Top 7 Andhwishwas ki kahania: समाज में आज जहां देखों वहा अंधविश्वास का जाल बिखरा हुआ है हर एक मध्यवर्ग का आदमी इस जाल में जकड़ा हुआ है. जिससे बच पाना भी बहुत मुश्किल है, लेकिन इस समस्या से बाहर आने के लिए और जागरूक बनने के लिए ये जरुरी है. कि आपके पास कुछ  ऐसे लेख और कहानियां हो, जो आपको इनसे रूबरू कराएं, तो दिल्ली प्रैस की मैग्जीन सरस सलिल कुछ ऐसी ही कहानियों से आपको जागरूक कराएंगी, जिन्हें पढ़कर आप अपना मनोरंजन भी कर सकते है साथ ही एक अच्छे पाठक भी बन सकते है. तो अगर आपको भी ऐसी ही अंधविश्वास से जुड़ी कहानियां पढ़ने का शौक तो पढ़िए  Top 7 Andhwishwas Stories in Hindi. 

1. बड़ा जिन्न: क्या सकीना वाकई में जिन्न से मिली थीAndhvishwas ki kahani

सकीना बी.ए. पास थी और शक्ल ऐसी कि लाखों में एक. कई जगह से उस की शादी के पैगाम आए परंतु उस के मांबाप ने सब नामंजूर कर दिए. कारण यह था कि सभी लड़के साधारण घरानों के थे. कुछ नौकरी करते थे तो कुछ का छोटामोटा व्यापार था. उन का रहनसहन भी साधारण था.

सकीना के बाप कुरबान अली चाहते थे कि सकीना को ऊंचे खानदान, धनी लड़का और ऊंचा घर मिले. ऐसा लड़का उन्हें जल्दी ही मिल गया. हालांकि समाज की मंडियों में ऐसे लड़कों के ग्राहकों की कमी नहीं होती, मगर कुरबान अली की बोली इस नीलामी में सब से ऊंची थी.

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2. अंधविश्वास की बलिवेदी पर : बाबा की गंदी हरकतAndhvishwas ki kahani

‘‘अरे बावली, कहां रह गई तू?’’ रमा की कड़कती हुई आवाज ने रूपल के पैरों की रफ्तार को बढ़ा दिया.

‘‘बस, आ रही हूं मामी,’’ तेज कदमों से चलते हुए रूपल ने मामी से आगे बढ़ हाथ के दोनों थैले जमीन पर रख दरवाजे का ताला खोला.

‘‘जल्दी से रात के खाने की तैयारी कर ले, तेरे मामा औफिस से आते ही होंगे,’’ रमा ने सोफे पर पसरते हुए कहा.

‘‘जी मामी,’’ कह कर रूपल कपड़े बदल कर चौके में जा घुसी. एक तरफ कुकर में आलू उबलने के लिए गैस पर रखे और दूसरी तरफ जल्दी से परात निकाल कर आटा गूंधने लगी.

आटा गूंधते समय रूपल का ध्यान अचानक अपने हाथों पर चला गया. उसे अपने हाथों से घिन हो आई. आज भी गुरु महाराज उस के हाथों को देर तक थामे सहलाते रहे और वह कुछ न कह सकी. उन्हें देख कर कितनी नफरत होती है, पर मामी को कैसे मना करे. वे तो हर दूसरेतीसरे दिन ही उसे गुरु कमलाप्रसाद की सेवादारी में भेज देती हैं.

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3. डायन : दूर हुआ गेंदा की जिंदगी का अंधेराAndhvishwas ki kahani

केशव हाल ही में तबादला हो कर बस्तर से जगदलपुर के पास सुकुमा गांव में रेंजर पद पर आए थे. जगदलपुर के भीतरी इलाके नक्सलवादियों के गढ़ हैं, इसलिए केशव अपनी पत्नी करुणा और दोनों बच्चों को यहां नहीं लाना चाह रहे थे.

एक दिन केशव की नजर एक मजदूरिन पर पड़ी, जो जंगल में सूखी लकडि़यां बीन कर एक जगह रखती जा रही थी.

वह मजदूरिन लंबा सा घूंघट निकाले खामोशी से अपना काम कर रही थी. उस ने बड़ेबड़े फूलों वाली गुलाबी रंग की ऊंची सी साड़ी पहन रखी थी. वह गोरे रंग की थी. उस ने हाथों में मोटा सा कड़ा पहन रखा था व पैरों में बहुत ही पुरानी हो चुकी चप्पल पहन रखी थी.

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4. लाल कमल : अंधविश्वास को मात देता उजालाAndhvishwas ki kahani

आईएएस यानी भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने के बाद आनंद अभी बेंगलुरु में एक ऊंचे प्रशासनिक पद पर काम कर रहा है. महात्मा गांधी की पुकार पर साल 1942 के आंदोलन में स्कूल छोड़ कर देश की आजादी के लिए कूद पड़ने वाले करमना गांव के आदित्य गुरुजी के पोते आनंद को देश और समाज के प्रति सेवा करने की लगन विरासत में मिली है. आनंद बचपन से ही अपने तेज दिमाग, बड़ेबुजुर्गों के प्रति आदर और हमउम्र व बच्चों के बीच मेलजोल के साथ पढ़नेलिखने व खेलनेकूदने में भाग लेने के चलते बहुत लोकप्रिय था.

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5. भभूत का कमाल : स्वामीजी का जादू या जंजालAndhvishwas ki kahani

आज फिर बिस्तर पर निढाल पड़े पति को शीला आंखों में आंसू लिए नफरत की नजरों से देख रही थी. आधी रात जवानी पर थी, लेकिन शीला तड़प रही थी. वजह, उस की कोख अभी तक नहीं भरी थी.

शीला का पति नामर्द जो निकला था. वह काम से आते ही थकामांदा खापी कर सो जाता. कभीकभार उस की नसों में खून दौड़ जाता, तो थोड़ी देर के लिए वह शीला से प्यार जता देता. फिर शीला जल बिन मछली की तरह आधी भूख लिए तड़प कर रह जाती.

शीला सोचने लगी कि कुछ तो उपाय करना चाहिए. पड़ोस की लालमती को भी 7 साल के बाद बच्चा हुआ था. यह सब शायद स्वामीजी की कृपा थी, जो लालमती को औलाद सुख मिला. स्वामी कृपानंद पास के गांव धरमपुर में तालाब के किनारे आश्रम बना कर रहते थे. लालमती स्वामीजी के पास जा कर दवा और भभूत लाई थी.

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6. बाबा नामदेव का सरप्राइज : क्या मिल पाया गजर सिंह को औलाद का सुखAndhvishwas ki kahani

डीएसपी गजर सिंह ने अपनी नौकरी के दौरान नकली बाबाओं और अंधविश्वास के खिलाफ गदर मचा रखा था. उस की पोस्टिंग जिस भी शहर में होती, उस इलाके के आसपास के बाबातांत्रिक सभी की जानकारी वह हासिल कर लेता था और फिर उन के आश्रमों में रेड डाल कर उन की काली करतूतों का भंडाफोड़ करता था.

‘‘आखिर क्या बात है? तुम क्यों बाबा लोगों के इतने खिलाफ रहते हो? वे बेचारे तो सीधेसादे तो होते हैं,’’ एक दिन डीएसपी गजर सिंह की पत्नी मालती ने उस से पूछा.

‘‘ये बाबा लोग सीधेसादे नहीं होते, बल्कि लोगों को धोखा देने के अलावा कुछ भी नहीं करते हैं. हाथ की

सफाई दिखा कर लोगों को अपनी ओर खींचते हैं और इन का शिकार मैं खुद भी हुआ हूं, इसलिए इन को सबक सिखाना मेरा पहला टारगेट है,’’ गजर सिंह ने बताया.

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7. काली की भेंट : पुजारी का फैलाया भरमAndhvishwas ki kahani

शहर के किनारे काली माता का मंदिर बना हुआ था. सालों से वहां कोई पुजारी नहीं रहता था. लोग मंदिर में पूजा तो करने जाते थे, लेकिन उस तरह से नहीं, जिस तरह से पुजारी वाले मंदिर में पूजा की जाती है.

एक दिन एक ब्राह्मण पुजारी काली माता के मंदिर में आए और अपना डेरा वहीं जमा लिया. लोगों ने भी पुजारीजी की जम कर सेवा की. मंदिर में उन की सुखसुविधा का हर सामान ला कर रख दिया.

पहले तो पुजारीजी बहुत नियमधर्म से रहते थे, सत्यअसत्य और धर्मअधर्म का विचार करते थे, लेकिन लोगों द्वारा की गई खातिरदारी ने उन का दिमाग बदल दिया. अब वे लोगों को तरहतरह की बातें बताते, अपनी हर सुखसुविधा की चीजों को खत्म होने से पहले ही मंगवा लेते.

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