‘‘अरे, रिया... सिगरेट...?’’ समीर रिया के हाथों में सिगरेट देख चौंका.

‘‘तुम मेरे हाथ में सिगरेट देख कर ऐसे क्यों चौंक गए समीर? कानून की कौन सी किताब में लिखा है कि लड़कियां सिगरेट नहीं पी सकतीं? लड़के सरेआम सिगरेट का धुआं उड़ाते घूमेंगे और लड़कियां 2-4 कश भी नहीं मार सकतीं? वाह, क्या कहने लड़कों की सोच के...’’

हमेशा की तरह रिया ने समीर को चुप कर दिया. वह बड़े शहर की मौडर्न बिंदास लड़की थी. वह समीर जैसे गांव के लड़के से बात कर लेती थी, यही बड़ी बात थी.

नोएडा के एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेज में बिजनौर से आए लड़कों का एक ग्रुप था, जिस में समीर भी शामिल था. वे सब लड़कियों से अकसर दूर ही रहते थे. असली बात यह थी कि गांव के लड़कों को शहर की इन मौडर्न बिंदास लड़कियों से बात करने का सलीका ही नहीं आता था.

गांव की लड़कियों और इन शहरी लड़कियों में जमीनआसमान का फर्क था. शहर की इन बिंदास लड़कियों को देख कर लगता था, जैसे ये किसी और ही ग्रह से आई हों.

‘‘लो समीर, तुम भी मारो कुछ कश. क्या जनाना से बने घूमते हो? अरे, सिगरेट पीना तो मर्दों की पहचान होती है,’’ रिया ने कहा.

‘‘नहीं रिया, तुम्हें पता है कि मैं सिगरेट नहीं पीता.’’

‘‘अरे नहीं पीते, तभी तो कह रही हूं कि पी लो. नए जमाने के साथ चलना सीखो. जिंदगी की ऐश लेना सीखो यार,’’ इतना कहतेकहते रिया ने समीर के होंठों पर सिगरेट रख दी. कश खींचते ही उसे खांसी आ गई. लेकिन धीरेधीरे रिया ने उसे सिगरेट पीना सिखा ही दिया.

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