‘‘किरण, क्या तुम मु?ा से नाराज हो?’’
‘‘नहीं तो.’’
‘‘तो फिर तुम ने मु?ा से अचानक बोलना क्यों बंद कर दिया?’’
‘‘यों ही.’’
‘‘मु?ा से कोई गलती हो गई हो, तो बताओ... मैं माफी मांग लूंगा.’’
‘‘ऐसा कुछ नहीं है सुदीप. अब मैं सयानी हो गई हूं न, इसलिए लोगों को मु?ा पर शक होने लगा है कि कहीं मैं गलत रास्ता न पकड़ लूं,’’ किरण ने उदास मन से कहा.
‘‘जब से तुम ने मु?ो अपने से अलग किया है, तब से मेरा मन बेचैन रहने लगा है.’’
सुदीप की बातें सुन कर किरण बोली, ‘‘अभी तक हम दोनों में लड़कपन था, बढ़ती उम्र में जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं. दूसरों के कहने पर यह सब सम?ा में आया.’’
‘‘तुम ने कभी मेरे बारे में सोचा है कि मैं कितना बेचैन रहता हूं?’’
‘‘घर का काम निबटा कर जब मैं अकेले में बैठती हूं, तो दूसरे दोस्तों की यादों के साथसाथ तुम्हारी भी याद आती है. हम दोनों बचपन के साथी हैं. अब बड़े हो कर भी लगता है कि हम एकदूसरे के हमजोली बने रहेंगे.’’
‘‘तो दूरियां मत बनाए रखो किरण,’’ सुदीप ने कहा.
यह सुन कर किरण चुप हो गई.
जब सुदीप ने अपने दिल की बात कही, तो किरण का खिंचाव उस की ओर ज्यादा बढ़ने लगा.
दोनों अपने शुरुआती प्यार को दुनिया की नजरों से छिपाने की कोशिश करने लगे. लेकिन जब दोनों के मिलने की खबर किरण की मां रामदुलारी को लगी, तो उस ने चेतावनी देते हुए कहा कि वह अपनी हद में ही रहे.
उसी दिन से सुदीप का किरण के घर आनाजाना बंद हो गया.
लेकिन मौका पा कर सुदीप किरण के घर पहुंच गया. किरण ने बहुत कहा कि वह यहां से चला जाए, लेकिन सुदीप नहीं माना. उस ने कहा, ‘‘मैं ने तुम से दिल लगाया, तुम डरती क्यों हो? मैं तुम से शादी करूंगा, मु?ा पर भरोसा करो.’’