कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मैं ने आगे रास्ते पर बढ़ते हुए हाथ हिला दिया था. उस ने भी जवाब में हाथ हिला दिया था, ‘‘सुबह फिर मिलेंगे.’’ दूसरी सुबह मुलाकात होनी थी उस से. सो, मैं ने अपना सब से कीमती सूट पहना था. मेल खाती टाई लगाई थी. इतना ही नहीं, अपने कपड़ों पर एक बेहतरीन इत्र भी लगाया था. फिर गुनगुनाते हुए कमरे के दरवाजे पर ताला लगा कर बड़ी तेजी से सड़क पर आ गया था. मैं ने देखा था कि वह उसी सुंदर मकान के आगे खड़ी मुड़मुड़ कर मेरी राह देख रही थी. हम दोनों एकदूसरे की ओर देख कर मुसकराए और बड़े खुश हुए थे. न जाने क्या सोच कर वह चहकते हुए बोली थी,

‘‘क्या बात है? आज तो तुम महकते हुए खूब फब रहे हो. एकदम सिनेमा के ‘हीरो’ जैसे...’’ इतना कहतेकहते वह खिलखिला कर हंस पड़ी थी. ‘‘लेकिन, सचमुच आप से कम...’’ मैं ने कहा था, ‘‘मुझे जो फिल्मी हीरोइन पसंद है, अगर इस समय आप के सामने आ जाए तो वह भी पानी भरे.’’ इसी तरह कुछ देर तक घुलमिल कर बातें होती रहीं. फिर उस ने अपना नाम ‘ऊषा’ बताते हुए पूछा, ‘‘क्या आप किसी फैक्टरी में इंजीनियर हैं?’’ उस के इस सवाल से मैं सकपका गया था. फिर खुद को संभालते हुए मुसकरा भर दिया था. ‘‘ठीक?है,’’ उस ने कहा था. वह सचमुच बेहद खुश हो गई थी,

‘‘मैं भी यही समझती थी कि आप किसी बड़ी और शानदार जगह पर हैं.’’ मैं ने पूछा, ‘‘और आप क्या हैं दवा वाली उस फैक्टरी में?’’ ‘‘मैं वहां क्या हूं?... बस यही समझ लीजिए कि किसी तरह सिर्फ समय गुजारती रहती हूं,’’ उस ने कनखियों से मुझे देखते हुए कहा था, ‘‘यों तो मुझे नौकरी करने की कोई खास जरूरत ही न थी. पिताजी ‘बैंक औफ इंडिया’ में मैनेजर हैं. भाई ‘किर्लोस्कर’ के एजेंट और भाभी स्कूल में पढ़ाती हैं. घर में अकेली मैं क्या करूं? मां हैं नहीं, न दूसरा कोई भाईबहन, सो दवाओं की ‘सल्फरी’ गंध के बीच टाइप का काम करती हूं.’’ जवाब देते समय आखिरी बात कहतेकहते वह झेंप भी गई, जो मुझे कुछ ज्यादा लुभा गया. अपनी झेंप पर काबू पाते हुए वह बोली, ‘‘बुरा न मानें तो क्या मैं आप का नाम जान सकती हूं?’’ ‘‘एक ही शर्त पर.’’ ‘‘कौन सी?’’ वह बोली. ‘‘इस बनावटी ‘आपवाप’ के चक्कर से बरी रखना मुझे,’’ मैं ने शरारती अंदाज में कहा था. ‘‘चलो, ऐसा ही सही,’’ वह खिलखिला कर हंस पड़ी थी. ‘‘तो सुन लो और गुन लो जरा गौर से, मांबाप से ज्यादा मेरे चाचा ने रखा था इसे अरमान से...’’ ‘‘अरे बाबा, शायरी से बाहर आओ, मुझ को अपना नाम बताओ,’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...