मर्दों के दबदबे वाले समाज की यह खासीयत होती है कि वे औरतों पर अपनी मरजी थोपने की कोशिश करते हैं. कोई औरत माने या न माने, जबरदस्ती वे उस के दिल में घुसने की कोशिश करने लगते हैं. मर्दों को यह सोचना चाहिए कि वे कितने भी बलशाली क्यों न हों, औरतें कितनी भी लाचार क्यों न हों, कभी उन की मरजी के खिलाफ उन्हें हासिल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
औरत भले ही अबला की तरह लाचार नजर आती है, लेकिन मौका मिलने पर वह किसी घायल नागिन की तरह पलट कर हमला कर सकती है. कभी वह छुईमुई नजर आती है, तो कभी मर्यादा की दहलीज लांघ कर मर्द को सबक सिखाने के लिए मजबूर हो जाती है.
दूसरे बच्चों की तरह मर्यादा को भी पढ़लिख कर अपना कैरियर बनाना था और उस के बाद किसी अमीर लड़के से शादी कर के ऐश की जिंदगी जीनी थी.
मर्यादा की मौसी ने उसे समझाया कि अगर वह सचमुच अमीर पति चाहती है, तो उसे खुद ही किसी अमीर लड़के को अपने प्यार के झांसे में लेना होगा, वरना उस के मांबाप दहेज के पैसे नहीं दे सकेंगे. मर्यादा ने मौसी की बात गांठ बांध ली थी.
मर्यादा लखनऊ शहर के एक कालेज से एमबीए कर रही थी, पढ़ाई के लिए घर से भेजा हुआ खर्च पूरा नहीं पड़ता था, मजबूरी में उस ने लोगों के घर जा कर ब्राइडल मेकअप और मेहंदी लगाने का पार्टटाइम काम शुरू कर दिया.
पढ़ाई के अलावा मर्यादा दुलहनों को सजाने के साथ खुद भी सजनेसंवरने में बिजी रहती थी. उस का सीना पूरी तरह से नहीं उभरा था, फिर भी पैडेड ब्रा पहन कर वह बहुत ही मस्त दिखने लगी थी. उस के पेशे में मस्त दिखना बहुत जरूरी था. मर्यादा को अपनी क्लास के सिर्फ 2 लड़के अच्छे लगते थे. पहला खानदानी रईस राकेश था. उस का खुद का बिजनैस था. दूसरा संतोष पढ़ने में बहुत ही होशियार था. उस की सरकारी नौकरी लगना तय था. स्टूडैंट यूनियन का नेता अर्जुन बेवजह उस के पीछे पड़ा रहता था.
लेकिन जिंदगी में सबकुछ इनसान की योजना के मुताबिक नहीं होता. अर्जुन भले ही एक बैक बैंचर था, लेकिन उस ने मर्यादा को शादी के कई घरों में मेकअप आर्टिस्ट का काम दिलाया था.
एक दिन मर्यादा को साइट पर छोड़ने के बहाने अर्जुन ने रास्ते में पड़ने वाली खंडहर हवेली में ले जा कर जबरदस्ती उस का कुंआरापन लूट लिया.
भैंस जैसे सख्त उस लौंडे ने मर्यादा को दिन में तारे दिखा दिए थे. खून बहने के चलते उस पर बेहोशी छाने लगी. उस की जांघों के बीच की हड्डियां ककड़ी की तरह चटक गई थीं.
मर्यादा अपने बलात्कारी का खून कर देना चाहती थी, लेकिन जिस लड़के से वह अपनी इज्जत नहीं बचा सकी थी, उस की जान लेना इतना आसान नहीं था.
अगले दिन कालेज में मर्यादा अपने साथ हुई घटना की शिकायत किसी से नहीं कर सकी. अगर बाबूजी को पता चल गया तो उन्हें उस की पढ़ाई बंद करा कर घर बैठा देना था और फिर किसी चने बेचने या रिकशा चलाने वाले से उस की शादी करा देनी थी. उस ने खुदकुशी करनी चाही, लेकिन हिम्मत नहीं हुई.
मर्यादा द्वारा खामोशी से इतना सब सह लेने के चलते अर्जुन के चमचों का हौसला और ज्यादा बढ़ गया. अगले दिन कालेज में मर्यादा नाम के पोस्टर चिपके हुए थे. उन्होंने मर्यादा को अर्जुन की मंगेतर और अपनी भाभी के नाम से बदनाम कर दिया.
राकेश और सुरेश ने मर्यादा के चरित्र पर लांछन लगा कर उसे रिजैक्ट कर दिया था. हर जगह उस की बदनामी हो चुकी थी. चुनरी से चेहरा छिपाए बगैर उस का होस्टल से बाहर निकलना मुश्किल हो गया.
अर्जुन के अलावा हर इनसान मर्यादा को आवारा, बदचलन, बिगड़ी हुई लड़की समझने लगा. उस के पास एकमात्र रास्ता अर्जुन बचा था, फिर भी वह उसे कोई मौका नहीं दे रही थी.
अगले 3 महीनों तक अकेले कहीं ले जाने, मिलने, छूने, बोलने का कोई भी मौका मर्यादा ने अर्जुन को नहीं दिया, जिस से मर्यादा पर उस का क्रश बहुत बढ़ गया. अर्जुन अपनी बलात्कार की ज्यादती को भावनाओं का बहाव बता कर अपने प्यार की कसम खा रहा था.
इधर मौसी ने भी मर्यादा को समझाया था कि जो मर्द अपने पहले प्यार में ही किसी लड़की का खून निकाल कर उसे एक पूरी औरत बना देता है, वही सच्चा मर्द होता है. अर्जुन ने वह कर दिखाया था.
मर्यादा को अब अर्जुन के प्यार में कोई शक नहीं बचा था, लेकिन उस के पास पैसों की कड़की थी. उस की आमदनी का जरीया नहीं था, इसलिए वह उस से पीछा छुड़ाना चाहती थी.
इसी उधेड़बुन से तंग आ कर एक दिन मर्यादा ने अर्जुन को साफ शब्दों में समझा दिया कि अगर वह शादी के बाद मेरे लिए पैसे कमा कर नहीं ला सकता, तो उसे मेरा पीछा करने की कोई जरूरत नहीं है.
अर्जुन तैश में वहां से निकल गया. वह खुदकुशी कर सकता था. मर्यादा को मार सकता था. पर मर्यादा उस समय तक उस से इतना तंग आ चुकी थी कि वह क्या करेगा, इस की उसे कोई चिंता नहीं थी.
4 दिन बाद अर्जुन मर्यादा के लिए 4 लाख रुपए ले कर लौटा. मर्यादा ने कभी इतने सारे नोट एकसाथ नहीं देखे थे. उस की आंखें खुली की खुली रह गईं.
अब अर्जुन के सच्चे प्यार को स्वीकारने के अलावा मर्यादा के पास कोई उपाय नहीं बचा था. उस के पैसों की शर्त को अर्जुन ने पूरा कर दिया था और जिंदगीभर प्यार से रखने का भरोसा दिलाया था. वह सच्चे आशिक की तरह मर्यादा के जिस्म के हर रोम को प्यार करता था. घंटों उस के नंगे बदन को निहारता था. बिस्तर पर वह गुलाम की तरह बरताव करता था.
4 दिनों तक एकदूसरे की बांहों में पड़े हुए उन दोनों के सारे गिलेशिकवे खत्म हो चुके थे. उस घटना के लिए उस ने मर्यादा से बारबार और रोरो कर माफी मांगी थी. मर्यादा ने उसे माफ कर दिया.
अभी मेरी जिंदगी में कुछ अच्छा घटना शुरू हुआ ही था कि अर्जुन को पुलिस ने पकड़ लिया. दरअसल, अर्जुन ने पैट्रोल पंप के कैशियर को लूटा था. इस खबर से एक बार फिर मर्यादा की जिंदगी में भूचाल आ गया.
बहरहाल, अर्जुन ने मर्यादा का नाम नहीं बताया. उस ने भी अर्जुन को पहचानने से इनकार कर दिया. शायद अर्जुन बेहद प्यार करने के चलते मर्यादा को किसी परेशानी में डालना नहीं चाह रहा था या फिर पैसे बरामद करा कर अपना जुर्म कबूल करना नहीं चाह रहा था. मर्यादा ने सुना कि थाने में अर्जुन की खूब कुटाई हुई, फिर भी उस ने उस का नाम नहीं बताया.
अर्जुन के दिए हुए 4 लाख रुपए ले कर मर्यादा गांव भाग आई. रुपयों को उस ने बहुत अच्छी तरह से कपड़े में बांध कर भूसा रखने वाले कच्चे मकान के छप्पर में छिपा दिया. यहां भी डर के चलते वह 2 दिन तक खाना नहीं खा सकी. घर के बाहर से किसी गाड़ी की आवाज आती तो लगता कि पुलिस उसे पकड़ने आ गई है.
इस बीच मर्यादा को एक शानदार मौका हासिल हुआ. उस के एक दूर के रिश्तेदार ने बायोडाटा के आधार पर उसे शादी के लिए चुन लिया था. मर्यादा का होने वाला मंगेतर सरकारी नौकरी में था और खानदानी रईस था. उसे मर्यादा की शक्ल और उस का बायोडाटा मर्यादा को तो पसंद आ गया था, लेकिन वह दहेज भी मांग रहा था. इस से पहले कि कोई उसे मर्यादा के कालेज के कांड के बारे में बताए, उसे शादी कर के यहां से हजार किलोमीटर दूर अपनी ससुराल नरसिंहपुर भाग जाना चाहिए.
तय योजना के मुताबिक, अर्जुन को उस के हाल पर छोड़ कर अपने सारे कौंटैक्ट नंबर मिटा कर, मोबाइल फोन की सिम बदल कर, सोशल मीडिया एकाउंट डिलीट कर मर्यादा रविंद्र से शादी कर के अपनी ससुराल भाग गई. अर्जुन के दिए हुए 4 लाख रुपए से उसे दहेज की रकम जुटाने में बहुत मदद मिली थी.
ससुराल पहुंचते ही मर्यादा ने रविंद्र को पूरी तरह से अपने काबू में ले लिया था. मौसी की सिखाई हुई तरकीब के मुताबिक सुहागरात के दिन बेवजह चीखचिल्ला कर उस ने अपने पति को अहसास करा दिया कि वह अभी तक कुंआरी थी.
मर्यादा के वे 6 महीने बहुत मजे से गुजरे. इस के बाद वह अपने गांव लौटी थी. कुनकुनी धूप में अपने ब्रा को सुखाने के लिए डालते समय मर्यादा रविंद्र के विचारों में मगन थी. रविंद्र मर्यादा का बहुत ध्यान रखता था. जवानी का पूरा मजा लेने के लिए वे फैमिली प्लानिंग कर रहे थे.
मर्यादा रविंद्र के विचारों में डूबी ही थी कि ‘मर्यादा’ नाम पुकारे जाने से वह चौंक गई. उस ने बगल की छत पर झांका, तो धक की आवाज के बाद उस का दिल धड़कना बंद सा हो गया.
सामने अर्जुन खड़ा हुआ था. पहले से ज्यादा डरावना. उस के हाथ में देशी तमंचा देख कर मर्यादा को यकीन हो गया कि आज वह उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा.
मुसीबत के समय जिस की जैसी बुद्धि काम कर जाए. मर्यादा ने तुरंत ही अर्जुन को अपनी बांहों में भर लिया और झूठे आंसू बहाने लगी, ‘‘अर्जुन, तुम कहां थे इतने दिन? देखो तुम्हारे बिना मेरा क्या हाल हुआ? घर वालों ने जबरदस्ती मेरी शादी करा दी…’’ कहते हुए वह उस के सीने से लिपट कर फूटफूट कर रोने लगी.
अपनी चालाकी का असर होते देख कर मर्यादा अर्जुन की पैंट में हाथ डाल कर उसे अपने साथ सैक्स के लिए उकसाने लगी.
मर्द तो चौबीस घंटे सैक्स के लिए भूखे रहते ही हैं. खुले आसमान के नीचे, कुनकुनी धूप में, पानी की टंकी के पीछे लेट कर जिस्मानी संबंध बनाने लगे.
अर्जुन ने मर्यादा के हर झूठ को सच मान लिया. अब तो वह उस से लपेटलपेट कर और भी बहुत सारे झूठ बोलने लगी, ‘‘मैं ने अपने पति के साथ सिर्फ सात फेरे लिए हैं, अपना शरीर नहीं छूने दिया… मुझे प्यार करने का हक सिर्फ तुम्हें हैं अर्जुन…
‘‘रविंद्र मेरे शरीर को जीत सकता है, लेकिन आत्मा को नहीं… मैं जल्द ही रविंद्र को तलाक दे कर हमेशा के लिए तुम्हारी हो जाऊंगी…’’
आज मर्यादा को इस अर्जुन नाम के मूर्ख प्राणी से जरा भी डर नहीं लग रहा था. एक महीना, जब तक वह अपने मायके रही, अर्जुन से अपनी और अपने परिवार की भरपूर सेवा कराई.
अर्जुन एक बार फिर कहीं से 2 लाख रुपए लूट कर उस के लिए ले आया, ताकि इन पैसों से वह अपने पति को तलाक दे सके.
वे 2 लाख रुपए एक पुलिस वाले को अर्जुन के ऐनकाउंटर के नाम पर देने के बाद मर्यादा अपनी ससुराल भाग गई. वह मर्द का बच्चा अर्जुन जबरदस्ती मर्यादा की जिंदगी को ड्रामा बनाने की कोशिश कर रहा था.