‘‘मुझे माफ करना, अतुल. मैं ने तुम्हारा बहुत अपमान किया है, तिरस्कार किया है और कई बार तुम्हारा मजाक भी उड़ाया है. मगर आज जब मुझे अपने बेटे की सब से ज्यादा जरूरत थी तब तुम ही मेरे करीब थे. अगर आज तुम न होते तो न जाने मेरा क्या हाल होता. मैं शायद इस दुनिया में न होता.
“अतुल बेटा, हम दोनों तो बिलकुल अकेले पड़ गए थे. अब तो मुझे सुमित को अपना बेटा कहने में भी शर्म आ रही है. उसे विदेश क्या भेजा, वह विदेशी हो कर रह गया, मांबाप को भी भूल गया. अब मेरा उस से कोई नाता नहीं,’’ यह कहते हुए कांता प्रसाद फफकफफक कर रो पड़े, उन्होंने अतुल को खींच कर अपने गले से लगा लिया.
अतुल की आंखें भी नम हो गईं. वह अतीत की यादों में खो गया. अतुल के पिता रमाकांत की एक छोटी सी मैडिकल शौप थी जो सरकारी अस्पताल के सामने थी. परिवार की आर्थिक स्थिति विकट होने से अतुल ज्यादा पढ़ नहीं पाया था. कक्षा 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद उस ने फार्मेसी में डिप्लोमा किया और अपने पिता के साथ दुकान में उन का हाथ बंटाने लगा.
एक ही शहर में दोनों भाइयों का परिवार रहता था मगर रिश्तों में मधुरता नहीं थी. कांता प्रसाद और छोटे भाई राम प्रसाद के बीच अमीरीगरीबी की दीवार दिनबदिन ऊंची होती जा रही थी. दोनों भाइयों के बीच एक बार पैसों के लेनदेन को ले कर अनबन हो गई थी जिस के कारण उन के बीच कई सालों से बोलचाल बंद थी. होलीदीवाली जैसे त्योहारों पर महज औपचारिकता निभाते हुए उन के बीच मुलाकात होती थी.
अतुल के ताऊजी कांता प्रसाद एक प्राइवेट बैंक में मैनेजर थे जो अपने इकलौते बेटे सुमित की पढ़ाई के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे थे. सुमित शहर के सब से महंगे और मशहूर पब्लिक स्कूल में पढ़ता था. जब कभी अतुल उन से बैंक में या घर पर मिलने जाता था तब वे उस का मजाक उड़ाते हुए कहते थे :
‘अरे अतुल, एक बार कालेज का तो मुंह देख लेता. अभी 20-22 का हुआ नहीं कि दुकानदारी करने बैठ गया. कालेजलाइफ कब एंजौय करेगा? तेरा बाप क्या पैसा साथ ले कर जाएगा?’ ‘नहीं ताऊजी, ऐसी बात नहीं है. मेरी भी आगे पढ़ने की इच्छा है और पापा भी मुझे पढ़ाना चाहते हैं पर मैं अपने घर की आर्थिक स्थिति से अच्छी तरह से अवगत हूं. मैं ने ही उन्हें मना कर दिया कि मुझे आगे नहीं पढ़ना है. निशा और दिशा को पहले पढ़ानालिखाना है ताकि वे पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो जाएं जिस से उन के विवाह में अड़चन न आए. एक बार उन के हाथ पीले हो जाएं तो मम्मीपापा की चिंता मिट जाएगी. वे दोनों आएदिन निशा और दिशा की चिंता करते हैं.
‘आजकल के लड़के पढ़ीलिखी और नौकरी करने वाली लड़कियां ही ज्यादा पसंद करते हैं. ताऊजी, आप को तो पता ही है कि हमारी मैडिकल शौप से ज्यादा आमदनी नहीं होती. सरकारी अस्पताल के सामने मैडिकल की पचासों दुकानें हैं. कंपीटिशन बहुत बढ़ गया है. फिर आजकल औनलाइन का भी जमाना है. मेरा क्या है, मैं निशा और दिशा की विदाई के बाद भी प्राइवेटली कालेज कर लूंगा पर अभी परिवार की जिम्मेदारी निभाना जरूरी है.’
अतुल ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा तो कांता प्रसाद को बड़ा ताज्जुब हुआ कि अतुल खेलनेकूदने की उम्र में इतनी समझदारी व जिम्मेदारी की बातें करने लग गया है और एक उन का बेटा सुमित जो अतुल की ही उम्र का है मगर उस पर अभी भी बचपना और अल्हड़पन सवार था, वह घूमनेफिरने और मौजमस्ती में ही मशगूल है. कांता प्रसाद के पास रुपएपैसों की कमी न थी. उन के बैंक के कई अधिकारियों के बेटे विदेशों में पढ़ रहे थे, सो कांता प्रसाद ने भी सुमित को विदेश भेजने के सपने संजो कर रखे थे. वक्त बीत रहा था.
सुमित इंजीनियरिंग में बीई करने के बाद एमएस के लिए आस्ट्रेलिया चला गया. इसी बीच कांता प्रसाद बैंक से सेवानिवृत हो गए. पत्नी रमा के साथ आराम की जिंदगी बसर कर रहे थे.सुमित के लिए विवाह के ढेरों प्रस्ताव आने शुरू हो गए थे. अपना इकलौता बेटा विदेश में है, यह सोच कर ही कांता प्रसाद मन ही मन फूले न समाते थे. अब तो वे जमीन से दो कदम ऊपर ही चलने लगे थे. जब भी कोई रिश्तेदार या दोस्त मिलता तो वे सुमित की तारीफ में कसीदे पढ़ने लग जाते. कुछ दिन तक तो परिवार के सदस्य और यारदोस्त उन का यह रिकौर्ड सुनते रहे मगर धीरेधीरे उन्हें जब बोरियत होने लगी तो वे उन से कन्नी काटने लगे.
वक्त अपनी रफ्तार से चल रहा था. सुमित को आस्ट्रेलिया गए 3 साल का वक्त हो गया था. एक दिन सुमित ने बताया कि उस ने एमएस की डिग्री हासिल कर ली है और वह अब यूएस जा रहा है जहां उसे एक मल्टीनैशनल कंपनी में मोटे पैकेज की नौकरी भी मिल गई है. कांता प्रसाद के लिए यह बेशक बहुत ही बड़ी खुशी की बात थी.
कांता प्रसाद और रमा अभी खुशी के इस नशे में चूर थे कि एक दिन सुमित ने बताया कि उस ने अपनी ही कंपनी में नौकरी करने वाली एक फ्रांसीसी लड़की एडेला से शादी कर ली है. सुमित के विवाह को ले कर सपनों के खूबसूरत संसार में खोए हुए कांता प्रसाद और रमा बहुत ही जल्दी यथार्थ के धरातल पर धराशायी हो गए.
अब तो दोनों अपने घर में ही बंद हो कर रह गए. लड़की वालों के फोन आने पर ‘अभी नहीं, अभी नहीं’ कह कर टालते रहे. कांता प्रसाद और रमा ने सुमित के विवाह की बात छिपाने की बहुत कोशिश की मगर जिस तरह प्यार और खांसी छिपाए नहीं छिपती, उसी तरह सुमित के विदेशी लड़की से विवाह करने की बात उन के करीबी रिश्तेदारों के बीच बहुत ही जल्दी फैल गई.