गांव में अफरातफरी  थी. लोगों की आंखें आसमान की तरफ लगी थीं. वे आसमान में पानी के लिए नहीं, बल्कि इसलिए टकटकी लगाए हुए थे, क्योंकि वहां हैलीकौप्टर से मंत्रीजी आने वाले थे. मंत्रीजी वहां इसलिए आ रहे थे, क्योंकि अखबारों में यह खबर छपी थी कि उस गांव में कुछ लोग भूख से मर गए हैं. मंत्रीजी को इस बात पर कतई यकीन नहीं था कि कोई भूख से मरा होगा. उन का मानना था कि आदमी अपने कर्मों से मरता है, भूख तो केवल एक बहाना है. इस में सरकार क्या करे. पर वे अपने मन की इन बातों को लोगों के सामने जाहिर नहीं करना चाहते थे. इस से वोट बैंक पर बुरा असर पड़ सकता था.

फिलहाल मंत्रीजी जिला हैडक्वार्टर पहुंच चुके थे. अफसरों के साथ बैठक और लंच के बाद गांव के दौरे पर जाने का कार्यक्रम था. बाहर विरोधी दल के लोग काले झंडे दिखा रहे थे. पुलिस दूर से ही उन्हें डंडे दिखा रही थी. अभी तक केवल देखनेदिखाने का ही खेल चल रहा था. आगे क्याक्या होना था, यह किसी को पता नहीं था. भीतर अफसरों के साथ मंत्रीजी की मीटिंग चल रही थी. मंत्रीजी ने मिनरल वाटर का घूंट भरा. दिन में वे केवल मिनरल वाटर ही पीते थे. उन्होंने बड़े अफसर से सवाल किया, ‘‘क्या यह सच है कि आप के जिले में लोग भूख से मरे हैं  ऐसी खबर छपने पर आप को शर्म आनी चाहिए. आप को पता है कि ऐसी खबरों से सरकार और हमारी इमेज पर कितना बड़ा धब्बा लग सकता है ’’

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