सोचा न था इंजीनियरिंग करने के बावजूद अमन इतना ज्यादा लापरवाह था कि लगीलगाई नौकरी छोड़ आता था. इस बात से उस के पिता रामचरण इस कदर परेशान हुए कि उन्हें लकवा मार गया. अमन को मजबूरन ड्राइवर बनना पड़ा. तभी उस की मुलाकात एक रूसी लड़की सोफिया से हुई, जो उस के करीब आती चली गई.

दफ्तर से घर आते ही रामचरण चारपाई पर लेट गया और अपनी पत्नी शांति को आवाज लगाते हुए बोला, ‘‘एक गिलास पानी पिला दे. बड़ी थकान हो रही है.’’

‘‘यह लो...’’ पानी का गिलास रामचरण के सामने बढ़ाते हुए शांति बोली, ‘‘क्या हुआ? आज घर जल्दी कैसे आ गए?’’

‘‘हां, वह जरा तबीयत ठीक नहीं लग रही थी, तो...’’ बोलतेबोलते रामचरण जोर से खांसने लगा, तो शांति ने पानी का गिलास उस के मुंह में ही लगा दिया.

‘‘आह...’’ कर के रामचरण ने फिर चारपाई पर लेटते हुए पूछा, ‘‘अमन कहां है? अभी तक घर नहीं आया क्या?’’

‘‘घर पर ही है. सोया हुआ है,’’ पानी का जूठा गिलास पास पड़े स्टूल पर रखते हुए बड़े उदास मन से शांति बोली, ‘‘पता नहीं, क्या लिखा है इस लड़के के भविष्य में? जहां पर भी नौकरी करता है, 2-4 महीने से ज्यादा टिक ही नहीं पाता.’’

‘‘तो क्या यह नौकरी भी छूट गई उस की?’’ चिंता के मारे रामचरण को फिर जोर से खांसी उठ गई, तो शांति पानी लेने भागी.

‘‘नहीं चाहिए,’’ अपने हाथ के इशारे से रामचरण ने पानी लेने से मना करते हुए कहा, ‘‘थोड़ा जहर दे दे, ताकि चैन से मर पाऊं मैं. अरे, जिंदगी तो हमारी खराब हो गई है, जो हम ने ऐसे कपूत को जन्म दिया. इस से तो अच्छा होता कि वह पैदा होते ही मर...’’ रामचरण बोलने ही जा रहा था कि शांति ने उस के मुंह पर हाथ रख दिया कि वह ऐसी बातें अपने मुंह से न निकाले.

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