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“मेरी पत्नी तो बिस्तर पर भी शरमाती रहती है और अपने अंगों के साथसाथ अपना मुंह भी बंद किए रहती है, पर तुम ने जबरदस्त ढंग से मेरा साथ दिया है सुहानी… मैं ने आज तक तुम्हारी जैसी खुल कर सैक्स करने वाली लड़की नहीं देखी… तुम तो पोर्न स्टार को भी मात करती हो, इसलिए यह लो अपना इनाम,” यह कह कर बौस ने बड़े नोटों की एक गड्डी सुहानी की तरफ उछाल दी.

इतने सारे नोट देख कर सुहानी की आंखें खुशी से फैल गईं. यह पहला मौका था जब उस का कौमार्य भंग हुआ था और जिस के बदले उसे इतने सारे पैसे भी मिले थे.सुहानी ने इन पैसों से घर के लिए कई  जरूरी सामान खरीदे और अपने पापा को उन के शराब के शौक को जारी रखने के लिए पैसे भी दिए.

बेटी के इस तरह से अचानक खूब पैसे लाने पर मांबाप को खुशी भी हो रही थी और हैरानी भी. सुहानी की मां ने एक बार दबी जबान से पूछा भी तो उस के पापा ने यह कह कर चुप करा दिया, “अब सुहानी नौकरी करने लगी है, इसलिए अब पैसों की कमी थोड़े ही रहेगी हमें.”

कुछ दिन ही बीते थे कि सुहानी की कंपनी में एक विदेशी क्लाइंट आया. सुहानी को इस क्लाइंट को कंपनी के गैस्ट हाउस में छोड़ कर आने की जिम्मेदारी दी गई, जिसे सुहानी ने बखूबी निभाया भी.

उस विदेशी पर भी सुहानी ने अपने हुस्न का जादू चला दिया. गाड़ी से नीचे उतरते समय सुहानी के सीने पर उस क्लाइंट की कुहनी का दबाव बढ़ता चला गया. इस बात पर जहां सुहानी को विरोध करना चाहिए था, वह सिर्फ मुसकरा कर रह गई. इस के बाद तो आंखों ही आंखों में विदेशी क्लाइंट ने सुहानी से सैक्स करने का औफर दिया, जिसे सुहानी ने स्वीकार भी कर लिया. वह रातभर उस विदेशी के साथ रही और सुबह होते ही उस क्लाइंट से मुसकरा कर पैसे मांगने लगी, “माई फीस प्लीज…”

उस विदेशी ने भी सुहानी को उस की उम्मीद से कहीं ज्यादा पैसे दिए. सुहानी को यह सब काम बहुत अच्छा लग रहा था, क्योंकि उस के हुस्न की कीमत तो उसे अब मिल रही थी.

इस तरह से सुहानी को एक झटके में ही इतने पैसे मिल जाते थे, जितने औफिस में कई महीने सिर खपा कर भी नहीं मिलते थे, इसलिए सुहानी ने आने वाले 2-3 साल तक अपने बौस, कंपनी के मेहमानों और क्लाइंटों के साथ रात गुजारने का कोई मौका नहीं जाने दिया, जिस से उसे ढेर सारे पैसे मिले.

18 साल की सुहानी अब 21 साल की हो गई थी और उस का रंगरूप और भी खिल गया था. पर इन बीते सालों में अपनी बेटी के बदलते रंगढंग को देख कर सुहानी की मां को उस के चालचलन पर शक हो गया था, पर सुहानी के पापा को शराब के लिए रोज पैसे मिल रहे थे, इसलिए उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं था कि सुहानी क्या काम कर के ये पैसे कमा रही है, लिहाजा जब भी सुहानी की मां उसे कुछ कहती तो पापा सुहानी को ही सपोर्ट करते.

“सुहानी, तू यह जोकुछ कर रही है न, वह सब अच्छा नहीं है.”

“अरे सुहानी की मां, अब हमारी बेटी बालिग हो चुकी है. वह अपने अच्छेबुरे का फैसला खुद कर सकती है, इसलिए हमें उस के काम में ज्यादा टांग नहीं अड़ानी चाहिए,” कह कर पापा मां को चुप करा देते.

पापा का सहारा मिलते देख सुहानी के मन को बल मिला, पर उस की इच्छाएं यहीं एक छोटे शहर तक सीमित नहीं थीं, बल्कि वह तो अपनी खूबसूरती के बल पर नाम और पैसा दोनों कमाना चाहती थी और इस के लिए उसे एक बड़े प्लेटफार्म की जरूरत थी, जो उसे यहां छोटे शहर में नहीं मिलने वाला था.

पिछले 3 सालों की नौकरी में सुहानी का परिचय कई रसूख वाले लोगों से हो गया था. उन्हीं लोगों में से एक आदमी था जीत सिंह, जो दिल्ली पुलिस में एक बड़ा अफसर था और जब वह पिछली बार किसी काम से सुहानी की कंपनी में गया था, तो उस ने भी सुहानी के जिस्म को भोगा था, इसलिए जब सुहानी ने उस से दिल्ली में किसी जौब के बारे में पूछा, तो उस ने बताया कि अगर वह दिल्ली आ जाए तो उस के काम का दायरा तो बढ़ेगा ही, साथ ही आगे बढ़ने के मौके भी मिलते जाएंगे.

सुहानी अच्छी तरह जानती थी कि अगर उस ने दिल्ली जाने के बारे में  अपने मांबाप को बताया तो उसे कभी इजाजत नहीं मिलेगी, इसलिए उस ने एक रात को अपना सारा सामान पैक किया और अपने मांबाप को बिना कुछ बताए दिल्ली भाग गई.

दिल्ली पहुंच कर सुहानी ने जीत सिंह से मुलाकात की. जीत सिंह ने उसे अपने फ्लैट में रुकने की जगह दी.

यह एक फाइव स्टार होटल था, जहां सुहानी की नई जौब लगी थी. उस की नौकरी लगवाने में जीत सिंह का ही योगदान था. सुहानी यहां पर होस्टैस थी और वीआईपी मेहमानों का हर तरह से ध्यान रखना ही उस का खास काम था.

सुहानी ने यहां पर भी अपना जादू बिखेरना शुरू कर दिया था. सब से पहले वहां के मैनेजर ने सुहानी पर डोरे डालने शुरू कर दिए और वह उस को किसी न किसी बहाने छूने की कोशिश करने लगा. भला सुहानी को इस सब से क्या एतराज होने वाला था.

“सुहानी, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. मैं तुम्हारे साथ एक रात  बिताना चाहता हूं,” मैनेजर बेबाकी से कहता जा रहा था.

“हां, पर इस दुनिया में हर चीज की कीमत देनी पड़ती है,” सुहानी ने मुसकराते हुए कहा.

“मैं तुम्हारे लिए हर कीमत देने को तैयार हूं.”

“ठीक है तो 50,000 रुपए पेशगी के तौर पर तुम्हें अभी देने होंगे…”

“तुम पेशगी मांग रही हो?”

हां, क्योंकि मर्द और मौसम का मिजाज एकजैसा होता है… कब बदल जाए, कुछ भरोसा नहीं होता,” बेशर्मी दिखाते हुए सुहानी ने कहा.

मैनेजर ने तुरंत 50,000 रुपए का चैक सुहानी को पकड़ा दिया.

रात में जब सुहानी मैनेजर के कमरे में पहुंची, तो वह पूरी तरह से नशे में चूर था. सुहानी को देख कर वह उस पर टूट पड़ा और उसे बेतहाशा चूमने लगा. उस ने सुहानी के सारे कपड़े उतार दिए और उस के होंठों को चूमने लगा.

मैनेजर के हाथ जैसे ही सुहानी के सीने की ओर बढ़े, तो सुहानी उसे रोकते हुए बोली, “अगर इन्हें छूना है तो कीमत चुकानी होगी…”

“पर मैं तो तुम्हें एडवांस पहले ही दे चुका हूं…” मैनेजर बोला.

“हां, पर उस में इन दोनों कबूतरों की कीमत नहीं शामिल है. अगर तुम इन्हें पकड़ना चाहते हो तो 10,000 रुपए अलग से देने होंगे,” सुहानी ने कहा.

“तुम तो बहुत लालची हो… तुम्हारी कीमत में तो मैं एक पोर्न स्टार के साथ रात गुजार लेता,” मैनेजर ने कहा.

“तो क्या… मैं भी तो किसी पोर्न स्टार से कम नहीं और अब समय खराब मत करो, जो करना है जल्दी करो, मुझे देर हो रही है,” सुहानी ने कहा.

बेचारा मैनेजर अजीब हालत में था. सुहानी ने एक ऐसे समय उस से पैसे की डिमांड रखी थी, जब उस के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था. उस का जोश भी हद पर था, इसलिए उस ने अपने गले की सोने की मोटी चेन को निकाल कर सुहानी के हाथ में पकड़ा दिया और बड़ी बेदर्दी से अपने दोनों  हाथों को उस के सीने पर कस दिया.

मैनेजर की यह हालत देख कर सुहानी बिना मुसकराए न रह सकी. कुछ देर बाद मैनेजर की हवस शांत हो गई और वह निढाल हो कर एक ओर लुढ़क गया.

अब तो होटल में काम करने के बाद सुहानी तकरीबन हर रात नए लोगों के साथ हमबिस्तर होती. उन में से ज्यादातर लोग इस होटल में आए वीआईपी लोग थे. सुहानी कहीं न कहीं एक कालगर्ल में तबदील हो चुकी थी.

उसी होटल में काम करने वाला एक सुपरवाइजर जितेश, जिस की उम्र 25 साल थी, सुहानी के हर अच्छेबुरे काम पर नजर रख रहा था और उसे हैरानी भी होती थी कि सुहानी जैसी खूबसूरत, टैलेंटेड और सुशील सी दिखने वाली लड़की को भला इस तरह का गंदा काम करने की क्या जरूरत है? कई बार उस ने सुहानी से पूछना भी चाहा, पर सुहानी के रुतबे के आगे वह कुछ कह नहीं सका और मनमसोस कर रह गया.

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