गांव में जैसे भूचाल सा आ गया था. एक ऐसा भूचाल, जो सामने से भले ही दिखाई न दे, मगर जिस ने कुछ परिवारों में उथलपुथल जरूर मचा दी थी. कुछ परिवार फनफना रहे थे, तो कुछ परिवार सहमे हुए थे कि पता नहीं, अब क्या अनहोनी घट जाए.

गांव के घरघर में सुगबुगाहट के साथ चर्चा हो रही थी. अब गीता और उस के पति शंकर की खैर नहीं. हो सकता है कि दोनों को गांव से भगा दिया जाए, किसी से भी रिश्ता न रखने दिया जाए या दोनों की बुरी तरह पिटाई की जाए. ऐसा डर लाजिमी था.

हो भी क्यों न. आखिर इतने दिनों बाद जब यह पता चले कि शंकर नीची जाति का है, तो कुछ भी अनहोनी हो सकती है. लड़की ने भी झूठ बोल कर परिवार और खानदान की नाक कटवा दी, तो शंकर की भी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि पूरे गांव वालों की आंख में वह धूल झोंके.

हैरानी तो यह है कि आखिर इतने दिनों तक इस बात की भनक किसी को मिली क्यों नहीं, अब तो दोनों का एकलौता बेटा सुरेश कालेज में पढ़ रहा है. पता नहीं तीनों की क्या दुर्गति हो. तीनों को एक घर में बंद कर के पहरा लगा दिया गया है.

जब सूरजदेव आएगा, तभी फैसला होगा कि उन्हें क्या सजा दी जाए. इस घटना को ले कर गांव की सभी जातियों के लोगों में अपनेअपने तरीके और सोच के मुताबिक चर्चा हो रही थी.

‘‘भैया, शंकर की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी. छोटी जाति का हो कर बड़ी जाति की लड़की से शादी कर के वह इतने दिनों तक झूठ बोल कर कितनी शान से गांव में रह रहा था.

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