Story In Hindi, लेखिका - रमा अग्निहोत्री

स्कूल जाती हुई गीतू को अचला बहुत देर तक अपलक निहारती रही. फाटक के पास पहुंचते ही गीतू मां को टाटा करने लगी. मां के होंठों पर हलकी सी मुसकराहट आ गई और वह भी प्रत्युत्तर में टाटा करने लगी.

गीतू के जाते ही वह वहीं बरामदे में पड़ी कुरसी पर बैठ गई और पास रखे हुए गमलों को देखने लगी. एक गमले में बेला का फूल था, दूसरे में गुलाब का. वह सोचने लगी, ‘दोनों पौधों के गमले अलगअलग हैं, लेकिन मैं...’

तभी उसे पैरों की आहट सुनाई दी. उस ने पलट कर देखा तो देव को समीप खड़े पाया. उस ने एक बार देव की ओर, फिर गमलों की ओर देखा और फिर वह तुरंत ही देव की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखने लगी.

देव ने पीछे से उस के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘अचला, क्या बात है, तुम इतनी गंभीर हो कर क्या सोच रही हो?’’

‘‘कुछ नहीं, यों ही इन दोनों गमलों की ओर देख रही थी.’’

‘‘क्या खास बात है इन गमलों में? फूल दोनों ही गमलों में अच्छे निकले हैं.’’

अचला ने एक जोरदार ठंडी सांस ली और बोली, ‘‘हां, फूल दोनों गमलों में अच्छे निकले हैं.’’

‘‘इतनी साधारण बात को तुम इतने गंभीर ढंग से क्यों कह रही हो?’’

‘‘यह साधारण बात नहीं है. तुम देख रहे हो न, दोनों गमलों के फूल अलगअलग हैं.’’

‘‘वह तो होंगे ही.’’

‘‘बस, समझ लें, मेरे प्रश्न का उत्तर भी यही है.’’

‘‘मैं तुम्हारे प्रश्न का अर्थ नहीं समझा,’’ वह अचला के समीप वाली कुरसी पर बैठते हुए बोला.

‘‘विवाह हुए 6 वर्ष हो गए.’’

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