मेरे पतिदेव को चलतेफिरते मुझे छेड़ते हुए शरारत करने की आदत है. वे कभी गाल छू लेते हैं, तो कभी कमर पर चुटकी ले लेते हैं. यह भी नहीं देखते कि आसपास कोई है या नहीं. बस, मेरे प्रति अपना ढेर सारे प्यार को सरेआम जता देते हैं.  मेरे मना करने पर या ‘शर्म करो’ कहने पर कहते हैं, ‘अरे यार, अपनी खुद की बाकायदा बीवी को छेड़ रहा हूं, कोई राह चलती लड़की को नहीं और प्यार जता रहा हूं, सता नहीं रहा... समझी जानू...’

बेशक, मुझे भी उन का यों प्यार जताना गुदगुदा जाता है. कभी चुपके से मैं भी इन की पप्पी ले लेती हूं... हम मियांबीवी जो हैं.  पर, 1-2 बार मैं ने नोटिस किया है कि मेरी कामवाली गीता हम पतिपत्नी की ये अठखेलियां दरवाजे के पीछे खड़ी रह कर छिपछिप कर देखती है. पहले तो मुझे लगा कि यह मेरा भरम है, पर अब तो गीता ऐसी हरकतें बारबार करने लगी थी. वैसे, गीता बहुत अच्छी है. स्वभाव भी मिलनसार और काम भी परफैक्ट, कभी शिकायत का मौका नहीं देती.

जब वह कुंआरी थी, तभी से हमारे घर में काम कर रही है. अभी एक साल पहले ही उस की शादी हुई थी. ससुराल यहीं पास ही में है, तो शादी के बाद भी गीता ने काम  नहीं छोड़ा. वह हमारे परिवार से घुलमिल गई है. दरअसल, कुंआरी लड़कियों को ऐसी हरकतें देखने की उत्सुकता रहती है, पर गीता की तो अब शादी हो गई है. उस का पति भी उसे प्यार करता होगा, शारीरिक सुख देता होगा, फिर हमें प्यार जताते देखने की इतनी ललक क्यों है? मैं ने अपने पति अभिराज को इस बारे में बताया भी, पर उन्होंने बात को मजाक में टाल दिया. पर, मैं अब सतर्क हो गई थी.

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