Short Story 2025 : योग गुरु का पैंतरा फिर खाली चला गया, कोरोना को लेकर कोरोनिल बनाई थी. सरकार ने उसे अवैध घोषित कर दिया. योग गुरु देश को, दुनिया को कोरोना से बचाना चाहते हैं अब सरकार उन्हें रोक रही है. रोहरानंद बहुत दुखी है.

योग गुरु ने अपना जीवन मानव उत्थान के लिए समर्पित कर दिया है, मगर  कांग्रेस सरकार ने योग गुरु को समझा और ना ही अब उनकी अपनी सरकार उन्हें समझने को तैयार है. इसलिए रोहरानंद बहुत दुखी है.

एक दफे योग गुरु ने काला धन वापस लाने के लिए  अनशन शुरू कर दिया था. ऐसा प्रतीत होता था मानो इस संत,महात्मा की तपस्या से इंद्रलोक कांपने लगेगा. मगर ऐसा कुछ नहीं हो रहा था. देवलोक कांप उठता उससे पहले योग गुरु कांपने लगे और  उनके शुभचिंतक, पार्षद स्वरूप श्री श्री रविशंकर आदि प्रकट हो गए .इन साधु संतों ने रिक्वेस्ट  कर के योग गुरु को जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वा डाला. और राष्ट्र की बड़ी क्षति कर डाली.

अगरचे,आमरण अनशन चलता रहता, तो देश का बड़ा भला होता .मगर योग गुरु के प्रति संवेदनशील साधु संतों ने बेड़ा गर्क कर डाला .घबरा गए .सोचा अगर केंद्र सरकार नहीं झुकी तो….

तो योग गुरु के पार्षद गण  का पल्स रेट बढ़ने लगा. इधर बाबा का, अनशन पर पल्स रेट बढ़ रहा था. इधर योग गुरु के पार्षद गणों का चिंता  में पल्स रेट बढ़ता जा रहा था.रोहरानंद दुखी था . भई! योग गुरु तो समाज को धैर्य रखने और प्रभु प्राप्ति के लिए स्वयं को उस में विलीन करने के लिए लंबे चौड़े भाषण टीवी के सारे चैनलों में दिया करता था . फिर जब अपने पर आयी तो पल्स रेट बढ़ गया.

तो, रोहरानंद दुखी था. अगर श्री श्री रविशंकर जो स्वयं बहुत बड़े शख्सियत के स्वामी हैं और दुनिया में आर्ट ऑफ लिविंग के पुरोधा माने जाते हैं . जीवन कैसे कला की भांति व्यतीत किया जाए इसका ज्ञान देते हैं . किस कला के साथ आने वाली चुनौतियों का सामना किया जाए ,बड़ी भारी भरकम फीस लेकर बताते हैं. ऐसे महान ज्ञानी, साधु संत एक हो गए और समझ गए कि रामदेव बाबा का अनशन से उठ जाना ही श्रेयस्कर है. क्योंकि केंद्र सरकार तो आंखें बंद किए है .मुंह सीये बैठी है. आंखें बंद करके बैठी है.अनशन के संदर्भ में एक शब्द नहीं बोलेगी कि तोड़ो.

क्यों ? क्योंकि जैसे दो भाई जमीन जायदाद या दो मित्र लव ट्रंगल में एक दूसरे से नाराज हो जाते हैं. फिर कसम खाते हैं -आज से तू मेरे लिए नहीं रह गया. बस केंद्र सरकार के लिए भी बाबा रामदेव उस दिन चलता हो गए. जिस दिन से मांग मनवाने, चुनौती शैली में आमरण अनशन पर बैठ गए थे.

श्री श्री रविशंकर मध्यस्थता करने गए. कानून मंत्री वीरप्पा मोइली से मुलाकात की.कहा- मोइली ! बाबा रामदेव का अनशन तोडवा दो, चला जाएगा.

वीरप्पा मोइली मुंह फुलाए बैठे थे- ‘गुरु जी ! कांग्रेस और सरकार बाबा से नाराज है.’

‘ कुछ करो, भाई, बाबा चला जाएगा ।’

‘ चला ही जाए तो अच्छा. सरकार कुछ नहीं करेगा.’

‘ बाबा चला गया तो सरकार पर कलंक लग जाएगा .’

‘ हमारे लिए तो बाबा उसी क्षण चला गया, जब आरएसएस से हाथ मिलाया था.’

‘ मानवता भी कोई चीज है .’

‘ हमारी जमीन जायदाद ( सरकार ) को लूटने के खातिर भाजपा और संघ इसको भेजा, हम सब जानता.’कानून मंत्री ने कहा होगा.

‘ अब सब छोड़िए भी,  गुरु रविशंकर आया है, मैडम सोनिया गांधी को बताओ.’

‘ मैडम खूब नाराज. पहले बोल रखा, बाबा का अब कोई सिफारिश नहीं चलेगा, जो करेगा वो….’

श्री श्री रविशंकर का प्रयास भी धरा का धरा रह गया. राष्ट्रीय स्तर का आमरण अनशन और सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी. बाबा का अनशन पांचवें… छठवें सातवें, आठवें दिन तक पहुंच गया.

समर्थकों को लगा था, सत्याग्रह में बड़ी ताकत होती है. स्वयं राम बाबा ने देखा था अन्ना हजारे का अनशन. तीन-चार दिन में सारे देश दुनिया में हडबोंग मच गई, सरकार की चूलें हिलने लगी थी. लोग स्वप्रेरणा से अनशन पर बैठने लगे थे. सरकार कांप रही थी.

और जब मैं बैठूंगा… मेरे तो लाखों समर्थक हैं. कैडर है. भाजपा आरएसएस का समर्थन है. मैं अगर बैठा तो सरकार तो एक पैर से योगा करने लगेगी. बाबा रामदेव ने सहज, दो और दो को जोड़ा और चार का परिणाम महसूस कर प्रसन्न चित्त. बाहों में तेल लगा कर, उदृघोषणा कर दी. एक करोड़ जनता जनार्दन का जन समुंद्र सत्याग्रह पर उतरेगा…. जीत सुनिश्चित है .

रोहरानंद बेहद दुखी है. एक- 5 जून को सरकार ने लाठियां भांजकर अनशन तुड़वाया. दूसरा हरिद्वार मे चल रहे अनशन से न तो सरकार कांपी  ना घबरायी. लगा था- आमरण अनशन से केंद्र सरकार थरथरा जाएगी .हाथ जोड़ हाथ में जूस का गिलास लेकर विनम्र भाव से निवेदन करेगी- ‘ ‘  ‘ बाबा…बाबा जी प्लीज अनशन तोड़ दीजिए, हम तो आपके बच्चे हैं.’

मगर हुआ उलट. सरकार आंखें बंद खुर्राटे भर रही थी. बाबा के प्रतिनिधि हाथ जोड़ कातर स्वर में बोल रहे थे-  ‘सरकार । बाबा का अनशन…’

सरकार – ‘( मुंदी आंख ) करने दीजिए! अभी तो आठ-नौ दिन हुए हैं .’

मध्यस्थ-‘ बाबा की हालत बिगड़ रही है .”

सरकार- “योगी है, कुछ नहीं होगा , साल भर तो कुछ नहीं होगा, हम जानते हैं .”

मध्यस्थ- “हुजूर, चले जाएंगे.”

सरकार- ‘ तो पोल खुल जाएगी. योगी होकर टें बोल गये. योगी तो वर्षों खाना न खाये तो जिंदा रह ले.’

मध्यस्थ- ‘ सरकार ! अब जिद छोड़िए भी.’

सरकार- “अभी वक्त नहीं है.

कौन बोले कौन जाये, कौन संवेदना दिखाये. अभी हम सो रहे हैं .” सरकार ने आंख मूंद ली.

अब तो अपनी सरकार है, बड़े-बड़े योग करके योग गुरु ने इस सरकार को स्थापित किया है, और अब मानवता को उपहार देने के लिए ही मानो कोरोनिल बनाई है. मगर सरकार ने अवैध घोषित कर दिया.ओह… रोहरानंद बहुत दुखी है.

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