और न ही आक्रामक हूं.”

नतीजा ढाक के तीन पात

हकीकत यह है कि खेल मंत्रालय द्वारा नए चुने गए अध्यक्ष संजय सिंह को निलंबित कर दिए जाने के बाद भी हालात ढाक के तीन पात वाले हैं. इंसाफ का तकाजा है कि बृजभूषण शरण सिंह या उन के चहेते किसी भी हालत में भारतीय कुश्ती महासंघ के आसपास फटक न पाएं, ऐसा इंतजाम होना चाहिए.

महिला पहलवानों द्वारा गंभीर आरोप लग जाने के बाद भी बृजभूषण शरण सिंह अध्यक्ष पद से हटने को आसानी से तैयार नहीं थे. दूसरी तरफ केंद्र सरकार भी मानो आंखेंमुंहकान बंद किए हुए थी. नतीजतन, शर्मनाक हालात में संजय सिंह गुरुवार, 21 दिसंबर, 2023 को हुए चुनाव में भारतीय कुश्ती महासंघ अध्यक्ष बने और उन के पैनल ने 15 में से 13 पदों पर जीत हासिल कर ली.

यह माना जा रहा था कि बृजभूषण शरण सिंह और उन के साथियों को केंद्र सरकार चुनाव से दूर रहने का निर्देश देगी, मगर ऐसा नहीं हुआ. अब आए इस नतीजे से पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया को काफी निराशा हुई, जिन्होंने मांग की थी कि बृजभूषण शरण सिंह के किसी भी करीबी को भारतीय कुश्ती महासंघ में प्रवेश नहीं मिलना चाहिए.

इन तीनों पहलवानों ने साल 2023 के शुरू में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. उन पर महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण करने का आरोप लगाया था और यह मामला अदालत में लंबित है. चुनाव का फैसले आने के तुरंत बाद साक्षी मालिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने पत्रकारों से बात की और साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया. बजरंग पुनिया ने एक दिन बाद सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर बयान जारी कर कहा, “मैं अपना ‘पद्मश्री’ सम्मान प्रधानमंत्री को वापस लौटा रहा हूं. कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है. यही मेरा बयान है.”

इस पत्र में बजरंग पुनिया ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से ले कर उन के करीबी के चुनाव जीतने तक और सरकार के एक मंत्री से हुई बातचीत और उन के दिए गए भरोसे के बारे में बताया.

महिला पहलवानों के साथ देश में सम्मान के साथ फैसला होना चाहिए था, मगर नरेंद्र मोदी की सरकार, जो एक गांव से ले कर दुनिया के दूसरे कोने तक अपने लंबे हाथों का जिक्र करने से परहेज नहीं करती, राजधानी दिल्ली में जैसा बरताव महिला पहलवानों के साथ हो रहा है, उन के आंसू आज देश के हर इनसान को द्रवित कर रहे हैं.

सरकार ने भारतीय कुश्ती महासंघ को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है, मगर इस में भी साफसाफ पेंच दिखाई दे रहा है और लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने बड़ी चालाकी के साथ बड़ा कमजोर कदम उठाया है.

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