Short Story : रंजीता यों तो 30 साल की होने वाली थी, पर आज भी किसी हूर से कम नहीं लगती थी. खूबसूरत चेहरा, तीखे नैननक्श, गोलमटोल आंखें, पतलेपतले होंठ, सुराही सी गरदन, गठीला बदन और ऊपर से खनकती आवाज उस के हुस्न में चार चांद लगा देती थी. वह खुद को सजानेसंवारने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ती थी.

रामेसर ने जब रंजीता को पहली बार सुहागरात पर देखा था, तो उस की आंखें फटी की फटी रह गई थीं. जब 22 साल की उम्र में रंजीता बहू बन कर ससुराल आई थी, तब टोेले क्या गांवभर में उस की खूबसूरती की चर्चा हुई थी.

पासपड़ोस की बहुत सी लड़कियां हर रोज अपनी नई भाभी को देखने पहुंच जाती थीं. वे एकटक नई भाभी को निहारती रहती थीं. जब उस की खूबसूरती को ले कर तरहतरह के सवालजवाब करतीं, तो वह हंस कर बोलती, ‘‘धत तेरे की, यह भी कोई बात हुई...’’

रामेसर ठहरा एक देहाती लड़का. बहुत ज्यादा पढ़ालिखा तो था नहीं, पर बिजली मेकैनिक का काम अच्छा जानता था. उसी के चलते तकरीबन 5,000 रुपए महीना वह कमा लेता था. काम करने वह पास के एक कसबे में जाता था. शाम ढले दालसब्जी और गृहस्थी का सामान ले कर लौटता था.

रंजीता सजसंवर कर उस का इंतजार कर रही होती थी. अगर कभी रामेसर को देर हो जाती तो रंजीता उसे उलाहना देते हुए कहती, ‘‘देखोजी, हम पूरे दिन आप के इंतजार में खटते रहते हैं, पर आप को एक बार भी हमारी याद तक नहीं आती. ज्यादा सताओगे तो हम अपने मायके चले जाएंगे.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
  • 24 प्रिंट मैगजीन

डिजिटल

(1 महीना)
USD4USD2
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...