कोर्ट में रुतबा और उस का शौहर आसिम खड़े थे. एक तरफ आसिम के तो दूसरी तरफ रुतबा के अम्मीअब्बू भी वहां मौजूद थे. देखने पर लग रहा था कि शायद वे दोनों कोर्टमैरिज करने यहां आए थे.
जैसे ही वकील ने कोर्टमैरिज के लिए कुछ पेपर दोनों के सामने रखे, रुतबा की आंखों से आंसू बहने लगे.
अम्मी ने रुतबा को संभालते हुए कहा, ‘‘रुतबा, फिक्र मत करो. आसिम बहुत ही नेक लड़का है और तुम्हें बहुत खुश रखेगा. पिछली सारी बातें भूल कर तुम एक नई जिंदगी की ओर कदम आगे बढ़ाओ.’’
आसिम के अम्मीअब्बू ने भी रुतबा के सिर पर प्यार से हाथ रखा और उसे दस्तखत करने की ओर इशारा किया.
रुतबा और आसिम दोनों ने उन पेपरों पर अपनेअपने दस्तखत कर दिए. दोनों के अम्मीअब्बू के चेहरों पर खुशी साफतौर पर देखी जा सकती थी.
कोर्ट से बाहर आ कर आसिम रुतबा और अम्मीअब्बू के साथ एक कार में बैठ गया और रुतबा के मांबाप दूसरी कार में बैठ कर चले गए.
ससुराल में आ कर रुतबा ने जिन 2 बच्चों का सब से पहले सामना किया, वे बच्चे आसिम के थे, जिस की पहली पत्नी मर चुकी थी और अब इन बच्चों को रुतबा को ही संभालना था.
रुतबा ने घर आते ही दोनों बच्चों को अपने गले से लगा लिया और फूटफूट कर रोने लगी. आसिम और उस के मांबाप ने उसे संभाला, अंदर ले गए और खानेपीने का इंतजाम किया.
अगले दिन की शाम को घर में एक पार्टी रखी गई थी, जिस में रुतबा की सहेलियां, कुछ रिश्तेदार और आसिम के भाईबहन व खास मेहमान शामिल होने वाले थे.