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मैं आज की शाम, बल्कि जिंदगीभर के लिए बेइज्जत तो हो ही गई. बताओ, मैं अब अपने पिताजी को जा कर क्या जवाब दूं? तुम ने मेरी जिंदगी का सुनहरा सपना क्यों चूरचूर कर दिया? मैं क्या समझती थी कि तुम मुझे धोखा दे रहो हो,’’ नफरत की तड़पभरी चिनगारी आंखों में भरे उस ने आगे कहा, ‘‘एक मामूली मजदूर ही नहीं, लुटेरे भी हो तुम... जाओ, अपनी जिंदगी का रास्ता बदलो और अब मेरे पीछे कभी मत आना... ‘‘तुम ने मेरी जान बचाई थी कभी तो उस की कीमत इस तरह लेना चाहते थे? मुझ से कहे होते तो पिताजी से कह कर मैं तुम्हें हजारों रुपए दिलवा देती...’’ इतना बोल कर ही ऊषा का गुस्सा शांत न हो सका था. घायल शेरनी सी बिफरती हुई बोली थी वह, ‘‘तुम ने झूठ क्यों कहा मुझ से कि तुम एक इंजीनियर हो, जबकि तुम हो एक साधारण मजदूर से भी गएबीते एक खरादिए भर हो, चीकट कपड़े पहन कर काम करने वाला... परफ्यूम लगा लेने या ब्रांडेड कपड़े पहन लेने से कोई न तो इंजीनियर बन जाता है और न रईस या बड़ा आदमी. जरूर तुम किसी निचली जाति के भी हो, मेरी तरह राजपूत पिता की संतान नहीं. जाओ, आज से आग लगा दो अपनी सारी टीशर्टों को,’’ कह कर वह सड़क पार कर गई थी. सच तो यह?है कि ‘ऊषा’ मेरे जीवन की

‘अंधेरी रात’ बन गई थी. उस समय ऐसा लग रह था, जैसे किसी ने मेरा दिल मुट्ठी में भींच रखा हो. मेरी दोनों कनपटियां बज रही थीं. चारों ओर जैसे एक ही आवाज गूंज रही थी, ‘चले जाओ धोखेबाज... आग लगा दो अपनी टाइयों को. मैं तुम से नफरत करती हूं... नफरत.’ फिर उस के बाद ऊषा मुझे नहीं मिली. शायद, उस ने वह काम छोड़ दिया था या शहर ही. कभीकभार मेरी नजरें उसे अब भी खोजती हैं ऐसे दिलकश मौसम में, यही मेरी उदासी का राज है. हां, उस के बाद मैं ने सलमा से शादी कर ली. शुरूशुरू में कुछ हल्ला हुआ, पर बाद में सब चुप हो गए, क्योंकि हम दोनों के घरों का रहनसहन एक सा था.

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