शाहनवाज

26दिसंबर, 2021 की सुबह के करीब 6 बज रहे थे, जब कानपुर के नौबस्ता थाना क्षेत्र में राजीव नगर की एक कालोनी के एक घर में दूसरी मंजिल पर रहने वाले हैदर के घर से बच्चों के रोने की आवाजें तेज हो गईं. हालांकि हैदर के घर से बच्चों की रोने की आवाजें बहुत पहले से ही आ रही थीं, लेकिन ठंड के दिनों में इतनी सुबहसुबह वह बिस्तर से उठना नहीं चाहता था. वैसे भी हैदर के घर के झगड़ेझमेलों में मकान का कोई भी दूसरा पड़ोसी पड़ने को तैयार नहीं था.

उन के घर पर लगभग रोजाना झगड़ा होना, मारपीट और बच्चों के चीखनेचिल्लाने व रोनेपीटने की आवाजें आम बात सी हो गई थी. कुछ ही देर में बच्चों के रोने की आवाजें इतनी तेज हो गईं कि अब लोगों की आंखों की नींद टूटने लगी थी. मकान की पहली मंजिल पर रहने वाला मकान मालिक तो उन के आपसी झगड़ों से इतना परेशान हो गया था कि उस ने तय कर लिया कि वो हैदर को घर खाली करने को कह देगा.

मकान मालिक गुस्से और तैश में अपने बिस्तर से निकला, अपने कमरे से निकलते हुए उस ने अपने पैरों में चप्पल डाली और तेजी से भागता हुआ सीढि़यां चढ़ कर दूसरी मंजिल पर हैदर के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए बोला, ‘‘हैदर जल्दी बाहर निकल. तुम लोगों का हर दिन का ये ड्रामा अब मैं नहीं सह सकता. जल्दी निकल. तेरा इलाज तो मैं आज करता हूं.’’

कुछ ही देर में दरवाजा खुला. दरवाजा हैदर ने नहीं बल्कि रोते हुए हैदर की 5 साल की बेटी सायमा ने खोला था. उसे रोता देख मकान मालिक ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और बोला, ‘‘अरे रो क्यों रही है? पापा कहां हैं तेरे? सुबह से तुम ने रोरो कर सब की नींद हराम कर डाली है.’’

सायमा को गोद में उठाते हुए मकान मालिक ने कमरे के दरवाजे का दूसरा पल्ला खोला और अंदर का नजारा देख उस की आंखें खुली की खुली रह गईं.

उस ने देखा कि कमरे में बिखरे सामान के बीचोबीच जमीन पर हैदर की बीवी चांदनी पड़ी है. चांदनी के ठीक बगल में उन का 2 साल का बेटा हसन अपनी मां के गालों पर हाथ लगा कर उसे उठाने की लगातार कोशिश कर रहा है. लेकिन चांदनी कोई जवाब ही नहीं दे रही है.

यह देख कर मकान मालिक के ठंडे पड़े कान एकदम से गरम हो गए. उस के हाथपांव सुन्न पड़ गए. उस के गले से आवाज नहीं निकल रही थी और उस के शरीर की मानों सारी ऊर्जा खत्म सी हो गई.

बड़ी हिम्मत जुटा कर मकान मालिक अपनी गोद में सायमा को उठा कर कमरे में दाखिल हुआ और बिखरे सामान को अपने पैरों से हटा कर कदमों को आगे बढ़ाया. जैसेजैसे वह चांदनी की ओर आगे बढ़ता जा रहा था, वैसेवैसे उस के पैरों की हड्डियां मानों लचीली होती जा रही थीं.

उस ने चांदनी को देखने के बाद मन ही मन यह अंदाजा लगा लिया था कि उसे क्या हुआ होगा, लेकिन वह इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं था.

दम तोड़ चुकी थी चांदनी

जब वह जमीन पर पड़ी चांदनी के एकदम नजदीक पहुंचा तो वह झुका और सायमा को अपनी गोद से उतारा. बिना कुछ कहे दोनों हाथों का इस्तेमाल कर उस ने चांदनी की कलाई उठाई और अपने दूसरे हाथ से उस की नब्ज टटोलने लगा. नब्ज मिलने पर उस ने उसे दबाया और उस की धड़कन महसूस करने की कोशिश की.

इस बीच कमरे में दोनों बच्चों की सुगबुगाहट और रोने का शोर पूरा था, लेकिन उसे मानो कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था. करीब 2 मिनट तक चांदनी के हाथों की नब्ज टटोलने के बाद उसे महसूस हुआ कि चांदनी की धड़कने थम चुकी हैं. लेकिन उस ने हार नहीं मानी. उस ने अपने कानों को चांदनी की नाक के पास ले जार कर चैक किया. चांदनी की सांस चल रही है या नहीं.

मकान मालिक यह मंजर देख कर इतना डर गया कि उस ने फिर से एक बार चांदनी की नब्ज दबाई. लेकिन उसे असफलता ही हाथ लगी. जब उस के मन ने यह मान लिया कि चांदनी मर चुकी है तो डरेसहमे मकान मालिक ने कमरे में मौजूद 2 साल के हसन को अपनी गोद में उठाया और सायमा का हाथ पकड़ कर उन्हें कमरे से बाहर ले कर निकला और मकान में जोर से शोर मचाया. देखते ही देखते हैदर के कमरे के सामने मकान में रहने वाले सभी किराएदारों का झुंड लग गया. मकान में खड़े रहने की इतनी जगह नहीं थी तो लोगों की मकान के बाहर गली में भीड़ जुटने लगे.

इस बीच मकान मालिक ने फोन कर स्थानीय पुलिस को इस घटना की सूचना दे दी और सभी पुलिस के आने का इंतजार करने लगे. हर कोई जिस को यह बात पता लगती जाती कि फलां घर में फलां महिला की मौत हो गई है. वह मकान के आगे खड़ा हो जाता और मामले में होने वाली हलचल को देखने में व्यस्त हो जाता.

हैदर के मकान के आगे जुटी भीड़ की खुसफुसाहट से इलाके में धीमा शोर सा फैल गया. थाना वहां से बहुत दूर नहीं था. कुछ देर के बाद ही स्थानीय पुलिस सूचना मिलते ही वहां पहुंच गई तो मकान के आगे जुटी भीड़ ने पुलिसवालों के लिए रास्ता बनाया.

नौबस्ता थानाप्रभारी अमित कुमार भड़ाना के नेतृत्व में पुलिसकर्मी मकान में उस कमरे में गए, जहां पर हत्या को अंजाम दिया गया था. कमरे में चांदनी की लाश जमीन पर पड़ी थी और घर का हर सामान अपनी जगह पर नहीं था. कमरे का माहौल इतना अस्तव्यस्त था कि घटनास्थल को सही से समझने में पुलिसकर्मियों को काफी समय लग गया.

घटनास्थल से जुटाए सबूत

पुलिस की टीम ने देखा कि कमरे में ऊपर टंगे हुए पंखे की पंखुडियां नीचे की ओर मुड़ी हुई थीं. लाश के पास ही चांदनी का दुपट्टा भी मौजूद था. यह देख कोई भी यह अंदाजा लगा सकता था कि हत्या को अंजाम पीडि़ता को फांसी पर लटका कर दिया गया था. देरी न करते हुए मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने चांदनी की लाश को पास के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इस के साथ ही घटनास्थल से पुलिस टीम ने फोरैंसिक टीम की मदद ले कर सभी जरूरी सबूतों को इकट्ठा कर लिया.

यह सब करने के बाद अब बारी थी पूछताछ की. थानाप्रभारी ने अपनी टीम की सहायता ले कर मामले को समझने के लिए मकान मालिक समेत सभी किराएदारों से हैदर और चांदनी के बारे में पूछताछ की. इस के साथ ही पुलिस ने चांदनी के रिश्तेदार, जिस में उस का भाई अब्दुल माजिद जो कानपुर के बाबुपुरवा में रहता था, को इस घटना की सूचना दी और जल्द से जल्द राजीव नगर अपनी बहन के घर पर आने को कहा.

पूछताछ के दौरान मकान मालिक और मकान में रहने वाले सभी किराएदारों ने पुलिस को बताया कि हैदर और चांदनी के बीच लगभग हर दिन झगड़े होते रहते थे. हैदर पेशे से पेंटर था और कोविड की वजह से उस के काम पर काफी असर पड़ा था.

इन दिनों उस का काम थोड़ाबहुत बढ़ा था, जिस के बाद ही वह मकान मालिक को किराए के पैसे दे पाया था. जब पुलिस ने उन के बीच झगड़ों की वजह पूछी तो पता चला कि हैदर हर रात को दारू पी कर घर आता था और वह घर के खर्चों के लिए चांदनी को पैसे भी नहीं देता था. इसलिए चांदनी घर के खर्चों के लिए घर पर ही पतंग बनाने का काम किया करती थी और उसी से ही बच्चों की जरूरतें पूरा किया करती थी.

हर किसी से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने चांदनी और हैदर के बच्चों का रुख किया. हालांकि बच्चे उस समय भी लगातार रो ही रहे थे. पुलिस की टीम ने उन्हें खिलौने और खाने के लिए चौकलेट खरीद कर दिए तो बच्चे कुछ पल के लिए शांत हुए.

सायमा ने पुलिस को बताई कहानी

इसी दौरान थानाप्रभारी ने चांदनी की बेटी सायमा से इस घटना के बारे में पूछा. सायमा फफकते हुए धीमी आवाज में बोली, ‘‘पापा ने मम्मी के गले में दुपट्टा डाला और खींच कर पकड़ा. मम्मी जवाब नहीं दे रही थीं.’’

यह सुन कर थानाप्रभारी चौकन्ने हो गए और सायमा से इस बारे में थोड़ा और खुल कर बताने के लिए कहा. सायमा थानाप्रभारी को कुछ भी बताने से काफी डर रही थी. थानाप्रभारी उस छोटी बच्ची के डर को साफ महसूस कर रहे थे. इसलिए उन्होंने सायमा के डर को दूर करने के लिए उसे अपने विश्वास में ले कर थोड़ी दूर आए.

वह सायमा से बोले, ‘‘बेटा डरने की जरूरत नहीं है. हम हैं न यहां पर. जो कुछ हुआ उसे बिना डरे बताओ. तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा.’’

रोती हुई सायमा को थानाप्रभारी की बात सुन कर थोड़ा अच्छा महसूस हुआ तो उस ने जवाब दिया, ‘‘पापा ने बोला कि अगर किसी को इस बारे में बताया तो वे हमें भी मम्मी की तरह मार डालेंगे.’’

यह सुन कर थानाप्रभारी के कान खड़े हो गए. उन्होंने सायमा को फिर से भरोसा दिलाया कि उसे कुछ नहीं होगा, अगर वो सब कुछ सचसच बता देगी तो वह उस की अम्मी के कातिल को सजा दिला पाएंगे.

सायमा को थानाप्रभारी की बातों पर भरोसा हो गया तो उस ने कहा, ‘‘पापा की मम्मी से कल रात को भी लड़ाई हुई थी. पापा दारू पी कर आए थे और मम्मी को पैसे देने के लिए बोल रहे थे. कल रात को भी पापा ने मम्मी को मारा था. उस के हाथ पर चोट आई थी कल रात को. आज सुबह भी उन के बीच झगड़ा हुआ था. पापा काम के लिए सुबह निकलने वाले थे और मम्मी से पैसे मांग रहे थे. मम्मी ने पैसे नहीं दिए तो पापा ने गुस्से में मम्मी के गले में उन का दुपट्टा डाला और कस दिया. उस के बाद मम्मी कुछ नहीं बोलीं.

‘‘जब पापा ने मम्मी के गले में उन का दुपट्टा डाला था तो मैं और मेरा छोटा भाई पापा के सामने हाथ जोड़ कर रो रहे थे कि मम्मी को छोड़ दीजिए पापा. लेकिन पापा ने तब तक मम्मी को नहीं छोड़ा, जब तक मम्मी ने बोलना बंद नहीं किया था.

ऐसा करने के बाद पापा ने मेरा गला पकड़ लिया और जोर से दबा दिया था और मुझ से बोले कि अगर मैं ने किसी को भी इस के बारे में बताया तो वह मुझे भी मम्मी की तरह चुप करा देंगे. अंकल मुझे डर लग रहा है अब. क्या पापा सही में मुझे मम्मी की तरह चुप करवा देंगे?’’

यह सब सुन कर थानाप्रभारी की आंखें खुली रह गईं. 5 साल की बच्ची ने पूरा किस्सा पुलिस को बता दिया था. लेकिन थानाप्रभारी के मन में अभी भी एक अहम सवाल बना हुआ था कि हैदर ने चांदनी की हत्या क्या सिर्फ पैसों की वजह से की होगी?

हैदर को चांदनी पर हो गया था शक

इस सवाल का जवाब उन्हें चांदनी के भाई अब्दुल माजिद से मिला जो सायमा से पूछताछ के दौरान ही अपने कुछ और करीबी रिश्तेदारों के साथ राजीव नगर पहुंचा था. अब्दुल माजिद ने थानाप्रभारी को बताया कि हैदर और चांदनी की शादी 8 साल पहले कानपुर में ही हुई थी. उस समय हैदर पेंटिंग का काम किया करता था और ठीकठाक कमाता था.

लेकिन जब से कोविड की शुरुआत हुई और सब के कामधंधे ठप पड़ गए तो वह भी घर पर बैठ गया. लेकिन लौकडाउन के उन दिनों में भी वह घर से निकलता था और अड़ोसपड़ोस के लफाडि़यों के संग दो पैसे कमाने के मकसद से जुआ खेलने लगा था. लेकिन जुए में वह पैसे कमाने की जगह पैसे गंवाने लगा और धीरेधीरे उस ने अपनी पूरी जमापूंजी जुए में गंवा दी. इन सब के लिए चांदनी उसे बहुत टोका करती थी और जुआ खेलने को ले कर उस से झगड़े करती थी. लेकिन वह नहीं माना.

हार मान कर चांदनी ने घर खर्च चलाने के लिए पतंग बनानी शुरू कर दीं. चांदनी दिन भर घर के काम, बच्चों की देखरेख और पतंग बनाने में व्यस्त रहने लगी और उन के आपस के झगड़े भी कम होने लगे. झगड़े कम होने की वजह से हैदर को सुकून तो मिला, लेकिन उस के मन में चांदनी को ले कर शक पैदा होने लगा कि कहीं उस की बीवी गलत काम कर के पैसे तो नहीं जोड़ रही है.

जैसेजैसे दिन बीतते जाते, हैदर के मन का शक भी बढ़ता ही जाता. कुछ समय बाद जब देश में कोविड से हालात सामान्य हुए और हैदर का पेंटिंग का काम फिर से चालू हुआ तो हैदर भी पूरा दिन घर से बाहर काम में लगाने लगा. हैदर ने शराब पीने की लत भी तभी से ही लगाई थी.

धीरेधीरे उन के बीच फिर से पहले की तरह ही झगड़े होने शुरू हो चुके थे, लेकिन अब झगड़ा पैसों को ले कर नहीं बल्कि चांदनी के चरित्र को ले कर हुआ करता था.

दरअसल, हैदर को चांदनी पर इस बात का शक था कि चांदनी जिस दुकानदार के लिए पतंग बनाने का काम करती है, शायद उसी के साथ ही उस के अवैध संबंध हैं. इस बात पर उन के बीच आए दिन झगड़ा होने लगा. इसी दौरान हैदर ने अपने शक्की दिमाग में चांदनी के लिए न जाने क्याक्या खयाल पैदा कर लिए और झगड़े मारपीट में बदल गए. चांदनी बच्चों की चिंता कर हैदर की मारपीट को सहन कर लिया करती और अपना काम जारी रखती.

लेकिन 25 दिसंबर, 2021 की रात को उन के बीच फिर से झगड़ा हुआ और अगली सुबह हैदर ने चांदनी को जान से मार दिया.

इस पूरी घटना के बाद पुलिस ने फरार आरोपी हैदर के खिलाफ हत्या की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है और उस की तलाश जारी है. कथा लिखने तक पुलिस आरोपी हैदर को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी.

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