उस दिन फरवरी 2022 की 21 तारीख थी. सुबह के 10 बज रहे थे. पनकी थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह थाने पर मौजूद थे. चुनाव ड्यूटी में व्यस्त रहने के कारण वह थकान महसूस कर रहे थे. तभी एक युवक ने उन के कक्ष में प्रवेश किया. वह दिखने में फोर्स का लग रहा था, लेकिन घबराया हुआ था. उसे उस हालत में देख कर उन्होंने पूछा, ‘‘कहो जवान, क्या बात है. तुम इतने घबराए हुए क्यों हो?’’

‘‘सर, मेरा नाम इंद्रपाल है. मैं सीआरपीएफ में हैडकांस्टेबल हूं. मेरी पत्नी रीता 2 बच्चों के साथ रतनपुर की एमआईजी कालोनी में रहती है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दरम्यान मेरी ड्यूटी मैनपुरी जिले के जमालपुर पोलिंग बूथ पर थी. तभी बीती रात बड़े बेटे ने मुझे फोन पर बताया कि उस की मम्मी घर से गायब है. यह सुनते ही मैं घबरा गया.

‘‘रात भर मैं सगेसंबंधियों को फोन करता रहा. लेकिन रीता के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली. उस का मोबाइल फोन भी बंद था. सुबह होते ही मैं कानपुर आ गया और सीधे आप के पास चला आया. आप रीता की गुमशुदगी दर्ज कर उसे ढूंढने में मेरी मदद करें.’’

चूकि मामला अर्द्धसैनिक बल का था, इसलिए थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने रीता की गुमशुदगी दर्ज कर ली और इंद्रपाल से कुछ आवश्यक पूछताछ की. उस के बाद वह पुलिसकर्मियों के साथ इंद्रपाल के रतनपुर कालोनी स्थित घर पर पहुंचे.

उन्होंने घर का निरीक्षण किया तो सोच में डूब गए. घर के अंदर कमरे में मेज पर बियर की 2 खाली बोतलें तथा 2 खाली गिलास रखे थे. कमरे से कुछ अश्लील सामान तथा शक्तिवर्द्धक दवाएं भी बरामद हुईं.

पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि घर के अंदर अय्याशी का खेल चलता था. पुलिस ने बरामद सामान को सुरक्षित कर लिया.

घर पर इंद्रपाल का बड़ा बेटा मौजूद था. थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि पुष्पेंद्र अंकल घर आए थे. रात 8 बजे तक वह घर पर ही थे. उस के बाद वह कमरे में जा कर सो गया. रात 12 बजे वह उठा तो मम्मी घर पर नहीं थीं. वह घबरा गया और रोने लगा. उस के बाद उस ने पापा को मम्मी के गायब होने की खबर मोबाइल फोन से दी.

‘‘यह पुष्पेंद्र कौन है?’’ अंजन कुमार सिंह ने इंद्रपाल से पूछा.

‘‘सर, पुष्पेंद्र कठेरिया, गंगागंज (पनकी) में रहता है. वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता है. रतनपुर कालोनी में उस का औफिस है. फ्लैट खरीदने के दौरान उस से परिचय हुआ था. उस के बाद वह घर आनेजाने लगा था.’’

‘‘तुम ने रीता के संबंध में पुष्पेंद्र से बात नहीं की?’’ थानाप्रभारी ने इंद्रपाल से पूछा.

‘‘सर, हम ने रात में ही उस से पूछा था, तब उस ने बताया था कि वह तो इस समय कानपुर देहात में है.’’

थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने इंद्रपाल के पड़ोसियों से पूछताछ की तो पता चला कि इंद्रपाल की गैरमौजूदगी में फ्लैट पर कई लोगों का आनाजाना लगा रहता था. उस की पत्नी रीता चरित्रहीन है. पति की पीठ पीछे वह यारों के साथ गुलछर्रे उड़ाती है.

अंजन कुमार सिंह ने अनुमान लगाया कि रीता जरूर अपने किसी यार के साथ मौजमस्ती के लिए चली गई होगी. वह 1-2 दिन बाद खुद ही लौट आएगी. अत: वह इंद्रपाल को ढांढस बंधा कर वापस थाने आ गए. इस के बाद वह निश्चिंत हो गए और हाथ पर हाथ रख कर बैठ गए. उन्होंने रीता को खोजने का कोई प्रयास नहीं किया.

इधर ज्योंज्यों दिन बीतते जा रहे थे, त्योंत्यों इंद्रपाल की चिंता बढ़ती जा रही थी. वह अपने स्तर से पत्नी की खोज में जुटा था, लेकिन रीता का कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था.

आखिर जब इंद्रपाल हताश हो गया तो वह परिजनों के साथ एडिशनल डीसीपी (पश्चिम) बृजेश कुमार श्रीवास्तव व एसीपी (कल्याणपुर) दिनेश कुमार शुक्ला से मिला और पत्नी को खोजने की गुहार लगाई.

इतना ही नहीं, इंद्रपाल ने थाना पनकी में भी हंगामा किया. हंगामा और अधिकारियों की फटकार से पनकी पुलिस की नींद टूटी और वह रीता की खोज में जुट गई.

थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने सब से पहले रीता के मोबाइल फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो जानकारी मिली कि रीता 3 नंबरों पर ज्यादा बातें करती थी.

संदेह के घेरे में आए प्रौपर्टी डीलर और कार मैकेनिक

इन नंबरों की जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि एक नंबर उस के पति इंद्रपाल का है जबकि दूसरा नंबर प्रौपर्टी डीलर गंगागंज (पनकी) निवासी पुष्पेंद्र कठेरिया का है. आखिरी बार रीता ने जिस नंबर से बात की थी, वह नंबर कार मैकेनिक मुख्तार का था.

जांच से यह भी पता चला कि घटना वाली शाम पुष्पेंद्र व मुख्तार के मोबाइल फोन की लोकेशन रीता के घर की थी. रात 10 बजे के बाद लोकेशन कानपुर (देहात) की थी.

पुष्पेंद्र व मुख्तार संदेह के दायरे में आए तो अंजन कुमार सिंह की टीम ने दोनों को 25 फरवरी की रात 10 बजे हिरासत में ले लिया और थाने ले आए.

डीसीपी रवीना त्यागी, बृजेश श्रीवास्तव व एसीपी दिनेश शुक्ला की मौजूदगी में पुष्पेंद्र व मुख्तार से रीता के संबंध में पूछताछ शुरू हुई.

साधारण पूछताछ में दोनों पुलिस को गुमराह करते रहे, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो मुख्तार टूट गया. मुख्तार ने जो बताया, उसे सुन कर पुलिस की सांसें अटक गईं.

मुख्तार ने बताया कि रीता अब इस दुनिया में नहीं है. उस की हत्या कर शव को दफना दिया है. हत्या से पहले उस के साथ चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था.

उस के द्वारा धमकी देने पर गला दबा कर उसे मार डाला तथा शव से कीमती जेवर भी उतार लिए थे. हत्या में उस का साथी राशिद व शमशाद भी शामिल थे. मुख्तार के टूटते ही पुष्पेंद्र भी टूट गया और उस ने रीता की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.

‘‘रीता का शव तुम लोगों ने कहां दफनाया?’’ एसीपी दिनेश शुक्ला ने मुख्तार से पूछा.

‘‘साहब, कानपुर (देहात) जिले के भाऊपुर रेलवे स्टेशन के पास एक पुलिया है. उसी के नीचे रीता का शव दफन है,’’ मुख्तार ने बताया.

26 फरवरी की सुबह मुख्तार व पुष्पेंद्र को साथ ले कर पुलिस टीम भाऊपुर स्थित पुलिया के समीप पहुंची. फिर मुख्तार की निशानदेही पर दफन शव को बाहर निकलवाया.

शव बुरी तरह सड़गल चुका था और दुर्गंध आ रही थी. इस शव को इंद्रपाल ने देखा तो वह फफक पड़ा. क्योंकि शव उस की पत्नी रीता का ही था.

शव बरामद होने की खबर पा कर डीसीपी (साउथ) रवीना त्यागी, एडिशनल डीसीपी (पश्चिम) बृजेश श्रीवास्तव व एसीपी दिनेश शुक्ला भी मौके पर आ गए थे.

पुलिस अधिकारियों ने रीता के शव का बारीकी से निरीक्षण किया. फिर काररवाई निपटा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए माती भिजवा दिया.

सामूहिक दुष्कर्म की हुई पुष्टि

अब तक पुलिस टीम रीता की हत्या के आरोपी पुष्पेंद्र व मुख्तार को तो गिरफ्तार कर चुकी थी, लेकिन मुख्तार के साथी राशिद व शमशाद को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी.

अत: उन दोनों को पकड़ने के लिए पुलिस टीम ने कानपुर (देहात) जनपद के रनिया, रूरा अकबरपुर कस्बे में ताबड़तोड़ दबिशें डालीं और रूरा कस्बा से शमशाद को गिरफ्तार कर लिया. उसे थाना पनकी लाया गया.

पूछताछ में उस ने भी हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. लेकिन राशिद पुलिस के हत्थे नहीं आया. मुख्तार की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कार भी बरामद कर ली, जिसे उस ने अपने गैराज में छिपा दी थी.

इधर रीता के शव का परीक्षण डा. शिवम तिवारी, डा. स्वाति तथा डा. अमित के पैनल ने किया. परीक्षण के बाद शव को उस के पति तथा रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि रीता की हत्या गला दबा कर की गई थी तथा उस के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. शरीर पर चोट के निशान भी पाए गए.

थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने मृतका के भाई विनय कुमार की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201/376/392 तथा एससी/एसटी एक्ट के तहत पुष्पेंद्र कठेरिया, मुख्तार, राशिद तथा शमशाद के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा पुष्पेंद्र, मुख्तार व शमशाद को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस पूछताछ में रंगीनमिजाज रीता की हत्या की एक सनसनीखेज कहानी सामने आई.

उत्तर प्रदेश के कानपुर (देहात) जिले का एक बड़ा कस्बा रूरा है. इस कस्बे से 3 किलोमीटर दूर हसनापुर गांव है. दलित बाहुल्य इस गांव में रामदीन अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी उमा देवी के अलावा बेटा विनय तथा बेटी रीता थी.

रामदीन के पास 5 बीघा उपजाऊ भूमि थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. खेतीबाड़ी से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. रामदीन सरल स्वभाव का था.

रीता रामदीन की रूपवती बेटी थी. वह सुंदर तो बचपन से ही थी, लेकिन जब वह जवानी के बोझ से लदी, तो उस की सुंदरता में और भी निखार आ गया था. उस ने गांव के माध्यमिक विद्यालय से हाईस्कूल की परीक्षा पास कर ली थी और रूरा कस्बा के आरपीएस इंटर कालेज में दाखिला ले लिया था.

मुख्तार से हो गया रीता को प्यार

रीता बनसंवर कर कालेज जाती थी. उस के चाहने वाले वैसे तो कई युवक थे, लेकिन मुख्तार उसे कुछ ज्यादा ही चाहता था.

दरअसल मुख्तार भी हसनापुर गांव का ही रहने वाला था. वह आकर्षक चेहरे और कसी हुई कदकाठी का युवक था. एक रोज कालेज से लौट रही रीता पर उस की नजर पड़ी तो रीता उस की आंखों से उतर कर उस के मन में समा गई.

मन में गुदगुदी मची, तो वह अकसर ही उस की राहों में खड़ा रहने व उस से किसी न किसी बहाने बातचीत करने का प्रयास करने लगा.

रीता उम्र के उस मोड़ पर थी, जहां लड़कियां अकसर बहकावे में आ जाती हैं. मुख्तार की रसीली बातों में रीता भी बहक गई. आखिरकार रीता का दिल जीतने में मुख्तार कामयाब हो गया. दोनों घर और समाज के लोगों से छिपछिप कर मिलने लगे.

इसी छिपाछिपाई के खेल में एक रोज दोनों बहक गए और उन का शारीरिक मिलन हो गया. शारीरिक मिलन का सुख ही निराला होता है. एक बार सुख भोगा तो वह इस सुख को प्राप्त करने के लिए अवसर तलाशने लगे.

धीरेधीरे रीता और मुख्तार के प्यार के चर्चे पूरे गांव में होने लगे. इन चर्चों की भनक रामदीन के कानों में पड़ी तो वह परेशान रहने लगा.

इसी परेशानी में वह एक रोज माथा पकड़े बैठा था, तभी उमा की नजर पति पर पड़ी. वह बोली, ‘‘रीतू के बापू, का भवा, जो खपडि़या पकड़े हौ? तनिक हमहूं तौ जानी तोहका काहे की चिंता है?’’

रामदीन ने अपनी पत्नी पर नजर डाली, फिर उस का दर्द छलक पड़ा, ‘‘भाग्यवान, तोहरी लाडली ने बिरादरी मां हमरा सिर झुकाय दवो. हम मुंह दिखाय काबिल नाहीं रहे. मुंह पर कालिख पोत दी वाने.’’

‘‘ऐसो का गजब ढा दओ हमरी रीतू ने, जौने मां तोहार सिर झुक गवा,’’ उमा ने पूछा.

‘‘जनिहौ, तौ सुनौ. बड़े मियां का लौंडा है न मुख्तार. वाहके साथ तोहरी लाडली नैनमटक्का करत है. सैरसपाटा करत है और हमरी इज्जत नीलाम करत है.’’

‘‘का कहत हौ रीतू के बापू. हम का तौ विश्वास नाही होत हवै. कौनो ने तोहरे कान फूंके हवै.’’

‘‘नाही भाग्यवान, धुआं होत है, तवैं आग लागत है. बात फैली है, तौ सच्चाई जरूर हवै.’’

‘‘ठीक है, रीतू के बापू. सच्चाई है तौ हम खबर जरूर लीहैं. उस लौंडियां ने अम्मा का दुलार देखा हवै. अब नफरत भी दिखिहैं.’’ उमा का चेहरा तमतमा गया.

फूट गया प्यार का भांडा

उस रोज शाम 5 बजे रीता कालेज से लौटी तो उमा फट पड़ी और रीता को खूब खरीखोटी सुनाई. रीता चुप रही. क्योंकि उसे पता था कि उस के और मुख्तार के प्यार का भांडा फूट गया है.

उमा और रामदीन ने आपस में सलाहमशविरा किया फिर रीता की पढ़ाई बंद करने का हुक्म सुना दिया. इसके बाद रामदीन रीता के ब्याह के लिए वर की तलाश में जुट गया.

रीता की शादी की जानकारी मुख्तार को हुई तो एक दिन वह लोगों की नजर बचा कर रीता से मिला, ‘‘सुना है, तुम्हारे पापा तुम्हारी शादी की बात चला रहे हैं.’’

‘‘हां, यह बात बिलकुल ठीक है,’’ रीता बोली, ‘‘पर मैं भला क्या कर सकती हूं. पापा बड़े जिद्दी हैं और अपनी जिद के आगे वह किसी की भी नहीं सुनते.’’

‘‘तो चलो, हमतुम हसनापुर गांव छोड़ कर कहीं दूर निकल चलें और वहीं रह कर अपना घर बसा लें.’’

रीता सोच में पड़ गई. मुख्तार भावुक हो उठा, ‘‘अगर तुम ने मेरा साथ नहीं दिया तो मैं कल ही हसनापुर छोड़ कर कहीं चला जाऊंगा और किसी तालपोखरे में डूब कर अपनी जान दे दूंगा.’’

‘‘ऐसा मत कहो मुख्तार,’’ रीता ने उस के होंठों पर हथेली रख दी, ‘‘मेरी मजबूरी समझो मुख्तार. हम हिंदू, तुम मुसलमान. घर वाले तुम से ब्याह रचाने को कभी राजी नहीं होंगे. मैं तुम से वादा करती हूं कि जितना प्यार मैं अभी तुम से करती हूं, उतना ही शादी के बाद भी करती रहूंगी. मिलन भी होता रहेगा.’’

‘‘तब ठीक है,’’ मुख्तार ने रीता की बात मान ली. फिर दोनों अपनेअपने घर चले गए.

शहर में फ्लैट ले कर रहने लगा इंद्रपाल

मुख्तार कार मोटर मैकेनिक था. रूरा के एक गैराज में वह काम करता था. रीता से उस का मिलन बंद हुआ तो वह मन लगा कर काम करने लगा. घर वालों के हाथ पर भी वह चार पैसे रखने लगा. रीता के घर वालों ने भी चैन की सांस ली. हालांकि फोन पर उन की बातें जबतब होती रहती थीं.

इधर रामदीन ने रीता के योग्य वर की तलाश शुरू की तो उसे एक लड़का इंद्रपाल पसंद आ गया. इंद्रपाल कानपुर (देहात) जिले के थाना अकबरपुर के गांव विसानपुर का रहने वाला था.

मातापिता के अलावा एक भाई रामपाल था, जो फौज में था. इंद्रपाल स्वयं भी सीआरपीएफ में था. दोनों भाई कुंवारे थे. उस के पिता लाखन इंद्रपाल की शादी के लिए लालायित थे.

रामदीन ने जब हट्टेकट्टे जवान इंद्रपाल को देखा तो उस ने उसे अपनी बेटी रीता के लिए पसंद कर लिया. रीता और इंद्रपाल ने भी एकदूसरे को देख कर पसंद कर लिया. दोनों की रजामंदी होने के बाद रामदीन ने 24 फरवरी, 2006 को रीता का विवाह इंद्रपाल के साथ कर दिया.

रीता इंद्रपाल की दुलहन बन कर अपनी ससुराल विसानपुर आ गई. ससुराल में रीता को जिस ने भी देखा, उसी ने उस के रूप की सराहना की. विसानपुर गांव में बरसों बाद रीता जैसी रूपसी बहू आई थी. इंद्रपाल भी खूबसूरत पत्नी पा कर खुश था और रीता भी सुंदर स्वस्थ पति पा कर खुश थी.

शादी के 2 साल बाद रीता ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया. बेटे के जन्म के 4 साल बाद रीता ने दूसरे बेटे को जन्म दिया.

2 बेटों के जन्म से इंद्रपाल और रीता के जीवन में बहार आ गई. इंद्रपाल की भी किस्मत पलटी और वह सिपाही से हैडकांस्टेबल बन गया. रीता जहां खुश थी, वहीं उस के सासससुर भी 2 बेटों के जन्म से फूले नहीं समा रहे थे.

समय बीतते जब दोनों बेटे कुछ बड़े हुए तो रीता को उन की चिंता सताने लगी. दरअसल रीता दोनों बेटों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहती थी, जो गांव में रह कर संभव नहीं थी. अत: जब इंद्रपाल गांव आया तो उस ने अपनी बात रखी और शहर में रहने की इच्छा जताई.

इंद्रपाल ने पहले तो मना कर दिया, लेकिन बाद में उसे पत्नी की जिद के आगे झुकना पड़ा. वह रीता व बच्चों को शहर में रखने को राजी हो गया.

इस के बाद इंद्रपाल ने कानपुर शहर के पनकी थाना अंतर्गत रतनपुर में एक एमआईजी फ्लैट खरीद लिया. इस का सौदा उस ने प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र कठेरिया के मार्फत किया था.

फ्लैट खरीदने के बाद इंद्रपाल अपनी पत्नी रीता व बच्चों के साथ कालोनी में रहने लगा. कुछ दिनों बाद उस ने इंग्लिश मीडियम स्कूल में दोनों बेटों का एडमिशन करा दिया.

इधर मुख्तार को जब पता चला कि रीता अपने बच्चों के साथ रतनपुर कालोनी में रहने लगी है तो वह रीता से मिलने उस के घर आने लगा. चूंकि मुख्तार रीता का पुराना प्रेमी था, सो जल्द ही दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गईं और नाजायज रिश्ता फिर से कायम हो गया.

शादी के बाद भी प्रेमी मुख्तार की बांहों में खेलती रही रीता

मुख्तार भी अब तक गांव छोड़ कर कानपुर शहर आ गया था और पनकी क्षेत्र में गैराज चलाने लगा था. चूंकि मुख्तार कुशल कार मैकेनिक था सो उस का काम वहां भी चल पड़ा था और कमाई भी होने लगी थी.

रीता का पति इंद्रपाल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में था. उस की तैनाती विभिन्न प्रांतों में होती रहती थी. उसे जब छुट्टी मिलती थी, तभी घर आ पाता था.

रीता 2 बच्चों की मां जरूर थी. लेकिन तन्हाई उसे सताती थी. ऐसे में पुराने आशिक मुख्तार ने आना शुरू किया तो वह उसे रोक न पाई और तन्हाई दूर करने लगी.

मुख्तार का आना और देर रात तक रुकना, अड़ोसपड़ोस के लोगों को खलने लगा. वह रीता को संदेह की नजर से देखने लगे. कुछ महीने बाद इंद्रपाल घर आया तो उन्होंने उस से चुगली कर दी.

इंद्रपाल ने रीता से सवालजवाब किया तो रीता तुनक कर बोली, ‘‘जिन के पति बाहर रह कर कमाते हैं, उन की औरतों को ऐसे ताने सुनने ही पड़ते हैं. मुख्तार उस के गांव का है. उस के भाई जैसा है. घर आ कर हमारी मदद करता है. लेकिन पड़ोसियों को जलन होती है. तुम्हारे भी कान उन्होंने भरे होंगे.’’

इंद्रपाल को भी लगा कि रीता शायद सही कह रही है. उस ने यह बात वहीं खत्म कर दी. रीता ने भी मुख्तार को फोन पर जानकारी दे दी कि इंद्रपाल घर आया है, इसलिए वह घर न आए. इंद्रपाल की मौजूदगी में वह उसे फोन भी न करे.

फ्लैट खरीदने के दौरान इंद्रपाल की दोस्ती प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र कठेरिया से हो गई थी. जब वह घर आता था, तो पुष्पेंद्र से जरूर मिलता था. दोनों में खूब बातचीत होती थी और खानेपीने का दौर चलता था.

दोनों का मिलन पुष्पेंद्र के रतनपुर वाले औफिस में होता था. इंद्रपाल उस की शानोशौकत से भी प्रभावित था.

इस बार इंद्रपाल आया तो उस ने पुष्पेंद्र को अपने घर दावत पर बुलाया. पुष्पेंद्र सजसंवर कर इंद्रपाल के घर आया, तो वहां उस की मुलाकात इंद्रपाल की पत्नी रीता से हुई.

पहली ही नजर में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हुए. खानेपीने के दौरान भी पुष्पेंद्र की नजरें रीता पर ही टिकी रहीं. वह उस की खूबसूरती का बखान भी करता रहा. रीता मन ही मन खुश होती रही और मंदमंद मुसकराती रही. इंद्रपाल कुछ दिनों बाद ड्यूटी पर चला गया, लेकिन पुष्पेंद्र का रीता के घर आना जारी रहा. वह हृष्टपुष्ट बांका जवान था और स्वभाव से मृदु व शालीन भी. उधर 2 बच्चों की मां हो कर भी रीता के रूपलावण्य में कमी नहीं आई थी.

प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र भी बन गया बिस्तर का साथी

पुष्पेंद्र उसे उठतेबैठते देखता, तो उस के मन में खोट आ जाती. वह उस से हंसीठिठोली करने लगता. धीरेधीरे रीता को भी उस की बातें अच्छी लगने लगीं.

कहते हैं, औरत एक बार पतन की राह पकड़ ले तो वह उसी राह पर बढ़ती जाती है. रीता भी ऐसी ही औरत थी. वह एक बार फिसली तो फिर फिसलती ही चली गई. उस ने न मानमर्यादा की परवाह की और न ही घर की इज्जत की. उस ने पति के साथ भी विश्वासघात किया.

पुष्पेंद्र जानता था कि पति सुख से वंचित रीता एक प्यासी औरत है. ओस की एक बूंद भी उसे तृप्त कर सकती है. वह रीता से नजदीकियां बढ़ाने लगा. वह रीता को भाभी कहता था. इस नाते खूब हंसीमजाक करता था. रीता उस के मजाक का बुरा नहीं मानती थी, बल्कि जवाब दे कर ठहाके लगाती थी.

रीता को अब उस की बातों में रस आने लगा था. आखिर एक रात भाभीदेवर के रिश्ते की दीवार ढह ही गई. दोनों को इस खेल का पछतावा भी नहीं हुआ.

रीता ने पुष्पेंद्र से जिस्म का रिश्ता बनाया तो वह मुख्तार से दूरियां बनाने की कोशिश करने लगी. मुख्तार को शक हुआ तो उस ने रीता पर निगरानी शुरू कर दी. तब उसे पता चला कि रीता ने प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र को अपने बिस्तर का साथी बना लिया है. इसी कारण वह उस से दूरियां बना रही है.

उसे रीता पर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वह गुस्से को पी गया. रीता के साथ पुष्पेंद्र की निकटता मुख्तार की आंखों में चुभने लगी. एक शाम मुख्तार रीता के घर आया तो घर के बाहर पुष्पेंद्र भी खड़ा था. उसे देख कर मुख्तार बोला, ‘‘आइंदा तूने इस देहरी पर कदम रखा तो मैं तेरे पैर ही काट डालूंगा, ध्यान रखना.’’

पुष्पेंद्र ने आंखें तरेर कर मुख्तार को घूरा, ‘‘तू रीता का खसम तो है नहीं. फिर तू मुझे रोकने वाला होता कौन है?’’

‘‘कौन होता हूं, यह तो मैं तुझे अभी बता सकता हूं. इस समय चुपचाप यहां से भाग जा, नहीं तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाएगा मेरे हाथों से.’’ मुख्तार ने आस्तीनें चढ़ा लीं.

दोनों के बीच झगड़े की आवाजें सुन कर रीता भी घर से बाहर निकल आई. वह पुष्पेंद्र से बोली, ‘‘तुम यहां से चले जाओ. इस समय मेरी बात मानो.’’

पुष्पेंद्र बड़बड़ाता हुआ चला गया. तब मुख्तार रीता का हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए मकान के अंदर ले गया. फिर बोला, ‘‘अब कभी वह तुम से मिलने आया तो उसे ठिकाने लगा दूंगा, तुझे भी जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’

‘‘देखो मुख्तार, गुस्सा थूक दो और मेरी बात सुनो, तुम दोनों मेरे बिस्तर के साथी हो. न मैं तुम्हें छोड़ सकती हूं और न पुष्पेंद्र को. आपस में लड़ाई करने से कोई फायदा नहीं. आज के बाद तुम दोनों कभी भी आ सकते हो. साथ बैठ कर ड्रिंक कर सकते हो और बिस्तर के साथी भी बन सकते हो.’’

ग्रुप सैक्स का मजा लेती थी रीता

मुख्तार ने रीता की बात मान तो ली, लेकिन वह नफरत से सुलग उठा. उस ने निश्चय कर लिया कि वह इस विश्वासघाती औरत को सबक जरूर सिखाएगा.

इस के बाद मुख्तार ने पुष्पेंद्र से हाथ मिला लिया. फिर वे दोनों साथसाथ खानेपीने लगे. रीता के घर पर भी उन की महफिल सजने लगी. अय्याशी के लिए शक्तिवर्द्धक दवाओं, स्प्रे आदि का भी प्रयोग होने लगा. रीता भी ग्रुप सैक्स का भरपूर मजा लेती थी.

20 फरवरी, 2022 को पुष्पेंद्र ने कई बार रीता को फोन किया, लेकिन उस ने काल रिसीव नहीं की. शाम 5 बजे उस ने पुष्पेंद्र की काल रिसीव की और उस से बात की.

बात करने के बाद पुष्पेंद्र बियर की 2 बोतलें ले कर रीता के घर पहुंच गया. वहां उस ने रीता के साथ बैठ कर बियर पी. रीता का बड़ा बेटा घर पर ही था. उस ने पुष्पेंद्र को मां के साथ हंसतेबतियाते भी देखा था. रात 8 बजे बेटे को नींद सताने लगी तो वह कमरे में जा कर सो गया.

कुछ देर बाद मुख्तार भी कार ले कर रीता के घर आ गया. कार किसी ग्राहक की थी, जो उस के गैराज में मरम्मत के लिए आई थी. कार में उस के 2 साथी राशिद व शमशाद भी थे. वह कार में ही बैठे रहे.

मुख्तार का रीता ने जोरदार स्वागत किया. पुष्पेंद्र भी गले मिला. उस के बाद मुख्तार और पुष्पेंद्र ने बैठ कर बियर पी. रीता ने भी उन का साथ दिया. बियर पीने के बाद मुख्तार ने बाहर घूमने और खाना खाने की बात कही. इस पर थोड़ी नानुकुर के बाद रीता घूमने जाने को राजी हो गई.

रीता के साथ कार में किया सामूहिक बलात्कार

कुछ देर बाद रीता सजधज कर कमरे से बाहर आई तो पुष्पेंद्र और मुख्तार की आंखें चौंधिया गईं. वह जेवर पहने थी और दुलहन की तरह सजी थी. जेवर देख कर मुख्तार के मन में लालच आ गया. फिर नफरत और लालच ने उसे जुर्म करने को मजबूर कर दिया.

रात 9 बजे मुख्तार उस के साथी राशिद, शमशाद व पुष्पेंद्र रीता को कार में बिठा कर घूमने निकले. वह भौंती होते हुए रूरा की तरफ बढ़े. इसी बीच मुख्तार और पुष्पेंद्र रीता से शारीरिक छेड़छाड़ करने लगे. रीता ने विरोध किया तो मुख्तार उसे नोचनेकाटने लगा.

रीता चीखी तो पुष्पेंद्र ने उस का मुंह दबोच लिया. इस के बाद चलती कार में बारीबारी से मुख्तार, पुष्पेंद्र, राशिद व शमशाद ने रीता के साथ गैंगरेप किया.

रेप के बाद मुख्तार, रीता के जेवर उतारने लगा तो रीता ने सब को जेल भिजवाने की धमकी दी.

इस धमकी से चारों डर गए. उस के बाद सब ने मिल कर रीता की गला दबा कर हत्या कर दी. फिर शव से आभूषण उतार कर रख लिए. उस का मोबाइल फोन तोड़ कर बंबी में फेंक दिया.

रीता की हत्या के बाद वे भाऊपुर पहुंचे. स्टेशन के पास पुलिया पर उन्होंने कार रोकी. फिर सब ने मिल कर शव को कार से उतारा और पुलिया के नीचे दफन कर दिया. ऊपर से ईंटें रख दीं.

शव को ठिकाने लगाने के बाद मुख्तार ने कार गैराज में खड़ी कर दी. इस के बाद सब अपनेअपने घर चले गए. दूसरे रोज मुख्तार ने लूटे गए आभूषण अपने परिचित सर्राफ को बेच दिए.

इधर रात 12 बजे बड़े बेटे की आंखें खुलीं तो वह कमरे से बाहर आया. उस ने मम्मी को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. वह जोर से रोने लगा.

उस के रोने की आवाज सुन कर पड़ोसी आ गए. उस ने उन्हें सारी बात बताई, फिर पड़ोसी के फोन से अपने पापा इंद्रपाल को मम्मी के अचानक गायब होने की जानकारी दी.

जानकारी पा कर इंद्रपाल घर आया और रीता की गुमशुदगी थाना पनकी में दर्ज कराई. गुमशुदगी के 4 दिन बाद पुलिस ने रीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस के बाद यह केस खुल सका.

27 फरवरी, 2022 को पुलिस ने आरोपी मुख्तार, पुष्पेंद्र कठेरिया तथा शमशाद को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. चौथा आरोपी राशिद फरार था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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