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शादी के 5 साल बाद भी मनसुखिया की कोख खाली थी. इसी बीच सांप के काटने से उस के पति हजारू की मौत हो गई. गांव वालों और एक बाबा ने मनसुखिया को डायन बता कर उस के साथ बदसुलूकी की. इस के बाद मनसुखिया एक ट्रेन में बैठ गई. आगे क्या हुआ...?

‘‘अस्पताल में भरती होने की दूसरी रात अचानक उस की तबीयत नाजुक हो गई थी. तब वह बड़बड़ा रही थी. उस समय मैं वहीं था. वह बोल रही थी, ‘लड्डुइया बाबा तुझे छोड़ेंगे नहीं... तू ने मेरे पति हजारू की हत्या की है... मुझे विधवा बनाया है... तेरा पाखंड ज्यादा समय तक नहीं चलने वाला... मैं तुझे जेल भिजवा कर दम लूंगी...’’’

यह सुन कर रेशमा और फूलो की आंखें भर आईं.

तब डाक्टर शिव मांझी ने कहा, ‘‘इस के साथ बहुत गलत हुआ है. मैं ने डायन उन्मूलन संस्था की अध्यक्ष ममता सोलंकी, संगम विहार के थाना प्रभारी राजेश कुमार और मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष सुमनजी को फोन कर दिया है. उन के आने के बाद कोर्ट में सोना का बयान दर्ज होगा.’’

‘‘यह तो बहुत अच्छा कदम है सर,’’ रेशमा ने कहा.

तभी मानवाधिकार आयोग, प्रशासनिक टीम समेत दूसरे पदाधिकारी भी वहां पहुंच गए. सोना से पूछताछ कर उस का वीडियो बनाया गया.

इसी बीच डाक्टर शिव मांझी ने अपने टेबल की दराज से एक छोटा

सा बैग निकाला. उसे खोल कर दिखाया और बोले, ‘‘देखिए सर, ये टूटेफूटे मंगलसूत्र, नथ, चूडि़यां, पाजेब पीडि़ता सोना के हैं. ये हैं उस की इंजरी के कागजात और खून से सना पेटीकोट, साड़ी, ब्लाउज वगैरह दूसरा सामान.’’

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