लालच का भूत जब किसी आदमी पर सवार हो आता है, तो वह रातोंरात अमीर बनने का सपना पूरा करने के लिए बिना नतीजे की चिंता किए किसी भी हद तक चला जाता है, लेकिन कानून के शिकंजे में जब वह फंसता है, तो उस की सारी चालाकी धरी की धरी रह जाती है व उस के काले कारनामे सामने आ जाते हैं.

विनय अग्रवाल फर्जी आईजी बन गया, लेकिन उस के साथ जो 2 पुलिस वाले रहते थे, वे फर्जी नहीं थे. लालच का भूत उन पर भी सवार था. वे दोनों ही विनय अग्रवाल की पहचान आईजी के रूप में सभी से कराते थे व हरियाणा में पकड़े जाने का डर था, इसीलिए इन्होंने हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी को इस काम के लिए चुना और उद्योग से जुड़े लोगों को डराधमका कर मोटी रकम वसूलना शुरू कर दिया.

ये 2 पुलिस वाले रविंद्र (सोनीपत) व जसवीर (जगाधरी) यमुनानगर में तैनात हैं. ये दोनों ही वरदी में इस नकली आईजी के साथ रहते थे, ताकि किसी को भी फर्जी आईजी पर शक न हो व इस इरादे में वे कामयाब भी रहे. उन्होंने डराधमका कर के लोगों से करोड़ों रुपए की उगाही कर ली.

सोनीपत के बाशिंदे विनय अग्रवाल का सालाना टर्नओवर करोड़ों में है. इस ने तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए की गैरकानूनी वसूली यहां से की है. उत्तराखंड (हरिद्वार) में आरोपी की फार्मा यूनिट?है. विनय अग्रवाल व शिकायत करने वाले में कारोबार की डील होती थी. शिकायत करने वाला वहां कई उत्पाद बनाता था. जब उन दोनों में खटपट हुई, तो नौबत शिकायत की आ गई.पुलिस ने एसआईटी का गठन किया व कई बातों से परदा उठाया.

विनय के साथी सेठी को भी फिर हिरासत में ले कर लंबी पूछताछ हुई. सेठी ने ही विनय को कालाअंब (नाहन) में उद्योगपति (जगवीर) से मिलवाया था. जगवीर की कालाअंब में कई फार्मा यूनिट हैं.

सीआईडी ने पंचकूला, हरियाणा बद्दी व कालाअंब में भी दबिश दी है. एसआईटी ने आरोपी की जायदाद कहांकहां व कितनी है, तथ्यों को जुटा लिया है. फोन नंबर व काल डिटेल की भी पूरी जांच कर ली है.

यह धंधा कब से चल रहा था, इस में मुख्य सरगना कौन हैं, इस पर छानबीन चल रही है व हरियाणा के कुछ बड़े अफसर भी शक के दायरे में हैं कि हरियाणा पुलिस के  2 वरदीधारी आखिर किस के इशारों पर चल रहे थे.

पूरे तथ्य जुटा कर व लंबी जांच के बाद चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, वहां अभी जमानत नहीं मिली है. हिमाचल हाईकोर्ट से जमानत मिलने तक आरोपी पुलिस हिरासत में ही रहेंगे. दोनों पुलिस वालों को भी शिमला में पूछताछ के लिए बुलाया गया.

कितना ताज्जुब होता?है कि जब ऐसे लोग किसी लालच व दबाव में अनैतिक काम कर अपराध की दलदल में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें कानून की जरा भी फिक्र नहीं होती कि आखिर सच सामने आने पर उन का क्या हश्र होगा.

अगर हर इनसान पहले ही भयानक नतीजों व कठोर सजा पर गौर कर ले, तो शायद वह इस दलदल में उतरे ही न.

मुकेश विग

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