कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

चमेली कुछ समय तक बाला सिंह के गुस्से भरे चेहरे को निहारती रही, फिर कांपती हुई आवाज में बोली, ‘‘हां, मेरे साथ रेप की कोशिश की गई और मेरे साथीसहेलियां न होते, तो भोला पंडित कामयाब हो जाता.’’

बाला सिंह चमेली को देखते रह गए. लोगों में खुसुरफुसुर शुरू हो गई. सभी भोला पंडित का मुंह ताकने लगे.

बाला सिंह भोला पंडित की ओर मुंह कर के बोले, ‘‘चमेली जो कहती है, क्या वह सच?है भोला पंडितजी?’’

‘‘महादेव की कसम, यह झूठ बोलती है, ‘‘भोला पंडित सहसा बोल उठा, ‘‘इसे सिखाया गया है. यह अपने बाप की रंजिश का बदला ले रही है.’’

‘‘मैं जो कुछ कह रही हूं, सच कह रही हूं,’’ चमेली पूरे भरोसे और बिना डरे बोली. मेरी सहेलियां भी गवाह हैं और यह वीडियो भी, जो हम लोगों ने बना लिया था...’’

‘‘तुम ईश्वर की कसम खाओ, तभी तुम्हारी बात सच समझी जाएगी,’’ बाला सिंह बात काट कर बोले.

‘‘लेकिन, यह ईश्वर को क्या समझे?’’ भोला पंडित को बिगड़ा माहौल संभालने का भरोसा मिला और चारों ओर देखने लगा.

सभी की निगाहें चमेली की ओर उठ गईं. चमेली जानती थी कि सहने और दबने की भी एक सीमा होती है. उस के मन में उथलपुथल मची हुई थी. वह बेखौफ आवाज में बोली, ‘‘क्या तुम ने मुझे जानवर समझा है? मेरी सहेलियां झूठी हैं क्या?’’

बाला सिंह बिगड़ उठे, ‘‘सारे गांव से दिल्लगी करती रहती हो तुम. तुम ऐसे कपड़ों में खुलेआम घूमती हो और अब ऊंचे लोगों को बदनाम करते हुए शर्म नहीं आती.’’

‘‘शर्मिंदा तो खुद इन ऊंचों को होना चाहिए, जो गलत काम करने में भी नहीं सकुचाते’’ चमेली बिगड़ कर बोली, ‘‘सचाई आप के सामने है. सभी को इस में विश्वास करना पड़ेगा.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...