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जलील और उस की पत्नी ने खदीजा के मिलने का प्रबंध तो कर दिया था, लेकिन इस में खतरा यह था कि कभी न कभी यह राज खुल सकता था. इसलिए वह उन्हें एक सप्ताह छोड़ कर मिलवाती थी.

एक दिन कादिर ने यह फैसला किया कि खदीजा अपना घर छोड़ कर हमेशा के लिए आ जाए और कादिर उसे अपने सा िशहर ले जा कर रख ले. वे दोनों फिर कभी इधर नहीं आएंगे. और अगर उन के मातापिता को पता लग गया तो वह इस शर्त पर वापस आएंगे कि आपसी झगड़े खत्म करो और हमें चैन से रहने दो.

एक रात कादिर शहर से आया. उस के घर वालों को पता नहीं था. खदीजा ने दिन के समय अपने वे कपड़े और जेवर जो उस ने अपने साथ ले जाने थे, चोरीचोरी एक अटैची में डाल लिए. रात को जब सब सोए हुए थे, वह चुपके से घर से निकल गई. कादिर और जलील खेत में खड़े थे. वे दोनों जलील के घर गए और सुबहसुबह कादिर और उस की पत्नी शहर जाने वाली बस में सवार हो कर शहर चले गए. वहां कादिर ने एक मकान किराए पर लिया हुआ था. वहां दोनों चैन से रहने लगे.

कादिर ने किसी वजह से दफ्तर से 4-5 दिन की छुट्टी ले ली थी. उस के घर का कोई काम था. वह खदीजा को शहर में अकेला छोड़ आया था और उस ने अपने 2 मित्रों से घर की देखभाल के लिए कह दिया था. खदीजा ने मुझे बताया कि कादिर ने तय किया था कि वह एक महीने बाद अपने मातापिता को बता देगा कि खदीजा उस के पास है और वह कभी वापस नहीं आएगा.

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