मालती अपने बेटे हजारू के साथ गुलगुलिया स्लम बस्ती में रहती थी. उस का एकलौता बेटा शादी के 5 साल बाद अपनी बहू मनसुखिया को गौना करा कर घर लाया था, जिस के चलते घर में काफी चहलपहल थी. पड़ोस की औरतों का जमावड़ा लगा हुआ था.
एक औरत ने कहा, ‘‘बहू सांवली है तो क्या हुआ, मुंह का पानी ऐसा है कि गोरी मेम के कान काट ले. बहू की आंखों में गजब का खिंचाव है, कोई एक बार झांक ले तो उन में बस डूबता ही चला जाए. बहू सांवली है तो क्या हुआ, वह हजारू को अपना गुलाम बना कर रखेगी.’’
उस औरत का कहना सच निकला. मनसुखिया के रूपजाल में हजारू ऐसा उलझा कि कामधाम छोड़ कर दिनरात घर में पड़ा रहता. वह नईनवेली पत्नी की खूबसूरती की भूलभुलैया में फंस कर रह गया था. वह अपनी पत्नी को छोड़ कर कभी दूर नहीं जाता था, जिस से उस की मां मालती परेशान रहती थी. वह बारबार उसे काम पर जाने को कहती, लेकिन हजारू कोई न कोई बहाना बना कर मनसुखिया की खिदमत में लगा रहता.
इसी तरह 5 साल कब बीत गए, पतिपत्नी को मालूम ही नहीं चला. पर अब भी मनसुखिया की कोख हरी न हो सकी थी, जिस से गुलगुलिया स्लम बस्ती की औरतें उसे बच्चा न होने का ताना देती थीं. इन में पड़ोसन मनतुरनी और अंजू खास थीं. वे दोनों मनसुखिया से काफी जलती थीं. हजारू और मनसुखिया का प्यार उन्हें फूटी आंख नहीं सुहाता था, इसलिए एक दिन मनसुखिया के खिलाफ मालती को भड़काया.