साहेबान, लोग कहते हैं कि खूबसूरत लड़कियां तो अच्छेअच्छों को तिगनी का नाच नचा देती हैं. एक समय था, जब हम इस बात से बिलकुल सहमत नहीं थे. हमारा मानना था कि मर्द लोग औरतों को तिगनी का नाच नचाते हैं. लेकिन पिछले दिनों हमारे दफ्तर में जो तमाशा हुआ था, उस की बदौलत हमें आज यकीन करना पड़ रहा है कि औरतें मर्दों को न केवल तिगनी का नाच नचा सकती हैं, बल्कि चाहें तो वे पूरी दुनिया पर राज भी कर सकती हैं.
उस दिन सोमवार था. दफ्तर में कदम रखने पर हमें अपनी एडवरटाइजिंग एजेंसी के गिनेचुने चेहरे ट्यूबलाइट की तरह चमकते दिखाई दिए. हम से रहा नहीं गया. हम ने तुरंत अपने दफ्तर के सुपरस्टार कन्हई चपरासी से पूछा, ‘‘क्यों भैया कन्हई, आज सभी के चेहरों पर बोनस मिलने वाली खुशी क्यों दिखाई दे रही है?’’
कन्हई ने फौरन अपने तंबाकू खाने से काले पड़े दांत दिखाए और बोला, ‘‘अविनाश बाबू, आज दफ्तर में दिल्ली वालों की जबान में ‘टोटा’, यूपी वालों की जबान में ‘छमिया’ और बिहार वालों की जबान में ‘कट्टो’ काम करने आ रही है.’’
दफ्तर में काम करने वाली लड़कियों का आनाजाना लगा ही रहता था, इसलिए हम ने कन्हई की बात को हलके तौर पर लिया और अपने काम में लग गए.
ठीक 11 बजे कन्हई की ‘छमिया’ ने दफ्तर में कदम रखा. उस पर नजर पड़ते ही हमें अपने दिल की धड़कन रुकती सी महसूस हुई. सही में ‘कट्टो’ थी वह. लंबा कद, दूध जैसा रंग, सेब जैसे गाल, रसभरे होंठ, बड़ीबड़ी आंखें, कमर तक लंबे बाल और बदन की नुमाइश करते मौडर्न कपड़े.
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