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अब तो मोहकलाल ने मनमोहिनी का दिल जीतने में पलभर की देरी भी नहीं की. स्कूल में एक नया पद ‘कोऔर्डिनेटर’ बना दिया गया, जिस पर मनमोहिनी का कब्जा हो गया.

अब मनमोहिनी को स्कूल में सभी टीचरों के बीच तालमेल बिठाना था. यह काम उस ने ‘गुटबंदी’ कर के बखूबी किया. जो टीचर पढ़ाने में यकीन करते थे, उन का मनमोहिनी से कभी तालमेल नहीं हुआ, हो भी नहीं सकता था. लेकिन जिन को पढ़ाने में कम और दूसरी बातों में ज्यादा मजा आता था, वे सब मनमोहिनी के खेमे में शामिल हो गए.

मनमोहिनी जब अपने औफिस से निकलती तो अपने बाएं और दाएं2 मैडमों को अपना बौडीगार्ड बना कर चलती. धमक ऐसी कि किसी को कुछ भी कह दे. कोई शिकायतकर्ता मोहकलाल तक पहुंचता तो उसे मोहकलाल की लताड़ और सुननी पड़ती.

इस तरह स्कूल में मनमोहिनी का एकछत्र राज कायम हो गया. या तो वह मोहकलाल के औफिस में मिलती या फिर मोहकलाल उस के औफिस में. अब मोहकलाल को स्कूल में कहीं ढूंढ़ने की जरूरत नहीं थी. सब को पता था कि वे कहां मिल सकते हैं.

धीरेधीरे मोहकलाल का संगीत प्रेम भी सुलगने लगा. प्रेम और संगीत का तो वैसे भी चोलीदामन का साथ है. अब तो स्कूल में आएदिन संगीत सभाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन होने लगे.

ऐसे कार्यक्रमों में मोहकलाल से गाना गाने की डिमांड होती. उन के गाने के बिना ऐसा कोई कार्यक्रम पूरा ही नहीं होता, भले ही टाइम ओवर हो जाए. मोहकलाल अपने गाने से प्रेम रस की बौछार करते और उस से मनमोहिनी को तरबतर कर देते.

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