नसीम अंसारी कोचर
18सितंबर, 2021 की रात को बिहार के शहर मुजफ्फरपुर के टाउन थाना क्षेत्र के बालूघाट इलाके में स्थित एक मकान की तीसरी मंजिल के कमरे में अचानक तेज धमाका हुआ. धमाके की आवाज के साथ बंद कमरे के खिड़कीदरवाजे की झिर्रियों से काला धुआं निकलने लगा.
पहले लोगों को लगा कि मकान के भीतर कोई बम फटा है. कुछ लोगों ने अंदाजा लगाया कि शायद गैस सिलिंडर फटा है. कुछ ही देर में वहां भारी भीड़ जुट गई, मगर मकान के भीतर जाने की हिम्मत किसी की नहीं हो रही थी. मकान से निकलने वाला बदबूदार धुआं हवा में फैलता जा रहा था.
इसी दौरान भीड़ में मौजूद किसी व्यक्ति ने इस की सूचना फोन द्वारा पुलिस को दे दी. इस सूचना पर थोड़ी देर में पुलिस की गाड़ी और फायर ब्रिगेड वहां पहुंच गई. पुलिस और फायर ब्रिगेड कर्मचारी जब दरवाजा तोड़ कर भीतर पहुंचे तो वहां का दृश्य देख कर उन के होश उड़ गए. वहां एक ड्रम गिरा पड़ा था. आसपास मांस के लोथड़े बिखरे हुए थे. ड्रम से बदबूदार धुआं बाहर निकल रहा था. लग रहा था जैसे कि ड्रम में कोई कैमिकल हो.
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फायर ब्रिगेड ने खिड़की और अन्य सामान में लगी आग बुझाई. धुआं छंटा तो ड्रम के भीतर मानव शरीर के टुकड़े मिले. पुलिस ने सभी टुकड़े इकट्ठे किए तो उन की संख्या 8 थी. वे टुकड़े किसी पुरुष के थे, जिन्हें शायद ड्रम के भीतर भरे कैमिकल में गलाने के लिए डाला गया था. कमरे में और कोई नहीं था.
पुलिस के सामने बड़ा सवाल उस लाश की पहचान का था. आखिर वह कौन था? उसे क्यों मारा गया? किस ने मारा? मार कर उस की लाश गलाने के लिए ड्रम में कैमिकल के भीतर किस ने डुबोई? कातिल एक था या कई थे? ऐसे अनेक सवाल पुलिस के सामने थे.
पुलिस ने लाश की पहचान के लिए बाहर खड़े लोगों को बुलाया. मगर कोई भी उस लाश को नहीं पहचान पाया. तभी भीड़ से एक आदमी निकल कर लाश के काफी करीब पहुंच गया. वह झुक कर लाश को गौर से देखने लगा और फिर उस ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया.
उस ने कहा कि उस का नाम दिनेश साहनी है और यह लाश उस के भाई राकेश साहनी की है, जो शराब का अवैध धंधा करता था और जिस के खिलाफ पुलिस ने वारंट निकाल रखा था.
गौरतलब है कि बिहार में शराबबंदी लागू है. राकेश लंबे समय से पुलिस से छिपछिप कर यहांवहां रह रहा था. मगर वह मारा जा चुका है, इस बात से उस के घरवाले बेखबर थे.
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लाश की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने मकान मालिक सुनील कुमार शर्मा को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. दरअसल, किताब कारोबारी सुनील कुमार शर्मा के इस मकान में कई कमरे थे, जिसे उस ने अलगअलग लोगों को किराए पर दे रखे थे.
जिस कमरे से लाश मिली, वह सुनील ने सुभाष नाम के व्यक्ति को किराए पर दिया हुआ था. लेकिन इधर काफी दिनों से सुभाष और उस का परिवार यहां दिख नहीं रहा था. आसपास के लोग सोच रहे थे कि शायद वह सपरिवार गांव गया हुआ है.
दिनेश साहनी की तहरीर पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी. पुलिस का पहला लक्ष्य था सुभाष की तलाश करना. राकेश नाम के जिस व्यक्ति की लाश टुकड़ों में पुलिस को मिली थी, वह शराब का अवैध धंधा करता था और सुभाष भी उस के धंधे में बराबर का शरीक था.
मकान मालिक से हुई पूछताछ
मकान मालिक सुनील कुमार शर्मा ने पुलिस को बताया कि जब उस ने सुभाष को यह कमरा किराए पर दिया था, तब उस ने बताया था कि वह मुजफ्फरपुर के कर्पूरी नगर का रहने वाला है. वहां उस के घर में बाढ़ का पानी घुस गया है, इस वजह से वह कुछ दिन इस मकान में किराए पर रहना चाहता है.
सुनील ने अपने बयान में कहा, ‘‘मैं ने उस को कमरा इसलिए किराए पर दे दिया क्योंकि उस ने किराए में कोई रियायत नहीं मांगी, उलटा बाकी किराएदारों द्वारा दिए जा रहे किराए से एक हजार रुपए ज्यादा दिए और एडवांस किराया औनलाइन ही अकाउंट में जमा करवा दिया.
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‘‘फिर वह अपनी पत्नी और 3 बच्चों के साथ यहां रहने लगा. कुछ दिन बाद उस की साली और साढ़ू भी यहां आ कर उस के साथ रहने लगे. मगर 3 दिन से कमरे पर ताला लटका था तो लगा कि वह अपने पुराने मकान में गए होंगे.’’
उधर राकेश के बारे में पुलिस को पता चला कि 5 साल पहले उस ने राधा से शादी की थी. उस के 3 बच्चे हैं. वह सुभाष के साथ मिल कर अवैध शराब का धंधा चलाता था और फिलहाल पुलिस से जान बचा कर भागा हुआ था. उस की पत्नी राधा भी उसी दिन से गायब है जिस दिन से राकेश गायब है.
पुलिस को यह भी पता चला कि जबजब राकेश पुलिस से बचने के लिए फरार होता था, उस की पत्नी बच्चों को ले कर सुभाष के इसी मकान में आ जाती थी और सुभाष ही उन का खयाल रखता था.
कुछ लोगों ने यह भी बताया कि सुभाष और राधा के बीच अफेयर चल रहा था. आसपास के कुछ लोग तो यही समझते थे कि राधा सुभाष की पत्नी है. ऐसा समझने वालों में मकान मालिक सुनील शर्मा भी था.
पुलिस को सुभाष और राधा के ऊपर शक पक्का हो गया और वह तेजी से उन की तलाश में जुट गई. शहर भर के होटलों, बस अड््डों और रेलवे स्टेशन पर उन की खोज शुरू हो गई. आखिरकार पुलिस की तेजी काम आई और पुलिस ने सुभाष और राधा को शहर के स्टेशन रोड से गिरफ्तार कर लिया. दोनों दिल्ली भागने की फिराक में थे और ट्रेन पकड़ने के लिए निकले थे.
पुलिस ने उन की निशानदेही पर अहियापुर थाने के संगम घाट के पास से खून से सने कपड़े व बिस्तर भी बरामद किया. कपड़े सुभाष, राधा और अन्य आरोपियों के थे.
जिन लोगों को पुलिस और अन्य लोग सुभाष की साली और साढ़ू समझ रहे थे, दरअसल वे राकेश की साली यानी राधा की बहन कृष्णा देवी और उस का पति विकास कुमार था, जो सुभाष और राधा के साथ राकेश साहनी की हत्या में शामिल थे.
सुभाष के बताने पर पुलिस ने दोनों को पकड़ने के लिए सीतामढ़ी व शिवहर में छापेमारी की, मगर सुभाष और राधा की गिरफ्तारी की खबर पा कर दोनों वहां से फरार हो चुके थे.
राधा निकली मास्टरमाइंड
पुलिस ने सुभाष और राधा को थाने ला कर जब सख्ती से पूछताछ की तो राकेश की हत्या की रोंगटे खड़े कर देने वाली एक भयानक कहानी सामने आई.
दरअसल, अवैध शराब के धंधेबाज राकेश कुमार की हत्या की साजिश 2 माह से रची जा रही थी. इस साजिश में उस का दोस्त सुभाष, राकेश की पत्नी और सुभाष की प्रेमिका राधा, राधा की बहन कृष्णा और उस का पति विकास शामिल था.
राकेश की हत्या कर शव के डिस्पोजल की तैयारी भी पूरी कर ली थी. शव को गलाने के लिए कैमिकल का इंतजाम किया गया था. शव से उठने वाली दुर्गंध को बाहर फैलने से रोका जा सके, इस के लिए अगरबत्ती का इंतजाम भी किया गया था.
राकेश की हत्या के पीछे कारण था सुभाष और राधा का नाजायज रिश्ता. दरअसल, शराब के धंधे के चलते राकेश के पीछे अकसर पुलिस पड़ी रहती थी. इस के चलते राकेश कईकई दिनों तक अंडरग्राउंड हो जाता था. उस के पीछे उस की पत्नी राधा और बच्चों की देखभाल सुभाष ही करता था.
पति के बाहर कहीं छिपते रहने की वजह से राधा की सुभाष के साथ नजदीकियां बढ़ती गईं. सुभाष भी राधा को चाहता था. इस तरह उन दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए.
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राकेश को जब इस बात का पता चला तो उस ने पत्नी राधा को खूब पीटा. राधा ने उस से माफी मांग ली. सुभाष ने भी उस से माफी मांग ली. राकेश की भी मजबूरी थी. क्योंकि वह बीवीबच्चों की देखभाल के लिए सुभाष पर आश्रित था. लिहाजा उस ने दोनों को माफ कर दिया.
लेकिन यही उस की भूल थी. राकेश जबजब परेशान होता तो वह राधा से लड़ता और राधा भाग कर सुभाष के घर चली जाती थी. फिर राकेश उसे समझाबुझा कर वापस ले आता. यह चक्र काफी समय से चल रहा था.
सुभाष ने राधा को अपने प्रेम जाल में पूरी तरह फांस रखा था और राधा भी अब राकेश की गालीगलौज और मारपीट से तंग आ चुकी थी. राधा पति के बजाय अपने प्रेमी सुभाष के साथ ज्यादा खुशी महसूस करती थी. वह तनमन दोनों से सुभाष की हो चुकी थी.
अब राकेश दिनरात उस की नजर में खटक रहा था. वह उस की कोई भी जलीकटी बात सुनने को तैयार नहीं थी. सुभाष और राधा अब राकेश को अपने बीच कांटा समझने लगे थे.
पति के बाहर रहने पर बहक गई राधा
राकेश की जिंदगी स्थिर नहीं थी. पुलिस उस के पीछे थी और घर में बीवी उसे धोखा दे रही थी. वह काफी तनाव में रहता था और अकसर शराब पी कर राधा को पीट देता था.
राधा अब राकेश से ज्यादा ही परेशान हो चुकी थी. वह उस की मोहब्बत के रास्ते का रोड़ा भी था, लिहाजा राधा और सुभाष ने इस रोड़े को हटाने का मन बना लिया था.
कर्पूरी नगर में जहां सुभाष का घर था, वहां उस के अन्य परिवार वाले भी रहते थे. सभी का एकदूसरे के घर में आनाजाना लगा रहता था. काफी घनी बस्ती होने के कारण वहां हत्याकांड को अंजाम देना संभव नहीं था. इसलिए सुभाष बालूघाट में नया ठिकाना तलाशने लगा.
उसे पता चला कि सुनील शर्मा के मकान की तीसरी मंजिल खाली है. उस ने किसी के माध्यम से सुनील कुमार शर्मा की मां से संपर्क साधा और बाढ़ पीडि़त होने की बात कह कर किराए पर कमरा देने का आग्रह किया.
उस ने मकान में अन्य कमरों के किराएदारों से एक हजार रुपए अधिक किराया देना भी स्वीकार किया और फटाफट एडवांस किराया औनलाइन उस के अकाउंट में जमा करवा दिया.
वह अपने कुछ सामान के साथ सुनील कुमार के मकान में आ गया. थोड़े दिन में राधा भी अपने तीनों बच्चों के साथ उस के पास आ गई. आसपास के लोगों को राधा का परिचय सुभाष ने अपनी पत्नी के रूप में कराया. इस के कुछ रोज बाद ही राधा की बहन कृष्णा और बहनोई विकास भी उन के साथ रहने आ गए.
राकेश को खत्म करने की साजिश इन चारों ने बैठ कर बनाई. राधा की बहन और बहनोई को साजिश में शामिल करना सुभाष की मजबूरी थी. दरअसल, राकेश अच्छी कदकाठी का आदमी था. उस पर काबू पाना एकदो लोगों के बस की बात नहीं थी. इन दोनों को भी लाने का मकसद यह था कि जब राकेश वहां आएगा तो सब मिल कर उस का काम आसानी से तमाम कर देंगे.
हत्या कर कैमिकल के ड्रम में डाले लाश के टुकड़े
सारी तैयारियां हो जाने के बाद राधा ने तीज वाले दिन राकेश को फोन कर के वहां बुलाया. उस वक्त राकेश पुलिस के डर से कहीं छिप कर रह रहा था. उस के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट भी निकला हुआ था.
हालांकि एक माह पहले राकेश की सुभाष से लड़ाई भी हुई थी. तब सुभाष ने उसे धमकाते हुए कहा था, ‘‘राकेश, तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम हम दोनों के बीच में मत आओ.’’
राकेश उस का मंसूबा भांप गया था. इस के बावजूद पत्नी के बुलाने पर आ गया था. उस रात वहां सभी ने शराब पी और मुरगा खाया. राकेश को राधा और सुभाष ने जम कर शराब पिलाई थी. जब वह नशे में धुत हो गया तो उन्होंने उस की निर्मम हत्या कर दी.
शराब के नशे में बेसुध राकेश के सिर पर हथौड़ा मार कर उसे खत्म कर दिया और तेजधार वाले चाकू से उस के शरीर के 8 टुकड़े कर दिए. इस के बाद एक बड़े ड्रम में उस के शव के सभी टुकड़ों को डाल कर गलाने के लिए ऊपर से यूरिया, नमक और तेजाब भर दिया.
हत्या: प्रेम गली अति सांकरी
कमरे से बदबू बाहर न जाए, इसलिए खिड़की और दरवाजे में कपड़े ठूंस दिए गए. रात में कमरे के दरवाजे और आसपास काफी संख्या में अगरबत्ती जलाने के बाद सभी आरोपी वहां से निकल गए.
4 दिन तक यूरिया, सल्फ्यूरिक एसिड और नमक से शव गलने के कारण ड्रम में अमोनियम नाइट्रेट गैस बनने लगी. इस गैस के जलती अगरबत्ती के संपर्क के कारण ही वहां धमाका हुआ और सारे राज का परदाफाश हो गया.
सुभाष व राकेश की शराब के धंधे की चलती थी फ्रैंचाइजी
अखाड़ा घाट रोड, बालूघाट व सिकंदरपुर क्षेत्र में सुभाष व राकेश की जोड़ी ने अवैध शराब के धंधे की फ्रैंचाइजी खोल रखी थी. बड़े धंधेबाजों से शराब ले कर इस क्षेत्र के छोटेछोटे विक्रेताओं को आपूर्ति की जाती थी. इस धंधे की कमाई से राकेश और सुभाष दोनों ने कई स्थानों पर जमीन भी खरीदी थी. अब पुलिस उन संपत्तियों का पता लगा रही है.
2 महीने पहले जब राकेश के ठिकाने से पुलिस ने शराब की बड़ी खेप पकड़ी तभी उस का खेल बिगड़ गया था. पुलिस के भय से राकेश शुरू में इधरउधर छिपता रहा, फिर वह भाग कर दिल्ली चला गया था. इधर उस की पत्नी को मौका मिल गया और वह बच्चों को ले कर सुभाष के पास चली गई थी.
साली और साढ़ू की तलाश में छापेमारी
घटना में शामिल मृतक राकेश की साली कृष्णा और साढ़ू विकास की तलाश में एक टीम समस्तीपुर और सीतामढ़ी में छापेमारी कर रही है. हालांकि, कथा लिखने तक दोनों का सुराग नहीं मिला था. गिरफ्तार आरोपियों से उन दोनों के ठिकाने के बारे में पूछताछ की गई. सुभाष ने बताया, ‘‘विकास और कृष्णा के बारे में कोई जानकारी नहीं है. घटना के बाद से दोनों का उस से संपर्क नहीं हुआ है.’’ हालांकि उस के बयान पर पुलिस संदेह कर रही है.
टाउन डिप्टी एसपी रामनरेश पासवान का कहना है, ‘‘कई बिंदुओं पर आरोपियों से पूछताछ की गई. पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि घटना के बाद सभी एक साथ शहर से भागे थे. पहले वे सब बसस्टैंड पर छिप गए थे. वहीं रात गुजारी थी. फिर दूसरे दिन अलगअलग जगहों के लिए निकले थे. विकास और कृष्णा ने सीतामढ़ी जाने की बात कही थी. वहां से निकलने के बाद सुभाष का उन से संपर्क नहीं हुआ.’’
सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
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—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित