…उसी चौराहे पर हो टल से बाहर निकल कर आकाश ने एक टैक्सी की और ड्राइवर से बांद्रा चलने को कहा. थोड़ी ही देर में वह टैक्सी मुंबई की सड़कों पर दौड़ने लगी.

आकाश सीट पर आराम से बैठ गया. उस की आंखों के सामने बारबार फिल्म मशहूर हीरोइन सीमा का हंसतामुसकराता चेहरा आ रहा था. पिछले कुछ महीनों में उस ने सीमा के मोबाइल फोन पर अनेक मैसेज भेजे थे, पर जब किसी का भी जवाब नहीं मिला तो उस ने रजिस्टर्ड डाक से चिट्ठी भेजी. पर लगता है कि सीमा ने जवाब न देने की कसम खा ली है. कहीं ऐसा तो नहीं कि सीमा ने उसे भुला दिया हो या जानबू?ा कर भुलाना चाहती हो?

लेकिन आकाश तो सीमा को भुला नहीं पा रहा है. आज 2 साल बाद सीमा से मिलने वह मुंबई आया है.

आकाश कुछ भूलीबिसरी यादों के जाल में उलझता चला गया. तकरीबन 7 साल पहले जब वह बीए में पढ़ रहा था तब सीमा भी उस की क्लास में ही पढ़ती थी. वह बहुत खूबसूरत थी. लड़के उस से बात करना चाहते थे, पर वह किसी से सीधे मुंह बात नहीं करती थी.

उन दिनों कालेज में एक नाटक खेला गया था जिस में आकाश हीरो था और हीरोइन सीमा थी. नाटक खूब पसंद गया था. इस के बाद उन दोनों की दोस्ती बढ़ती चली गई थी.

बीए करने के बाद आकाश दिल्ली आ गया था और अपना कैरियर बनाने के लिए उस ने आगे की पढ़ाई शुरू कर दी थी. 3 साल का कोर्स करने के बाद उस ने नौकरी की तलाश शुरू कर दी थी.

आकाश को गुड़गांव की एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी मिल गई थी. उस ने एक फ्लैट भी किराए पर ले लिया था.

कुछ महीने बाद एक दिन आकाश ने अपने औफिस में सीमा को देखा तो चौंक उठा था. सीमा भी उसे देख कर बहुत खुश हुई थी.

सीमा ने बताया था कि वह भी इसी कंपनी में नौकरी करती है. कंपनी ने उस का ट्रांसफर लखनऊ से यहां कर दिया है.

आकाश ने सीमा के रहने की समस्या का हल निकालते हुए बताया था कि उस के पास

2 कमरों का फ्लैट है और वह अकेला रहता है. जब तक कहीं कमरे का इंतजाम न हो जाए, तब तक सीमा उस के साथ रह सकती है. इस के बाद वे दोनों एक ही फ्लैट में रहने लगे थे.

एक दिन सीमा को डेंगू बुखार हो गया तो आकाश उसे डाक्टर के पास

ले गया था. दिन में सीमा की देखभाल के लिए एक नर्स का भी इंतजाम कर दिया था, लेकिन शाम को जब नर्स चली जाती तो वह खुद सीमा की देखभाल करता था.

सीमा की मां को जब उस की बीमारी का पता चला तो वे भी वहां आ गई थीं. उन्होंने उन दोनों के इकट्ठे रहने पर एतराज जताया था, पर सीमा ने

जब आकाश की तारीफ करते हुए उस के अच्छे बरताव और आदत के बारे में बताया तो वे चुप रह गईं.

मां की तो इच्छा थी कि आकाश व सीमा की शादी हो जाए, पर सीमा यह कह कर टाल गई थी कि वह अभी कुछ साल शादी नहीं करना चाहती है.

एक दिन दिल्ली में फिल्म बनाने वाली एक कंपनी ने नई हीरोइन के लिए टैस्ट लिया था. हजारों लड़कियों ने उस में भाग लिया था. 2 लड़कियां चुनी गईं जिन में सीमा पहले नंबर पर थी.

सीमा का पहली फिल्म में काम करने का कौंट्रैक्ट साइन हुआ था. इस फिल्म के लिए उसे 50 लाख रुपए मिलने वाले थे.

सीमा नौकरी से इस्तीफा दे कर अपनी मां के साथ मुंबई चली गई थी.

आकाश अकेला रह गया था. अकेले उस का मन नहीं लगता था. वह फोन पर सीमा से बात कर लेता था.

सीमा की पहली फिल्म ‘अनजान साजन’ की शूटिंग शुरू हो गई थी. आकाश भी फिल्म की शूटिंग देखने मुंबई चला गया था.

फिल्म रिलीज हुई. आकाश ने भी देखी थी. दर्शकों ने फिल्म को पसंद किया था. पत्रपत्रिकाओं में फिल्म की तारीफ लिखी गई थी.

एक दिन सीमा ने आकाश को फोन पर कहा था कि उस के पास 3-4 फिल्मों के औफर आ चुके हैं. यहां आ कर बहुत अच्छा लग रहा है. अब वह भी एक मशहूर हीरोइन बन जाएगी.

2 सालों में ही सीमा की 3 फिल्में रिलीज हो गई थीं. तीनों फिल्में खूब चली थीं.

आकाश सीमा को फोन करता तो उधर घंटी जाती रहती, पर कोई जवाब न मिलता था. वह सोचता कि हो सकता है सीमा शूटिंग में बिजी हो, सो रही हो या किसी मीटिंग में हो. उस ने फोन पर मैसेज भेजने शुरू कर दिए. कोई जवाब नहीं मिला, तो उस ने चिट्ठी भी लिख कर भेजी, पर उस का भी कोई जवाब नहीं आया.

क्या फिल्म नगरी की चकाचौंध में सीमा अपना पुराना समय भूल रही है? क्या फिल्मों की कामयाबी से सीमा का दिमाग खराब हो रहा है? सीमा कितनी बदल चुकी है… यही सब देखने तो आकाश यहां आया है.

‘‘गाड़ी कहां रोकनी है साहब?’’ ड्राइवर ने पूछा.

आकाश चौंक उठा. यादों के जाल से बाहर निकल कर उस ने पता बताया.

टैक्सी रुकी. ड्राइवर को पैसे दे कर आकाश एक बड़े से मकान के सामने जा पहुंचा और डोर बैल बजाई.

एक अधेड़ औरत ने दरवाजा खोल कर पूछा, ‘‘किस से मिलना है?’’

‘‘सीमा मैडम से.’’

‘‘वे अभी नहीं मिल सकतीं. मीटिंग में बिजी हैं.’’

आकाश ने जेब से विजिटिंग कार्ड निकाल कर देते हुए कहा, ‘‘यह अपनी मैडम को दे देना और जैसा वे कहें मु?ो बता देना.’’

विजिटिंग कार्ड ले कर वह औरत चली गई. कुछ ही देर बाद वह लौट कर आई और बोली, ‘‘आइए.’’

आकाश कमरे में पहुंचा. सीमा के सामने सोफे पर 2 आदमी बैठे थे. मेज पर शराब, बीयर, सोडा, बर्फ, नमकीन वगैरह सामान रखा था.

आकाश को देखते ही सीमा ने मुसकरा कर स्वागत करते हुए कहा, ‘‘आइए, आइए, वैलकम.’’

आकाश के चेहरे पर भी मुसकान फैल गई.

सीमा ने परिचय कराया, ‘‘आप से मिलिए, आप हैं मिस्टर सूरज कुमार. मेरी नई फिल्म के डायरैक्टर और आप हैं सेठ गोपी चंद्र… प्रोड्यूसर.’

‘‘मैं आकाश.’’

‘‘ये मेरे फ्रैंड हैं. गुड़गांव में रहते हैं,’’ सीमा उन दोनों से बोली.

शराब पीने का दौर शुरू हो गया.

‘‘मेरी फिल्में कैसी लगीं आकाश?’’

‘‘बहुत अच्छी लगीं. औफिस के सभी लोगों ने देखीं,’’ कहता हुआ आकाश शिकायत भरे लहजे में बोला, ‘‘सीमा, तुम ने मेरे फोन ही उठाने बंद कर दिए हैं. मैं तो तुम से 2 बातें करना चाहता था.’’

‘‘क्या करूं आकाश, यहां आ कर पता चला कि फिल्म कलाकारों की लाइफ कितनी बिजी होती है. न दिन का पता चलता है और न रात का. जब नींद आती है तो सपने में भी लाइट, कैमरा और ऐक्शन सुनाई देता है.’’

‘‘मैं ने तुम्हें मोबाइल पर मैसेज भेजे. मैं ने कई चिट्ठियां भी लिखीं, पर कोई जवाब नहीं मिला.’’

‘‘वे पत्र नहीं, प्रेमपत्र थे. भागदौड़ भरी इस जिंदगी में अब मेरे पास इतना समय कहां जो किसी प्रेमपत्र का जवाब दूं. फोन पर मैसेज पढ़ना और जवाब देना मुझे टाइम बरबाद करना लगता है.’’

आकाश चुप रहा. वह सीमा की आंखों में कुछ खोज रहा था.

सीमा ने आकाश की ओर देखते हुए कहा, ‘‘आकाश, मेरे पास रोजाना अनेक मैसेज आते हैं, फोन आते हैं. प्रेमपत्र आते हैं. इस समय मेरे प्रेमियों की संख्या न जाने कितनी है. कोई मैसेज भेजता है कि तुम्हारे बिना मैं जी नहीं पाऊंगा. कोई मेरे प्यार में पागल हो चुका है. किसी को दिनरात मेरे ही सपने आते हैं. कोई मेरे साथ एक रात बिताने के लाखों रुपए

देने को तैयार है. अब तुम ही बताओ आकाश कि मैं किसकिस को अपना प्रेमी बनाऊं?’’

‘‘क्या तुम ने मुझे भी इन दूसरे लोगों की तरह समझ लिया है? मुझ में और उन में बहुत फर्क है.’’

‘‘देखो आकाश, अभी मैं अपना कैरियर बनाने में बिजी हूं. प्रेम और शादी जैसी फालतू चीजों के बारे में सोचने का भी समय मेरे पास नहीं है.’’

‘‘मुझे तुम से ऐसी उम्मीद नहीं थी सीमा.’’

‘‘तुम ने क्या सोचा था कि तुम्हारे आते ही मैं तुम से लिपट कर कहूंगी कि कहां रह गए थे? इतने दिन बाद आए हो. मुंबई में अकेली बोर हो गई हूं. मुझ से शादी कर लो प्लीज. अब यह अकेलापन सहा नहीं जाता,’’ सीमा ने ताने भरे शब्दों में कहा और खिलखिला कर हंस दी.

यह सुन कर डायरैक्टर व प्रोड्यूसर भी हंसने लगे.

सीमा के ये ताने आकाश सहन नहीं कर पाया. वह उठा और कमरे से बाहर निकल आया.

आकाश गुड़गांव वापस आ गया. उस का ख्वाब टूट गया कि सीमा अब भी उस से प्रेम करती है. वह समझ चुका था कि सीमा के पास खूबसूरती, जवानी, पैसा सबकुछ है. इन सब के साथ उस में घमंड भी आ चुका है.

अब आकाश ने सीमा को फोन करने बंद कर दिए, पर सीमा उस के दिल व दिमाग से नहीं निकल पा रही थी. रात की तनहाई में जब वह बिस्तर पर सोने की कोशिश करता तो सीमा की यादें उस की आंखों के सामने आने लगतीं.

एक साल बाद आकाश ने अखबार में एक खबर पढ़ी तो बुरी तरह चौंक उठा. खबर थी कि हीरोइन सीमा की शादी एक अंगरेज से. पिछले दिनों फिल्म हीरोइन सीमा एक फिल्म ‘लंदन का छोरा’ की शूटिंग के लिए लंदन गई थीं. वहां एक अमीर नौजवान जौन पीटर से मुलाकात हुई. अब वे उस से शादी करने वाली हैं.

खबर पढ़ते ही आकाश ने अखबार एक तरफ फेंक दिया. दिल में गुस्से का ज्वालामुखी धधक उठा. नसों में खून का बहना तेज हो गया.

मुंबई में सीमा की शादी जौन पीटर से हो गई. शादी के बाद हनीमून के लिए शिमला जाने की जानकारी आकाश को अखबार से मिल गई.

आकाश भी शिमला जा पहुंचा. उस ने पता कर लिया कि सीमा और उस का अंगरेज पति किस होटल में ठहरे हैं. उस ने उसी होटल में एक कमरा ले लिया.

आकाश सीमा से अकेले में कुछ कहना चाहता था. अगले दिन जौन पीटर अकेला होटल से बाहर निकला तो आकाश कमरे में घुस गया.

आकाश को देखते ही सीमा बुरी तरह चौंक उठी. उस के मुंह से निकला, ‘‘आकाश तुम… यहां कब आए?’’

‘‘मैं तुम्हें शादी की मुबारकबाद देने आया हूं मिसेज सीमा जौन पीटर. यह काम मैं फोन पर भी कर सकता था, पर मैं ने फोन नहीं किया, क्योंकि तुम ने न फोन सुनना था और न मैसेज पढ़ना था.’’

‘‘क्या कहना चाहते हो?’’ सीमा ने उस की ओर देख कर पूछा.

‘‘हमारे देश में विदेशी चीजों का कितना मोह है. यहां प्रेमी भी विदेशी चाहिए और पति भी. खैर, तुम ने जो भी किया है, सोचसमझ कर ही किया होगा.’’

‘‘यही शिकायत करने आए हो?’’

‘‘मैं यह कहने आया हूं सीमा कि जिस देश में तुम जा रही हो, उन की और हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति में जमीनआसमान का फर्क है. वहां शादीब्याह को एक खेल समझ जाता है. वहां एक बांह में पत्नी और दूसरी बांह में प्रेमिका होती है. वहां जराजरा सी बात पर तलाक हो जाता है.’’

‘‘आखिर तुम कहना क्या चाहते हो?’’

‘‘मैं केवल एक बात जानना चाहता हूं कि क्या तुम्हें अपने देश में कोई

भी लड़का पति बनाने के लायक नहीं लगा?’’

‘‘मेरी निजी जिंदगी के बारे में

पूछने वाले तुम कौन हो? क्या लगते हो मेरे?’’

‘‘तुम्हारी एक फिल्म आई थी ‘ओल्ड लवर’, बस मुझे भी वही समझ लो,’’ आकाश ने कहा और कमरे से बाहर निकल आया. सीमा उसे देखती रह गई.

कुछ दिनों के बाद सीमा अपने पति जौन पीटर के साथ लंदन चली गई.

2 साल बाद… लंदन के हवाईअड्डे पर इंडियन एयरलाइंस का हवाईजहाज उतरा. अनेक मुसाफिरों के साथ आकाश भी हवाईजहाज से बाहर निकला.

आकाश ने एक अफसर से कुछ बात की और एक औफिस में घुस गया.

आकाश ने कंप्यूटर पर काम करती हुई सीमा को देखा तो उस के दिल की धड़कनें तेज होने लगीं और आंखों की चमक बढ़ गई.

आकाश ने धीरे से पुकारा, ‘‘हैलो सीमा.’’

सीमा ने आकाश को देखा तो चौंक उठी. उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि आकाश उस के सामने खड़ा है.

‘‘तुम सपना नहीं देख रही हो सीमा. मैं आकाश ही हूं,’’ सामने की सीट पर बैठते हुए आकाश ने कहा.

सीमा कुछ समझ नहीं पा रही थी

कि कहां से बात शुरू करे? आकाश अचानक लंदन क्यों आया है? उस का पता आकाश को किस ने दिया है?

‘‘कैसे आए हो? यहां घूमनेफिरने या किसी काम से आना हुआ है?’’ सीमा ने पूछा.

सीमा की आंखों के सामने वह मंजर आ गया जब उस ने मुंबई में आकाश का मजाक उड़ाया था. शिमला में भलाबुरा कहा था. इतना होने पर भी आकाश उस से मिल रहा है. आखिर क्यों? क्या आकाश को उस के बारे में सब पता चल गया है?

‘‘मैं किसी काम से नहीं बस तुम से मिलने के लिए ही आया हूं सीमा. मुझे अखबारों से पता चल गया था कि कुछ दिनों के बाद ही तुम्हारी और जौन पीटर की अनबन हो गई. तुम ने उस का घर छोड़ कर यहां हवाईअड्डे पर नौकरी कर ली.’’

‘‘आकाश, तुम ने ठीक कहा था कि हम दोनों देशों की संस्कृति में जमीनआसमान का फर्क है. मैं ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि पीटर का रूप इतना घिनौना होगा. वह इनसान नहीं हवस का एक पुजारी है. मैं ने बहुत सहन किया, पर जब सहन नहीं हुआ तो मैं ने उस का घर छोड़ दिया और यहां हवाईअड्डे पर नौकरी कर ली. कुछ महीने पहले हमारा तलाक हो चुका है.’’

आकाश चुपचाप सीमा की ओर देखता रहा.

सीमा ने कहा, ‘‘अपने बारे में बताओ आकाश. यहां लंदन में अकेले ही आए हो या परिवार के साथ?’’

‘‘सीमा, मैं आज भी परिवार के नाम पर अकेला ही हूं. तुम ने तो शादी कर ली थी और मैं ने शादी न करने का पक्का इरादा कर लिया था. बस, यों समझ लो कि मैं आज भी उसी चौराहे पर खड़ा हूं जहां तुम ने मुझे छोड़ा था. अच्छा, एक बात बताओ सीमा…’’

‘‘पूछो?’’

‘‘क्या तुम्हें कभी अपने देश भारत की याद नहीं आती?’’

‘‘बहुत याद आती है. लेकिन अब सोचती हूं किस मुंह से जाऊं. अब वहां कौन है मेरा? मां को पिछले साल हार्ट अटैक हो गया था और वे बच न पाईं. अब तो पछतावे के अलावा मैं कर ही क्या सकती हूं.

‘‘पता नहीं क्या हो गया था मुझे जो मैं एक विदेशी पर यकीन करते हुए सबकुछ छोड़ कर यहां चली आई,’’ कहतेकहते सीमा की आंखें भर आईं.

‘‘सीमा, वहां तुम्हारा सबकुछ है. तुम्हारे अपने सभी वहां हैं. इस देश की भीड़ में मैं तुम्हें नहीं खोने दूंगा. अब मैं तुम्हें अपने से दूर नहीं होने दूंगा. अब तुम हमेशा मेरे साथ रहोगी. अगर तुम फिल्मों में काम करना चाहोगी तो मुझे एतराज नहीं होगा.’’

सीमा की आंखें डबडबा गई. वह रो देना चाहती थी. इतना सब होने के बाद भी आकाश उसे अपनाने के लिए यहां आया है, इतनी दूर. उसे लगा मानो वह अकेली किसी अंधेरी गुफा में भटक रही थी और अचानक आकाश ने उस का हाथ पकड़ कर सही रास्ता दिखा दिया.

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