‘अभी आया,’ कह कर रमेश गया था. लेकिन जब काफी देर तक न लौटा, तो रागिनी बेचैन हो उठी.
रागिनी की परेशानी उस के चेहरे पर उभर आई, जिसे किशोर भांप गया. वह हौले से बोला, ‘‘क्या बात है रागिनी?’’
‘‘भैया नहीं आया.’’
‘‘वह अब नहीं आएगा.’’
‘‘क्या मतलब?’’ रागिनी ने हैरानी से पूछा.
‘‘रमेश अब नहीं आएगा... तुम्हें अकेले ही जाना पड़ेगा...
‘‘रमेश का परसों इंटरव्यू है. उस का इंटरव्यू मैं ही लूंगा. रमेश उस में कामयाबी पाने के लिए तुम्हें मेरे पास छोड़ गया है,’’ किशोर ने कहा.
‘‘इंटरव्यू में कामयाबी पाने के लिए मुझे आप के पास छोड़ गया है... मैं कुछ समझ नहीं?’’ रागिनी ने पूछा.
‘‘रमेश का खयाल है कि मैं तुम्हारे जिस्म से खेल कर उसे पास कर दूंगा, इसीलिए वह तुम्हें मेरे पास छोड़ गया है.’’
‘‘नहीं... ऐसा नहीं हो सकता. आप झठ बोल रहे हैं.’’
‘‘मैं सच कह रहा हूं. वह तुम्हें इसीलिए छोड़ गया है.’’
‘‘ऐसा आप कैसे कह सकते हैं?’’
‘‘क्योंकि मैं ने भी एक दिन ऐसा ही किया था.’’
‘‘क्या...’’ किशोर की बात सुन कर रागिनी चौंकी.
‘‘जो गलती आज रमेश कर गया है, वैसी मैं ने भी एक दिन की थी,’’ कहते हुए किशोर बीते दिनों में खो गया...
किशोर के पिता ठेकेदार थे. बचपन के कुछ साल हंसीखुशी में गुजरे थे. मातापिता दोनों ही उसे बहुत प्यार करते थे, लेकिन साधना के घर में कदम रखते ही उस के दिन बदल गए थे.
साधना जवान और खूबसूरत थी. वह किशोर के पिता भूषण की स्टैनो थी. भूषण को साधना से प्यार हो गया, फिर उन दोनों ने शादी कर ली.
साधना के घर में आते ही किशोर की मां लता के बुरे दिन आ गए. साधना ने अपने रूप और जवानी के बल पर भूषण को अपनी मुट्ठी में कर लिया. वह उन के दिल की रानी बनने के साथसाथ घर की मालकिन भी बन गई.