योग गुरु का पैंतरा फिर खाली चला गया, कोरोना को लेकर कोरोनिल बनाई थी. सरकार ने उसे अवैध घोषित कर दिया. योग गुरु देश को, दुनिया को कोरोना से बचाना चाहते हैं अब सरकार उन्हें रोक रही है. रोहरानंद बहुत दुखी है.

योग गुरु ने अपना जीवन मानव उत्थान के लिए समर्पित कर दिया है, मगर  कांग्रेस सरकार ने योग गुरु को समझा और ना ही अब उनकी अपनी सरकार उन्हें समझने को तैयार है. इसलिए रोहरानंद बहुत दुखी है.

एक दफे योग गुरु ने काला धन वापस लाने के लिए  अनशन शुरू कर दिया था. ऐसा प्रतीत होता था मानो इस संत,महात्मा की तपस्या से इंद्रलोक कांपने लगेगा. मगर ऐसा कुछ नहीं हो रहा था. देवलोक कांप उठता उससे पहले योग गुरु कांपने लगे और  उनके शुभचिंतक, पार्षद स्वरूप श्री श्री रविशंकर आदि प्रकट हो गए .इन साधु संतों ने रिक्वेस्ट  कर के योग गुरु को जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वा डाला. और राष्ट्र की बड़ी क्षति कर डाली.

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अगरचे,आमरण अनशन चलता रहता, तो देश का बड़ा भला होता .मगर योग गुरु के प्रति संवेदनशील साधु संतों ने बेड़ा गर्क कर डाला .घबरा गए .सोचा अगर केंद्र सरकार नहीं झुकी तो....

तो योग गुरु के पार्षद गण  का पल्स रेट बढ़ने लगा. इधर बाबा का, अनशन पर पल्स रेट बढ़ रहा था. इधर योग गुरु के पार्षद गणों का चिंता  में पल्स रेट बढ़ता जा रहा था.रोहरानंद दुखी था . भई! योग गुरु तो समाज को धैर्य रखने और प्रभु प्राप्ति के लिए स्वयं को उस में विलीन करने के लिए लंबे चौड़े भाषण टीवी के सारे चैनलों में दिया करता था . फिर जब अपने पर आयी तो पल्स रेट बढ़ गया.

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