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मैं ने उस के अंदर इतनी हवा भरी कि वह गुब्बारे की तरह फूलता चला गया. उस का नाम आबिद था. मैं ने उस से पूछा, ‘‘एक बात बताओ, तुम्हारी बहन कहां चली गई?’’

उस ने कहा, ‘‘अगर उस का पता लग जाता तो क्या वह आदमी और मेरी बहन जिंदा रहते?’’ ‘‘तुम्हारी यह बात सुन कर मुझे बहुत खुशी हुई,’’ मैं ने उस से इस तरह बात की जैसे मैं थानेदार नहीं उस का दोस्त हूं. मैं ने आगे कहा, ‘‘तुम्हारे जैसे भाई अपनी इज्जत के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं करते. पर एक बात मेरी समझ में नहीं आई कि तुम्हारे जीजा को किस ने मारा?’’

‘‘यह तो मैं भी नहीं बता सकता. वैसे एक बात है, ऐसे आदमी का अंत ऐसा ही होना चाहिए था. किसी की बहनबेटी का घर उजाड़ देना ठीक नहीं है. पुलिस और कानून के पास इस की भले ही कोई सजा न हो, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि ऐसे आदमी का कुछ न किया जा सके.’’

‘‘तुम ने उस की मां को क्यों माफ कर दिया, उसे भी उड़ा देना चाहिए था. असली कुसूरवार तो वही है.’’ मैं ने कहा.

‘‘अब उसी की बारी है,’’ उस ने ऐसे कहा जैसे नशे में हो.

‘‘बरी कराना मेरा काम है,’’ मैं ने उस के कंधे पर हाथ रख कर दोस्तों की तरह कहा.

वह अपना हाथ बढ़ा कर मेरा हाथ पकड़ते हुए बोला, ‘‘वादा रहा.’’

‘‘तुम वास्तव में शेर हो, अब देखना कादिर की हत्या से मैं तुम्हें कैसे बरी कराता हूं. एक दिन की भी सजा नहीं होने दूंगा. मैं भी 2 बहनों का भाई हूं. तुम ने मेरा दिल खुश कर दिया.’’

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