महेंद्र सिंह को थाने का काम संभाले हुए अभी 3 दिन ही हुए थे कि तभी कत्ल की वारदात हो गई. मरने वाला शहर का मशहूर गुंडा राणा था, जो एक ढाबा चलाता था.
उस ढाबे की ओट में राणा और भी कई गैरकानूनी धंधे करता था. रात में ढाबा बंद कर के वहीं सामने ही चारपाई डाल कर वह सोया करता था. रात में भी लेनदेन करने वाले लोग आते रहते थे. उन से माल ले कर अंदर रखना या अंदर रखा हुआ माल निकाल कर देना और रकम वसूल करना, ये काम वह रात में भी करता रहता था.
उस रात भी राणा अपनी चारपाई पर सोया हुआ था. तभी न जाने कौन आदमी उस पर ट्रक चढ़ा कर चला गया. ट्रक के अगले पहिए के नीचे राणा और उस की चारपाई का कचूमर निकला पड़ा था. रुपएपैसे को किसी ने छुआ भी नहीं था. इस से यह बात साफ थी कि हत्यारे का मकसद केवल राणा की हत्या करना ही था.
दिन निकल आया था. राणा की लाश को देखने के लिए भीड़ बढ़ती जा रही थी. राणा को मरा देख कर सभी खुश थे. उसी भीड़ में एक आदमी ऐसा भी था, जो डर से थरथर कांप रहा था. वह था उस ट्रक का चालक, जिस से राणा को कुचला गया था.
राणा के ढाबे के सामने काफी बड़ा खुला मैदान था. ट्रक चालक रात में खाना खा कर अपनेअपने ट्रक वहीं खड़े कर के खुद ट्रक चालक संघ के दफ्तर में सोने के लिए चले जाते थे. रात में राणा तकरीबन जागता ही रहता था. उस के रहते कोई भी आदमी किसी ट्रक को चुराने की हिम्मत नहीं कर सकता था.