आज रविवार है यानी छुट्टी का दिन, इसलिए घर वालों की ओर से शहजाद को सुबह ही एक काम की जिम्मेदारी सौंप दी गई है, ईख के खेत में पानी लगाना. उस की 10 बीघा जमीन गांव फौलादपुरा से पूर्व की तरफ 2 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे वह अपना ‘चक’ कहता है.
आबादी और मकानों की लगातार बढ़ती तादाद से शहजाद का गांव फौलादपुरा पश्चिम की ओर देवबंद शहर से मिलने ही वाला है. अगले कुछ सालों में शायद फौलादपुरा देवबंद शहर का एक महल्ला कहलाने लगे.
फौलादपुरा से तकरीबन एक किलोमीटर की दूरी पर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय है. इस कालेज से शहजाद ने बीए किया है. एक साल एमए हिंदी की भी पढ़ाई की थी, लेकिन फेल हो जाने के चलते बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी.
प्रोफैशनल कोर्स की बहुत ज्यादा डिमांड देख कर शहजाद ने देवबंद के प्राइवेट आईटीआई संस्थान ‘मदनी टैक्निकल इंस्टीट्यूट’ में दाखिला ले लिया.
इंस्टीट्यूट से छुट्टी होने के बाद शहजाद इलैक्ट्रौनिक की एक दुकान पर काम करता है. इस से उस की जेब और पढ़ाई का खर्च निकल आता है.
शहजाद अपनी पढ़ाई और काम में बहुत ज्यादा बिजी रहता है, इसलिए उसे घर और खेती का काम कभीकभार ही करना पड़ता है. लेकिन आज छुट्टी के दिन सुबह ही उस की ड्यूटी पक्की हो गई है कि उसे खेत में पानी लगाना है. पानी रजवाहे से लिया जाएगा, जिस का ओसरा सुबह 11 बजे शुरू हो कर दोपहर के डेढ़ बजे तक रहेगा.
शहजाद ठीक 11 बजे साइकिल से खेत पर पहुंच गया. रजवाहे से पानी चालू कर वह देवबंद घूमने चल दिया, क्योंकि उस का खाने का तंबाकू खत्म हो गया था, जिसे वह और उस के देस्त ‘रोक्कड़’ कहते हैं. वह उस के बिना नहीं रह सकता.
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